कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने की ऑनलाइन प्रक्रिया | बच्चा गोद लेना है कहाँ मिलेगा?

कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने की ऑनलाइन प्रक्रिया – ईश्वर ने संसार में ऐसी  अनुपम रचना बनाई है, जिसके तहत हमारा मन अभिभूत हो जाता है। इन संरचना में एक है बच्चे। बच्चे का नाम लेते ही मन खुश हो उठता है। कहा जाता है कि बच्चे का घर में होना एक सुकून का एहसास दिलाता है। बच्चे हमारे जीवन को पूर्ण बनाते हैं और खुशी का माहौल बना देते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि जाने-अनजाने बच्चे को भी परेशानी उठानी पड़ती है कुछ बच्चों को माता पिता का प्यार नहीं मिल पाता। किसी कारणवश माता-पिता उसको छोड़ देते हैं, जो अनुचित कहा जा सकता है । कई बार किस्मत के फेरे ऐसे होते हैं कि मासूम जिंदगी अकेले रह जाती है।

ऐसे में यदि दंपत्ति को बच्चा नहीं होता या किसी कारणवश अपने बच्चे को खो देते हैं, तो कानूनी रूप से बच्चा गोद लेना अच्छा विकल्प हो सकता है। कभी-कभी समाज के ठेकेदारों को बच्चे गोद लेना सही कदम नहीं लगता। इसका एक सकारात्मक पहलू यह है कि बच्चे गोद लेने से परिवार में खुशियां वापस आ  जाती हैं और बच्चे को एक नया परिवार मिल जाता है।

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एक बच्चे को कब गोद लिया जा सकता है? When can a child be adopted?

किसी छोटे बच्चे को नया जीवन देना बहुत ही पुण्य का काम होता है। बच्चे को नई जिंदगी और नया परिवार देने  जैसे कार्य की कोई और तुलना नहीं हो सकती। एक बच्चे को कुछ शर्त के अंतर्गत गोद लिया जा सकता है

  • एक ऐसा बच्चा जो अनाथ हो या फिर इसे कानूनी रूप से गोद लेने के लिए कल्याण समिति ने मुक्त घोषित किया हो।
  • यदि बच्चा किसी रिश्तेदार का हो। इसका मतलब यदि बच्चा माता या पिता के परिवार से हो।
  • ऐसे बच्चे को भी गोद लिया जा सकता है जिन्हें अपने माता-पिता द्वारा छोड़ा गया हो या फिर जिन बच्चों को जैविक माता-पिता, सौतेले माता-पिता या दूसरी शादी पर छोड़ दिया गया हो।
  • बच्चा गोद लेने के लिए खुद की पात्रता भी अनिवार्य होती है। बिना पात्र के बच्चा लेना वर्जित माना गया है।

बच्चा गोद लेने की आवश्यक शर्तें – Prerequisites for child adoption

  • भारत से बच्चा गोद लेने की कानूनी रूप से आवश्यक शर्ते हैं। जिनके तहत रहकर भी बच्चा गोद लिया जा सकता है।
  • गोद लेने वाले माता-पिता का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिरता हो।
  • गोद लेने से पहले शादीशुदा जोड़े के लिए जरूरी है कि उनकी शादी के कम से कम 2 साल हो चुके हो।
  • आपको गोद लेने से पहले अपने रिश्तेदार या माता-पिता की रजामंदी आवश्यक हो जाती है। यदि सिंगल लोग भी चाहे  तो बच्चे गोद ले सकते हैं ।
  • गोद लेने के लिए  धर्म, जाति, भाषा मायने नहीं रखती है। अगर गोद लेना ही है, तो इन सब बातों को ध्यान रखकर आगे बढ़ना जरूरी है।
  • गोद लेने वाले माता-पिता गैर भारतीय भी हो सकते हैं। जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट 2015 के तहत गैर भारतीय या विदेशी होने पर भी वह बच्चे को गोद लेने के पात्र होते हैं।
  • बच्चे बच्चे को गोद लेने के लिए उम्र भी मायने रखती है। छोटी सी उम्र में गोद लेना मान्य नहीं है। इसके हिसाब से अगर बच्चे की उम्र 5 वर्ष हो, तो माता पिता की उम्र का जोड़ 90 से ऊपर होना चाहिए।
  • बच्चे को गोद लेने वाले माता पिता की उम्र में कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना चाहिए तभी वह दंपत्ति गोद लेने के मान्य होगा।
  • यदि दंपत्ति की उम्र बहुत ज्यादा हो रही हो, तो ऐसे में छोटे बच्चे की बजाय बड़े उम्र का बच्चा गोद लेना सही होता है। कम से कम 15 वर्ष की उम्र तक गोद लिया जा सकता है

बच्चे को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया – Legal process of child adoption

बच्चा गोद लेना पुण्य कार्यों में से एक है। भारतीय कानून के हिसाब से दो ऐसे एक्ट हैं जिसके माध्यम से बच्चा गोद लिया जा सकता है –

1) हिंदू एडॉप्शन मेंटेनेंस (1956) Hindu Adoption Maintenance – HAMA

यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह एक्ट हिंदू परिवारों के लिए होता है। इस एक्ट के हिसाब से एक हिंदू माता-पिता अपने बच्चे को दूसरे हिंदू माता-पिता को गोद दे सकते हैं। यदि किसी कारणवश बच्चे के माता या पिता की मृत्यु हो जाती है तो वह घर परिवार छोड़ना चाहते हैं। उस समय यह एक्ट  महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कभी-कभी होता है कि बच्चे के माता पिता मानसिक रूप से अस्वस्थ हो या बच्चे को छोड़ चुके हो। ऐसी स्थिति में भी इस एक्ट को माना जाता है और न्यायालय से अनुमति ली जाती है। इस एक्ट के हिसाब से कम से कम 15 वर्ष तक के बच्चे को गोद लिया जा सकता है।

2) जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रन एक्ट) 2015

यह एक प्रकार का धर्मनिरपेक्ष अधिनियम है। इसके अनुसार कोई भी दंपत्ति या कोई अकेला व्यक्ति भी बच्चा गोद दे सकता है। कोई विदेशी भी भारतीय बच्चे को गोद लेने की इच्छा जताए, तो इसी एक्ट के तहत बच्चा गोद दिया जा सकता है। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर बच्चा गोद लिया जा सकता है

बच्चा गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज – Documents required for child adoption

बच्चे को गोद लेना आसान नहीं होता है। इसके लिए दस्तावेज के साथ आपकी पहचान को भी प्रमाणित किया जाता है। कुछ दस्तावेजों के माध्यम से गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है

  • गोद लेने वाले माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र
  • शादी का प्रमाण पत्र
  • आय का प्रमाण पत्र
  • पहचान प्रमाण पत्र जिसमें मतदाता कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आते हैं
  • निवास प्रमाण पत्र
  • माता-पिता की फिटनेस प्रमाण पत्र
  • ऐसे दो व्यक्तियों द्वारा सिफारिश पत्र, जो रिश्तेदारों ना होते हुए भी परिवार को अच्छे से जानते हो
  • अगर तलाकशुदा है, तो पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा जारी तलाक का प्रमाण पत्र
  • यदि गोद लेने वाले  सिंगल पैरंट हो और कोई दुर्घटना से ग्रसित हो जाए, ऐसे में बच्चे की देखभाल करने के लिए एक रिश्तेदार की सहमति

बच्चा गोद लेने में आने वाला खर्च – Child adoption costs

बच्चे को गोद लेते समय गोद लेने वाले माता-पिता को शुल्क भी देना होता है। 2017 के दत्तक ग्रहण विनिमय के अनुसार एडॉप्शन कंपनी को दिया जाने वाला शुल्क

  1. होम स्टडी रिपोर्ट के लिए ₹6000 शुल्क
  2. चाइल्ड केयर कार्पस को ₹40000 फीस
  3. बच्चा गोद लेने के बाद  प्रत्येक फॉलोअप विजिट  के लिए ₹2000 शुल्क, यह विजिट 2 साल में 4 बार होती है।

कानूनी रूप से बच्चा गोद लेने का आवेदन कैसे करें? How to apply child adoption legally?

किसी भी दंपत्ति को बच्चा गोद लेने से पहले सारी प्रक्रिया जान लेना अति आवश्यक होता है। इसके चलते ही कोई भी दंपत्ति सही तरीके से बच्चे की देखभाल कर सकते हैं। कानूनी रूप से बच्चा लेने के लिए आवेदन ऑनलाइन किया जा सकता है।

  1. बच्चा गोद लेने के लिए भारत सरकार की सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी, जो के केंद्रीय संस्था है। यह संस्था सरकारी गाइडलाइन के अंतर्गत रहकर बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को पूर्ण करती है।
  2. इससे पहले वेबसाइट http://cara.nic.in/ पर जाकर गोद लेने की इच्छा के लिए आवेदन  किया जा सकता है।

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  1. रजिस्ट्रेशन सही तरीके से हो इसके लिए वेबसाइट पर आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने होंगे। उसके बाद सारी प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है।
  2. इस बात का ध्यान रखना जरूरी है की आवेदन करने के बाद आपको थोड़ा समय देने की आवश्यकता होती है
  3. अपनी पसंद के बच्चे की उपलब्धता पर निर्भर करता है कि आपको पता मिलने में कितना समय लगेगा।

होम स्टडी रिपोर्ट क्या होती है? What is a Home Study Report?

किसी भी बच्चे को गोद देने के पहले संस्था द्वारा होम स्टडी रिपोर्ट तैयार की जाती है। जिसे आवेदन करने के बाद किया बनाया जाता है। जो माता-पिता बच्चा गोद लेना चाहते हैं उन्हें सामाजिक, आर्थिक हैसियत, घर का विवरण, घर का वातावरण और स्थिति का विवरण देना अनिवार्य है। होम स्टडी रिपोर्ट में सारी बातों के बारे में जानकारी ली जाती है।

इस स्टडी में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा घर का दौरा किया जाता है। जहां पर सारी बातों पर ध्यान देकर रिपोर्ट तैयार होती है। रिपोर्ट पूरी हो जाती है, तो एक बार माता-पिता को भी दिखाया जाता है यह रिपोर्ट कम से कम 3 साल तक के लिए मान्य होती है।

कुछ बातों का ध्यान रखें वरना हो सकती है परेशानी

बच्चा गोद लेने के लिए कुछ नियम और शर्ते बनाई गई है, जिनके नियम के अंतर्गत ही किसी भी बच्चे को गोद लिया जा सकता है। गोद लेने के लिए हिंदू कानून अलग होता है। कानून में कुछ संशोधन कर दिए गए हैं। यदि पर्याप्त शर्तों को सही तरीके से नहीं माना गया, तो गोद लेना अवैध भी हो सकता है।

2015 में कानून में कुछ संशोधन किए गए जिसके अंतर्गत यह देखा गया कि गोद लेने वाले माता-पिता सारे शर्तों को मानते हो और सही तरीके से रिपोर्ट तैयार की गई हो। इस मामले में माता-पिता को पूरा सहयोग देना अनिवार्य है।

किसी खास बच्चे का चुनाव नही कर सकते –

बच्चे को लेते समय आवश्यक शर्तों के साथ ही नियमों का पालन करना भी जरूरी है। जब भी बच्चा गोद लिया जाता है, तो किसी खास बच्चे के बारे में नहीं पूछा जा सकता है, यह सही नहीं है। जब भी आवेदन किया जाता है, तो फॉर्म में लिंग, धर्म बताया जाता है लेकिन रंग,शक्ल आदि को नहीं बताया जा सकता है।

जिस प्रकार की जानकारी अपने फॉर्म में भरा हो, उसी हिसाब से आपको भी दिखाया जाता है। सारे बच्चे मिट्टी के घड़े जैसे हैं आप जैसे उन पर अपनी छाप छोड़ेंगे, वह वैसे ही बनते चले जाएंगे,तो बच्चे के पालन पोषण को ही प्राथमिकता दें।

भारत में विशेष बच्चों को गोद लेने के नियम – Rules for Adoption of Special Children in India

जब भी बच्चे को गोद लेने की बात आती है, तो स्वस्थ बच्चे को ही गोद लिया जाता है। भारत में लगभग 60% बच्चे ऐसे हैं, जो विशेष आवश्यक वाली श्रेणी में होते हैं और गोद लिए जाने के लिए प्रतीक्षारत होते हैं। माहौल में, लोगों की सोच में बदलाव देखा गया है, जहां लोग ऐसे बच्चे को गोद लेना चाहते हैं और सही तरीके से पालन पोषण भी करते हैं

  • अगर बच्चा गोद लेते समय किसी कारणवश बिना बताए दिव्यांग बच्चे को गोद दे दिया जाए तो, केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • विशेष श्रेणी के बच्चों को गोद लेते समय फॉर्म में स्वास्थ्य विकल्प में सटीक रूप से चयन करें।
  • ऐसे विशेष बच्चों के लिए कोई प्रतीक्षा अवधि नहीं होती क्योंकि ऐसे बच्चे ज्यादा लोग गोद नहीं लेते।
  • विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को अतिरिक्त सुविधा होती है ऐसे में यदि एक बार सामान्य स्वास्थ्य का चयन किया गया हो, तो पूरी सूची देख सकते हैं। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए माता-पिता अपनी पसंद को बदल कर ऐसे बच्चे को गोद लेने में सक्षम हो सकते हैं।

बच्चा क्यों गोद लेते हैं? Why adopt a child?

आधुनिक जीवन शैली और लोगों की बदलती सोच के मद्देनजर लोगों की पसंद बदल रही है। अपने अधूरे परिवार को पूरा करने के लिए गोद लेना अच्छा विकल्प है। ज्यादातर ऐसा देखा जाता है कि स्त्री  को मातृत्व सुख नहीं मिलने के कारण बच्चा गोद लिया जाता है पर कई बार ऐसा भी होता है कि परिवार में एक बच्चा होने के बाद भी दूसरा बच्चा गोद लिया जाता है।

सिंगल पैरंट होने पर बच्चे गोद लेने की इच्छा जताई जाती है। लोग शादी तो नहीं करते पर बच्चे की चाहत में गोद लेना उचित समझते हैं, जो सराहनीय कदम माना जा सकता है।

बच्चे के कानूनी हक – Legal rights of child

  • बच्चे के गोद देने पर बच्चे के नाम पर हुई प्रॉपर्टी भी बच्चे के साथ चली जाती है।
  • यदि बच्चे के नाम पर कोई प्रॉपर्टी ना हो, तो ऐसे में गोद लेने वाले के यहां से कानूनी हक पूरे खत्म हो जाते हैं।
  • जिस माता-पिता ने बच्चे को गोद लिया, उनके
  • कानूनी रूप से सारे हक व संपत्ति भी बच्चे को मिल जाती है ।
  • बच्चे को सारे अधिकार मिलते हैं, जो एक सामान्य बच्चे को दिया जाता है।

हर महिला को मां बनने का हक है। एक बच्चे से मां का जीवन संवर जाता है। जीवन में आने वाली परेशानी, दिक्कत कुछ कम होने लगती है। कभी-कभी कुछ महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं। यदि  बच्चे की चाहत है, तो एक बच्चा गोद लेकर भी मातृत्व सुख लिया जा सकता है। सरकार के कुछ नियमों का पालन करके अपने घर परिवार को ख़ुशी दिया जा सकता है । ऐसे में निराश और हताश होने की नहीं बल्कि धैर्य रखने की आवश्यकता है। बच्चा गोद लेने जैसे पुण्य का कार्य करके आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।

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  1. मैडम मेरा नाम सोनिया गोयल है मेरे बच्चे नहीं हैं मेरे जुड़वाँ बच्चे हैं अब नहीं हैं मैं बच्चा भगवान लेना चाहती हूँ मेरा पति का नाम दीपक गोयल है हम बच्चा बच्चा लेना चाहते हैं हम

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  2. मैडम मेरा नाम सोनिया गोयल है मेरे बच्चे नहीं हैं मेरे जुड़वाँ बच्चे हैं अब नहीं हैं मैं बच्चा भगवान लेना चाहती हूँ मेरा पति का नाम दीपक गोयल है हम बच्चा बच्चा लेना चाहते हैं हम

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