हॉटस्पॉट क्या है? | हॉटस्पॉट के प्रकार | हॉटस्पॉट कैसे काम करता है? | Hotspot kya hai

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Hotspot kya hai :- आज का दौर इंटरनेट का दौर है और बिना इंटरनेट के कोई भी काम नहीं हो सकता है। अब चाहे आपके पास बढ़िया से बढ़िया स्मार्ट फोन हो या लैपटॉप या अन्य कोई इलेक्ट्रनिक डिवाइस। यदि उसमे इंटरनेट कनेक्शन नहीं है या इंटरनेट बंद हो जाता है तो वे सब डिवाइस एक डिब्बा बन कर रह जाएंगे जिनका कोई इस्तेमाल नहीं हो (Hotspot kya hota hai) सकेगा। एक तरह से हमारे शरीर को चलाने के लिए आत्मा की जरुरत होती है, ठीक उसी तरह मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि के लिए इंटरनेट उसकी आत्मा ही होती है।

तो इसी इंटरनेट की दुनिया में आपने एक शब्द का नाम बहुत सुना होगा और वह है हॉटस्पॉट। यह वह शब्द है जिसके बारे में सुन तो हर किसी ने रखा (Hotspot meaning in Hindi) होगा लेकिन यह होता क्या है, इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। वह इसलिए क्योंकि आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में हमें बस किसी चीज़ का इस्तेमाल करना आना चाहिए, फिर वह चीज़ काम कैसे करती है या उसका क्या काम होता है, इसके बारे में हम जानने की कोशिश ही नही करते हैं।

तो आज के इस लेख में आप शायद फाइनली हॉटस्पॉट के बारे में जानने को आ ही गए हैं। तो हम भी आपको निराश ना करते हुए आपको इसी हॉटस्पॉट के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। यह एक महत्वपूर्ण चीज़ होती है जिसके बारे में आपका जानना बहुत ही (Hotspot kya hai Hindi me) जरुरी होता है। तो आज आप हॉटस्पॉट के बारे में अपनी जानकारी को बढ़ाए। आइए जाने यह हॉटस्पॉट होता क्या है और यह कैसे काम करता है।

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हॉटस्पॉट क्या है? (Hotspot kya hai)

अब आप इंटरनेट का इस्तेमाल तो करते ही होंगे और आपने इसके बारे में सब दाव पेंच भी सीख लिए होंगे। कहने का अर्थ यह हुआ कि इंटरनेट का इस्तेमाल कैसे किया जाए, उसमे क्या क्या फीचर होते हैं, उनका कैसे इस्तेमाल किया जाता है, उस पर किसी चीज़ को कैसे खोला जाता है, यह सब जानकारी आपको पता ही होगी। तो अब इस इंटरनेट की दुनिया में यह (Hotspot kya hai in Hindi) हॉटस्पॉट क्या होता है और इसका काम क्या होता है। आपको यह तो पता ही होगा कि हॉटस्पॉट के द्वारा इंटरनेट को देने का काम किया जाता है लेकिन कैसे? आइए जाने।

हॉटस्पॉट क्या है हॉटस्पॉट के प्रकार हॉटस्पॉट कैसे काम करता है Hotspot kya hai

हॉटस्पॉट अंग्रेज़ी भाषा का शब्द है जिसमे स्पॉट शब्द का महत्वपूर्ण योगदान है। अब यह स्पॉट का अर्थ क्या होता है। स्पॉट का अर्थ होता है एक स्पेसिफिक जगह। अब मान लीजिए आपके कपड़े में एक जगह कोई धब्बा लग जाता है तो वह धब्बे वाली जगह स्पॉट हो गयी। वैसे ही आप गूगल मैप पर कोई चीज़ खोजते हैं तो वह चीज़ आपको एक बिंदु की तरह एक सही स्पॉट पर दिखाई देती है। अर्थात किसी जगह पर एक चीज़ का होना।

तो उसी तरह ही यह हॉटस्पॉट होता है। इसके द्वारा किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की सहायता से इंटरनेट की तरंगों को फैलाने का कार्य किया जाता है। अब यह इंटरनेट तो उस उपकरण में होता है लेकिन वह अपने वायरलेस कनेक्शन के कारण उसे फैलाने का काम करता है। अब यह डिवाइस वाई फाई भी हो सकता है तो मोबाइल भी या अन्य कोई उपकरण भी।

तो जिस यंत्र के द्वारा इंटरनेट को एक सीमित क्षेत्र में फैलाने का काम किया जाता है और फिर उस इंटरनेट के जरिये बाकि लोग उस इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाते हैं तो उसे हॉटस्पॉट का नाम दिया जाता है। तो हॉटस्पॉट का मतलब कोई उपकरण या यंत्र नहीं होता है बल्कि इस प्रक्रिया को हॉटस्पॉट का नाम दिया जाता है जिसका हम सभी इस्तेमाल करते हैं।

हॉटस्पॉट के प्रकार (Hotspot types in Hindi)

आपको लगता होगा कि हॉटस्पॉट एक ही तरह का होता है और इसे मोबाइल के जरिये शुरू किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं होता है। दरअसल हॉटस्पॉट (Hotspot ke prakar) अपने इस्तेमाल में आने वाले कारणों से अलग अलग तरह का होता है और इसी कारण इसके इस्तेमाल में भी अंतर देखने को मिलता है। अब आप अपने मोबाइल से ऑन किये जाने वाले हॉटस्पॉट के बारे में ही बात कर लीजिए। इसे आप दो तरीके से चालू कर सकते हैं, एक तो होता है बिना पासवर्ड का हॉटस्पॉट और दूसरा होता है जिसमे आपके द्वारा कोई पासवर्ड लगाया जाता है।

तो इसी तरह इस तरह के हॉटस्पॉट में कई तरह के प्रकार देखने को मिलते हैं जिनका जानना आपके लिए जरुरी है। यदि आप हॉटस्पॉट के प्रकारों के बारे में ही नहीं जानेंगे तो समझ जाइये कि आपकी जानकारी हॉटस्पॉट के बार में हमेशा अधूरी ही रहने वाली है। तो हॉटस्पॉट को उसके इस्तेमाल के आधार पर पांच प्रकारों में बांटा जा सकता है जिसके बारे में अब हम आपको बताने वाले हैं।

पब्लिक हॉटस्पॉट (Public Hotspot)

इस तरह का हॉटस्पॉट आपको मुख्य तौर पर सरकारी संस्थानों में मिल जाएगा या ऐसे संस्थान जहाँ पर सरकार के द्वारा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही हो। इस तरह के हॉटस्पॉट में आपको बस अपना वाई फाई ऑन करना होता है और उसके बाद अपने आप ही वह इस पब्लिक हॉटस्पॉट से कनेक्ट हो जाता है। अब यदि आप अपने मोबाइल पर हॉटस्पॉट को ऑन करेंगे और उस पर कोई पासवर्ड नहीं लगाएंगे तो यह भी पब्लिक हॉटस्पॉट का ही काम करेगा।

हालाँकि इस तरह के हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करना खतरनाक भी हो सकता है। वह इसलिए क्योंकि हैकर इसके द्वारा आपकी जानकारी को चुरा सकते हैं या फिर आपका मोबाइल तक हैक कर सकते हैं। इसी के साथ साथ यदि आप किसी पब्लिक हॉटस्पॉट से कनेक्ट भी करते हैं तो भी यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि इससे आपके मोबाइल में वायरस का आक्रमण करवाया जा सकता है। तो आज के समय में इस तरह के हॉटस्पॉट का इस्तेमाल बहुत ही सीमित हो गया है।

प्राइवेट जनरेटेड हॉटस्पॉट (Private Hotspot)

इस तरह के हॉटस्पॉट का इस्तेमाल मुख्य तौर पर आम जनता के द्वारा ज्यादा किया जाता है। इसमें वे अपने हॉटस्पॉट को ऑन करने से पहले उस पर कोई पासवर्ड रख देते है और फिर जिसे इसका इस्तेमाल करना होता है, वह इस पासवर्ड को डालकर इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाता है। आप भी अपने मोबाइल पर हॉटस्पॉट को ऑन करने से पहले पासवर्ड रखते होंगे या आपने इसे पहले से ही सेट किया होगा।

अब यदि आपका कोई जानकर, रिश्तेदार, मित्र आपसे इंटरनेट कनेक्शन देने के लिए हॉटस्पॉट को ऑन करने के लिए कहता है तो आप तुरंत यह ऑन कर देते हैं और उसे यह पासवर्ड बता देते हैं। यदि उसने पहले से ही आपके हॉटस्पॉट से इंटरनेट चलाया हुआ है और आपने पासवर्ड को नहीं बदला है तो आपके हॉटस्पॉट ऑन करते ही यह उनके वाई फाई से अपने आप ही कनेक्ट हो जाएगा।

आईडी जनरेटेड हॉटस्पॉट (ID generated Hotspot)

इस तरह के हॉटस्पॉट का इस्तेमाल मुख्य तौर पर निजी संस्थाएँ या कंपनियां करती है। अब यदि वे इसके लिए बस पासवर्ड ही रख लेंगी तो फिर इसमें चोरी की आशंका बढ़ जाती है। वह इसलिए क्योंकि कंपनी के कर्मचारी ही अपने जानने वालों को इसका पासवर्ड बता देंगे या फिर अपने किसी और सिस्टम में इस हॉटस्पॉट से कनेक्ट कर लेंगे और इसका गलत इस्तेमाल करेंगे। तो इस तरह की समस्या से बचने के लिए आईडी जनरेटेड हॉटस्पॉट का इस्तेमाल किया जाने लगा।

इसके द्वारा कंपनी या उस संस्था के द्वारा आपको एक स्पेसिफिक आईडी दी जाएगी और आपको हॉटस्पॉट से कनेक्ट करने के लिए उस आईडी के साथ एक पासवर्ड generate करना होगा। जिस तरह से आप अपनी सोशल मीडिया पर लॉग इन करने के लिए एक यूजर नाम और पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं, ठीक उसी तरह इस तरह के हॉटस्पॉट से कनेक्ट करने के लिए आपको आईडी और पासवर्ड को डालना होगा और उसके बाद ही आपका इंटरनेट चल पाएगा।

लॉग इन हॉटस्पॉट (Login Hotspot)

अब आपने हॉटस्पॉट का जो पहला प्रकार पढ़ा था जिसे हम पब्लिक हॉटस्पॉट के नाम से जानते हैं तो वह असुरक्षित था। तो इसकी काट के लिए ही लॉग इन वाले हॉटस्पॉट का चलन आया जिसका इस्तेमाल आज कल भारत सरकार सहित अन्य सार्वजनिक संस्थाएं भी करने लगी है। अब यदि आप किसी रेलवे स्टेशन पर जाएंगे जहाँ पर इस तरह के हॉटस्पॉट की सुविधा है तो उसमे पहले आपको लॉग इन करना होगा। डरे नहीं, क्योंकि इसमें आपको आईडी नहीं देनी होगी बल्कि अपने लिए एक आईडी बनानी होगी।

तो इसमें आप जैसे ही अपने वाई फाई कनेक्शन से उस हॉटस्पॉट से कनेक्ट करेंगे तो इंटरनेट को चलाने से पहले यह आपसे आपका मोबाइल नंबर वेरीफाई करने को कहेगा या फिर आपको अपनी ईमेल आईडी डालनी होगी। उसके बाद आपके मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी पर एक कोड आएगा जिसे भरने के बाद ही आपका वह हॉटस्पॉट सही से कनेक्ट हो पाएगा और आपको इंटरनेट को चलाने की अनुमति देगा। हालाँकि अनजान जगह के हॉटस्पॉट को कनेक्ट करने से बचे क्योंकि यह आपके बैंक से पैसा भी उड़ा सकता है।

प्रीपेड हॉटस्पॉट (Prepaid Hotspot)

इस तरह का हॉटस्पॉट अभी कम चलन में है लेकिन आज के समय में यह भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। अब मान लीजिए, आपका इंटरनेट पैक ख़त्म हो गया है और आप किसी ऐसी जगह पर है जहाँ पर प्रीपेड हॉटस्पॉट की सुविधा है या वहां इसी की ही सुविधा दी जाती है। तो वहां के हॉटस्पॉट से कनेक्ट करके आपको कुछ न्यूनतम रुपए देने होंगे और फिर आपका इंटरनेट चल पड़ेगा।

अब आप सोचेंगे कि ऐसा ही करना है तो फिर आप अपने मोबाइल पर ही डाटा पैक डलवा लेंगे। तो आपके पास दोनों तरह के ही विकल्प होंगे लेकिन यह प्रीपेड हॉटस्पॉट आपको कम कीमत में ज्यादा डाटा का इस्तेमाल करने की अनुमति देगा। अब यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसमें आपको कितना डाटा मिलता है या फिर कुछ समय के लिए अनलिमिटेड डाटा का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलती है।

हॉटस्पॉट कैसे बनाया जाता है? (Hotspot kaise banaya jata hai)

इसी कड़ी में आपका अगला प्रश्न होगा कि इस हॉटस्पॉट को किस तरीके से बनाया जा सकता है तो इसके लिए दो ही तरह के तरीके होते हैं, जिसमे पहला होता है मोबाइल और दूसरा होता है हॉटस्पॉट डिवाइस। तो इन दोनों से ही आप हॉटस्पॉट को बनाने का काम कर सकते हैं। गतो आइए इन दोनों के बारे में ही जान लेते हैं जिनमे आप हॉटस्पॉट को बनाने का काम कर सकते हैं।

मोबाइल से हॉटस्पॉट बनाना (How to make mobile Hotspot in Hindi)

मोबाइल से हॉटस्पॉट बनाना तो सभी को आता होगा क्योंकि यह बस एक क्लिक का ही काम होता है। किंतु यहाँ आप इस बात का ध्यान रखे कि केवल उन्हीं मोबाइल से ही हॉटस्पॉट बनाया जा सकता है जो स्मार्ट फोन है। तो यदि आपका मोबाइल स्मार्ट फोन नहीं है तो फिर आप उसके जरिये हॉटस्पॉट नहीं बना सकते हैं और ना ही किसी हॉटस्पॉट से कनेक्ट कर सकते हैं। साथ ही आप सीधे ही अपने मोबाइल में हॉटस्पॉट को ऑन करने से बचे क्योंकि इससे हैकर आपके मोबाइल की जानकारी को चुरा सकता है और आपका सारा डाटा उड़ा सकता है।

तो इसके लिए अपने मोबाइल की सेटिंग में जाए और वहां आपको पोर्टेबल हॉटस्पॉट का एक विकल्प नज़र आएगा जिस पर आपको क्लिक करना होगा। अब इसी में आपको दूसरे या तीसरे नंबर पर एक विकल्प मिलेगा जिस पर लिखा होगा पोर्टेबल हॉटस्पॉट सेटअप करे जिस पर आपको क्लिक करना होगा। अब इस पर क्लिक करते ही आपके सामने अपने हॉटस्पॉट को एक नाम देने और उसका पासवर्ड रखने का विकल्प मिल जाएगा। तो आप इसे एक नाम दे और इसी के साथ साथ एक मजबूत पासवर्ड रखे।

अब आप इस पासवर्ड को हर किसी को बताने की बजाए केवल चुनिंदा व्यक्ति को ही बताये ताकि केवल वही इसका इस्तेमाल करे। यदि आप इसे सार्वजनिक कर देते हैं तो फिर हर कोई आपके मोबाइल के इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करने लगेगा और अआप्का डाटा उड़ते हुए देर नहीं लगेगी। हालाँकि आज के समय में हर मोबाइल में इस हॉटस्पॉट को मैनेज करने के कई सारे विकल्प उपलब्ध है जैसे आप डाटा को इस्तेमाल करने की सीमा, कनेक्ट किये जाने डिवाइस की संख्या इत्यादि को प्रतिबंधित कर सकते हैं।

हॉटस्पॉट डिवाइस से हॉटस्पॉट की सर्विस देना (Hotspot devices in India)

यह हॉटस्पॉट डिवाइस तो आती ही है मुख्य तौर पर हॉटस्पॉट का कनेक्शन देने के लिए। तो अब इसमें वाई फाई के राऊटर भी शामिल होते हैं जिन्हें हम अपने घर पर लगाते हैं। उन्हें हम वाई फाई राऊटर कह सकते हैं या फिर हॉटस्पॉट राऊटर भी। तो उनका काम भी यही होता है किसी कंपनी के फ़ास्ट स्पीड वाले इंटरनेट कनेक्शन को हॉटस्पॉट डिवाइस की सहायता से एक सीमित क्षेत्र तक फैलाना।

अब यदि आप इसे ज्यादा क्षेत्र या एरिया में फैलाना चाहते हैं तो उसके लिए और मजबूत डिवाइस लिया जा सकता है या extender की सहायता ली जा सकती है। इसकी सहायता से इंटरनेट को ज्यादा क्षेत्र में फैलाया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यदलोग उसका इस्तेमाल कर लाभान्वित हो सके।

हॉटस्पॉट कैसे काम करता है? (How Hotspot works in Hindi)

आखिरकार यह हॉटस्पॉट काम कैसे करता है और इसके पीछे क्या रहस्य होता है। तो यहाँ हम आपको बता दे कि आज के समय में सभी चीज़े तरंगो पर ही काम कर रही है और यह तरंगे हर जगह फैली हुई होती है। इन्हें satellite से मैनेज किया जाता है और उसी पर ही सब सिस्टम निर्भर करता है। यह सभी उपकरण उसतरफ ही अपने सिंगल भेजती है जिस कारण यह इंटरनेट या हॉटस्पॉट काम कर पाता है। हमारे सभी कॉल्स, मैसेज, डाटा पैक, ऑनलाइन सिस्टम इत्यादि इसी तर्ज पर ही काम कर रहे हैं।

तो यहाँ बात हॉटस्पॉट की हो रही है तो हॉटस्पॉट के द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल किये जाने के लिए रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है। ये एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस पर संदेश भेजने या इंटरनेट का इस्तेमाल सुचारू रूप से जारी रखने के लिए रेडियो सिग्नल या रेडियो तरंगो का ही इस्तेमाल करते हैं। तो यदि कभी इंटरनेट सही नहीं चल रहा हो या हॉटस्पॉट सही से काम नहीं कर रहा हो तो उस समय रेडियो सिग्नल में ही खराबी आई हुई होती है।

हॉटस्पॉट कहां मिलता है? (Where Hotspot is available in Hindi)

अब हम बात करते हैं कि आपको सार्वजनिक रूप से हॉटस्पॉट कहां कहां मिल सकता है जिसे आप बिना कोई पैसे दिए इस्तेमाल कर सकते हैं। तो इसके बारे में थोड़ी बहुत क्लेअरिटी तो हमने आपको ऊपर ही दे दी थी जैसे कि इसे आप सार्वजनिक सरकारी संस्थानों में इस्तेमाल होते हुए देख सकते हैं या फिर होटल इत्यादि में भी। तो ऐसे में आपको पब्लिक हॉटस्पॉट का इस्तेमाल कहां कहां करने को मिल सकता है, उसकी सूची है:

  • रेलवे स्टेशन
  • बस स्टैंड
  • एअरपोर्ट
  • लाइब्रेरी
  • होटल
  • रेस्टोरेंट
  • सबवे
  • मेट्रो स्टेशन
  • डिपार्टमेंट स्टोर
  • गैस स्टेशन
  • पेट्रोल पंप
  • सुपर मार्किट
  • पब्लिक पार्क
  • स्कूल
  • यूनिवर्सिटी
  • कॉलेज कैंपस इत्यादि।

तो इस तरह से आपको कई सरकारी व निजी संस्थानों में पब्लिक हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करने को मिल सकता है। हालाँकि ऐसी किसी भी जगह पर पब्लिक हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करने से पहले पूरी सावधानी बरतेंगे तो यह आपके लिए ही लाभदायक रहेगा। वह इसलिए क्योंकि इसके जरिये हैकर किसी का डाटा चुराए जाने की ताक में ही बैठे रहते हैं।

हॉटस्पॉट कैसे कनेक्ट करे? (Hotspot kaise connect karte hain)

अब यदि आप किसी ऐसी जगह पर है जहाँ पर पब्लिक हॉटस्पॉट या हॉटस्पॉट का कोई अन्य प्रकार चालू है और आप उसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले तो आपको उस हॉटस्पॉट का नाम जानना होगा। यदि आपको उसका नाम पता (Hotspot kaise connect kare in Hindi) है तो बहुत अच्छी बात और यदि नहीं भी पता है तो कोई बात नहीं। हम आपको पब्लिक और प्राइवेट हॉटस्पॉट दोनों को ही कनेक्ट करने के बारे में जानकारी दे देते हैं।

पब्लिक हॉटस्पॉट कैसे कनेक्ट करे?

पब्लिक हॉटस्पॉट को कनेक्ट करने के लिए आपको बस अपने मोबाइल से वाई फाई को ऑन करना होगा। इसे आप अपने मोबाइल की ऊपरी स्क्रीन को नीचे स्क्रॉल करके वहां दिख रहे विकल्प में से वाई फाई के फीचर को ऑन करके कर सकते हैं या फिर अपने मोबाइल की सेटिंग में जाकर भी इसे ऑन कर सकते हैं। जब आप इसे ऑन कर देंगे तो यह आपको आपके आसपास के क्षेत्र के सभी पब्लिक व प्राइवेट हॉटस्पॉट की जानकारी दे देगा।

जो पब्लिक होंगे वह सीधे कनेक्ट होने वाले होंगे और उस पर केवल वाई फाई का सिंबल ही बना होगा तो जो प्राइवेट होंगे या लॉक किये हुए होंगे तो उन पर वाई फाई के साथ एक ताला बना हुआ होगा। तो जिन पर ताला नहीं बना हुआ है वे सभी पब्लिक हॉटस्पॉट होंगे। आप उन पर जैसे ही क्लिक करेंगे तो यह आपके मोबाइल पर या लैपटॉप पर इंटरनेट को चलाने की अनुमति दे देगा।

प्राइवेट हॉटस्पॉट कैसे कनेक्ट करे?

अब यदि आप प्राइवेट या लॉक किये हुए हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको पहले उसके प्रोवाइडर से बात करनी होगी। आपको उससे आवश्यक जानकारी लेनी होगी जिसमे हॉटस्पॉट का नाम और उसका पासवर्ड शामिल होगा। जब वह आपको उस हॉटस्पॉट को कनेक्ट करने के लिए नाम व पासवर्ड दे देता है तो आपको ऊपर दी गयी प्रक्रिया के तहत ही वाई फाई को ऑन करना होगा।

इसके बाद आपको वहां उपलब्ध सभी तरह के हॉटस्पॉट दिख जाएंगे। अब आपको इनमे से उस हॉटस्पॉट का नाम चुनना होगा जो उस व्यक्ति ने आपको बताया है। इसको चुने जाने के बाद वह सीधे आपसे पासवर्ड डालने को कहेगा जो आपको डालना होगा। पासवर्ड को डालते ही यह उसे वेरीफाई करेगा और वह हॉटस्पॉट आपके मोबाइल पर कनेक्ट हो जाएगा। अब आप बेधड़क अपने मोबाइल पर उस हॉटस्पॉट की मदद से इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

हॉटस्पॉट के नुकसान (Hotspot disadvantages in Hindi)

हॉटस्पॉट के कई नुकसान भी देखने को मिलते है खास तौर पर जो हॉटस्पॉट पब्लिक होते हैं और जिन पर पासवर्ड को लगाए जाने की कोई जरुरत नहीं होती (Hotspot ke nuksan) है। इस तरह के हॉटस्पॉट में व्यक्ति की निजी जानकारी को चोरी हो जाने का डर हमेशा ही सताता रहता है। वह इसलिए क्योंकि आज के समय में हैकर बहुत ही आधुनिक हो गए हैं और वे हमेशा ही लोगों का डाटा चुराने की फ़िराक में ही बैठे रहते हैं।

अब यदि आप किसी ऐसे हॉटस्पॉट से कनेक्ट कर लेते हैं जिस पर हैकर ने पहले से ही कब्ज़ा जमाया हुआ है या उसमे सेंध लगायी हुई है तो वह आसानी से आपके मोबाइल तक अपनी पहुँच बना लेगा। आपको पता भी नहीं चलेगा और वह देखते ही देखते आपके मोबाइल से सब जानकारी को चुरा लेगा। उसके बाद आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे और वह इस जानकारी का इस्तेमाल आपको ब्लैकमेल करने या अन्य गलत कामो में करेगा। तो इस कारण से आपको पब्लिक हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।

हॉटस्पॉट क्या है – Related FAQs

प्रश्न: मेरे फोन पर मोबाइल हॉटस्पॉट क्या है?

उत्तर: आपके मोबाइल पर हॉटस्पॉट होने का मतलब होता है आप अपने इंटरनेट का इस्तेमाल दूसरों के मोबाइल या सिस्टम से भी कर सकते हैं।

प्रश्न: हॉटस्पॉट का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: हॉटस्पॉट का दूसरा नाम इंटरनेट एक्सेस पॉइंट भी हो सकता है।

प्रश्न: मोबाइल हॉटस्पॉट की रेंज कितनी होती है?

उत्तर: मोबाइल हॉटस्पॉट की रेंज 25 से 30 लीटर के आसपास की होती है।

प्रश्न: क्या आईफोन हॉटस्पॉट सुरक्षित है?

उत्तर: हां, आईफोन हॉटस्पॉट सुरक्षित होता है।

आज के इस लेख में आपने हॉटस्पॉट के बारे में पूरी जानकारी ले ली है। साथ के साथ आपने इसके प्रकारों और उनके इस्तेमाल के बारे में भी जान लिया है। तो यदि आप आगे से कभी किसी को हॉटस्पॉट दे तो उसके लिए पासवर्ड जनरेटेड हॉटस्पॉट का हीओ इस्तेमाल करे। इसी के साथ पब्लिक हॉटस्पॉट का इस्तेमाल करते समय पूरी पूरी सावधानी बरते।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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