क्रेडिट कार्ड कंपनियां कैसे कमाई करती हैं?| How credit card companies make money? | ग्रेस पीरियड का क्रेडिट कार्ड होल्डर को क्या फायदा होता है? | क्रेडिट कार्ड के फायदे व नुकसान क्या क्या हैं? | क्रेडिट लिमिट क्या होती है? ||
अक्सर लोगों को लगता है कि क्रेडिट कार्ड यानी मौज ही मौज। आप मार्केट गए हैं और आपने कोई चीज खरीदी है, लेकिन आपकी जेब में पैसा नहीं है तो नो टेंशन! आप क्रेडिट कार्ड स्वैप (swap) करते हैं, पिन (pin) डालते हैं और आराम से सामान खरीद कर घर आ जाते हैं। या आपके पास पैसा नहीं है और आप टीवी, फ्रिज जैसी कोई चीज खरीदना चाहते हैं तो आप क्रेडिट कार्ड से ईएमआई पर 0% ब्याज पर खरीदारी भी कर सकते हैं।
नियमित रूप से बगैर डिफॉल्ट (default) आप इसका पेमेंट (payment) कर रहे हैं तो आपकी क्रेडिट लिमिट (credit limit) बढ़ेगी और आपका सिबिल स्कोर (cibil score) भी चकाचक होगा। खरीदारी में कैश बैक का ऑप्शन और बैंक रिवॉर्ड प्वाइंट्स (reward points) दे रहे, सो अलग। क्या आपके दिमाग में सवाल उठता है कि ऐसे में क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई कैसे होती है? यदि आप इसका जवाब नहीं जानते तो आज इस पोस्ट में हम आपको यही बताएंगे कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां कैसे कमाई करती हैं। आइए, शुरू करते हैं-
क्रेडिट क्या होता है? (What is credit?)
दोस्तों, हम क्रेडिट कार्ड पर आगे बढ़ें उससे पहले हमारे लिए जानना आवश्यक है कि क्रेडिट क्या होता है? (What is credit?) साथियों, क्रेडिट को हिंदी में साख पुकारा जाता है। यह भी एक प्रकार का उधार ही है। इसमें आपको आपको भविष्य में राशि चुकाने के वादे के साथ अग्रिम धन प्राप्त करने की सुविधा मिलती है।
हां, इसके लिए आपको अक्सर ब्याज चुकाना पड़ता है। यदि credit eligibility यानी साख योग्यता की बात करें तो इसका मतलब उधारकर्ता द्वारा उधार ली गई राशि का भुगतान (payment) करने की क्षमता (efficiency) से है। इसी को जांच कर कोई भी व्यक्ति/संस्था आपको क्रेडिट प्रदान करती है।
क्रेडिट कार्ड क्या है? (What is credit card?)
दोस्तों, क्रेडिट का अर्थ हम आपको बता चुके, अब आते हैं क्रेडिट कार्ड पर। आपको बता दें कि एक क्रेडिट कार्ड किसी बैंक द्वारा जारी किया जाने वाला एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (financial instrument) है। इसकी एक क्रेडिट लिमिट (credit limit) होती है, जिससे कार्ड धारक (card holder) नकदी रहित लेन-देन (cashless transaction) करने में सहायता मिलती है।
क्रेडिट लिमिट क्या होती है? (What is credit limit?)
दोस्तों, अब आप सोच रहे होंगे कि किसी व्यक्ति की क्रेडिट लिमिट कैसे निर्धारित होती है? तो आपको जानकारी दे दें कि आपकी आय (income), आपके क्रेडिट स्कोर (credit score) एवं आपकी क्रेडिट हिस्ट्री (credit history) के आधार पर क्रेडिट लिमिट (credit limit) निर्धारित की जाती है।
क्रेडिट कार्ड के फायदे व नुकसान क्या क्या हैं? (What are the advantages and disadvantages of credit card?)
दोस्तों, अब एक नजर क्रेडिट कार्ड के फायदे व नुकसान पर डाल लेते हैं। सबसे पहले फायदे की बात। क्रेडिट कार्ड के फायदे इस प्रकार से हैं-
- क्रेडिट कार्ड होने पर आपको ज्यादा कैश साथ लेकर चलने की आवश्यकता नहीं पड़ती। मार्केट में कैश काउंट करने या चेक काटने से भी आपका पीछा छूटता है। केवल एक स्वैप से आपका भुगतान हो जाता है।
- अपनी जेब और एकाउंट में कैश न होने पर भी आप फ्लाइट की टिकट बुक कराने जैसे बड़े काम के साथ ही मोबाइल रिचार्ज करने जैसे छोटे-मोटे भुगतान कर सकते हैं।
- क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर आम तौर पर रिवॉर्ड्स प्वाइंट्स (rewards points) मिलते हैं। आप मुफ्त फ्लाइट टिकट्स जैसे गिफ्ट्स/वाउचर्स आदि के लिए इन्हें रिडीम (redeem) करा सकते हैं और बचत कर सकते हैं।
- क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर आपको खरीदारी व भुगतान के बीच 50 दिन तक का एक ग्रेस पीरियड (grace period) मिलता है। यह 50 दिन तक हो सकता है। इस दौरान बैंक आपसे कोई ब्याज नहीं लेता। लिहाजा, कोई बड़ी खरीदारी आसानी से कर सकते हैं।
- क्रेडिट कार्ड से रिकरिंग पेमेंट करना भी आसान है। आप अपने क्रेडिट कार्ड को इसके लिए ऑटोमैटिक (automatic) सेट कर सकते हैं। इससे हर महीने आपका बिजली या गैस बिल का भुगतान स्वत: समय पर हो जाएगा। पेमेंट में चूक नहीं होगी। आप पेनल्टी से बचे रहेंगे।
- आप अपने क्रेडिट कार्ड को डिजिटल वॉलेट (digital wallet) से लिंक (link) करा सकते हैं। इससे आप कार्ड बगैर भी वॉलेट से स्कैन (scan) कर पेमेंट कर सकेंगे।
- क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर आप कई प्रकार के डिस्काउंट एवं कैशबैक discount and (cashback) पा सकते हैं।
- क्रेडिट कार्ड से सही समय पर भुगतान आपके सिबिल स्कोर (CIBIL score)को भी मजबूत करता है जिससे आपको आगे लोन लेने में आसानी होती है।
दोस्तों, यदि क्रेडिट कार्ड के नुकसान की बात करें तो वे इसके लाभ की अपेक्षा कम हैं , जो कि इस प्रकार से हैं-
- यदि आप क्रेडिट कार्ड पर बकाया राशि का भुगतान देय तिथि (payment on due date) पर नहीं कर पाते तो आपको ऊंची दर से ब्याज चुकाना पड़ता है।
- क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने के लिए आपको साथ में कैश (cash) रखने की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए कई बार लोग वे चीजें भी खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें जरूरत नहीं होती। इस प्रकार क्रेडिट कार्ड आवश्यकता से अधिक खर्च करने का कारण बन सकता है।
- यदि क्रेडिट कार्ड के पेमेंट का भुगतान समय से नहीं होता है तो इससे आपका सिबिल स्कोर खराब हो सकता है, जो कि आपका एक बहुत बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। क्योंकि इससे आपको आगे चलकर लोन लेने में दिक्कत हो सकती है।
क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई कैसे होती है? (How credit card companies make money?)
दोस्तों, आइए अब आपको आपके दिमाग में उठने वाले सवाल का जवाब देते हैं कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां कैसे कमाई करती हैं ।आपको बता दें कि दरअसल,
क्रेडिट कार्ड कंपनियां एक कर्ज देने वाले बिजनेस की तरह काम करती हैं। क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई के कई स्रोत हैं, जो कि इस प्रकार से हैं-
1. ब्याज से कमाई (earning from interest):
दोस्तों, आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड कंपनियों की सबसे ज्यादा कमाई ब्याज (interest) से होती है। यह तो आप जानते ही हैं कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां लोगों को लोन (loan) भी मुहैया कराती हैं। इस लोन पर वे अच्छा खासा ब्याज कमाती हैं। जान लीजिए कि यह ब्याज 12 फीसदी से लेकर 24 फीसदी तक का होता है। एकदम पर्सनल लोन के माफिक।
इसके अलावा दोस्तों, ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं तो अपने क्रेडिट कार्ड का बकाया (balance) नहीं चुका पाते। ऐसे में उन पर ब्याज लगता है। यह आज भी कुछ कम नहीं होता। यह 30 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक हो सकता है। इसके अलावा कई बार लोग ईएमआई पर कुछ ब्याज देकर भी सामान खरीदते हैं। इस ब्याज की दरें अधिकांशतः 10 से लेकर 20 फीसदी के बीच रहती हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां सबसे अधिक कमाई ब्याज से करती हैं।
2. क्रेडिट कार्ड से कैश विद्ड्राल पर कमाई (earning from cash withdrawal with credit card):
दोस्तों, अब आप सोच रहे होंगे कि क्रेडिट कार्ड से भी भला कोई कैश निकालता होगा? तो दोस्तों इसका जवाब हां है। बेशक इस पर भारी भरकम ब्याज पड़ता है, लेकिन लोग क्रेडिट कार्ड से भी कैश विद्ड्राल (cash withdrawal) करते हैं। यदि आपको अभी है बात हजम नहीं हो रही तो आपको भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) यानी आरबीआई (RBI) के आंकड़े बता देते हैं। इनके अनुसार अप्रैल, 2022 से लेकर इस वर्ष अप्रैल, 2024 तक लोगों ने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके प्रत्येक माह करीब 300 से लेकर 400 करोड़ रुपए निकाले हैं।
3. इंटरचेंज फीस (interchange fee) :
दोस्तों, क्रेडिट कार्ड की आय का एक बड़ा हिस्सा एमडीआर फीस (MDR fee) के रूप में आता है। यह तो आप जानते ही हैं कि जब भी कोई ग्राहक क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग (shopping) करता है तो मर्चेंट पर एक मर्चेंट डिस्काउंट रेट (Merchant Discount Rate) यानी एमडीआर फीस लगाई जाती है। आपको बता दें कि यह फीस कुल ट्रांजेक्शन वैल्यू (transaction value) की 1 से लेकर 3 फीसदी तक होती है। इस एमडीआर फीस को कई पक्षों में बांटा जाता है।
इसमें पेमेंट इकोसिस्टम (payment ecosystem) के साथ ही कार्ड ट्रांजेक्शन प्रोसेस (card transaction process) करने वाला बैंक एवं कार्ड नेटवर्क (card network) शामिल होता हैं। अब यहां कार्ड जारी करने वाली कंपनी की तरफ से एक इंटरचेंज फीस (interchange fee) लगाई जाती है। आपको बता दें कि यह कुल एमडीआर का सबसे बड़ा हिस्सा होती है।
4. मेंबरशिप फीस (Membership fee):
दोस्तों, आपको बता दें कि बहुत सारी क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने ग्राहकों से एक सदस्यता शुल्क यानी मेंबरशिप फीस (membership fee) भी वसूलती हैं। यद्यपि कई बैंकों द्वारा यह फीस एक निश्चित सीमा तक ट्रांजेक्शन (transaction) के बाद ग्राहकों को मोटा दी जाती है, लेकिन कई बैंकों द्वारा ऐसा बिल्कुल नहीं किया जाता। बैंकों द्वारा इसे सालाना फीस (annual fee) भी पुकारा जाता है। दोस्तों, इस तरह क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का एक बड़ा जरिया मेंबरशिप फीस है।
5. ज्वॉइनिंग फीस (joining fee):
दोस्तों, बेशक कहीं बैंक ग्राहकों को बिना कोई पैसे भी क्रेडिट कार्ड मुहैया करा देते हैं, लेकिन अधिकांश बैंकों द्वारा क्रेडिट कार्ड लेने के लिए ग्राहकों से एक ज्वॉइनिंग फीस (joining fee) भी वसूली जाती है। इस प्रकार भीम की कमाई का एक जरिया है। दोस्तों, इसके अतिरिक्त क्रेडिट कार्ड कंपनियों द्वारा बैलेंस ट्रांसफर फीस (balance transfer fee), लेट पेमेंट फीस (late payment fee), कैश एडवांस फीस (cash advance fee), फॉरेन ट्रांजेक्शन फीस (foreign transaction fee) के साथी कुछ अन्य चार्ज भी वसूले जाते हैं, जो कि उसकी कमाई ही कहलाती है।
How credit card companies make money Related FaQ
क्रेडिट क्या होता है?
क्रेडिट का हिंदी अर्थ साख होता है। इसी के आधार पर बाद में भुगतान का वादा कर अग्रिम धन प्राप्त किया जाता है।
क्रेडिट कार्ड क्या होता है?
क्रेडिट कार्ड बैंकों द्वारा जारी एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स होता है। इसकी एक प्री-सेट लिमिट होती है, जिसके आधार पर कैशलेस ट्रांजेक्शन किए सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड कंपनियां कैसे कमाई करती हैं?
क्रेडिट कार्ड कंपनियां ब्याज, कैश निकासी, ज्वाइनिंग फीस, मेंबरशिप फीस आदि के जरिए कमाई करती है।
क्रेडिट कार्ड के क्या फायदे हैं?
क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप जेब में क्या इतना होने के बावजूद पेमेंट कर सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा नुकसान क्या है?
क्रेडिट कार्ड का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यदि आप इसका भुगतान करने में देर कर देते हैं तो आपको उच्च दर से ब्याज चुकाना पड़ता है।
क्या क्रेडिट कार्ड भुगतान का असर कार्ड होल्डर के सिबिल स्कोर पर भी पड़ता है?
जी हां, क्रेडिट कार्ड भुगतान का असर कार्ड होल्डर के सिबिल स्कोर पर भी पड़ता है। अच्छा भुगतान करने वालों की सिबिल मजबूत हो जाती है।
क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर कितने दिन तक का ग्रेस पीरियड मिलता है?
क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर 50 दिन तक का ग्रेस पीरियड मिल सकता है।
ग्रेस पीरियड का क्रेडिट कार्ड होल्डर को क्या फायदा होता है?
क्रेडिट कार्ड से की गई खरीदारी पर मिले ग्रेस पीरियड के दौरान क्रेडिट कार्ड होल्डर को ब्याज नहीं चुकाना पड़ता।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि क्रेडिट कार्ड कंपनियां कैसे कमाई करती हैं। उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में वृद्धि हुई होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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