ग्रीन स्टील क्या है? | ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है?

ग्रीन स्टील क्या है? | What is green steel? | ग्रीन स्टील की क्या खासियत है? | ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है? | हाइड्रोजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किस में होता है? | देश का पहला ग्रीन स्टील ब्रांड किसने लॉन्च किया है? ||

हमारे देश की सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसी क्रम में अब वह ग्रीन स्टील को बढ़ावा दे रही है। क्या आप जानते हैं कि ग्रीन स्टील क्या है? यदि नहीं तो भी कोई चिंता की बात नहीं। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आपको बताएंगे कि ग्रीन स्टील क्या है? (What is green steel?) ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने का उद्देश्य क्या है? ग्रीन स्टील का पहला ब्रांड किसने लॉन्च किया है? ग्रीन स्टील को लेकर सरकार का क्या लक्ष्य है? आदि। आइए, शुरू करते हैं-

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वर्तमान में स्टील कैसे बनता है? (How steel is made at present?)

मित्रों, आपको बता दें कि वर्तमान में कोयले (coal) से स्टील (steel) बनाया जाता है। इससे भारी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन (carbon emission) होता है। इसे हमारे पर्यावरण (environment) के लिए अच्छा नहीं माना जाता। वर्तमान में विश्व भर में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) को कम से कम किया जाए।

ग्रीन स्टील क्या है ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है

इसी को ध्यान में रखते हुए भारत भी ऐसी तकनीक (technique) को इस्तेमाल करने पर बल दे रहा है, जिससे कार्बन का उत्सर्जन कम किया जा सके और पर्यावरण संरक्षण (environment conservation) किया जा सके। हरित इस्पात यानी ग्रीन स्टील (green Steel) को बढ़ावा देने की कवायद इसी का एक हिस्सा है।

ग्रीन स्टील क्या है? (What is green Steel?)

मित्रों, अब जान लेते हैं कि ग्रीन स्टील क्या है। आपको बता दें कि ग्रीन स्टील (green steel) को हिंदी में हरित इस्पात भी पुकारा जाता है। इसका अर्थ जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) के इस्तेमाल के बगैर इस्पात यानी स्टील के निर्माण से है। अब आपके मन में सवाल उठेगा कि यह कार्य कैसे किया जा सकता है? तो आपको बता दें दोस्तों कि पारंपरिक कोयले (coal) के बजाय हाइड्रोजन (hydrogen), प्राकृतिक गैस (natural gas) अथवा बिजली (electricity) जैसे कम कार्बन वाले ऊर्जा स्रोतों (low carbon energy sources) का इस्तेमाल करके इस कार्य को किया जा सकता है।

ग्रीन स्टील की क्या खासियत है? (What is the speciality of green Steel?)

मित्रों, ग्रीन स्टील क्या है, यह जानने के बाद आइए, अब ग्रीन स्टील की विशेषताओं की बात कर लेते हैं। यह तो आप जानते ही हैं कि हाइड्रोजन का परिवहन (transport), ऊर्जा भंडारण (energy storage) और औद्योगिक (industrial) समेत कई क्षेत्रों में ग्रीन बड़े पैमाने पर इस्तेमाल (use) किया जा सकता है।

ऐसे में ग्रीन स्टील बनने की प्रक्रिया (process) में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन (green house gas emission) कम होता है। यूं इसका उत्पादन महंगा होता है, लेकिन लंबी अवधि में इस पर लागत में कमी (cost reduction) आती है। इसके साथ ही ग्रीन स्टील गुणवत्ता (quality) के मामले में बेहतर (Better) होता है, जो कि इसकी प्रमुख खासियत हैं।

ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है? (What is governments objective behind promoting green Steel?)

दोस्तों, यदि ग्रीन स्टील को बढ़ावा देने के पीछे सरकार के उद्देश्य की बात करें तो इस्पात मंत्रालय (ministry of steel) का उद्देश्य इस्पात उद्योग (steel industry) में कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) को कम करना है। अभी तक इस्पात उद्योग के चलते भारत में भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन होता रहा है।

ऐसे में सरकार का उद्देश्य कम ऊर्जा (minimum energy) का इस्तेमाल करके अथवा यूं कह लीजिए कि न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट (minimum carbon footprint) के साथ ग्रीन स्टील का उत्पादन करना है। वह पारंपरिक स्टील उत्पादन, जिसके लिए स्टील बनाने की प्रक्रिया में कोयले की आवश्यकता होती है, को हतोत्साहित करना चाहती है।

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (climate change conference) में दोहराई गई प्रतिबद्धता के मुताबिक भारतीय स्टील इंडस्ट्री को सात साल के भीतर सन् 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है। वह सन् 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन (nil carbon emission) तक पहुंचना चाहता है।

देश का पहला ग्रीन स्टील ब्रांड किसने लॉन्च किया है? (Who has launched the first green still brand of India?)

मित्रों, अब आप जरूर जानना चाहते होंगे कि क्या भारत में कोई ग्रीन स्टील उत्पाद अभी तक सामने आया है? तो आपको बता दें कि भारत स्थित कल्याणी समूह (Kalyani group) द्वारा कल्याणी फेरेस्टा (kalyani feresta) नामक भारत का पहला ग्रीन स्टील ब्रांड लॉन्च (green steel brand launch) किया है। आपको बता दें दोस्तों कि यह लॉन्चिंग इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya sindhiya) के हाथों द्वारा हुई है।

एक टन ग्रीन स्टील बनाने के लिए कितने हाइड्रोजन की आवश्यकता होगी? (How much hydrogen will be needed to make a ton green Steel?)

मित्रों, यह तो यह हम आपको बता ही चुके हैं कि ग्रीन स्टील का निर्माण एक महंगी प्रक्रिया (costly process) है। इसके निर्माण में ऊंची लागत (high cost) आती है। आपको बता दें कि इलेक्ट्रोलिसिस (electrolysis) के माध्यम से उत्पादित (produce) की जाने वाली एक किलोग्राम हाइड्रोजन (hydrogen) के लिए करीब 50- से लेकर 55 kWh बिजली की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार एक टन स्टील के निर्माण के लिए 50 किलोग्राम हाइड्रोजन की आवश्यकता पड़ती है। दोस्तों, एक बात और आपको बता दें कि अब हाइड्रोजन (hydrogen) जैसे गैर परंपरागत स्रोतों (non traditional sources) की और देखने की जरूरत इसलिए भी आन पड़ी है, क्योंकि ऊर्जा (energy) के मुख्य स्रोत (main source) जैसे- पेट्रोलियम, कोयला आदि बेहद सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। ऐसे में भविष्य की आवश्यकताओं (future requirements) के मद्देनजर एक वैकल्पिक राह (optional way) को तलाशा जाना मजबूरी भी है और चुनौती भी।

भारत में हाइड्रोजन को लेकर क्या संभावनाएं हैं? (What are the expectations regarding hydrogen in India?)

दोस्तों, यह तो अब आप जान ही चुके हैं कि ग्रीन स्टील के निर्माण के लिए हाइड्रोजन (hydrogen) का इस्तेमाल किए जाने की ओर सरकार द्वारा कदम बढ़ाए जा चुके हैं। यदि भारत में हाइड्रोजन को लेकर संभावना पर बात की जाए तो आपको बता दें दोस्तों कि भारत में सन् 2029-30 तक हाइड्रोजन की मांग (demand of hydrogen) 1.17 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी, ऐसी संभावना है। आपको बता दें मित्रों कि फिलहाल हाइड्रोजन की मांग लगभग 67 लाख टन है।

इस मात्रा में से करीब 36 लाख टन यानी 54 फीसदी हाइड्रोजन का इस्तेमाल पेट्रोलियम की रिफाइनिंग (refining of petrol) में किया जाता है। हाइड्रोजन की बाकी मात्रा का इस्तेमाल फर्टिलाइजर (fertilizer) के उत्पादन (production) में किया जाता है।

रॉ स्टील के मामले में भारत की वर्तमान स्थिति क्या है? (What is the present status of India in case of RAW Steel?)

यदि रॉ स्टील के मामले में भारत की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की जाए तो यह साफ‌ होता है कि वित्तीय वर्ष (financial year) 2021- 2022 के दौरान कुल 120 मिलियन टन (MT) कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ। इस उत्पादन ही की बिना पर भारत कच्चे इस्पात यानी रॉ स्टील (raw steel) का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बना हुआ है। मित्रों, यह बात शायद आपको मालूम हो कि

हमारे देश भारत का 80 प्रतिशत से भी अधिक कच्चे इस्पात का भंडार झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्रों में हैं। यदि कुछ महत्वपूर्ण इस्पात उत्पादक केंद्र (steel production centers) की बात करें तो भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल), जमशेदपुर (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा), बोकारो (झारखंड) के नाम इनमें सबसे ऊपर हैं।

आइए, अब इसकी खपत की बात कर लें। मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि भारत सन् 2021 में 106.23 मीट्रिक टन की खपत के साथ तैयार स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है‌। यदि विश्व इस्पात संघ (world steel association) के आंकड़ों पर जाएं तो इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता देश चीन था।

ग्रीन स्टील से क्या आशय है?

ग्रीन स्टील निर्माण के लिए जीवाश्म ईंधन का न्यूनतम इस्तेमाल किया जाता है।

ग्रीन स्टील निर्माण मैं किसका उपयोग किया जाता है

इसके निर्माण में कोयले की जगह प्राकृतिक गैस एवं हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।

ग्रीन स्टील को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?

कार्बन उत्सर्जन को कम करने व पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन स्टील को बढ़ावा दिया जा रहा है।

वर्तमान में स्टील का निर्माण कैसे होता है?

वर्तमान में कोयले के जरिए स्टील का निर्माण होता है।

स्टील निर्माण में कोयले के इस्तेमाल को हतोत्साहित क्यों किया जा रहा है?

ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए स्टील निर्माण में कोयले के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा रहा है।

भारत में पहला ग्रीन स्टील ब्रांड कौन सा लांच किया गया है?

भारत में कल्याणी फेरेस्टा के नाम से पहला ग्रीन स्टील ब्रांड लांच किया गया है।

सन् 2029-30 तक हाइड्रोजन की मांग कहां तक पहुंचने की संभावना है?

सन् 2029-30 तक हाइड्रोजन की मांग 1.17 करोड़ टन तक पहुंच जाने की संभावना है।

हाइड्रोजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किस में होता है?

हाइड्रोजन का सबसे ज्यादा 54% इस्तेमाल पेट्रोलियम की रिफायनिंग में होता है।

मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको ग्रीन स्टील के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। आपको बताया कि ग्रीन स्टील किस प्रकार से पर्यावरण के लिए मददगार साबित होगा। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई भी सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक भेज दें। हम आपको अवश्य रिप्लाई करेंगे।।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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