|| हनुमान जयंती क्या होती है? | हनुमान जयंती कब, क्यों, व कैसे मनाई जाती है? | Hanuman jayanti kya hoti hai | Hanuman jayanti kya matlab kya hota hai | हनुमान जयंती कब मनाई जाती है? | Hanuman jayanti kab manate hain | Hanuman jayanti or hanuman janmotsav In Hindi ||
Hanuman jayanti kya hoti hai :- आज के समय में देश में इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि हनुमान जी के जन्म के दिन को हनुमान जयंती कहा जाए या फिर इसे हनुमान जन्मोत्सव के नाम से संबोधित किया जाए। इसके पीछे जो तर्क दिया गया है वह भी अत्यधिक रोचक व विचारनीय (Hanuman jayanti kya hota hai) है। साथ ही एक बात और विचारनीय है और वह यह है कि हम वर्ष में दो बार हनुमान जयंती का त्यौहार क्यों मनाते हैं। वैसे तो इसे प्रमुख तौर पर चैत्र माह में ही मनाया जाता है किंतु फिर भी कुछ लोग इसे कार्तिक मास में भी मनाते हैं।
तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इन्हीं सब बातों पर ही चर्चा करने वाले (Hanuman jayanti kya hoti hai in Hindi) हैं। आज के इस लेख को पढ़ कर आपको यह भलीभांति अनुमान हो जाएगा कि वर्ष में दो बार हनुमान जयंती मनाने का क्या औचित्य है और क्यों इसे जयंती की जगह जन्मोत्सव कहने की बहस छिड़ी हुई (Hanuman jayanti kya matlab kya hota hai) है। आइए जाने हनुमान जयंती के बारे में शुरू से लेकर अंत तक संपूर्ण जानकारी।
हनुमान जयंती क्या होती है? (Hanuman jayanti kya hoti hai)
सबसे पहले बात करते हैं कि आखिरकार यह हनुमान जयंती होती क्या है और हम इसे क्यों मनाते हैं। तो हिंदू धर्म में जब भी हम किसी देवता या ईश्वर के मानव स्वरुप या किसी महापुरुष के जन्म को सेलिब्रेट करते हैं तो उसे जयंती नाम से संबोधित किया (Hanuman jayanti kya hai) जाता है। हालाँकि कई बार इसमें उस माह की तिथि को जोड़ दिया जाता है जैसे कि गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी इत्यादि। किंतु जो जयंती पूर्णिमा या अमावस्या के दिन पड़ती है उन्हें केवल जयंती कह कर ही संबोधित किया जाता है।
यही कारण है की हनुमान जयंती को भी केवल हनुमान जयंती कह कर ही संबोधित किया जाता है और इसमें कोई तिथि नही जोड़ी गयी है। तो अब यह हनुमान जयंती है क्या और उस दिन क्या हुआ था, इसके बारे में शायद आपको पहले से ही अनुमान होगा। तो अब महाबलि हनुमान को कौन नहीं (Hanuman jayanti ke bare mein jankari) जानता। वे तो बहुत प्रसिद्ध है और उनकी तो रामायण में बहुत बड़ी भूमिका थी। उन्होंने ऐसे ऐसे कर्म किये थे जिस कारण वे अभी तक अमर हो गए हैं। उनके कार्यों के कारण ही वे भगवान राम के प्रिय बन गए थे और उन्होंने उन्हें भाई समान बताया था।
तो हनुमान जयंती वाले दिन इन्हीं हनुमान जी का जन्म हुआ था जिनके माता पिता का नाम अंजनी व केसरी था। अंजनी को बहुत ही कठिन तपस्या के बाद पुत्र रूप में हनुमान की प्राप्ति हुई थी जो बहुत ही शक्तिशाली था। बस उसी दिन के उपलक्ष्य में हम सभी आज तक हनुमान जयंती का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते आ रहे हैं।
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है? (Hanuman jayanti kab manate hain)
अब आपका अगला प्रश्न होगा कि यह हनुमान जयंती का त्यौहार वर्ष में किस (6 अप्रैल 2024) के दिन मनाया जाता है। तो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसकी कोई तिथि फिक्स नहीं होती है क्योंकि वो तो ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों का कैलेंडर होता है जबकि हिंदू धर्म में सब त्यौहार हमारे कैलेंडर के अनुसार मनाये जाते (Hanuman jayanti kab manae jati hai) हैं। तो इस हिसाब से हनुमान जयंती का त्यौहार हर वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
यह चैत्र माह मुख्य तौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल के महीने में पड़ता है जिस दिन पूरे देश में भीषण गर्मियों की शुरुआत हो चुकी होती (Hanuman jayanti kab manai jati hai) है। तो इसी महीने में ही हनुमान जयंती का त्यौहार पड़ता है जिसे हम सभी लोग मनाते हैं। यह कभी मार्च महीने में पडती है तो कभी अप्रैल महीने में किंतु हिंदू धर्म के अनुसार यह हमेशा चैत्र माह के पूर्णिमा के दिन ही मनाई जाती है।
हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है? (Hanuman jayanti do bar kyon manae jati hai)
अब आपको ऊपर हमने यह बताया कि वर्ष में एक बार नहीं बल्कि दो दो बार हनुमान जयंती का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे यहाँ रामायण कई लोगों के द्वारा लिखी गयी (Hanuman jayanti kyon manate hain) है। तो वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन हुआ था। तो उसी रामायण को आधार मान कर बहुत लोग हनुमान जी की जयंती को इस दिन मनाते हैं। हालाँकि इसके पीछे एक गहरा रहस्य छिपा हुआ है जिस कारण चैत्र माह के पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती को मनाते हैं।
वह इसलिए क्योंकि वाल्मिकी रामायण के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के दिन चतुर्दशी तिथि को हनुमान ने जन्म तो ले लिया था लेकिन वे इतने शक्तिशाली नहीं थे जितने बाद में बने। कहने का मतलब यह हुआ कि उन्हें इतनी शक्तियां नहीं मिली थी जिस कारण वे भगवान राम के संकटों का निवारण कर सके। तो एक घटना के बाद उनका पुनर्जन्म हुआ था और उसी दिन को हम मुख्य तौर पर हनुमान जयंती के रूप में मनाते हैं। वह दिन चैत्र माह की पूर्णिमा का ही दिन था।
हनुमान जयंती की कहानी (Hanuman jayanti ki kahani)
अब आपको हनुमान जयंती की कहानी के बारे में भी जान लेना चाहिए जिससे आपके मन का यह वहम ख़त्म हो जाएगा कि आखिरकार क्यों हनुमान जयंती को साल में दो बार मनाया जाता है। तो इसके पीछे का रहस्य यह है कि भगवान हनुमान शिवजी का अवतार थे जिस कारण उनमे बहुत शक्तियां (Hanuman jayanti ki story in Hindi) थी। तो एक दिन वे अपने घर की छत पर खेल रहे थे और इधर उधर कूद रहे थे। तो उसी समय उन्हें आसमान में सूर्य देव दिखाई दिए। अब वे सूर्य देव दिखने में एकदम लाल लाल फल जैसे लग रहे थे।
हनुमान जी तो बच्चे थे और बहुत भोले भाले भी। तो उन्हें लगा की यह सूरज कुछ और नहीं बल्कि आसमान में लटकता हुआ एक फल या आम है। तो उसे देख कर और उसकी सुंदरता को देखकर हनुमान जी को उसे खाने की बहुत इच्छा (Hanuman jayanti story in Hindi) हुई। बस इतना ही सोचना था कि उन्होंने उड़ कर सूरज की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। वे जैसे जैसे सूरज की और बढ़ते जा रहे थे वैसे वैसे ही उनके शरीर का आकार भी बढ़ता चला जा रहा था।
जब वे सूरज के पास पहुँच गए तो उन्होंने अपने शरीर को इतना बड़ा कर लिया था कि सूरज उनके सामने क्रिकेट की बॉल जैसा दिखने लगा। अब हनुमान जी ने अपना मुहं बड़ा करके उस सूरज को फल समझके एक बारी में ही गिटक लिया। हालाँकि उन्होंने इसे चबाया नहीं, बस इसे मुहं में रख लिया। उसी समय राहु भी सूरज को खाने आया हुआ था क्योंकि उसे हर सूर्य ग्रहण वाले दिन सूर्य को खाना होता था लेकिन जब उसने देखा कि इसे तो कोई और खा चुका है तो वे बहुत गुस्सा हो गए।
राहु तमतमाते हए इंद्र देव के पास गए और उन्हें सब शिकायत की। उन्होंने इंद्र देव से कहा कि आपने तो बोला था कि सूर्य ग्रहण वाले दिन मैं ही सूर्य को खाऊंगा और अपनी भूख मिटाऊंगा लेकिन मुझ से पहले तो कोई और ही उसे खा गया है। जब इंद्र देव ने यह सुना तो उन्होंने आव देखा ना ताव और सीधे अपना वज्र उठा कर हनुमान जी पर फेंक दिया। वह वज्र हनुमान जी की ठोढ़ी पर लगा और उसके लगते ही सूर्य देव उनके मुहं से निकल गए और उसे राहु ने खा लिया। किंतु हनुमान जी को वह इतना जोर से लगा कि वे घायल होकर जमीन पर गिर गए।
अब हनुमान जी के पिता जो कि पवन देव थे, वे यह देख कर बहुत ही क्रोधित हो गए और उन्होंने सब जगह की हवा रोक दी। हवा के रुक जाने से सब त्राहिमाम करने लगे और तड़प तड़प कर मरने लगे। यह देखकर सब घबरा गए और सभी देवी देवता और ब्रह्मा जी वहां आ गए। उन्होंने तुरंत हनुमान जी के प्राण वापस लौटाए और बदले में उन्हें बहुत सारी शक्तियां भी (Hanuman jayanti ki story kya hai) दी। चूँकि एक तरह से इस दिन हनुमान जी का पुनर्जन्म हुआ था और उन्हें बहुत सारी शक्तियां मिली थी, इस कारण इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाने लगा।
हनुमान जयंती कैसे मनाते हैं? (Hanuman jayanti kaise manaye)
हनुमान जयंती को किस तरह से मनाया जाता है, यदि आप यह जान लेंगे तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। तो इस दिन सबसे पहले तो आप जल्दी से उठिए और नहा धोकर तैयार हो जाए। इस दिन यदि आप पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा क्योंकि यह रंग हनुमान जी को तो बहुत ही (Hanuman jayanti kab banaye) अच्छा लगता है। जब आप यह कपड़े पहन ले तो सीधे हनुमान मंदिर जाए और उन्हें प्रणाम करे।
आप अपने घर पर भी पंडित जी को बुलाकर सुन्दरकाण्ड का पाठ रखवा सकते हैं। इस दिन बहुत से लोग अपने घर पर सुन्दरकाण्ड का पाठ रखते हैं जो कि बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसी के साथ आप कम से कम 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ भी करेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा। बहुत लोग इस दिन हनुमान जी के नाम का व्रत भी रखते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं।
हनुमान जयंती व हनुमान जन्मोत्सव में अंतर (Hanuman jayanti or hanuman janmotsav In Hindi)
ऊपर हमने आपको बताया कि पूरे देश में इसे लेकर बहस छिड़ी हुई है कि हनुमान जी का जिस दिन जन्म हुआ था तो उसे हनुमान जयंती कहा जाए या फिर इसे हनुमान जन्मोत्सव कहा जाए। तो इसके पीछे का कारण यह है कि हम जयंती उन लोगों की मनाते हैं जो इस संसार को छोड़कर जा चुके हैं जैसे कि राम जी, कृष्ण जी, चाणक्य जी इत्यादि। अब हनुमान जी तो अजर अमर है और उन्हें इसका वरदान भी मिला हुआ है।
एक मान्यता के अनुसार हनुमान जी को माता सीता से आशीर्वाद मिला था कि उन्हें कलियुग के अंत तक जीवित रहना है और राम भक्तों की सेवा करनी है। तो इस दुनिया में कही ना कही हनुमान जी है और हम सभी की रक्षा कर रहे हैं। तो यही कारण है कि बहुत से लोगों ने हनुमान जयंती को हनुमान जयंती ना कह कर हनुमान जन्मोत्सव कहना शुरू कर दिया है.
हनुमान जयंती क्या होती है – Related FAQs
प्रश्न: हनुमान जयंती के दिन क्या करना चाहिए?
उत्तर: हनुमान जयंती के दिन सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए।
प्रश्न: साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती?
उत्तर: साल में दो बार हनुमान जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि एक दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था तो दूसरी बार उन्हें देवताओं से बहुत सारी शक्तियां मिली थी।
प्रश्न: हनुमान जयंती साल में कितनी बार होती है?
उत्तर: हनुमान जयंती साल में दो बार होती है।
प्रश्न: हनुमान जयंती पर क्या नहीं करना चाहिए?
उत्तर: हनुमान जयंती पर किसी का बुरा नहीं करना चाहिए और मास मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
तो इस तरह से आज के इस लेख में आपने हनुमान जयंती के बारे में सब जानकारी ले ली है। यह किस तरह से मनायी जाती है और इसके पीछे क्या कहानी जुड़ी हुई है, इसके बारे में भी आपने जान लिया है।