गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है? | यह कब, क्यों और किसे दिया जाता है? | Guard of honour in Hindi

|| गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है? | Guard of honour in Hindi | Guard of honour kya hai | Guard of honour ke bare mein puri jankari | Guard of honour kon deta hai | Guard of honour kise Diya jata | Guard of honour kaise diya jata hai ||

Guard of honour in Hindi :- आपने बहुत बार न्यूज़ में यह देखा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया या अन्य देश से आये किसी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। तो इसे देख कर अवश्य ही आपके मन में यह प्रश्न आया होगा कि यह गार्ड ऑफ ऑनर होता क्या है और यह किसे दिया जाता है तथा इसे देने का क्या औचित्य होता (Guard of honour kya hota hai) है। क्या यह विदेश की धरती पर भी दिया जा सकता है या इसका कोई अन्य महत्व है।

ऐसे ही कई तरह के प्रश्न आपके दिमाग में दौड़ रहे होंगे और आप इनका उत्तर जानना चाहते होंगे। तो आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए ही तो हम यहाँ आये हैं। आज के इस लेख में आपको गार्ड ऑफ ऑनर के बारे में शुरू से लेकर अंत तक पूरी जानकारी जानने को मिलेगी और इसे पढ़ने के बाद गार्ड ऑफ ऑनर से संबंधित हर तरह की उलझन आपके मन से स्वतः ही दूर हो (Guard of honour ke bare mein puri jankari) जाएगी। तो आइए जाने कि यह गार्ड ऑफ ऑनर होता क्या है और यह क्यों दिया जाता है।

गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है? (Guard of honour in Hindi)

अब जब हम गार्ड ऑफ ऑनर की बात कर रहे हैं तो सबसे पहले यह जान लेते हैं कि यह होता क्या है। तो गार्ड ऑफ ऑनर एक ऐसा सम्मान होता है जो भारतीय सेना की विशिष्ट टुकड़ी के द्वारा सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को दिया जाता है। इसमें भारत देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, VVIP, अन्य देशों के यही सदस्य इत्यादि शामिल होते (Guard of honour kya hai) हैं। एक तरह से यह विधायिका के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को दिया जाने वाला सेना का एक सम्मान होता है जो राष्ट्रपति के अधीन रह कर कार्य करती है।

गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है यह कब क्यों और किसे दिया जाता है Guard of honour in Hindi

भारतीय सेना का सर्वेसर्वा राष्ट्रपति ही होता है और उसी के पास ही इस देश की संम्पूर्ण सेना की कमान रहती है। इस तरह से अपने सर्वेसर्वा को यह सम्मान दिया जाना सेना का उत्तरदायित्व हो जाता है और उसके बाद उनके ही समकक्ष अन्य व्यक्तियों को यह सम्मान दिया जाता है। इसमें राष्ट्रपति के बाद सबसे सर्वोच्च पद देश के प्रधानमंत्री का होता है जिनके द्वारा देश का संचालन किया जाता है। उसके बाद अन्य व्यक्ति आते हैं।

भारत देश में सेना के तीन अंग है जिन्हें हम थलसेना, वायु सेना तथा नौसेना कह कर बुलाते हैं। तो इन्हीं तीनों सेनाओं को मिलाकर गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। किंतु हर स्थिति में ऐसा हो यह जरुरी नहीं होता है, यह देश का सबसे बड़ा गार्ड ऑफ ऑनर कहा जाता है जो राष्ट्रीय स्तर पर होता है। वहीं अलग अलग राज्यों की पुलिस, NCC तथा अन्य सशस्त्र बलों के द्वारा भी अलग अलग नियमों के तहत गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। एक तरह से जो भी सशस्त्र बल होता है उसे अपनी स्पेशल टुकड़ी के साथ अपने अधिकार क्षेत्र में आने आले विशिष्ट लोगों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाना जरुरी होता है।

गार्ड ऑफ ऑनर कौन देता है? (Guard of honour kon deta hai)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार इसका निर्धारण कैसे किया जाता है कि गार्ड ऑफ ऑनर किसके द्वारा दिया जाना है। तो यह सभी सशस्त्र बलों के द्वारा दिया जाता है। इसमें भारत के अंदर रह कर काम करने वाली सभी तरह की सेनाएं गार्ड ऑफ ऑनर देने का अधिकार रखती हैं लेकिन यह उनके पद के अनुसार बदल जाता (Guard of honour kaun deta hai) है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि गार्ड ऑफ ऑनर कितना बड़ा है और वह किसको दिया जा सकता है, यह पूर्ण रूप से उस सेना के पद पर निर्भर करता है।

ऐसे में भारत में किस किस के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, यह जानना आपके लिए जरुरी हो जाता है। तो इसमें हम क्रमानुसार ऊपर से नीचे की टुकड़ी रखेंगे जिनके द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इसमें जो गार्ड ऑफ ऑनर सबसे ज्यादा बड़ा होता है वह सबसे ऊपर होगा और उसके बाद नीचे के गार्ड ऑफ ऑनर आते हैं।

  • भारतीय सेना के तीनों अंगों के द्वारा दिया जाने वाला गार्ड ऑफ ऑनर जिसे हम ट्राई सर्विस ऑफ़ गार्ड के नाम से भी जानते हैं। यह गार्ड ऑफ ऑनर देश में सबसे बड़ा गार्ड ऑफ ऑनर अर्थात् सर्वोच्च गार्ड ऑफ ऑनर माना जाता है जो अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्तियों को ही दिया जाता है।
  • तीनों सेनाओं के संयुक्त गार्ड ऑफ ऑनर के बाद आता है, तीनो सेनाओं का अलग अलग गार्ड ऑफ ऑनर जिसे एक समान रूप में देखा जाता है। इसमें हम थल सेना का गार्ड ऑफ ऑनर, वायु सेना का गार्ड ऑफ ऑनर तथा नौसेना का गार्ड ऑफ ऑनर कह सकते हैं।
  • अब आती है विभिन्न राज्यों की पुलिस के द्वारा दिया जाने वाला गार्ड ऑफ ऑनर। इसके लिए उस राज्य की पुलिस के स्पेशल यूनिट के भी स्पेशल जवानों का चयन किया जाता है जो गार्ड ऑफ ऑनर देने का कार्य करते हैं।
  • राज्य पुलिस के बाद आते हैं NCC कैंडिडेट्स जिनके द्वारा स्पेशल कार्यक्रम या उनके किसी कार्यक्रम में VVIP के आने पर यह गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
  • इन चारों के अलावा, यदि किसी अन्य सेना के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है तो वह भी इसी के अंतर्गत ही आता है लेकिन वह इतना आवश्यक नहीं होता है।

तो जिस भी सशस्त्र बल के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देने का कार्य किया जा रहा है, उनमे से किसी को भी इसके लिए नहीं चुन लिया जाता है। उदाहरण के लिए आपको समझाएं कि मान लीजिये उत्तराखंड की पुलिस को गार्ड ऑफ ऑनर देना है तो उसके लिए पूरे उत्तराखंड राज्य की पुलिस में जो जो जवान सबसे अधिक फुर्तीले, शक्तिशाली व कर्मठ है, उसे ही इस कार्य के लिए चुना जाता है। ऐसे ही स्पेशल लोगों की यूनिट बनाई जाती है जो गार्ड ऑफ ऑनर देने का कार्य करती है।

गार्ड ऑफ ऑनर किसे दिया जाता है? (Guard of honour kise Diya jata hai)

गार्ड ऑफ ऑनर किसके द्वारा दिया जाता है, यह जानने के बाद आपको यह भी जानना होगा की यह गार्ड ऑफ ऑनर दिया किस किसको जाता है। तो यह भी उस सशस्त्र बल के पद के ऊपर निर्भर करता है कि वह किस किसको गार्ड ऑफ ऑनर दे (Guard of honour kise dete hai) सकती है। हालाँकि इसमें केवल विधायिका के पद पर बैठे व्यक्तियों को ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा सकता है, अन्य किसी व्यक्ति को नहीं। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह गार्ड ऑफ ऑनर किसी न्यायपालिका के सदस्य, अमीर व्यापारी, उद्योगपति, राजनीतिक पार्टी अध्यक्ष इत्यादि किसी को नहीं दिया जा सकता है।

साथ ही किस सशस्त्र बल के द्वारा किस व्यक्ति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा सकता है, यह भी निर्धारित होता है। अब जो सबसे बड़ा गार्ड ऑफ ऑनर होता है वह तो सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्तियों को मिलता ही है लेकिन जो छोटा गार्ड ऑफ ऑनर होता है, वह निचले स्तर पर काम कर रहे लोगों को भी मिलता है तो उच्च पद वाले व्यक्ति को भी। उदाहरण के तौर पर तीनों सेनाओं का संयुक्त गार्ड ऑफ ऑनर प्रधानमंत्री को मिलेगा लेकिन किसी राज्य के मुख्यमंत्री को नहीं लेकिन पुलिस का गार्ड ऑफ ऑनर प्रधानमंत्री को भी मिलेगा और मुख्यमंत्री को भी।

  • तीनों सेनाओं का संयुक्त गार्ड ऑफ ऑनर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को दिया जाता है।
  • तीनों सेनाओं का अलग अलग गार्ड ऑफ ऑनर, ऊपर बताये गए सभी लोगों सहित, राज्यपाल, उप राष्ट्रपति, विदेश के राज्यपाल, उप राष्ट्रपति तथा अन्य VVIP सदस्यों को दिया जाता है।
  • पुलिस का गार्ड ऑफ ऑनर ऊपर बताये गए सभी लोगों सहित मुख्यमंत्री तथा VIP सदस्यों को दिया जाता है।
  • NCC का गार्ड ऑफ ऑनर भी ऊपर बताये गए सभी व्यक्तियों को दिया जाता है और इसी तरह अन्य सशस्त्र बलों का गार्ड ऑफ ऑनर भी ऐसे ही लोगों को दिया जाता है।
  • साधारण शब्दों में कहा जाए तो गार्ड ऑफ ऑनर केवल उसी व्यक्ति को ही दिया जाता है जिसका संवैधानिक पद उस सेना के अध्यक्ष के ऊपर हो या बराबर हो, अन्यथा वह सेना उसको गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दे सकती है।

गार्ड ऑफ ऑनर क्यों दिया जाता है? (Guard of honour kyo Diya jata hai)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार यह गार्ड ऑफ ऑनर दिया क्यों जाता है। तो इसके पीछे पूर्ण रूप से विधायिका के प्रति सम्मान जताना होता है और उन्हें अपना शक्ति प्रदर्शन करके दिखाना (Guard of honour kyo dete hai) होता है। जब भी कोई गणमान्य व्यक्ति उस सेना के कार्यक्रम में जाता है या किसी कार्यक्रम में संबोधन देने आता है तो उसके लिए पहले उस सेना के द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।

अब मान लीजिए, किसी विदेश प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का हमारे देश में आगमन होता है तो उसे देश की सेनाओं के द्वारा सम्मान दिया जाता है। इसके लिए उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है और यही सबसे बड़ा सम्मान होता है। वहीं हमारे देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भी जब विदेश की धरती पर जाते हैं तो उन्हें वहां की सेना के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।

गार्ड ऑफ ऑनर कैसे दिया जाता है? (Guard of honour kaise diya jata hai)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार यह गार्ड ऑफ ऑनर दिया कैसे जाता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि इसकी एक संपूर्ण विधि होती है जो हर सशस्त्र सेना में लागू होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि ऐसा नहीं होता है कि थल सेना का गार्ड ऑफ ऑनर अलग हो और किसी राज्य की पुलिस का गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of honour kaise dete hai) अलग। यह सभी के लिए समान रूप से लागू होता है और विदेश की धरती पर भी इसी नियम का पालन किया जाता है।

तो यदि किसी व्यक्ति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा है तो उसमें सेना के कई जवान होते हैं जिनकी संख्या 50 से 150 के बीच में होती है। इसमें देश के राष्ट्रपति को 150 जवान गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं जबकि प्रधानमंत्री, विदेशी राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को 100 जवान तथा अन्य लोगों को 50 जवान गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं। तो इन जवानों का एक कमांडर होता है जो इनका प्रतिनिधित्व करता (Guard of honour dene ke bare mein jankari) है। जिसे भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा है उसे उस सेना के सामने एक डायस पर खड़ा होना होता है।

इसके बाद जो उस सेना का कमांडर होता है वह उस व्यक्ति को सलामी देता है और वह व्यक्ति भी उसे सलामी देता है। इसी के साथ सेना के सभी जवान अपनी बन्दूक ऊपर उठा लेते हैं और सलामी देते हैं। इसके बाद वह कमांडर आगे चल कर उस गणमान्य व्यक्ति के पास जाता है और उसे सेना का निरिक्षण करने को कहता है। अब वह व्यक्ति अपने डायस से बाहर निकल कर उस कमांडर के साथ चलता है और पूरी सेना का निरिक्षण करता है।

जैसे जैसे वह व्यक्ति उस सेना को देखते हुए आगे बढ़ता है, उस सेना के सभी जवान केवल उसी की ओर ही मुख करके देखते हैं और सेना का कमांडर उसके पीछे चलता है। निरिक्षण करने के बाद वह व्यक्ति वापस अपनी जगह पर चला जाता है और कमांडर फिर से उसी सलामी देता है और सेना को विश्राम मुद्रा में लाने की अनुमति मांगता है। यह अनुमति मिलते ही गार्ड ऑफ ऑनर समाप्त हो जाता है और सेना चली जाती है।

गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है – Related FAQs

प्रश्न: गार्ड ऑफ ऑनर का मतलब क्या होता है?

उत्तर: गार्ड ऑफ ऑनर का मतलब होता है किसी गणमान्य व्यक्ति को सेना की विशिष्ट टुकड़ी के द्वारा सम्मान दिया जाना।

प्रश्न: भारत में गार्ड ऑफ ऑनर के लिए कौन पात्र है?

उत्तर: भारत में गार्ड ऑफ ऑनर के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल पात्र हैं।p

प्रश्न: ऑनर गार्ड क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: ऑनर गार्ड इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सेना के द्वारा सामने वाले व्यक्ति के लिए अपना सम्मान दिखाया जाता है।

प्रश्न: क्या गार्ड ऑफ ऑनर विदेश में भी होता है?

उत्तर: हां, गार्ड ऑफ ऑनर को विदेश में भी दिया जाता है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने गार्ड ऑफ ऑनर के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। आपने यह जान लिया है कि गार्ड ऑफ ऑनर क्या होता है और यह किसे और कैसे दिया जाता है। साथ ही इसे देने के क्या नियम होते हैं और किस प्रक्रिया के तहत इसको दिया जाता है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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