क्या GOOGLE SEARCH HINGLISH के मुकाबले हिंदी मूल भाषा को PROMOTE करने वाला है ?

क्या GOOGLE SEARCH HINGLISH के मुकाबले हिंदी मूल भाषा को PROMOTE करने वाला है ?

दोस्तों मै हिंदी blogging की भाषा को लेकर सदैव असमंजस में रहा | मै यह निर्णय नहीं ले पा रहा था | की मुझे blog hinglish में लिखना चाहिए की हिंदी मूल भाषा में |मैंने कुछ सीनियर ब्लॉगर से भी बात की लेकिन हिंगलिश में Google adsense की CPC अधिक होने के कारन सीनियर ब्लॉगर ने मुझे हिंगलिश भाषा का ही सुझाव दिया | लेकिन supportmeindia के जुमे दीन खान जी ने एकाएक इस पर अपने विचार ब्यक्त किये | जिसमे उन्होंने बताया की हिंगलिश का भविष्य सुरक्षीत नहीं है  | मैंने फिर से इस पर research करने लगा | जिनसे कुछ तथ्य सामने आये जिनको मै आपके साथ share करना चाहता हूं |अगर आपके मन में भी यही सवाल उठ रहे है। तो चलिए जानते है कुछ महत्वपूर्ण बातें।

क्या GOOGLE SEARCH HINGLISH के मुकाबले हिंदी मूल भाषा को PROMOTE करने वाला है ?

दोस्तों सबसे पहली बात तो यह की hinglish कोई language नहीं है । दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि ज्यादातर user भले ही हिंगलिश में सर्च करते है लेकिन वे हिंगलिश के बजाय हिंदी में पढ़ना चाहते है। और यह बात हिंदी bloggers के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है| दूसरी तरफ हिंगलिश के न तो कोई नियम है और न कोई standard| कोई नियम और standard न होने के कारण किसी भी search engine के लिए यह मुश्किल होगा कि हिंगलिश के लिए अलग से Algorithm बनाये|

अगर हम बात करे हिंदी और इंग्लिश content के Ranking की तो वर्तमान स्थिति यह है कि-

Google सर्च में hinglish और हिंदी के शब्दों में कोई ज्यादा फर्क नहीं किया जा रहा है। और content को quality के आधार पर प्रदर्शित किया जा रहा है- उदाहरण के लिए “blog” और “ब्लॉग” में कोई फर्क नहीं है और अगर कोई व्यक्ति “ब्लॉग क्या है” या “Blog kya hai” सर्च करता है तो दोनो स्थिति में हिंदी और hinglish दोनों तरह के सर्च रिजल्ट प्रदर्शित हो रहे है | लेकिन दोनों तरह के सर्च में परिणाम अलग-अलग शो होते है |

लेकिन कुछ हद तक यह भी लग रहा कि गूगल मूल हिंदी के content को ज्यादा रैंक कर रहा क्योंकि अगर हम “ब्लॉग क्या है” सर्च करते है तो सर्च रिजल्ट में पहले पेज पर केवल हिंदी के ही परिणाम प्रदर्शित हो रहे है लेकिन जब हम hinglish में “Blog kya hai” सर्च करते है तो पहले पेज पर हिंदी और hinglish दोनों तरह के रिजल्ट शो होते है |

Hinglish Blogging के फायदे:

1. इन्टरनेट पर 90% से ज्यादा लोग हिंदी के content को पढने के लिए search engine में hinglish में टाइप करते है इस कारण अगर हिंगलिश में ब्लॉग है तो उस पर सर्च ट्रैफिक ज्यादा हो सकता है| हालाँकि आज कल search engine में हिंदी और हिंगलिश के शब्दों में फर्क नहीं किया जारहा |

2. hinglish कोई भाषा नहीं इसलिए इसके कोई नियम नहीं है इसलिए अगर आप कोई शब्द लिखने में गलती भी करते है तो पता नहीं चलता |

3. Google Adsense की CPC यानि कि एड के प्रत्येक क्लिक पर मिलने वाली रेट हिंगलिश ब्लॉग्गिंग में ज्यादा है |

4. तकनिकी शब्दों को हिंदी में लिखना मुश्किल होता है लेकिन hinglish में आप तकनिकी शब्दों को इंग्लिश में ही लिखते है |

5. हिंगलिश कोई भाषा न होने के कारण इसके कोई नियम भी नहीं है , इसलिए अगर आप हिंगलिश में कोई speling मिस्टेक कर देते है तो कोई फर्क नहीं होता है | जबकि यदि आप हिंदी में ऐसा करते है तो यहाँ अर्थ का अनर्थ हो जायेगा |

Hinglish Blogging के नुकसान:

1. hinglish कोई मूल भाषा नहीं है इसलिए इसके कोई नियम कायदे नहीं है |

2. ज्यादातर यूजर भले ही hinglish में सर्च करते है लें वे हमेशा मूल हिंदी में पढ़ना चाहते है |

3. इन्टरनेट पर hinglish के कारण मूल हिंदी का अस्तित्व खतरे में है, और इस बात को search engine अच्छे से जानते है |

4. hinglish का प्रयोग छोटे छोटे ब्लॉगर ही कर रहे है | कोई भी बड़ी न्यूज़ वेबसाइट या कंपनी, hinglish का उपयोग नहीं करती इसलिए हिंगलिश का भविष्य सुरक्षित नहीं माना जा सकता।

Blogging किस भाषा में करे?

मेरे हिसाब से आपको हिंदी में blogging करने के लिए मूल भाषा का use करना चाहिए। बाकी Blogging आप किस भाषा में कर सकते है। या कौन सी भाषा आपको ब्लॉग में use करना चाहिए। यह निर्णय आपका अपना होना चाहिए। दोनों स्थित आपके सामने है। और आप तय कर सकते है। कि आप किस प्रकार की भाषा use करना चाहते है। एक बात आपको ध्यान रखनी चाहिए। कि मूल भाषा का ही भविष्य स्थिर है।

दोस्तों आपका क्या विचार है । हमारे साथ शेयर जरूर करे। हमें अपने अनुमान और राय भी बताये ।

अनूप कुमार वैश्य
अनूप कुमार वैश्य
अनूप कुमार टेक यू हेल्प के संस्थापक हैं। वह मानव व्यवहार और समाज का अध्ययन करने के जुनून के साथ अत्यधिक प्रेरित व्यक्ति हैं। उन्होंने 2015 में कानपुर विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की है। पढ़ाई के दौरान, अनूप कुमार ने सामाजिक संरचनाओं और व्यक्तिगत अनुभवों को आकार देने के तरीकों की गहरी समझ विकसित की।
[fluentform id="3"]

Leave a Comment