बेशक कर्ज को एक मर्ज की संज्ञा दी गई है, लेकिन इसकी आवश्यकता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। कर्ज केवल आम लोग ही नहीं लेते बल्कि विभिन्न देशों की सरकारें भी कर्ज लेती हैं। इस वक्त ऐसे बहुत कम देश हैं, जिन पर कोई कर्ज न हो।
क्या आप जानते हैं कि हमारे देश भारत पर कितने लाख करोड़ का कर्ज है? यदि नहीं? तो हम आपको बता देते हैं। इस आर्टिकल में आपको इस कर्ज के पीछे की वजहें भी बताई जाएंगी। साथ ही, आप जानेंगे कि किसी देश को कर्ज क्यों लेना पड़ता है? दुनिया में ऐसे कौन से देश हैं जिनके ऊपर कर्ज नहीं हैं? आदि। आइए, शुरू करते हैं –
किसी देश को क़र्ज़ क्यों लेना पड़ता है? (Why a country has to borrow debt?)
दोस्तों, सबसे पहला सवाल जो किसी के भी जहन में आएगा, वो ये कि किसी देश को कर्ज क्यों लेना पड़ता है? तो जान लीजिए कि जब भी देश की सरकार की आमदनी कम होती है और ख़र्च अधिक होता है तो ऐसे में उसे इस घाटे (deficit) को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है। यदि अपने देश भारत की बात करें तो वह घाटे की अर्थव्यवस्था (economy of deficit) है भारत का राजकोषीय घाटा करीब करीब लगातार बढ़ता ही रहा है।
विभिन्न देशों की सरकारें कहां से कर्ज लेती हैं? (Where the governments of different countries borrow debts?)
दोस्तों, अब आप सोचेंगे कि आम आदमी तो आवश्यकता पड़ने पर बैंक से कर्ज उठा लेता है, लेकिन विभिन्न देशों की सरकारें कर्ज कहां से लेती है? तो जान लीजिए कि अधिकांश सरकारें विभिन्न परियोजनाओं के लिए अपने देश में बॉण्ड (bond) बेचकर अथवा या विदेश से कर्ज उठाती हैं।
आईएमएफ, आईएडीए जैसी संस्थाओं द्वारा बड़ी मात्रा में कर्ज मुहैया कराया जाता है। दोस्तों, जान लीजिए कि इस कर्ज के लिए उन्हें एक निश्चित दर पर ब्याज भी चुकाना पड़ता है। कर्ज की अवधि पूरी होने पर सरकार को बतौर ऋण ली गई राशि ब्याज समेत लौटानी होती है। दोस्तों जिस तरह गांव के ग्रामीण कर्ज के चक्कर में फंसे रहते हैं, ठीक उसी प्रकार सरकारें भी कर्ज के दुष्चक्र से बाहर नहीं निकल पातीं।
इसकी वजह यह है कि लगभग प्रत्येक वर्ष सरकार को अपना घाटा पूरा करने के लिए कर्ज लेने का क्रम बनाए रखना पड़ता है। दोस्तों, ऐसा नहीं कि दुनिया में केवल भारत (India) ही एकमात्र ऐसा देश है, जो कर्ज के बोझ तले दबा हो बल्कि दुनिया के अधिकांश बड़े देश कर्ज के बोझ तले दबे हैं।
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भारत पर कितने लाख करोड़ का कर्ज है? (How many lakh crores debt does India have?)
मित्रों, आपको बता दें कि वर्तमान में हमारे देश भारत पर करीब 205 लाख करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज है। यदि 10 वर्ष पूर्व यानी कि 2014 की बात करें तो में हमारे देश पर 54 लाख करोड़ का कर्ज था। यह 120 माह में क़रीब चार गुना तक बढ़ गया।
आपको बता दे दोस्तों कि कोरोना महामारी न केवल लोगों की सेहत पर भारी पड़ी बल्कि इसने कई देशों की अर्थव्यवस्था को भी तबाह कर दिया भारत को भी सन् 2020 में कोरोना के चलते भारी कर्ज लेने को मजबूर पड़ा। भारत में इसका एक बड़ा हिस्सा ब्याज पर उठाए गए ऋण पर होने वाले ब्याज के खर्च में जाता है। दोस्तों, जान लीजिए कि हम अपने ऋण पर बहुत अधिक ब्याज (interest) देते हैं।
दुनिया में ऐसे कौन से देश हैं जिन पर कोई कर्ज नहीं है? (Which countries of the world don’t have any debt?)
क्या दुनिया में ऐसे देश पर जिन पर कोई कर्ज नहीं? दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आमदनी अधिक और आबादी कम होने के चलते कई छोटे देशों के ऊपर कोई कर्ज नहीं है।पेट्रोलियम कारोबार से कमाई करने वाले कुवैत (kuwait) अथवा ब्रुनेई (Brunei) जैसे छोटे देश कर्ज के झंझावातों से मुक्त हैं। इसी श्रेणी में सिंगापुर (Singapore) को भी रखा जा सकता है।
क्या कर्ज का किसी देश की जीडीपी से भी कोई संबंध है? (Does debt has any relation with a country’s GDP?)
दोस्तों, इस सवाल का जवाब हां है आपको बता दें कि किसी देश पर चढ़े कर्ज को उसकी GDP के अनुपात में ही देखा जाता है। जैसे कि यदि किसी देश पर कर्ज उसकी जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद (gross development product) के 60% से कम है
तो इसे लो रिस्क कैटेगरी (low risk category) में रखा जाता है। वहीं, यदि किसी देश पर कर्ज उसकी जीडीपी के 90% से कम है तो इसे मोडरेट रिस्क (moderate risk) की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन यदि किसी देश पर कर्ज उसकी जीडीपी के 90% से भी ज़्यादा है तो हाई रिस्क (High risk) की कैटेगरी में आता है। दोस्तों, आपको बता दे कि हमारे देश भारत पर कर्ज इसकी GDP के अनुपात में 81% है। ऐसे में यह मॉडरेट रिस्क की कैटेगरी में आता है।
साफ है कि किसी देश की आर्थिक सेहत GDP की तुलना में उसके द्वारा लिए गए कर्ज के अनुपात के आधार पर जांची जाती है।
आईएमएफ ने 2028 तक भारत के कर्ज का उसकी जीडीपी के कितना फीसदी होने का अंदेशा जताया है? (IMF estimated how much percentage of GDP will be of India’s debt by 2028?)
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि आईएमएफ (IMF) यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (international monetary fund) द्वारा अपनी रिपोर्ट में आगे चलकर हालात बिगड़ने का अंदेशा जताया गया और कहा गया कि सन् 2028 में यह आंकड़ा 100% यानी ख़तरे के निशान से ऊपर होगा। उसके द्वारा यह भी कहा गया है कि यदि हालात बेहतर रहे तो यह आंकड़ा 70% तक पहुंचेगा। यद्यपि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) द्वारा आईएमएफ के इस दावे (claim) से नाइत्तेफाकी जताई गई है।
भारत के द्वारा लिए गए कर्ज का अधिकतर हिस्सा कहां खर्च हो रहा है? (Where the big part of debt borrowed by India is being spent?)
दोस्तों, अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि भारत द्वारा जो कर्ज लिया जा रहा है कहां खर्च हो रहा है? तो आपको बता दें कि भारत द्वारा दिए गए कर्ज के ब्याज को चुकाने में ही इसकी बड़ी राशि खर्च हो रही है। इसके अलावा सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं (government schemes) एवं रोड (road), ट्रांसपोर्ट (transport), इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure) जैसे विकास कार्यों पर इस कर्ज की राशि व्यय हो रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार को फिजूलखर्ची रोकने पर ध्यान देना होगा। वरना यदि देश पर कोरोना (corona) महामारी जैसा बड़ा संकट आता है, जिसकी कि लगातार आशंका बनी हुई है, ऐसे में अर्थव्यवस्था (economy) के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
दुनिया में कर्ज के मामले में कौन सा देश टॉप पर है? (Which country is on top in relation to debt?)
दोस्तों, आपको बता दें कि कर्ज के मामले में दुनिया में जापान (Japan) टॉप पर है। इसका राष्ट्रीय कर्ज (National debt) पिछले दो दशकों से इसके सकल घरेलू उत्पाद (gross development product) के 100% से भी ऊपर बना हुआ है। यह इस वर्ष यानी सन् 2024 में 255% तक पहुंच गया है। दोस्तों, यह तो हम आपको पूर्व में भी बता चुके हैं कि यह हाई रिस्क (High risk) की श्रेणी में रखा गया है।
क्या भारत द्वारा भी अन्य देशों की आर्थिक सहायता की जाती है? (Do India too provide economic help to other countries?)
दोस्तों, आपको बता दें कि भारत केवल विदेशों से ऋण ही प्राप्त नहीं करता, बल्कि इसके द्वारा बड़ी मात्रा में पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है। यदि भारत के 2021-22 के बजट पर गौर किया जाए तो भारत द्वारा ₹18,154 करोड़ (US$2.3 बिलियन) की प्रत्यक्ष विदेशी सहायता (direct foreign assistance) की गई थी।
इस सहायता के अतिरिक्त, भारत द्वारा कई बाहरी देशों को विकास आधारित परियोजनाओं (development based projects) के लिए 30.66 बिलियन डॉलर (billion dollars) की सीधा ऋण (direct loan) भी मुहैया कराया गया। दोस्तों, आपको बता दे कि भारत द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर देशों को ऋण मुहैया कराया जाता है।
किसी भी देश की सरकार कर्ज क्यों लेती है?
सरकार आमदनी कम और खर्च अधिक होने की स्थिति में अपना घाटा पूरा करने के लिए कर्ज लेती है।
भारत द्वारा किस से कर्ज लिया जाता है?
भारत द्वारा देश में ही बॉण्ड बेचकर या फिर विदेशों से कर्ज लिया जाता है। आईएमएफ और आईएडीए जैसी संस्थाएं भी देश को कर्ज मुहैया कराती हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था कैसी अर्थव्यवस्था है?
भारत की अर्थव्यवस्था घाटे की अर्थव्यवस्था है।
वर्तमान में हमारे देश भारत पर कितना कर्ज है?
हमारे देश भारत पर वर्तमान में कुल 205 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ है।
पिछले 10 साल में भारत के कर्ज में कितनी बढ़ोतरी हुई है?
पिछले 10 साल में भारत का कर्ज चार गुना हो गया है।
सन् 2014 में भारत के ऊपर कुल कितना कर्ज था?
सन् 2014 में भारत के ऊपर कुल 54 लाख करोड रुपए का कर्ज था।
कर्ज के मामले में कौन सा देश टॉप पर है?
कर्ज के मामले में पहले स्थान पर जापान है।
क्या दुनिया में ऐसे देश भी है जिन पर कोई कर्ज नहीं है?
जी हां, कुवैत, ब्रुनेई जैसे कई देश हैं, जिन पर कोई कर्ज नहीं है।
किसी देश की आर्थिक सेहत जांचने का पैमाना क्या है?
किसी देश पर उसकी जीडीपी के मुकाबले कितना कर्ज है? इसी अनुपात के जरिए उसकी आर्थिक सेहत जांची जाती है।
यदि किसी देश पर उसकी जीडीपी के अनुपात में 100 प्रतिशत कर्ज है तो वह किस श्रेणी में होगा?
वह हाई रिस्क की कैटेगरी में होगा।
भारत द्वारा लिए गए कर्ज का अधिकांश हिस्सा कहां खर्च हो रहा है?
भारत द्वारा लिए गए कर्ज का अधिकांश हिस्सा कर्ज का ब्याज चुकाने में ही खर्च हो रहा है। इसके अतिरिक्त उसके द्वारा कर्ज की राशि विभिन्न सब्सिडी योजनाओं एवं विकासोन्मुख परियोजनाओं में में लगाई जाती है।
क्या भारत द्वारा भी अन्य देशों को कर्ज दिया जाता है?
जी हां, भारत द्वारा भी अन्य देशों को कर्ज मुहैया कराया जाता है।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको बताया कि भारत पर कितने लाख करोड़ का कर्ज है। उम्मीद है कि इस आर्टिकल से अर्थव्यवस्था के संबंध में आपकी जानकारी में बढ़ोतरी हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार की पोस्ट हमसे चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।