सोने के गहने में हालमार्क एवं कैरेट क्या होता है? | हॉलमार्क सोना कैसे पता करें?

सोने की चमक सदियों से महिलाओं को आकर्षित करती रही है। इसे बुरे समय के लिए भी वे बचाकर रखती हैं। निवेश के लिए भी वे गोल्ड अर्थात सोने को कई लोग बेहतर मानकर चलते हैं। लेकिन बहुतों को सोने की परख नहीं होती। वे नहीं जानते कि सोने की शुद्धता का मानक क्या है। ऐसे में सरकार ने सोने की हालमार्किंग आवश्यक कर दी है। इस पोस्ट में हम सोने के हालमार्क एवं कैरेट के विषय में जानेंगे-

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सोने की हालमार्किंग क्या है?

सोना अर्थात गोल्ड हॉलमार्किंग एक प्रकार से सोने की शुद्धता की गारंटी है। इसके अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) गोल्ड ज्वेलरी पर अपने मार्क के जरिए शुद्धता की गारंटी देता है।

यह सोने की विश्वसनीयता की कसौटी है। ज्वेलरी पर हॉलमार्क का अर्थ है कि उसकी शुद्धता को प्रमाणित कर दिया गया है।

गोल्ड हालमार्किंग के लाभ [Benefits of Gold Hallmarking] –

सोने की हालमार्किंग से गोल्ड ज्वेलरी खरीदने वाले ग्राहकों को कई लाभ हैं। इनमें से कुछ निम्नवत हैं-

  • 1. नकली ज्वेलरी की खरीद से बचने के लिए हालमार्किंग बेहद आवश्यक है।
  • 2. यदि आपकी ज्वेलरी की हालमार्किंग है तो इसे बेचने जाने पर किसी प्रकार की डेप्रिसिएशन कॉस्ट (depreciation cost) नहीं काटी जाएगी। इसका अर्थ यह है कि आपको गोल्ड की सही कीमत मिल सकेगी।
  • 3. हालमार्किंग में सोना शुद्धता निर्धारण के कई चरणों से गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती।

हालमार्किंग के नियम तोड़ने पर क्या होगा?

आपके मन में यह प्रश्न अवश्य उठ रहा होगा कि यदि कोई ज्वेलर हालमार्किंग के नियम तोड़ता है तो उस पर क्या कार्रवाई होगी। पिछले वर्ष आए बीआईएस कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों को एक साल की सजा अथवा न्यूनतम 1 लाख रुपए से लेकर ज्वेलरी की वैल्यू के 5 गुना तक जुर्माना हो सकता है। अथवा दोनों सजा साथ हो सकती हैं।

सोने में कैरेट का क्या अर्थ है?

सोने में कैरेट उसकी शुद्धता का मानक है। जैसे आपने देखा ही होगा कि जब आप मार्केट में ज्वेलरी खरीदने जाते हैं तो आपके सामने आपकी जेब के हिसाब से विकल्प होता है कि आप 22 कैरेट का सोना खरीदेंगे अथवा 18 कैरेट का अथवा 14 का। यहां कैरेट से अर्थ हुआ कि गहने में सोने की मात्रा कितनी है। अर्थात सोना कितना शुद्ध है।

सोने के गहने में हालमार्क एवं कैरेट क्या होता है? | हॉलमार्क सोना कैसे पता करें?

सरकार ने सोने पर हालमार्क क्यों जरूरी किया है?

सरकार ने सोने पर हालमार्क जरूरी किया है। ऐसे में स्पष्ट है कि आप सोना खरीदना चाह रहे हैं तो आपको हालमार्क का ही सोना मिलेगा। इस सोने की खासियत यह है कि इस पर लिखा होता है कि सोना कितने कैरेट का है। यह तो आपको पता ही है कि सोने की शुद्धता मापने के लिए कैरेट का इस्तेमाल करते हैं।

जैसे 24 कैरेट, 23 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड आदि। इसके अतिरिक्त गहनों पर यह भी दर्ज किया जाता है कि उनमें कितना फीसदी सोना है। सभी ज्‍वेलर्स को सोने की ज्वेलरी बेचने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ‍स्टैंडर्ड के मानकों को पूरा करना आवश्यक होगा।

सोनी में कितने कैरेट के लिए किस नंबर का उपयोग किया जाता है?

जेवरों पर 14 कैरेट, 18 कैरेट एवं 22 कैरेट शुद्धता वाले सोने के लिए हॉलमार्क नंबर अंकित किए जाते हैं। जैसे ज्वेलर्स की ओर से 22 कैरेट के लिए 916 नंबर का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, 18 कैरेट के लिए 750 नंबर का उपयोग किया जाता है। 14 कैरेट के लिए 585 नंबर का इस्तेमाल होता है। इन हॉलमार्क नंबर से पता चलता है कि किस ज्वेलरी में कितना प्रतिशत सोना इस्तेमाल हुआ है।

यदि जवेलरी पर 375 नंबर अंकित है तो वह 37.5 % शुद्ध सोना है। यदि 585 नंबर दर्ज है तो 58.5 प्रतिशत शुद्ध सोना होता है। इसी प्रकार यदि किसी ज्वेलरी पर 750 लिखा है इसका मतलब यह है कि ज्वेलरी बनाने में 75.0 फीसदी सोने का प्रयोग किया गया है।

916 लिखे होने का अर्थ है कि ज्वेलरी में 91.6 प्रतिशत सोना होता है। बाकी के बचे प्रतिशत का अर्थ है कि ज्वेलरी बनाने के लिए अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया गया है।

ज्वेलरी हालमार्क है या नहीं, कैसे पता करें?

सरकार ने बेशक गोल्ड ज्वेलरी पर हालमार्क आवश्यक कर दिया है, किंतु ग्राहक अब भी इस बात को लेकर चिंतित होते हैं कि जो ज्वैलरी वो खरीद रहे हैं वो हॉलमार्क है अथवा नहीं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि वे कैसे पता लगाएं कि ज्वेलरी हालमार्क है अथवा नहीं। हम आपको इसका एक आसान सा तरीका बताते हैं।

हालमार्किंग पहचानने के चार चिह्न हैं। जब भी आप मार्केट में किसी ज्वेलर से सोना खरीदने जाएंगे तो उस पर आपको पांच निशान दिखेंगे। इन पांच में से यदि एक भी निशान ज्वेलरी पर न हों तो समझ लीजिए कि ज्वेलर आपको ठग रहा है। सोने की हॉलमार्किंग को प्रमाणित करने वाले ये पांच चिन्ह निम्नलिखित हैं-

  • 1. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का तिकोना निशान।
  • 2. सोने का कैरेट।
  • 3. हॉलमार्किंग सेंटर की पहचान।
  • 4. ज्वेलर का कोड/लोगो।
  • 5. ज्वेलरी उत्पादन का वर्ष।

एक और बात बताएं कि ज्वेलर्स अब केवल 14 कैरेट, 18 कैरेट एवं 22 कैरेट की ही गोल्ड ज्वेलरी बेच सकते हैं। किंतु ज्वेलरी खरीदते समय आप कैरेट अवश्य जांच लें। इसी से आप ज्वेलरी खरीदते समय सुरक्षित रहेंगे। ठगे नहीं जाएंगे।

क्या 24 कैरेट गोल्ड की ज्वेलरी नहीं बनती?

बेशक, 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध माना जाता है। किंतु इसकी ज्वेलरी नहीं बनती। इसका कारण यह है कि वो बहुत मुलायम हो जाता है। अधिकांश गहनों के लिए 22 कैरेट गोल्ड का ही उपयोग किया जाता है। सोने की शुद्धता का भी एक पूरा गणित होता है।

जैसे-एक कैरेट सोने का अर्थ है 1/24 गोल्ड। यदि आपको 18 कैरेट गोल्ड खरीदना है तो 18 को 24 से भाग कर उसे 100 से गुणा करें। (18/24)x100। इसका नतीजा आएगा 75। अर्थात आपकी ज्वेलरी में प्रयोग सोने की शुद्धता 75 प्रतिशत है।

घर में असली नकली सोने की पहचान कैसे करें?

हालमार्किंग तो नकली ज्वेलरी से बचने का एक उपाय है ही। किंतु यदि आप घरेलू उपायों के माध्यम से चाहें तो भी सोने की पहचान कर सकते हैं। इसके विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं-

1. पानी से सोने की पहचान कैसे करें?

इसके लिए आपको एक बाल्टी में पानी लेना होगा। इस पानी में गोल्ड ज्वेलरी को डालें। यदि गहने डूब जाते हैं तो इसका अर्थ है कि सोना असली है। लेकिन यदि सोना कुछ देर पानी में तैरता है तो समझ जाइए कि सोना नकली है।

2. विनेगर से सोने की पहचान कैसे करें?

इस तरीके से सोने की पहचान करने के लिए आपको विनेगर की कुछ बूंदों को सोने की ज्वेलरी पर डालना होगा। यदि इसका रंग नहीं बदलता तो इसका अर्थ है कि सोना असली है। किंतु यदि इसका रंग बदल जाता है तो समझ जाइए कि सोना नकली है।

3. एसिड टेस्ट से से सोने की पहचान कैसे करें?

असली सोने की पहचान एसिड टेस्ट से भी की जा सकती है। इसके लिए आपको पिन से सोने पर हल्की सी खरोंच लगानी होगी। इसके बाद उस खरोच पर नाइट्रिक एसिड की एक बूंद डालनी होगी।

यदि सोना तुरंत हरा हो जाए तो समझ जाइए कि सोना नकली है। असली सोने पर नाइट्रिक एसिड का कोई असर नहीं होगा।

4. मैग्नेट से सोने की पहचान कैसे करें?

मैग्नेट अर्थात चुंबक के जरिए भी असली सोने की पहचान आसानी से हो सकती है। इस मैग्नेट टेस्ट के लिए आपको एक स्ट्रांग चुंबक लेनी होगी। इसके पश्चात चुंबक को सोने के पास ले जाएं।

यदि सोना थोड़ा भी चुंबक की ओर आकर्षित होता है तो इसका अर्थ है कि यह असली नहीं। क्योंकि असली सोना चुंबक से नहीं चिपकता।

सोना हमेशा भरोसेमंद ज्वेलर से ही खरीदें

असली एवं नकली सोने की पहचान की हमने आपको कई तरकीबें बताईं। इसके बावजूद हम आपको यही सलाह देंगे कि आप सोने अथवा गोल्ड ज्वेलरी की खरीद हमेशा किसी भरोसेमंद ज्वेलर अथवा विश्वसनीय दुकान से ही करें।

आप बड़े ज्वेलरी शोरुम पर भी भरोसा जता सकते हैं। क्योंकि ये आपको सोने के असली होने को लेकर सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं।

एक दिसंबर, 2021 से हालमार्किंग नियम सख्ती से लागू

ज्वेलर्स के लिए एक दिसंबर, 2021 से देश भर के 256 जनपदों में हॉलमार्किंग नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। यदि कोई ऐसा ना करने पर ज्वेलर ऐसा नहीं करता तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई संभव है।

विशेष रूप से जिन ज्वेलर्स का टर्नओवर 40 लाख से अधिक है अथवा वह रजिस्टर्ड है, तो उसकी दुकान में हर ज्वेलरी पर हालमार्क होना अति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त वहां से बिक्री किए जाने वाले सभी जेवरों पर भी हालमार्किंग को अनिवार्य किया गया है।

ज्वेलर्स के लिए गाइड लाइन तय की गई हैं –

सरकार की ओर से ज्वेलर्स के लिए कुछ गाइडलाइन भी बनाई गई हैं। इसमें ज्वेलर के लिए उसकी दुकान के बाहर एक डिस्प्ले बोर्ड लगाना आवश्यक किया गया है। इस बोर्ड पर लिखा जाएगा कि इस दुकान पर हॉलमार्क की ज्वेलरी मिलती है।

इसके अतिरिक्त ग्राहकों को ज्वेलरी पर हालमार्क दिखाने के लिए 10x का ग्लास एवं हॉलमार्किंग की दरों के विषय में लिखित रूप से जानकारी देने के लिए दुकान के भीतर ही एक चार्ट प्रदर्शित करना आवश्यक किया गया है। दुकान के भीतर ही भारतीय मानक ब्यूरो अर्थात बीआईएस का नंबर एवं पते का डिस्प्ले किया जाना भी आवश्यक किया गया है।

बीआईएस के एजेंट हालमार्किंग की जांच करेंगे?

सरकार की ओर से हालमार्किंग को लेकर जारी गाइड लाइन में यह तय किया गया है कि बीआईएस की ओर से नियुक्त किए गए एजेंट दुकान में जाकर हालमार्किंग की जांच करेंगे। वे देखेंगे कि ज्वेलरी में हालमार्किंग ठीक तरह से की गई है अथवा नहीं।

इसके लिए वे दुकानों से सैंपल कलेक्ट करते हैं‌। यद्यपि इसको लेकर पहले भी लगातार जांच की जा रही थी। किंतु अब इसे पूरी तरह से अनिवार्य कर दिया गया है। इससे साफ है कि अब एजेंट्स को यह जांच अधिक गंभीरता से करनी होगी।

हालमार्किंग अनिवार्य, किंतु आशानुरूप प्रगति नहीं

सरकार ने हालमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। किंतु इस मामले में आशानुरूप प्रगति देखने को नहीं मिली है। पूर्व में देश भर में इसके 780 सेंटर थे, किंतु अब तक केवल 850 सेंटर्स ही बन पाए हैं। बिजनेस न मिलने की वजह से कई जिलों में हालमार्किंग सेंटर बंद भी हो गए हैं।

बहुत से दुकानदार सोने की पालिश कर ठग लेते हैं –

शादी-ब्याह के सीजन में सोना जमकर खरीदा जाता है। लेकिन इसी हबड़-तबड़ में बहुत से दुकानदार अपने ग्राहकों को नकली सोना भी थमा देते हैं। कई दुकानदार ऐसे भी होते हैं, जो सोने की पॉलिश कर के असली सोने के गहने बताकर ग्राहकों को बेच देते हैं। इस तरह के कई विवाद सामने आते हैं। और बाद में ग्राहक एवं दुकानदार के बीच मुकदमेबाजी तक की नौबत आ जाती है।

ग्राहकों का आरोप होता है कि दुकानदार ने उसे ठग लिया है। ऐसी नौबत ना आए, इससे बेहतर यही है कि पहले से ही सोने को ठोक बजाकर खरीदा जाए। वह पहचान हमने आपको पर बता दी हैं, जिनके जरिए आप असली सोने की पहचान कर सकते हैं।

इसलिए किसी भी दुकानदार के हाथों ठगे ना जाएं। खरीदारी से पहले ही सोने को उसकी शुद्धता की कसौटी पर परख लें।

सोने की खरीदारी करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना होगा –

सोने की शुद्धता परखने के तरीकों को जानने के साथ ही एक ग्राहक को इस बात की जानकारी होना भी आवश्यक है कि सोने की खरीदारी करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये बातें निम्नवत हैं-

1. आपके शहर में सोने का रेट पता करें

आप सोने का सिक्का अथवा सोने की ज्वेलरी खरीदने के इच्छुक हैं तो सर्वप्रथम अपने शहर में सोने का रेट पता करें। यह तो आप जानते ही होंगे कि प्रत्येक शहर में सोने के रेट अलग-अलग हो सकते हैं। क्योंकि स्थानीय ज्वेलर्स एसोसिएशन विदेशी बाजार में सोने के क्या रेट हैं, उसके हिसाब के स्थानीय स्तर पर सोने के रेट तय करती हैं।

जैसे यदि आप दिल्ली में गोल्ड ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो दिल्ली ज्वेलर्स एसोसिएशन के ओर से जारी सोने का रेट मालूम कर लें। इतना ही नहीं, किसी एक ज्वेलर से रेट पूछ कर इतिश्री न करें।

कम से कम दो ज्वेलर्स से सोने का रेट पता लगाकर ही सोने की खरीदारी की ओर कदम आगे बढ़ाएं। जिस दिन खरीदारी करें, उस दिन का सोने का भाव आपके टिप्स पर होना चाहिए।

2-सोना कितने कैरेट का है, इसकी जांच कर लें

जैसा कि आप जान गए हैं, सोने की शुद्धता कैरेट के माध्यम से मापी जाती है। कैरेट जितना ज्यादा होगा, सोना उतना ही खरा होगा। ठीक इसी प्रकार, जितना ज्यादा कैरेट, उतना ज्यादा दाम। कैरेट जितना कम होगा, सोना भी उतना ही सस्ता होगा। किंतु होता यह है कि कई बार ज्वेलर्स सोने की ज्वेलरी खरीदते समय ग्राहकों से 24 कैरेट के दाम वसूलते हैं।

जबकि यह अब एक सार्वभौमिक सत्य है कि सोने की कोई भी ज्वेलरी 24 कैरेट में नहीं बन सकती। इससे गहने बनाना बहुत ही कठिन है। आमतौर पर गोल्ड ज्वेलरी 22 कैरेट की बनती है।

इस कैरेट वाले सोने की ज्वेलरी में 91.66 प्रतिशत सोना होता है। सोने की ज्वेलरी को मजबूत बनाने के लिए इसमें जिंक, कॉपर, चांदी आदि को मिलाया जाता है।

3. गोल्ड की हालमार्क ज्वेलरी ही खरीदें

गोल्ड ज्वेलरी जब भी खरीदें तो हॉलमार्किंग वाली ही खरीदें। हमने आपको अभी जानकारी दी है कि हालमार्किंग का निर्धारण ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) अर्थात भारतीय मानक ब्यूरो करती है। यदि गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्क है तो इसका अर्थ है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है। किंतु ऐसा भी है कि कई ज्वैलर्स जांच प्रकिया पूरी किए बगैर ही हॉलमार्क लगा देते हैं।

ऐसे में यह देखना बेहद आवश्यक है कि हॉलमार्क ओरिजनल हो। असली हॉलमार्क की पहचान हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताई है। एक और जरूरी बात। ज्वेलरी खरीदते समय आपको शुद्धता सर्टिफिकेट लेना नहीं भूलना चाहिए। इसके साथ ही सर्टिफिकेट में गोल्ड के कैरेट भी अवश्य चेक कर लें।

इसके अतिरिक्त गोल्ड ज्वेलरी में लगे नगीनों अर्थात स्टोन के लिए भी अलग से एक सर्टिफिकेट अवश्य ले लें। अधिकांश मामलों में देखा गया है कि कई बार जल्दबाजी में सोना खरीदते वक्त ग्राहक इन बातों पर ध्यान नहीं देते‌। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

4. नगीनों से जड़ी ज्वेलरी खरीदने से बचें

यदि आपको गोल्ड ज्वेलरी खरीदनी है तो नगीने स्टोन लगी ज्वेलरी खरीदने से बचें। बहुत से ज्वेलर्स जेवर तोलते वक्त नगीने के वजन को भी इसमें शामिल कर लेते हैं।

वे संपूर्ण आइटम का भाव सोने के रेट के आधार पर तय करते हैं। ऐसे में ज्वेलर को बेशक लाभ हो, किंतु ग्राहक को नुकसान झेलना पड़ता है।

5. बनवाई अर्थात मेकिंग चार्ज में मोल-भाव अवश्य करें

यह आप जानते ही होंगे कि हर ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज अर्थात गहनों का बनवाई शुल्क अलग-अलग होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि गहनों की बनावट, कटिंग एवं फिनिशिंग अलग-अलग होती है। मशीन से बनी ज्वेलरी मानव निर्मित ज्वेलरी से सस्ती पड़ती है।

मेकिंग चार्ज या तो सोने की कीमत पर प्रतिशत अथवा प्रति ग्राम सोने पर फ्लैट मेकिंग चार्ज लगता है। बहुत से ज्वेलर्स ग्राहकों के मोलभाव करने पर मेकिंग चार्ज को कम कर देते हैं। इंडस्ट्री में इसका कोई खास मानक तय न होने की वजह से ऐसी समस्या सामने आती है।

सोने की कीमतें कैसे तय होती हैं?

सोना न केवल ज्वेलरी बल्कि इन्वेस्टमेंट के रूप में भी लोगों की बहुत पसंदीदा धातु है। क्या आप जानते हैं कि इसकी कीमतें कैसे तय होती हैं। सबसे बेसिक बात यह है कि जब मार्केट में महंगाई बढ़ती है, तो सोने की भी मांग काफी बढ़ जाती है। इसी तरह महंगाई के कम होने पर सोने की मांग भी कम हो जाती है।

साफ है कि महंगाई के बढ़ने-घटने से भी सोने की कीमतें प्रभावित होती हैं। इसके अतिरिक्त यह बात आप भी जानते होंगे कि देश-विदेश के सेंट्रल बैंक गोल्ड रिजर्व रखते हैं। यह एक खास बात है कि जब-जब सेंट्रल बैंक ऐसा करते हैं तो सोने के दाम भी बढ़ जाते हैं।

ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में बाजार में करेंसी का फ्लो बढ़ जाता है। इससे सोने की सप्लाई कम हो जाती है एवं उसकी कीमतें बढ़ जाती हैं। इसी प्रकार दुनिया भर में होने वाले किसी बड़े बदलाव का असर भी भारत में सोने की कीमत पर पड़ता है। हमारा देश भारत सोने के सबसे बड़े आयातक देशों में से एक है।

जब किसी वैश्विक बदलाव के कारण निर्यात करने वाले देश सोने पर आयात शुल्क बढ़ा देते हैं, तो भी इसका असर भारत में दिखता है। एवं सोना महंगा हो जाता है। सोने की वर्तमान कीमतें किसी भी देश में ब्याज दरों के लिए भरोसेमंद संकेतों की तरह से माने जाते हैं। ब्याज दरों में तेजी आती है तो ग्राहक नगदी के बदले सोना बेचने लगते हैं। इससे सोने की आपूर्ति बढ़ जाती है एवं इसके दाम कम हो जाते हैं।

इसी प्रकार जब ब्याज दरें कम होती हैं तो सोने की डिमांड बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त देश में दीपावली एवं धनतेरस जैसे त्योहारों के दौरान भी देश में सोने की डिमांड काफी बढ़ जाती है। ऐसे में कीमत बढ़ना भी लगभग लगभग तय होता है।

सोने की हालमार्किंग क्यों आवश्यक की गई है?

हालमार्किंग एक प्रकार से सोने की शुद्धता की गारंटी है।

सरकार ने गोल्ड हालमार्किंग को आवश्यक क्यों किया है?

ग्राहकों को नकली सोने से बचाने के लिए सरकार ने गोल्ड की हालमार्किंग आवश्यक कर दी है।

अब किस कैरेट की गोल्ड ज्वेलरी बेची जाएगी?

अब सिर्फ 14 कैरेट, 18 कैरेट एवं 22 कैरेट की गोल्ड ज्वेलरी बेची जाएगी।

सोने की दृष्टि से कैरेट का क्या अर्थ है?

कैरेट सोने की शुद्धता का मानक है। मसलन गोल्ड ज्वेलरी में कितना फीसदी सोना एवं अन्य धातु का मिश्रण है।

क्या घर में सोने की शुद्धता की जांच की जा सकती है?

जी हां, घर में सोने की शुद्धता की जांच आसानी से की जा सकती है। इसके उपाय हमने आपको पोस्ट में ऊपर बता दिए हैं।

916 गोल्ड कितने कैरेट का होता है?

916 लिखे होने का अर्थ है कि ज्वेलरी में 91.6 प्रतिशत सोना होता है। बाकी के बचे प्रतिशत का अर्थ है कि ज्वेलरी बनाने के लिए अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया गया है।

इस पोस्ट में हमने आपको सोने में हालमार्किंग एवं कैरेट की जानकारी दी। अगली बार यदि आप सोने की ज्वेलरी खरीदने मार्केट जाएं तो इस पोस्ट में दी गई जानकारी अवश्य स्मरण कर लें। आप फायदे में रहेंगे। आपको कोई ज्वेलर ठग नहीं सकेगा। यह पोस्ट आपको कैसी लगी एवं कितने काम आई, हमें बताना न भूलिएगा। धन्यवाद।

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मृदुला वर्मा
मृदुला वर्मा
मृदुला हिंदी में स्नातकोत्तर हैं। उसके पास बीएड की डिग्री भी है। वह अध्यापन के पेशे में हैं और जब शैक्षिक विषयों की बात आती है तो उन्हें लिखना अच्छा लगता है। वह वंचितों के लिए शिक्षा की प्रबल समर्थक और सभी के लिए शिक्षा की हिमायती हैं। उनकी रुचि में समाजसेवा, लेखन और लोगों से बात कर उनकी समस्याओं को जानना शामिल था ताकि वे उन्हें हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
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