ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? | ग्रीन हाउस के प्रकार व इसका काम क्या हैं? | Green house effect in Hindi

Green house effect in Hindi :- वातावरण में कई तरह की गैस होती है लेकिन इन सभी गैसों का स्रोत सूर्य देव ही होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी पर हमारे लिए जीवन का स्रोत सूर्य ही है। यदि सूर्य ना हो तो पृथ्वी पर जीवन एक पल में ही नष्ट हो जाएगा। सूर्य से ही हमें वायु, जल व अग्नि मिल पाती है जो जीवन के प्रमुख घटक माने जाते हैं। ऐसे में हमें प्राणवायु देने वाले भी सूर्य देव हैं तो वहीं शरीर से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड के जनक भी वही (Greenhouse effect explain in Hindi) हैं।

आपने स्कूल में एक शब्द का नाम बहुत सुना होगा और वह है ग्रीन हाउस। अब स्कूल में तो बहुत पहले इसके बारे में पढ़ा होगा और इसको पढ़कर आप शायद भूल भी गए होंगे लेकिन आज हम आपके साथ इसी ग्रीन हाउस के बारे में ही चर्चा करने वाले हैं। कुछ लोग ग्रीन हाउस और ग्लोबल वार्मिंग को एक ही समझ लेते हैं लेकिन यह एक दूसरे से बिल्कुल ही भिन्न होते हैं। ग्रीन हाउस एक अलग चीज़ है जबकि ग्लोबल वार्मिंग को अलग रूप में जाना जाता (Greenhouse effect in Hindi) है।

ऐसे में यह ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है और यह किस तरह से मनुष्य व अन्य जीव जंतुओं को प्रभावित करता है। साथ ही ग्रीन हाउस प्रभाव की सहायता से क्या कुछ किया जाता है और क्या यह हमारे लिए बुरा है? साथ ही इसके क्या कुछ कारण हैं और इसके क्या दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं, इन सभी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको यह लेख पूरा और बहुत ही ध्यान से पढ़ना (Greenhouse effect ke bare mein bataen) होगा।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? (Green house effect in Hindi)

सबसे पहले हम ग्रीन हाउस प्रभाव क्या होता है और यह किस तरह से हम सभी पर अपना प्रभाव छोड़ता है, उसके बारे में बात कर लेते हैं। तो ग्रीन हाउस कुछ और नहीं बल्कि हमारे द्वारा बनाया गया एक घर होता है जो पेड़ पौधों की वृद्धि के लिए बनाया गया होता है। इसमें ग्रीन का अर्थ होता है हरा जो कि प्रकृति से जुड़ा हुआ है और हाउस का अर्थ होता है घर, जो प्रकृति के घर को दर्शाता है। अब उस घर से जो प्रभाव पड़ता है या इसका जो परिणाम होता है, उसे ही हम ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

Green house effect in Hindi

यह प्राकृतिक रूप से भी होता है तो वहीं कृत्रिम रूप से भी। यहाँ हम यह कहना चाह रहे हैं कि यह ग्रीन हाउस हमारी पृथ्वी को भी कहा जा सकता है तो वहीं हम मनुष्य किसी विशेष परिस्थिति में पेड़ पौधों के विकास के लिए भी इस ग्रीन हाउस प्रभाव का उपयोग लेते हैं। अब इन दोनों के बारे में जानने से पहले आप यह समझ लें कि आखिरकार यह ग्रीन हाउस प्रभाव है क्या चीज़ या फिर इसमें ग्रीन हाउस होता क्या (Greenhouse effect kya hai) है।

तो ग्रीन हाउस प्रभाव वह प्रभाव होता है जो गर्मी उत्पन्न करने का काम करता है। हमारी पृथ्वी सूर्य से उचित दूरी पर स्थित है, जहाँ ना ज्यादा ठण्ड होती है और ना ही ज्यादा गर्मी। अब यदि पृथ्वी सूर्य के ज्यादा पास होती तो वहां बहुत ज्यादा गर्मी हो जाती और जीवन जीने लायक नहीं रहता। वहीं वह ज्यादा दूर होती तो यहाँ बहुत ठण्ड पड़ती और तब भी जीवन जीने लायक स्थिति में नहीं होता। ऐसे में हमारी पृथ्वी सूर्य से उचित दूरी पर स्थित है जिस कारण यहाँ जीवन पनप रहा है।

अब यहाँ पर दिन में सूर्य की तेज धूप पड़ती है जो पृथ्वी के वातावरण से होकर धरती पर गिरती है। ऐसे में पृथ्वी को पर्याप्त ऊष्मा या गर्मी मिल रही होती है। इसी ऊष्मा का हम, जीव जंतु, पेड़ पौधे, धरती इत्यादि उपयोग करते हैं और जीवन जी पाते हैं। तो इसे ही हम ग्रीन हाउस कह सकते हैं जो पृथ्वी के रूप में हमारे सामने है। कहने का अर्थ यह हुआ कि हमें जो गर्मी मिल रही है और उसके कारण जो जीवन पनप रहा है, उसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता (Greenhouse effect kya hota hai) है।

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ग्रीन हाउस के प्रकार (Greenhouse types in Hindi)

ग्रीन हाउस प्रभाव को बेहतर तरीके से समझने के लिए आपको ग्रीन हाउस के दो प्रकारों के बारे में समझना होगा। इसमें एक प्रकार प्राकृतिक ग्रीन हाउस का होता है जो हमने आपको एक तरह से ऊपर बता ही दिया है। इसमें आप हमारी पृथ्वी का ही उदाहरण ले सकते हैं जिसके बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बताने का काम करेंगे। वहीं दूसरा प्रकार कृत्रिम ग्रीन हाउस होता है जो मनुष्य के द्वारा निर्मित किया गया होता है। आइये दोनों के बारे में ही जान लेते हैं।

प्राकृतिक ग्रीन हाउस

यह प्राकृतिक ग्रीन हाउस कोई और नहीं बल्कि हमारी धरती है और उसका स्रोत सूर्य है। हमारी पृथ्वी पर जो प्रकृति है, असंख्य पेड़ पौधे हैं, जीवन पनप रहा है, इत्यादि सब किसके कारण हो रहा है? तो इसका उत्तर है सूर्य देव। सूर्य देव से जो ऊष्मा हमें मिल रही है, वही तो हमें जीवन दे रही है। तो सुबह के समय जब सूर्य निकलता है तो उसकी तेज किरणें हम तक पहुँचती है। इन किरणों को धरती सहित हम सभी अवशोषित कर लेते हैं और उससे ऊर्जा पाते हैं।

संध्या के समय जब सूर्य ढल जाता है तो इनमें से कुछ किरणें वापस लौट जाती है तो कुछ किरणें वहीं वातावरण में फैल जाती है। इन किरणों को ग्रीन हाउस गैस कहा जाता है जो पृथ्वी को गर्म करने का काम करती है। अब कुछ लोग समझेंगे कि पृथ्वी का गर्म होना बुरा है लेकिन ऐसा नहीं है। यदि पृथ्वी गर्म है तभी तो जीवन है लेकिन यदि यह ज्यादा गर्म हो जाती है तो यह हानिकारक होता है। इसके बारे में हम नीचे बात करेंगे।

कृत्रिम ग्रीन हाउस

अब बात करते हैं कृत्रिम ग्रीन हाउस के बारे में। तो यह ग्रीन हाउस मनुष्य के द्वारा बनाया गया होता है जो कई तरह का हो सकता है लेकिन मुख्य तौर पर इसे कांच से बनाया जाता है। अब शायद आपने देखा हो कि ठंडे स्थानों में जहाँ सूरज की रोशनी या किरणें बहुत कम समय के लिए पहुँचती है वहां पेड़ पौधों का उगना बहुत ही कठिन होता है क्योंकि उन्हें पर्याप्त ऊष्मा ही नहीं मिल पाती है। या फिर सर्दियों के मौसम में भी यही समस्या देखने को मिलती है।

इस स्थिति में कांच का एक घर बनाया जाता है। अब जब सूरज निकलता है और उसकी किरणें कांच के इस घर पर पड़ती है तो उसके अंदर का तापमान बहुत बढ़ जाता है। इससे पेड़ पौधों को रात में भी गर्माहट मिलती रहती है और बाहर की तुलना में अंदर का तापमान गर्म बना रहता है। इस कारण पेड़ पौधों का विकास हो पाता है और वे ठंडे इलाकों में भी पनप पाते हैं। इस कांच के घर को हम ग्रीन हाउस कहते हैं।

ग्रीन हाउस गैस कौन कौन सी हैं? (Greenhouse gas kaun si hai)

अब आपका यह जानना भी जरुरी हो जाता है कि इस ग्रीन हाउस में कौन कौन सी गैस आती है जो हम सभी पर अपना प्रभाव छोड़ कर जाती है। तो इसमें कई तरह की गैस आती है जिन्हें हम एक तरह से हानिकारक गैस भी कहते हैं लेकिन वास्तविकता में वे हमारे लिए आवश्यक होती (Greenhouse gas kaun si hoti hai) है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैस ही नहीं होगी तो जीवन भी नहीं होगा। तो इसमें जो जो गैस आती है, उनके नाम हैं:

  • कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide)
  • मिथेन (Methane)
  • नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide)
  • फ्लोरोकार्बन्स (Fluorocarbons)
  • ऑजोन (Ozone)

अब आप ही सोचिये कि हम ही ऑक्सीजन लेते हैं और फिर कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं तो हमारे लिए तो दोनों ही आवश्यक है ना। इसी तरह से अन्य गैस भी जरुरी होती है। अब यदि आपको ग्रीन हाउस गैस के बारे में और इनके उपयोग के बारे में अच्छे से समझना है तो आइये इसके बारे में भी आपको बता देते हैं।

ग्रीन हाउस गैस का क्या काम है? (Greenhouse gas kya hai)

ग्रीन हाउस गैस जो आपने अभी ऊपर पढ़ी है, उसका काम बहुत ही प्रमुख होता है। दरअसल सूर्य से जो ऊष्मा या गर्मी इस धरती तक पहुँच रही है, वह उसे बाहर नहीं निकलने देती है। अब दिन के समय तो सूर्य की किरणें निर्बाध रूप से हमारी पृथ्वी के हिस्से में प्रवेश कर जाती है लेकिन रात के समय वही हिस्सा सूर्य के पीछे हो जाता है जिस कारण वह ठंडा हो जाता है। उस समय यदि ग्रीन हाउस गैस नहीं होगी तो हम सभी असहनीय ठण्ड से मर जाएंगे।

जब तक सुबह सूरज नहीं निकलेगा, तब तक हम सभी मर चुके होंगे। ऐसे में शाम के समय जब सूरज ढल जाता है तो दिनभर में सूरज की जो किरणें हमारे तक पहुंची है, ग्रीन हाउस गैस उन्हें अवशोषित कर धरती के वातावरण से बाहर नहीं निकलने देती है। इसमें से लगभग 70 प्रतिशत भाग इन्हीं ग्रीन हाउस गैस के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और उसे वातावरण में फैला दिया जाता है। बाकि का 30 प्रतिशत पुनः सूर्य की ओर चला जाता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण (Greenhouse effect ke karan)

अब आप सोच रहे होंगे कि यह ग्रीन हाउस अच्छा ही है या फिर इसका प्रभाव सकारात्मक ही होता है लेकिन ऐसा नहीं है। प्राकृतिक रूप से जो गर्मी हमारी धरती पर रह रही है, वह उचित होती है लेकिन हमारी मानवीय गतिविधियाँ व इच्छाएं इतनी अधिक बढ़ गयी है कि धरती का तापमान आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है। इस कारण पृथ्वी की सतह पहले की तुलना में बहुत ज्यादा गर्म होती जा रही (Greenhouse effect reasons in Hindi) है।

अब ऐसा ग्रीन हाउस गैस के बढ़ने के कारण देखने को मिल रहा है। वातावरण में हर दिन ग्रीन हाउस गैस बढ़ती जा रही है जो हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। अब ऐसा कई कारणों से देखने को मिल रहा है, जो कि इस प्रकार है:

पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई

हम लोगों के द्वारा आये दिन पेड़ पौधों को लगातार काटा जा रहा है। जिस तेजी के साथ पेड़ पौधों की कटाई हो रही है उतनी तेजी के साथ उन्हें उगाया नहीं जा रहा है। इससे कई तरह के दुष्परिणाम देखने में आये हैं और यह ग्रीन हाउस प्रभाव का एक मुख्य कारण बनता जा रहा है।

खेतों में कीटनाशकों का इस्तेमाल

मनुष्य धीरे धीरे बहुत ज्यादा लालची होता जा रहा है और इसी लालच में उसने खेतों में ज्यादा फसल उगाने के लिए तरह तरह के कीटनाशक और अन्य उर्वरकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसके फलस्वरूप भी ग्रीन हाउस प्रभाव देखने को मिल रहा है जिसके परिणाम आगे चलकर बहुत ही घातक रहने वाले हैं।

औद्योगीकरण

लगातार बढ़ता औद्योगीकरण भी ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ाने में बहुत सहायता कर रहा है। आग उगलती फैक्ट्री और उनसे निकलता बेतहाशा धुआं हम सभी के प्राण लेकर ही रहेगा। अब यदि हम समय रहते नहीं सँभलते हैं तो अवश्य ही इस जहरीले धुएं से मानव सभ्यता संकट में पड़ जाएगी।

ईंधन की खपत बढ़ना

हम कोयला, गैस इत्यादि का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करने लगे हैं और हर दिन इसकी खपत बढ़ती जा रही है। अब इसके जलने से या इस्तेमाल में लाने से ग्रीन हाउस गैस की मात्रा में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इससे भी ग्रीन हाउस प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ने लगा है।

आधुनिकीकरण

आज के समय में हमने सुख सुविधाओं को इतना महत्व देना शुरू कर दिया है कि प्रकृति के बारे में तो भूल सा ही गए हैं। फ्रिज, एसी इत्यादि का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है और उससे लगातार हानिकारक गैस निकलती जा रही है।

इन सभी के अलावा भी ग्रीन हाउस प्रभाव के बढ़ने के अन्य कई कारण हैं जो हमने सूचीबद्ध नहीं किये हैं। हालाँकि ऊपर बताये गए कारण ही ग्रीन हाउस प्रभाव के प्रमुख कारण हैं। यदि हम गौर से देखें और इसका विश्लेषण करें तो इसका प्रमुख और मूल कारण लगातार बढ़ती जनसख्या ही कही जाएगी। अब इतनी बढ़ी हुई जनसँख्या के कारण ही यह सभी कारण उभर कर सामने आये हैं।

ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणाम (Side effects of greenhouse effect in Hindi)

ग्रीन हाउस प्रभाव के क्या कुछ दुष्परिणाम हो सकते हैं या उसके ज्यादा होने से हमें क्या कुछ देखने को मिल सकता है, इसके बारे में भी यदि आप आज जान लेंगे तो आपकी जानकारी पूरी हो (Why is greenhouse effect harmful in Hindi) जाएगी। एक तरह से कहा जाए तो आपने ग्रीन हाउस प्रभाव के ऊपर जो कारण पढ़े तो उससे होने वाले दुष्परिणाम का आंकलन आपने पहले ही लगा लिया होगा। फिर भी ग्रीन हाउस के क्या कुछ प्रभाव देखने को मिलते हैं, उनमें से कुछ प्रमुख प्रभावों को हम आपके सामने रखने जा रहे हैं।

धरती का बढ़ता तापमान

अब यह दुष्परिणाम तो शायद ही बताने की जरुरत पड़े क्योंकि ग्रीन हाउस प्रभाव है ही यही चीज़। अब यह सीमित मात्रा में हो तो यह हमारे लिए सही है और किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि मनुष्य को जीवित रहने के लिए ऊष्मा अर्थात गर्मी की जरुरत है। अब यही गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगे जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग भी कहते हैं तो वही हमारे लिए घातक हो जाती है। हम अपने हाथों से ही पृथ्वी को बुध या शुक्र ग्रह के जैसा गर्म बनाने पर तुले हुए (What are the negative effects of the greenhouse effect in Hindi) हैं।

प्राकृतिक आपदाएं

अब पृथ्वी पर इतनी गर्मी बढ़ेगी तो निश्चित तौर पर प्राकृतिक आपदाओं में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। अत्यधिक तापमान से भूकंप आते हैं क्योंकि धरती के अंदर भी तापमान बहुत बढ़ जाता है। बाढ़ आती है क्योंकि गर्मी से समुंद्र जल्दी सूखते हैं और वही पानी कहीं और अधिक मात्रा में बरसता है। दूसरी ओर ग्लेशियर पिघलते हैं तो समुंद्र का जलस्तर बढ़कर सुनामी लाता है और कई वायरस पनपते हैं। ऐसी ही कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिलती है।

जंगलों में लगती आग

आपने पिछले कुछ वर्षों में समाचारों में एक समाचार बहुत देखा होगा और वह है जंगल में बकाबू होती आग। अब कभी किसी देश के जंगल में आग लग जाती है तो कभी किसी देश की तो जल्दी से काबू में भी नहीं आती है। तो यह भी ग्रीन हाउस प्रभाव का ही एक प्रभाव है जिस कारण जंगल नष्ट होते जा रहे हैं और धरती रहने योग्य नहीं रह गयी है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो एकदिन सभी जंगल नष्ट हो जाएंगे और उसके साथ मानव सभ्यता भी।

ओजोन परत में छेद

ग्रीन हाउस गैस के बढ़ने से पृथ्वी की जो ओजोन परत है, उसमें भी छेद देखने को मिल रहे हैं। अब यह जो परत है वह सूर्य से आ रही हानिकारक किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने से रोकती है लेकिन जब यही परत छलनी हो रही है तो सूर्य की हानिकारक किरणें भी हम तक पहुँच रही है। इससे पृथ्वी को बहुत ज्यादा नुकसान देखने को मिल रहा है।

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण तो आप सभी के सामने ही है। अब यदि आपको लगता है कि दिवाली के आसपास ही प्रदूषण होता है तो आप गलत हैं। दिवाली तो बस आपको वायु प्रदूषण दिखा जाती है जबकि रहता वह वर्ष के हर दिन है। ऐसे में आप हर समय अशुद्ध वायु में सांस ले रहे हैं और उसके जरिये जहर को अपने अंदर समा रहे हैं। यह भी ग्रीन हाउस प्रभाव का ही एक दुष्परिणाम है।

इस तरह से ग्रीन हाउस प्रभाव के बहुत ही ज्यादा दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। यदि मनुष्य व विभिन्न देशों की सरकार व प्रशासन सही समय पर नहीं जागा तो अवश्य ही हम सभी को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता है क्योंकि हम स्वयं ही अपनी मौत के कारण होंगे।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: ग्रीन हाउस का प्रभाव क्या है समझाइए?

उत्तर: ग्रीन हाउस प्रभाव वह प्रभाव होता है जो गर्मी उत्पन्न करने का काम करता है। इससे हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाता है।

प्रश्न: ग्रीन हाउस इफेक्ट का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर: ग्रीन हाउस इफेक्ट के मुख्य कारण हमने ऊपर के लेख में विस्तार से बताए हैं जो आप पढ़ सकते हो।

प्रश्न: ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार क्या है?

उत्तर: ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि की बढ़ती मात्रा जिम्मेदार है।

प्रश्न: ग्रीन हाउस गैस कौन सा है?

उत्तर: ग्रीन हाउस गैस हैं: कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, फ्लोरोकार्बन्स आदि।

प्रश्न: ग्रीन हाउस गैस का अर्थ क्या है?

उत्तर: शाम के समय जब सूरज ढल जाता है तो दिनभर में सूरज की जो किरणें हमारे तक पहुंची है, ग्रीन हाउस गैस उन्हें अवशोषित कर धरती के वातावरण से बाहर नहीं निकलने देती है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने ग्रीन हाउस प्रभाव के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है ग्रीन हाउस गैस कौन कौन सी हैं ग्रीन हाउस के कारण और दुष्परिणाम क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई शंका आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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