|| हरियाली तीज क्या होती है? | Hariyali teej kya hoti hai | Hariyali teej in Hindi | Hariyali teej ko banane ke piche ka karan | (Hariyali teej ki kahani kya hai | Hariyali teej kab aati hai | Hariyali teej ki pooja ||
Hariyali teej kya hoti hai :- भारत देश में समय समय पर कई तरह के त्यौहार बनाए जाते हैं और उनमे हर किसी का अपना एक अलग महत्व होता है। इसी में एक त्यौहार है हरियाली तीज का जो महिलाओं के द्वारा बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता (Hariyali teej kya hai) है। वैसे तो वर्ष में तीन बार तीज का त्यौहार आता है लेकिन उसमे से इस हरियाली तीज का महत्व सबसे अधिक है। बाकि दोनों तीज को हरतालिका तीज व कजरी तीज के नाम से जाना जाता है।
आज का यह लेख हरियाली तीज के ऊपर है तो हम इसी के बारे में ही बात करेंगे। तो अब यह हरियाली तीज कब आती है और इसका क्या कुछ महत्व होता है और इस दिन क्या क्या हुआ था तथा इसे बनाने से क्या कुछ मिलता है, यह सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आपको यह लेख पूरे ध्यान के साथ पढ़ना होगा। इस लेख में आपको हरियाली तीज के बारे में शुरू से लेकर अंत तक हरेक जानकारी और वो भी विस्तार से जानने को (Hariyali teej in Hindi) मिलेगी।
हरियाली तीज क्या होती है? (Hariyali teej kya hoti hai)
हरियाली तीज हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है जिसे ज्यादातर उत्तर भारत के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। अब भारत में कुछ ही ऐसे त्यौहार हैं जो पूरे भारत वर्ष में एक जैसे ही मनाये जाते हैं जैसे कि दीपावली या नवरात्र इत्यादि। वहीं कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं जिनका केवल एक क्षेत्र विशेष से लेकर किसी राज्य या एक से अधिक राज्यों पर प्रभाव होता (Hariyali teej ke bare mein jankari) है। तो उसी में एक हरियाली तीज का भी त्यौहार है जिसका प्रभाव एक से अधिक राज्यों में होता है।
इस दिन माता पार्वती को भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए थे अर्थात उनकी इच्छा पूरी हो गयी थी। विवाह तो उनका महाशिवरात्रि के दिन हुआ था लेकिन इसी दिन अर्थात हरियाली तीज वाले दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी मान लिया था। इस कारण माता पार्वती बहुत खुश हुई थी और शिव जी से हरियाली तीज के दिन को वरदान मांग लिया था और इसकी महत्ता बहुत अधिक बढ़ गयी थी। आज हम एक एक करके हरियाली तीज के बारे में पूरी जानकारी आपको देने वाले हैं।
हरियाली तीज कब आती है? (Hariyali teej kab aati hai)
सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिरकार इस हरियाली तीज का त्यौहार वर्ष में कब मनाया जाता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि हरियाली तीज का त्यौहार हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अब हिंदू धर्म में जो भी त्यौहार मनाया जाता है उसमे हर त्यौहार के साथ उसकी तिथि भी लिखी हुई होती है। जैसे कि गणेश चतुर्थी चौथे दिन आती है तो कृष्ण जन्म अष्टमी आठवें दिन आती है।
ठीक उसी तरह हरियाली तीज के त्यौहार में तीज नाम जुड़ा हुआ है और इसी कारण यह तीसरे दिन अर्थात तृतीया के दिन पड़ती है। अब यदि सावन का महीना आता है तो उसमे जो शुक्ल पक्ष होगा और उस पक्ष की तृतीया तिथि वाले दिन ही यह त्यौहार पड़ता है। सावन का महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई अगस्त के महीने में पड़ता है।
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है? (Hariyali teej kyu banayi jati hai)
आपको साथ के साथ यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार इस हरियाली तीज का त्यौहार मनाया ही क्यों जाता है। तो यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने अपना दूसरा विवाह करने का संकल्प लिया था अन्यथा वे तो सन्यास में चले गए (Hariyali teej ko banane ke piche ka karan) थे। तो जिस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपने से विवाह करने का वचन दे दिया था तो उस दिन को ही हरियाली तीज के रूप में जाना जाता है।
माना जाता है कि भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती ने बहुत जतन किये थे और तब जाकर भगवान शिव उनसे प्रसन्न हुए थे और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। तो जिस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था उस दिन को ही हम हरियाली तीज के रूप में मनाते हैं।
हरियाली तीज की क्या कहानी है? (Hariyali teej ki kahani kya hai)
अब यदि आप हरियाली तीज की कहानी के बारे में भी जानना चाहते हैं तो वह भी हम आपको साथ के साथ बता ही देते हैं ताकि आपको इसका महत्व अच्छे से समझ में आ सके। तो होता क्या है कि भगवान शिव की पहली पत्नी का नाम माता सती था और वे दोनों एक साथ कैलाश पर्वत पर शांतिपूर्वक रह रहे थे। अब माता सती के पिता दक्ष को भगवान शिव पसंद नहीं थे और उन्होंने एक सभा में शिव जी का अपमान (Hariyali teej ki story batao) किया। अपने पति का अपमान देख कर माता सती इतनी क्रोधित हो गयी कि उन्होंने अग्नि कुंड में कूद कर आत्म दाह कर लिया।
अपनी पत्नी की दुखद मृत्यु से भगवान शिव ने राजा दक्ष का गला काट दिया और उसके बाद असीम साधना में चले गये। इसके कुछ समय बाद ही माता सती ने हिमालय के गर्भ से माता पार्वती के रूप में जन्म लिया किंतु इस नए जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाना इतना सरल नहीं था। तो इसके लिए माता पार्वती ने कठिन तपस्या शुरू कर दी और भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक तपस्या में ही लीन (Hariyali teej ki story kya hai) रही।
इसके बाद जब हरियाली तीज का दिन आया तो भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से बहुत अधिक प्रसन्न हो गए और उनके सामने प्रकट हुए। माता पार्वती ने जैसे ही अपने सामने भगवान शिव को देखा तो उनकी तपस्या समाप्त हो गयी और उन्हें इच्छित वर की प्राप्ति हुई। भगवान शिव ने तभी माता पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया और रिश्ता पक्का कर दिया। उसके कुछ दिनों के बाद ही दोनों का विवाह हो गया जिसे हम महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं।
हरियाली तीज का क्या महत्व है? (Hariyali teej importance in Hindi)
अब आप ने यह तो जान लिया कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था लेकिन अभी तक आपने यह नहीं जाना कि आखिरकार इसको मनाने के पीछे का क्या कारण है या इससे हमें किस तरह का लाभ देखने को मिलता है। तो वही जानने का प्रयास हम अब करते (Hariyali teej ki importance kya hai) हैं। तो जब माता पार्वती का भगवान शिव से रिश्ता पक्का हो गया तो माता पार्वती ने उनसे एक वरदान और मांगा और वह वरदान यह था कि जो भी महिला इस दिन अर्थात हरियाली तीज वाले दिन व्रत करेगी या माता पार्वती तथा भगवान शिव का ध्यान करेगी तो उसे कई लाभ होंगे।
अब यदि कोई कुवारी कन्या हरियाली तीज के दिन व्रत करती है और भगवान शिव व माता पार्वती का ध्यान लगाती है तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। वहीं यदि कोई सुहागिन महिला इस दिन व्रत करती है तो उसके पति की आयु लंबी होती है और वह स्वस्थ रहता है। इसी कारण हरियाली तीज का महत्व बहुत बढ़ जाता है और हर महिला इस दिन व्रत करती है।
हरियाली तीज की पूजा विधि व व्रत की जानकारी (Hariyali teej ki pooja vidhi)
कहा जाता है कि हरियाली तीज का व्रत करना तो करवा चौथ के व्रत से भी ज्यादा मुश्किल होता है। वह इसलिए क्योंकि करवा चौथ के दिन तो केवल खाना पीना नहीं होता है लेकिन हरियाली तीज वाले दिन तो महिला को कुछ खाना पीना तो होता ही नहीं है लेकिन साथ साथ के साथ पूरा दिन भगवान की तपस्या करनी होती (Hariyali teej ka vrat) है। जिस प्रकार माता पार्वती ने सालों साल तक भगवान शिव की तपस्या की थी, उसी तरह से महिलाओं को केवल इसी दिन वैसी ही तपस्या करनी होती है और अन्न जल का त्याग कर देना होता है।
जो भी महिला यह कर पाने में सक्षम होती है उसे ही हरियाली तीज के व्रत का पूरा फल मिल पाता है। वहीं जो महिला सुहागन है उसे तो इस दिन सोलह श्रृंगार करना होता है और अच्छे से सजना संवरना होता है। वहीं जिन महिलाओं की शादी नहीं हुई है, उन्हें भी सुबह उठ कर अच्छे से नहा धोकर अच्छे वस्त्र पहनने होते (Hariyali teej ki pooja) हैं। उसके बाद सभी महिलाओं को शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव व माता पार्वती की सच्चे मन के साथ पूजा करनी होती है और पंडित जी का आशीर्वाद लेना होता है।
फिर पूरे दिन भूखे प्यासे रह कर भगवान की आराधना करनी होती है और मन को निर्मल रखना होता है। इस दिन यदि महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती है तो ज्यादा शुभ रहता है। साथ ही श्रृंगार भी हरे रंग का ही किया जाये तो बेहतर रहता है जैस कि हरे रंग की चूड़ियाँ इत्यादि।
हरियाली तीज क्या होती है – Related FAQs
प्रश्न: हरियाली तीज का मतलब क्या होता है?
उत्तर: हरियाली तीज का मतलब होता है इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया था।
प्रश्न: हरियाली तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: हरियाली तीज का त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था.
प्रश्न: हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?
उत्तर: हरियाली तीज के दिन विवाहित व अविवाहित महिलाओं के द्वारा अपने पति की लंबी आयु या इच्छित वर प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है।
प्रश्न: तीज पर लड़कियां क्या करती हैं?
उत्तर: तीज पर लड़कियां व्रत करती है और पार्क में जाकर झुला झूलती हैं।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने हरियाली तीज के बारे में संपूर्ण जानकारी एकत्र कर ली है। आज के इस लेख के माध्यम से आप यह समझ पाने में सक्षम हुए हैं कि हरियाली तीज क्या होती है और इसे किस तरह से मनाया जाता है तथा इसके पीछे कौन सी कथा जुड़ी हुई है इत्यादि।