गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त 2024 | गोवर्धन पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त कौन सा है?

Govardhan puja 2024 muhurat:- आज से हजारों वर्षों से हम दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाते आये हैं। इसकी कथा तो आपने अवश्य ही सुनी होगी या टीवी पर देखी होगी। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देव इंद्र के अहंकार को दूर करने के उद्देश्य से वृंदावन में गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊँगली पर उठा लिया था और देव इंद्र का मान भंग किया था। बस उसी दिन के बाद से ही हर वर्ष दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया (Govardhan bhagwan ki aarti) जाता हैं।

किंतु इस बार कुछ अलग होने जा रहा हैं और सालो साल की परंपरा टूटने जा रही हैं। वह इसलिए क्योंकि इस बार की दिवाली एक दिन की नही बल्कि दो (Govardhan puja ki vidhi) दिनों की पड़ रही हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस बार अर्थात वर्ष 2024 की दिवाली 24 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 25 अक्टूबर की शाम तक रहेगी। यही कारण हैं कि दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की बजाए इसे दो दिन बाद मनाया जाएगा।

ऐसे में यदि आप इस बार की गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त जानने को इच्छुक हैं और साथ ही इसकी संपूर्ण पूजा विधि जानना चाहते हैं तो (Govardhan puja mantra in Hindi) आज हम आपके साथ उसी पर ही चर्चा करेंगे। आज के इस लेख में आपको वर्ष 2024 के लिए गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सहित उसकी विधि, मंत्र व आरती जानने को मिलेगी। इन्हें जानकर आप पूरे विधि विधान के साथ गोवर्धन पूजा को कर पाएंगे।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त 2024 (Govardhan puja 2024 muhurat)

हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा करने का विधान रहा हैं। किंतु इस बार यह हो रहा हैं कि कृष्ण पक्ष की अमावस्या के साथ ही ग्रहण की स्थिति भी बन रही हैं। अब ग्रहण में तो किसी भी भगवान या देवी देवता की पूजा करना निषेध माना जाता हैं और सभी मंदिर, मठ, धार्मिक स्थलों को शुद्ध करने के बाद ही वहां पर फिर से पूजा की जाती हैं। तो दिवाली तो 24 अक्टूबर से होकर 25 अक्टूबर तक मनाई जाएगी किंतु ग्रहण 24 अक्टूबर की रात्रि को ही लग रहा हैं।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त 2024

इस कारण गोवर्धन पूजा का समय उसके अगले दिन शिफ्ट हो गया हैं जो कि 26 अक्टूबर का होगा। ऐसे में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की (Govardhan puja 2024 date) शुरुआत 25 अक्टूबर की संध्या से लेकर 26 अक्टूबर की दोपहर तक रहेगा। तो इस कारण गोवर्धन पूजा की तिथि भी 26 अक्टूबर ही निर्धारित की गयी हैं और उसी दिन विश्व के सभी मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद (Govardhan puja 2024 time) मिलेगा। ऐसे में गोवर्धन पूजा का जो निश्चित समय हैं वह इस प्रकार होगा:

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 48 मिनट तक
गोवर्धन पूजा की कुल अवधि2 घंटे 15 मिनट की
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ25 अक्टूबर 2022 को शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त 26 अक्टूबर 2022 को शाम 2 बजकर 42 मिनट पर खत्म

तो ऊपर दी गयी तिथि और समय काल को पढ़कर आपको अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा कि आखिरकार किस तरह से आप गोवर्धन भगवान की पूजा एक निश्चित समय अवधि में कर सकते हैं। इसलिए यदि आपकी देर से उठने की आदत हैं तो 26 अक्टूबर को देरी ना करें और समय पर उठकर गोवर्धन भगवान की पूजा कर ले। तभी आपको उचित फल मिल पाएगा।

गोवर्धन पूजा की विधि (Govardhan puja ki vidhi)

अब आपने गोवर्धन पूजा 2024 का शुभ मुहूर्त जान लिया हैं तो आपको यह भी जानना चाहिए कि इसकी संपूर्ण पूजा विधि क्या हैं। दरअसल जब भी हम किसी भगवान या देवी देवता की पूजा करते हैं तो उसे एक विधि के अनुसार किया जाना ही आवश्यक होता हैं। यदि आप बिना सही विधि जाने उनकी पूजा करेंगे तो ना तो आपको उस पूजा का उचित फल मिलेगा और आपका समय भी व्यर्थ चला जाएगा।

ऐसे में गोवर्धन भगवान की पूजा किस विधि के तहत की जाए, इसके बारे में यदि आप आज ही जान लेंगे तो आपके लिए ही उचित रहेगा। आइए जाने भगवान गोवर्धन की पूजा करने के लिए आपको किस विधि का पालन करना चाहिए।

  • सबसे पहले तो आप अपने घर के आँगन में गोबर से गोवर्धन भगवान की आकृति बनाए। इसके लिए आपको एक पुरुष का चित्र बनाना होगा। ध्यान रखे कि यह गोबर गाय माता का ही हो और एक दम ताजा हो तो बेहतर रहेगा।
  • जब आप पुरुष की आकृति बना ले तो उसके एक हाथ पर गोवर्धन पर्वत बना देंगे तो ज्यादा उचित रहेगा। दरअसल इसके जरिये कृष्ण भगवान को गोवर्धन पर्वत को उठाते हुए दिखाया गया हैं। इसलिए आपको बस उसी का चित्रण करना होगा।
  • अब इस पुरुष की नाभि की जगह आपको एक मिट्टी का दिया रख देना हैं और उसमे घी व बाती रखकर उसे प्रज्ज्वलित कर देना हैं।
  • जब पूजा का समय हो जाए तो आप घर के सभी सदस्यों को एकत्रित करें और उन्हें भगवान गोवर्धन की पूजा करने को कहे।
  • इसके लिए घर का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति घर के सभी सदस्यों को एक एक करके भगवान गोवर्धन की धोक लगवाए। इसके लिए आप उनका तिलक करें और उन्हें कुछ चावल के दाने दे।
  • इन चावल के दानों के साथ हाथ में कुछ धन लेकर वे गोवर्धन भगवान को प्रणाम कर उस पर वह चढ़ा दे।
  • जब सभी सदस्य गोवर्धन भगवान की धोक लगा ले तो आप उस पर पुष्प वर्षा कर दे। यह पुष्प यदि लाल रंग के होंगे तो ज्यादा उचित रहेगा।
  • इसके बाद घर के सभी सदस्य गोवर्धन भगवान के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और हर एक परिक्रमा के बाद श्रीकृष्ण भगवान की जय जय बोले।
  • जब सात परिक्रमा पूर्ण हो जाए तो गोवर्धन के पैरों को छू कर पूजा समाप्त कर दे।

तो दी गयी पूजा विधि के अनुरूप ही आप भगवान गोवर्धन की पूजा करेंगे तो आपको सर्वश्रेष्ठ फल की प्राप्ति होगी। ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण भी आपसे अत्यधिक प्रसन्न होंगे और आप पर अपनी कृपा दृष्टि रखेंगे। इसलिए आगे से जब भी आप गोवर्धन भगवान की पूजा करें तो ऊपर दी गयी विधि के अनुरूप ही उनकी पूजा करें।

गोवर्धन भगवान का मंत्र (Govardhan puja mantra in Hindi)

अब आपको यह ही जानना होगा कि यदि आप गोवर्धन भगवान की पूजा करने जा रहे हैं तो उनका मंत्र क्या होगा। दरअसल हर भगवान के लिए कुछ मंत्र निर्धारित किये गए हैं। ऐसे में हम विधिपूर्वक उन मंत्रों का जाप करते हैं तो इससे हमें उचित फल की प्राप्ति होती हैं। यदि कारण हैं कि यदि आप गोवर्धन भगवान की पूजा कर रहे हैं तो साथ के साथ उनके मंत्र का भी जाप करेंगे तो आपको अवश्य ही जल्दी फल प्राप्त होगा। तो ऐसे में गोवर्धन भगवान का जो मंत्र हैं, वह हैं:

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

यदि आप दिए गये मंत्र का गोवर्धन पूजा करते समय जाप करेंगे तो आपको जल्द से जल्द अपने मनवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही कृष्ण भगवान आपसे प्रसन्न होंगे वो अलग। इसलिए इस मंत्र का जाप करना बिल्कुल भी ना भूले।

गोवर्धन भगवान की आरती (Govardhan bhagwan ki aarti)

जब हम सभी गोवर्धन पूजा कर रहे होंगे तो उसमे गोवर्धन भगवान की आरती करना भी बहुत महत्व रखता हैं। वह इसलिए क्योंकि यदि किसी भगवान की पूजा अर्चना की जा रही हैं और उनकी आरती ना की जाए तो वह पूजा संपन्न नही मानी जाती हैं। इसलिए गोवर्धन भगवान की आरती का महत्व भी अत्यधिक बढ़ जाता हैं। ऐसे में अब आपको गोवर्धन भगवान की आरती के बारे में जानने की जिज्ञासा उठ रही होगी। तो उनकी आरती इस प्रकार हैं:

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,

तोपे चढ़े दूध की धार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,

चकलेश्वर है विश्राम।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,

ठोड़ी पे हीरा लाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,

तेरी झाँकी बनी विशाल।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण,

करो भक्त का बेड़ा पार।

तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।

गोवर्धन भगवान की पूजा विधि – Related FAQs

प्रश्न: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक है?

उत्तर: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 8 बजकर 48 मिनट तक है।

प्रश्न: गोवर्धन पूजा के बाद क्या करना चाहिए?

उत्तर: गोवर्धन पूजा के बाद उनकी सात बार परिक्रमा करनी चाहिए और साथ में उनके मंत्र का जाप करना चाहिए।

प्रश्न: क्या गोवर्धन पूजा पर कपड़े धो सकते हैं?

उत्तर: हां, गोवर्धन पूजा पर कपड़े धो सकते हैं।

प्रश्न: गोवर्धन की परिक्रमा कब चालू होगी 2024?

उत्तर: गोवर्धन की परिक्रमा चालू हो चुकी हैं।

तो इस तरह से आप हमारे द्वारा बताई गयी विधि के अनुरूप भगवान गोवर्धन की पूजा कर सकते हैं। तो आपने इस लेख के माध्यम से वर्ष 2024 के लिए गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सहित उनकी पूजा करने की विधि, मंत्र व आरती के बारे में जान लिया हैं। आशा हैं कि अब आप पूरे विधि विधान के साथ भगवान गोवर्धन की पूजा कर पाएंगे।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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