जीएसटी कंपोजिशन स्कीम क्या है? जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के लक्षण

|| कंपोजिशन स्कीम के मुख्य लक्षण, कंपोजिशन स्कीम क्या है, जीएसटी के अंतर्गत कंपोजिशन स्कीम क्या है, कंपोजीशन की दशा में कर की दर लागू होती है, Composition scheme under GST rate, जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं, कम्पोजीशन का अर्थ ||

केंद्र सरकार द्वारा टैक्स सरलीकरण के नाम पर देश भर में जीएसटी (GST) यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (goods and service tax) शुरू किया गया था। उसका दावा था कि इससे व्यापारियों को कई प्रकार के पुराने टैक्सों से छुटकारा मिलेगा। टैक्स प्रक्रिया सरल होगी। शुरूआत में व्यापारियों को हर तिमाही पर जीएसटीआर (GSTR)-4 फार्म भरना पड़ता था।

व्यापारी कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करते थे, जैसे-अक्सर पोर्टल का सर्वर डाउन रहता था। बहुत सारी जगहों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या थी। इसके पश्चात सरकार ने बदलाव करते हुए जीएसटीआर-4 को सालाना भरना अनिवार्य किया। तिमाही रिटर्न दाखिल करने के लिए जीएसटी सीएमपी-08 फार्म का प्रावधान किया।

इसके पश्चात कम टर्न ओवर के कारोबारियों को रसीद, बार बार रिटर्न भरने की दिक्कत न हो, वह इसके लिए जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेकर आई। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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जीएसटी कंपोजिशन स्कीम क्या है? (what is GST composition scheme)

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम क्या है? जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के लक्षण

दोस्तों, जिन कारोबारियों का टर्न ओवर कम है, ऐसे लोगों को बार बार रिटर्न भरने की मुसीबत से मुक्ति मिले एवं ढेर सारी रसीदों का रिकार्ड रखने का सिरदर्द न हो, इस उद्देश्य से केंद्र सरकार (central government) जीएसटी कंपोजिशन स्कीम (GST composition scheme) लाई है।

इस स्कीम के अंतर्गत कारोबारियों को अपने अलग अलग लेन देन (transactions) का अलग अलग ब्योरा नहीं देना पड़ता। उन पर वस्तुओं के कारोबार का 1% एवं सेवाओं के कारोबार पर उनकी कैटेगरी (category) के लिहाज से 5% से लेकर 6% तक टैक्स लगता है।

कौन कौन से कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को अपना सकते हैं? (who can take the benefit of GST composition scheme)

दोस्तों, अब हम आपको बताएंगे कि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को कौन कौन से कारोबारी अपना सकते हैं। इनका ब्योरा इस प्रकार से है-

  • 1. सबसे पहली बात। सामान्य राज्यों के ऐसे कारोबारी, जिनका सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रूपये अथवा इससे कम है, वे इस स्कीम का लाभ ले सकते हैं।
  • 2. विशेष कैटेगरी (special category) वाले राज्यों के ऐसे कारोबारी, जिनका वार्षिक टर्नओवर (annual turnover) 75 लाख रूपये अथवा इससे कम है, इस स्कीम को अपना सकते हैं।
  • 3. सर्विस सेक्टर (service sector) के ऐसे कारोबारी, जिनका वार्विक टर्नओवर 50 लाख रूपये से कम है, वे इस स्कीम का लाभ उठा सकते हैं।

विशेष कैटेगरी वाले राज्यों में कौन कौन से राज्य शामिल हैं? (which states come under special state category)

मित्रों, हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत टर्नओवर की सीमा सामान्य एवं विशेष कैटेगरी वाले राज्यों के लिए अलग-अलग निर्धारित की गई है। अब आपको जानकारी देते हैं कि विशेष कैटेगरी में कौन कौन से राज्य आते हैं। ये इस प्रकार से हैं-

असम (Assam), अरूणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh), जम्मू-कश्मीर (jammu-kashmir), मेघालय (Meghalaya), मणिपुर (Manipur), मिजोरम (mijoram), नागालैंड (Nagaland), सिक्किम (Sikkim), त्रिपुरा (Tripura), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) एवं उत्तराखंड (uttarakhand)।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम कैसे ली जा सकती है? (how one can apply for GST composition scheme)

दोस्तों, आपको बता दें कि इस स्कीम के दायरे में आने वाल कोई भी कारोबारी नया वित्तीय वर्ष (financial year) शुरू होने से पूर्व इस स्कीम के लिए आवेदन (apply) कर सकता है। इसके लिए उसे केवल जीएसटी पोर्टल (GST portal) पर लाॅगइन (login) कर जीएसटी सीएमपी-02 फार्म भरकर जमा करना होगा।

इसके पश्चात कंपोजिशन स्कीम को जारी रखने के लिए उसे प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में इस प्रक्रिया (process) को पूरा करना होगा। आपको बता दें दोस्तों कि वित्तीय वर्ष के बीच में कंपोजिशन स्कीम नहीं ली जा सकती, अलबत्ता इसे वित्तीय वर्ष के बीच छोड़ा जरूर जा सकता है। इस स्कीम को लेने के पश्चात कंपोजिशन कारोबारी को यह करना होगा-

  • जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारी को प्रत्येक नोटिस पर कंपोजिशन टैक्सेबल पर्सन (composition taxable person) लिखना होगा।
  • जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारी को अपने साइन बोर्ड (sign board) पर भी प्रमुखता से लिखना होगा-कंपोजिशन टैक्सेबल पर्सन (composition taxable person)।
  • जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाला कारोबारी अपनी बिक्री पर जो रसीद (receipt) जारी करेगा, उसे उस पर भी लिखवाना पड़ेगा-कंपोजिशन टैक्सेबल पर्सन (composition taxable person)।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम से किस प्रकार बाहर हुआ जा सकता है? (how one can opt to be out from this scheme)

दोस्तों, यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है। आपको बता दें कि आप वित्तीय वर्ष में जब भी चाहें इस स्कीम (scheme) से बाहर हो सकते हैं, यानी इसे छोड़ सकते हैं। आपको बता दें कि आप जिस दिन इस स्कीम से बाहर होते हैं, उसी दिन से आपके कारोबार पर सामान्य जीएसटी कारोबारी की तरह नियम लागू हो जाते हैं।

जैसे कि कोई कारोबारी 15 अप्रैल, 2024 को इस स्कीम से बाहर होने का फैसला करता है तो उसे पिछली तिमाही (last quarter) यानी 31 मार्च, 2024 का तिमाही रिटर्न (quarter return) जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत भरना होगा। इसके साथ ही 15 अप्रैल तक का 15 दिन का टैक्स भरना होगा।

कौन से कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के दायरे में नहीं आते (who can’t opt for this scheme)

साथियों, अब हम आपको बताते हैं कि कौन से कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के दायरे में नहीं आते। इनकी डिटेल्स (details) इस प्रकार से है-

  • ई-कामर्स कंपनियों (e-commerce companies) के माध्यम से कारोबार कर रहे कारोबारी।
  • सरकार की ओर से नोटिफाइड (notified) वस्तुओं का कारोबार करने वाले जैसे-पान मसाला, तंबाकू, आइसक्रीम, काजू आदि का व्यापार करने वाले कारोबारी, इंश्योरेंस एजेंट, ट्रांसपोर्ट एजेंसी आदि का काम करने वाले।
  • अन्य राज्यों से व्यवसाय करने वाले कारोबारी।
  • कैजुअल टैक्सेबल एवं नाॅन रेजीडेंट टैक्सेबल (non resident taxable) की कैटेगरी में आने वाले कारोबारी यानी जो भारत में टैक्सपेयर (taxpayers) नहीं।
  • इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (input service distributor) के रूप में कारोबार करने वाले कारोबारी।
  • जीएसटी के अंतर्गत टीडीएस (TDS) अथवा टीसीएस कटौती का अधिकार रखने वाले कारोबारी।

टर्न ओवर लिमिट में 10 प्रतिशत तक का हिस्सा सेवाओं के रूप में भी शामिल किया जा सकता है (10% can be added as services in turnover limit)

दोस्तों, आपको बता दें कि वस्तुओं की टर्नओवर लिमिट (turnover limit) के लिए कोई व्यक्ति अपने कुल कारोबार में सेवाओं का 10 फीसदी तक हिस्सा भी शामिल कर सकते हैं, लेकिन इसकी सीमा 50 लाख रूपये से ज्यादा नहीं हो सकती।

दोनों में से जो भी अधिक होगा, केवल उतनी ही मात्रा कोई भी व्यक्ति अपने टर्नओवर (turnover) में शामिल कर सकता है।

वार्षिक टर्नओवर लिमिट में क्या क्या आता है? (what is included in annual turnover limit)

साथियों, अब आपको जानकारी दे देते हैं कि वार्षिक टर्नओवर लिमिट में क्या क्या आता है। आपको बता दें कि किसी पैन नंबर (PAN number) से जुड़े सभी जीएसटी नंबर (GSTN) पर होने वाले कारोबार को उसकी वार्षिक टर्नओवर लिमिट में शामिल किया जाता है।

यह तो आपको पता ही होगा कि प्रत्येक राज्य में कारोबार करने के लिए जीएसटी का अलग अलग रजिस्ट्रेशन (registration) लेना आवश्यक है। किसी व्यक्ति अथवा संस्था से जुड़े सभी जीएसटी नंबर (GST number) अलग अलग होते हैं, लेकिन उनमें शामिल पैन नंबर (PAN number) एक ही होता है।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम से जुड़े खास खास बिंदु (main features of gst composition scheme)

मित्रों, अब आपको जीएसटी कंपोजिशन स्कीम से जुड़े खास खास बिंदु बताते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • डेढ़ करोड़ रूपये तक वार्षिक टर्नओवर वाले कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को अपना सकते हैं।
  • सर्विस सेक्टर से जुड़े कारोबारियों के लिए यह वार्षिक लिमिट 50 लाख रूपये है।
  • हर तिमाही के पश्चात रिटर्न भरना होता है। जीएसटी सीएमपी-08 फाॅर्म भरा जाता है।
  • प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पश्चात वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-4 भरना पड़ता है।
  • इस स्कीम को किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले अपना सकते हैं, एवं कभी भी छोड़ सकते हैं।
  • इसके तहत वस्तुओं की बिक्री पर जीएसटी वसूलने का अधिकार नहीं होगा।
  • अंतर्राज्यीय कारोबारी एवं ई-कामर्स कंपनियां कंपोजिशन स्कीम का चुनाव नहीं कर सकतीं।
  • खरीदारी पर चुकाए गए जीएसटी के बदले इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं लिया जा सकता।
  • सरकार द्वारा नोटिफाइड वस्तुओं एवं सेवाओं वाले कारोबारी इस स्कीम को नहीं चुन सकते।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में किस दर से जीएसटी पड़ता है (at what rate GST is received under gst composition scheme)

कारोबार की श्रेणीजीएसटीसीजीएसटीएसजीएसटी
वस्तुओं के उत्पादन अथवा व्यापार पर1%0.5%0.5%
जिन रेस्टोंट्स में शराब नहीं परोसी जाती5%2.5%2.5%
अन्य सेवाओं का कारोबार6%3%3%

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारी कौन सा रिटर्न दाखिल करते हैं (which return is filed under GST composition scheme)

दोस्तों, आइए अब आपको बताते हैं कि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को कौन सा रिटर्न दाखिल करना पड़ता है-

1. त्रैमासिक अथवा तिमाही रिटर्न (quarterly return)

मित्रों, जैसा कि नाम से स्पष्ट है कारोबारियों को हर तीन माह के पश्चात इन महीनों में हुए कारोबार के लिए टैक्स चुकाना पड़ता है। उन्हें जीएसटी सीएमपी-08 में कारोबार का ब्योरा भरकर जमा करना होता है।

जैसे-सन 2024 में जनवरी, फरवरी, मार्च की तिमाही में हुए कारोबार का जीएसटी सीएमपी-08 रिटर्न 18 अप्रैल, 2024 तक जमा करना होगा।

2. सालाना रिटर्न

दोस्तों, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारियों को पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान हुए कारोबार का ब्योरा सालाना रिटर्न फाॅर्म जीएसटीआर-4 में भरकर जमा करना होगा। इसे संबंधित वित्तीय वर्ष के पश्चात आने वाले दिसंबर की आखिरी तिथि तक जमा करना होता है।

जैसे- साल 2021-22 के दौरान हुए कारोबार का वार्विक रिटर्न 31 दिसंबर, 2024 तक भरकर जमा करना आवश्यक है।

यदि कोई व्यक्ति अंतिम तिथि तक रिटर्न दाखिल नहीं करता तो क्या होगा (what if a person does not file return till last date)

साथियों, अब आपको बताते हैं कि यदि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाला कोई व्यक्ति अंतिम तिथि तक रिटर्न दाखिल नहीं करता तो क्या होता है। आपको बता दें दोस्तों कि ऐसे कारोबारी को 200 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना (penalty) भरना पड़ता है।

इसमें 100 रूपये सीजीएसटी (CGST) का हिस्सा होता है, जबकि 100 रूपये एसजीएसटी (SGST) का। लेकिन यह भी प्रावधान (provision) किया गया है कि टोटल लेट फीस (total late fee) अथवा विलंब शुल्क अधिकतम (maximum) 5000 रूपये ही हो सकता है, इससे अधिक नहीं।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाला कारोबारी टैक्स इन्वाइस जारी नहीं कर सकता (under GST composition scheme a businessman can’t release tax invoice)

मित्रों, आपको बता दें कि जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाला कोई भी कारोबारी टैक्स रसीद जारी नहीं कर सकता। वह केवल बिक्री का बिल जारी कर सकता है। टैक्स इन्वाइस वह इसलिए नहीं दे सकता, क्योंकि उसे जीएसटी वसूलने का अधिकार नहीं होता। वह कंपोजिशन टैक्स (composition tax) के नाम पर कोई भी टैक्स लेने का अधिकारी नहीं होता।

इसके साथ ही किसी भी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेने वाला कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट (input tax credit) का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। केवल जीएसटी में रजिस्टर्ड सामान्य कारोबारी ही इसका यूज कर सकते हैं।

दोस्तों, इनपुट टैक्स क्रेडिट को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें आप अपनी खरीदारी पर चुकाए गए जीएसटी के बदले मिले क्रेडिट का प्रयोग सरकार को टैक्स भुगतान (tax payment) करते वक्त करते हैं। इसका लाभ यह है कि आप अपनी खरीदारी पर दोबारा टैक्स पे करने से बच जाते हैं।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम क्या है?

यह स्कीम केंद्र सरकार कम टर्न ओवर वाले यानी छोटे कारोबारियों को बार बार रिटर्न भरने, रिकार्ड मेंटेन करने एवं रसीदें संभालकर रखने की जहमत से बचाने के लिए लाई है। इसमें कारोबारी को अलग अलग लेन देने का अलग अलग विवरण नहीं देना पड़ता। अपनी कैटेगरी के लिहाज से केवल एक संभावित दर से टैक्स भर देना होता है।

यह स्कीम के लिए आवेदन कब किया जा सकता है?

किसी वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से पूर्व इसके लिए आवेदन किया जा सकता है। वित्तीय वर्ष के बीच में नहीं।

स्कीम को कैसे छोड़ा जा सकता है?

आप इस स्कीम से कभी भी बाहर हो सकते हैं। यहां तक कि किसी भी वित्तीय वर्ष के बीच में आप इससे बाहर हो सकते हैं।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम से बाहर होने पर क्या होगा?

इस स्कीम से बाहर होने पर आप पर जीएसटी में रजिस्टर्ड सामान्य कारोबारी वाले नियम लागू होंगे।

क्या जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने पर टैक्स इन्वाइस जारी की जा सकती है?

जी नहीं, जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने पर टैक्स इनवाइस जारी नहीं की जा सकती।

क्या जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया जा सकता है?

जी नहीं, जीएसटी कंपोजिशन स्कीम लेने वाले कारोबारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता।

इस स्कीम के तहत कितने टर्न ओवर वाले कारोबारियों को शामिल हो सकते हैं?

सामान्य श्रेणी के डेढ़ करोड़ रूपये तक के टर्न ओवर वाले कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में शामिल हो सकते हैं। विशेष राज्यों के लिए यह सीमा अधिकतम 75 लाख रूपये रखी गई है एवं सर्विस सेक्टर के लिए अधिकतम 50 लाख रुपए।

विशेष श्रेणी के राज्यों में कौन से राज्य शुमार हैं?

विशेष श्रेणी वाले राज्यों में असम, अरूणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड शुमार हैं।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में शामिल कारोबारी को कौन सा रिटर्न दाखिल करना होता है?

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम में शामिल कारोबारी को दो रिटर्न दाखिल करने होते हैं- पहला तिमाही रिटर्न – इसके तहत जीएसटी सीएमपी – 08 फार्म में सारा ब्योरा भरना होता है। दूसरा सालाना रिटर्न – इसमें कारोबारी को जीएसटीआर-4 फार्म में अपने कारोबार का ब्योरा भरकर जमा करना होता है।

कौन से कारोबारी जीएसटी कंपोजिशन स्कीम नहीं ले सकते?

ऐसे कारोबारी जो ई-कामर्स के माध्यम से कारोबार कर रहे हैं, जो अन्य राज्यों के साथ कारोबार कर रहे हैं, जो भारत में टैक्स पेयर नहीं हैं, जिन्हें टीडीएस कटौती का अधिकार है, जो सरकार द्वारा नोटिफाइड वस्तुओं का कारोबार कर रहे हैं, वे जीएसटी कंपोजिशन स्कीम के दायरे में नहीं आते।

दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट में जीएसटी कंपोजिशन स्कीम की जानकारी दी। उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपके सामने इस योजना की खासियत पूरी तरह स्पष्ट हो गई होगी। यदि आपका इस पोस्ट को लेकर कोई सवाल है तो उसे आप हमसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों का हमें हमेशा की भांति इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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