|| चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें? | How to do registration for char dham Yatra? | चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन के लिए आपको कौन-कौन सी जानकारी देनी होगी? | चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन को आवश्यक दस्तावेज कौन-कौन से हैं? ||
दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बनी चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है। यात्रा की शुरुआत में ही लगातार बारिश और बर्फबारी के बावजूद यात्रियों का चार धाम पहुंचने का सिलसिला जारी है। यात्रा को लेकर यात्रियों का उत्साह बरकरार है। यदि कोई व्यक्ति चार धाम यात्रा पर आना चाहता है तो उसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। यदि आप भी यह यात्रा करना चाहते हैं नहीं जानते कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया क्या है तो चिंता न करें। आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि आप चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करा सकते हैं? आइए शुरू करते हैं-
चार धाम यात्रा कहां संचालित की जाती है? (Where the char dham Yatra is operated?)
चार धाम यात्रा का संचालन उत्तराखंड राज्य (uttarakhand state) में किया जाता है। जहां गंगोत्री (Gangotri), यमुनोत्री (yamunotri), बद्रीनाथ (badrinath), एवं केदारनाथ (kedarnath) चार धाम स्थित है जहां दर्शनों के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
केदारनाथ (kedarnath) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग (rudraprayag) जिले में, जबकि बद्रीनाथ धाम राज्य के चमोली (chamoli) जिले में स्थित है। वहीं, गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी (uttarkashi) जिले में स्थित है। केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल, 2024 को, बद्रीनाथ के कपाट 27, अप्रैल 2024 को खुले हैं। वहीं, गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट इससे पहले 22 अप्रैल, 2024 को खुल चुके हैं।
चार धामों का इतिहास क्या है? (What is the history of char dham)
मित्रों से पहले कि हम आपको चार धाम यात्रा की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के संबंध में जानकारी दें आइए पहले जान लेते हैं कि उत्तराखंड में स्थित दुनियाभर के श्रद्धालुओं के खेल पर चार धामों का क्या इतिहास है-
गंगोत्री (Gangotri) :
दोस्तों सबसे पहले गंगोत्री के बारे में बात करते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह तीर्थ स्थल मां गंगा से संबंधित है। पुराणों के अनुसार माना जाता है कि मां गंगा ने इसी स्थान पर धरती को स्पर्श किया था। भगवान शिव इसी स्थान पर अपनी जटाओं को फैला कर बैठ गए थे गंगा के विकराल रूप से पृथ्वी की रक्षा के लिए उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया था।
यह भी कहा जाता है कि भगवान राम के पूर्वज एवं रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां एक शिलाखंड पर बैठकर भगवान शिव की तपस्या की थी। यह भी माना जाता है कि पांडवो ने महाभारत के युद्ध में मारे गए अपने परिजनो की आत्मिक शांति के लिए यहां देव यज्ञ का अनुष्ठान किया था। इस शिलाखंड के नजदीक ही देवदार व चीड़ के पेड़ों के बीच गंगा नदी किनारे 18वीं सदी में गोरखा जनरल अमर सिंह थापा द्वारा गंगोत्री मंदिर का निर्माण कराया गया था।
यमुनोत्री (yamunotri) :
दोस्तों, कहते हैं कि यमुना किनारे असित मुनि का निवास था। वर्तमान यमुनोत्री मंदिर जयपुर की महारानी गुलेरिया द्वारा 19वीं सदी में बनवाया गया था। यमुनोत्री मंदिर का एक हिस्सा भूकंप से ध्वंस होने के पश्चात एक बार इसका पुर्ननिर्माण भी कराया गया। इसका श्रेय टिहरी के राजा प्रताप शाह को जाता है। वर्तमान यमुनोत्री मंदिर यमुनोत्री ग्लेशियर से करीब 5 मील नीचे दो तेज जलधाराओं के बीच एक कठोर चट्टान पर स्थित है। यहां एक तप्त जल कुंड भी है।
केदारनाथ (Kedarnath) :
मित्रों, चारों धामों में सबसे अधिक यात्री केदारनाथ धाम के लिए जाते हैं। इस तीर्थ स्थल को लेकर कई प्रकार की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि पांडवों के वंशज राजा जन्मेजय द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था, जिसका आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य द्वारा पुनरुद्धार किया गया। कुछ लोग इसे राजा भोज का बनाया भी मानते हैं। वहीं, महाघुमक्कड़ पंडित राहुल सांकृत्यायन के अनुसार यह मंदिर 12 वीं सदी के आस-पास का है। यहां भगवान शिव के कूबड़ रूप की पूजा होती है।
दरअसल, एक कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध के पश्चात अपने परिजनों की हत्या के दोष से मुक्त होने के लिए पांडव भगवान शिव के दर्शन चाहते थे, लेकिन भगवान शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे। वे उनसे बचने के लिए रूप बदल रहे थे। ऐसे में वे बैल का रूप धारण कर भ्रमण कर रहे थे। लेकिन भीम ने उन्हें पहचान लिया और पकड़ने की कोशिश की।
लेकिन वे धरती में समा गए, उनका केवल पूंछ का हिस्सा ही भीम के हाथ में आया। कहते हैं कि कूबड़ धरा के ऊपर रह गया। जो केदारनाथ में स्थित है। उनकी भुजाएं जहां निकली वह स्थान तुंगनाथ (tungnath) कहलाता है। रुद्रनाथ (rudranath) में उनके मुख के दर्शन होते हैं। मद्महेश्वर (madmaheshwar) में उनकी नाभि, जबकि कल्पेश्वर (kalpeshwar) में भगवान शिव की जटाओं के दर्शन होते हैं। यही पंच केदार भी कहलाते हैं।
बद्रीनाथ (badrinath) :
यह एक प्रमुख तीर्थ है। यहां भगवान विष्णु के ही एक रूप बद्रीनारायण को पूजा जाता है। मंदिर के भीतर उनकी करीब एक मीटर की शालिग्राम से बनी मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य द्वारा इस मूर्ति को ८वीं सदी में नारद कुंड से निकालकर यहां स्थापित किया गया था। कई प्राचीन ग्रंथों एवं पुराणों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। दोस्तों एक विशेष बात आपको यह भी बता दें कि पांडवों द्वारा सर्वप्रथम यमुनोत्री जाकर उसके पश्चात गंगोत्री, केदारनाथ एवं बद्रीनाथ की यात्रा की गई थी। इसी क्रम में आज भी यात्रा को माने जाने की परंपरा है।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें? (How to do registration for chardham Yatra?)
मित्रों आपको जानकारी दे दे कि यदि आप चार धाम यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग (uttarakhand tourism department) की आधिकारिक वेबसाइट (official website) https:// registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर ऑनलाइन पंजीकरण (online registration) कराना होगा। आनलाइन रजिस्ट्रेशन (online registration) की प्रक्रिया (process) बेहद आसान है जो कि इस प्रकार से पूरी की जा सकती है-
- -सबसे पहले उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट के रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए लिंक https:// registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर क्लिक करें।
- अब आपके सामने वेबसाइट का होम पेज खुल जाएगा।
- यहां राइट साइड (right side) में टॉप (top) पर आपको register/login का आप्शन दिखेगा।
- यदि आप पहले से रजिस्टर्ड है तो लॉगिन (login) के आप्शन पर क्लिक करें।
- अब आपके सामने एक फॉर्म खुल जाएगा। इसमें आप अपना मोबाइल फोन नंबर (mobile phone number), पासवर्ड (password) एवं कैप्चा कोड (captcha code) जैसे डिटेल (details) भर के sign-in कर लें।
- इसके पश्चात आपको फार्म में पूछी गई यात्रा संबंधी सारी जानकारी एवं व्यक्तिगत विवरण (personal details) भरकर आवश्यक डॉक्यूमेंट अपलोड (documents upload) करने होंगे।
- इस प्रकार चार धाम यात्रा का आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो जाएगा।
- संबंधित डिटेल्स आपके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए भेज दी जाएगी। जब आप यात्रा पर जाएंगे तो आपकी डिटेल चेक (details check) कर आपको आगे के लिए रवाना कर दिया जाएगा।
यदि आप रजिस्टर्ड यूजर नहीं हैं तो साइन अप कैसे करें? (How to sign-up if you are not a registered user?)
दोस्तों यदि आप रजिस्टर्ड यूजर नहीं है तो भी चिंता ना करें हम आपको बताएंगे कि आप साइन अप कैसे करेंगे इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है-
- सबसे पहले आपको उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर जाना होगा।
- अब होम पेज के दाएं कोने पर आपको register/login में से register के आप्शन पर क्लिक करना होगा।
- अब आपके सामने एक फॉर्म खुल जाएगा।
- यहां आपको अपना नाम और मोबाइल नंबर डालकर पासवर्ड क्रिएट करना होगा। याद रखें कि यह मोबाइल न्यूनतम 6 कैरेक्टर का होना चाहिए और इसमें अल्फाबेट्स (alphabet) और न्यूमैरिक (numeric) का अच्छा संगम हो।
- अब आपका मोबाइल नंबर वेरीफाई (verify) करने के लिए आपके मैसेज बॉक्स में एक ओटीपी (OTP) आएगा।
- मोबाइल नंबर वेरीफाई होने के बाद आप साइन-अप की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और आपके सामने डैशबोर्ड (dashboard) खुल जाएगा।
- अब आपको अपना नाम, पासवर्ड व कैप्चा कोड दर्ज करके login करना होगा।
- इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म आपके सामने होगा, जिसमें सारी जानकारी भरकर मांगे गए डाक्यूमेंट्स अपलोड करके आप रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।
चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन के लिए आपको कौन-कौन सी जानकारी देनी होगी? (What details you need to provide to get registration for chardham Yatra?)
मित्रों, अब एक नजर उस जानकारी पर डाल लेते हैं, जो आपको चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म में देनी आवश्यक होगी। यह इस प्रकार से है-
- टूर का प्रकार (यहां आपको धार्मिक/चार धाम यात्रा में से चार धाम को चुनना होगा।)
- टूर की अवधि।
- यात्रियों की संख्या।
- यात्रा की तिथि।
- यात्री का नाम।
- यात्री की उम्र।
- यात्री का मोबाइल नंबर।
- यात्री की ईमेल आईडी।
- यात्री की आधार कार्ड संख्या। यात्री का देश (ड्राप डाउन मेनू से चुनना होगा)।
- यात्री का पता।
- यात्री का राज्य यह ड्राप डाउन मेनू से चुनना होगा।
- यात्री का इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर (याद रहे कि नंबर उस व्यक्ति का हो जो यात्री के साथ यात्रा पर न हो।)
- यात्रा का तरीका (यात्री पैदल है, वाहन में है या हवाई यात्रा कर रहा है)।
- यात्री की मेडिकल कंडीशन (जैसे- यात्री को यदि डायबिटीज, अस्थमा जैसी बीमारी हो तो उसका उल्लेख करें।)
- यात्री का कोविड-19 वैक्सीनेशन हुआ है अथवा नहीं।
- घोषणा पत्र (यात्री को यह घोषणा करनी होगी कि उसने फॉर में जो भी जानकारी भरी है वह पूरी तरह से सच है।)
क्या चार धाम यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है? (Can someone do offline registration for char dham Yatra?)
यह सवाल बहुत से चार धाम यात्रा करने की इच्छुक लोगों के मन में आता है कि क्या वे चार धाम यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन (offline registration) भी करा सकते हैं? तो दोस्तों बता दें कि जी हां, चार धाम यात्रा के ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराया जा सकता है।
इसके लिए गढ़वाल के प्रवेश द्वार ऋषिकेश (rishikesh) में काउंटर (counter) खोले गए हैं। चार धाम यात्रा के इच्छुक लोग आईएसबीटी (isbt) यानी अंतर राज्यीय बस अड्डे (inter state bus turminal) पर खोले गए इन काउंटरों (counters) पर जाकर अपना ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन (offline registration) करा सकते हैं।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन को आवश्यक दस्तावेज कौन-कौन से हैं? (What are the necessary documents to get registered for chardham Yatra?)
साथियों, चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने को आपको अपने आवेदन पत्र के साथ कोई दस्तावेज आवश्यक रूप से लगाने होंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-
- यात्री का आधार कार्ड।
- यात्री आईडी प्रूफ।
- यात्री के पते का प्रमाण।
- यात्री का पासपोर्ट साइज फोटो।
- यात्री का मोबाइल नंबर।
- यात्री की ईमेल आईडी (यह एक्टिव होनी चाहिए।)
क्या चार धाम यात्रा के लिए यात्रियों को ई-पास लेना आवश्यक होगा? (Is it necessary to get e-pass 4 char dham Yatra?)
साथियों, बता दें कि सरकार द्वारा अब यात्रा ई-पास सिस्टम (e-pass system) को बंद कर दिया गया है। सभी यात्री बिना यात्रा ई-पास के सिर्फ पंजीकरण कराकर चार धाम यात्रा कर सकते हैं। इसकी प्रक्रिया बेहद आसान है, जिसकी जानकारी हमने आपको स्टेप-बाय-स्टेप (step-by-step) ऊपर पोस्ट में दी है। दोस्तों, आपको बता दें कि यद्यपि केदारनाथ धाम के लिए कुछ समय के लिए रजिस्ट्रेशन बंद किए गए हैं। लेकिन तीन धामों यमुनोत्री, गंगोत्री एवं बद्रीनाथ धाम के लिए यात्री अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
क्या उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों को भी चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण कराने की आवश्यकता है? (Will the local residents of Uttarakhand also need to register for char dham Yatra?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों को उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन (registration) कराने की आवश्यकता नहीं है। वे बिना किसी ई-पास (e-pass) या पंजीकरण (registration) के यात्रा कर सकते हैं। चार धाम यात्रा पंजीकरण (char dham Yatra registration) केवल उत्तराखंड के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक होगा।
वर्तमान में किस धाम के लिए सर्वाधिक रजिस्ट्रेशन होते हैं? (Which dham has more registration than others?)
यदि चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन की बात करें और यह पता लगाएं कि किस धाम के लिए सर्वाधिक रजिस्ट्रेशन होते हैं? तो वह केदारनाथ धाम है। आज से करीब 10 वर्ष पूर्व सन् 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी। इसके बाद से वहां यात्रियों/श्रद्धालुओं के आवागमन की संख्या बहुत अधिक बढ़ी है। तभी से यह ट्रेंड लगातार चला आ रहा है।
चार धाम यात्रा किस राज्य में संचालित होती है?
चार धाम यात्रा उत्तराखंड राज्य में संचालित होती है।
चार धामों में कौन-कौन से धार्मिक स्थल शुमार हैं?
चार धाम में गंगोत्री, यमुनोत्री केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम शुमार हैं।
क्या चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है?
जी हां, चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है।
क्या उत्तराखंड के स्थानीय लोग बिना किसी रजिस्ट्रेशन के यात्रा कर सकते हैं?
जी हां, स्थानीय लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन को कौन कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं?
इन दस्तावेजों की पूरी सूची हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताई है। आप वहां से देख सकते हैं।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराने को किस वेबसाइट पर जाना होगा?
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन को उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट के लिंक https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर क्लिक करना होगा।
चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन को कौन कौन से दस्तावेज लगाने होंगे?
चार धाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन को आवेदक का आधार कार्ड, आवेदक का आईडी प्रूफ, आवेदक का पते का प्रमाण पत्र आदि लगाना होगा।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि चार धाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन कैसे करें? यदि आप चार धाम यात्रा जाना चाहते हैं तो निश्चित रूप से यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट को लेकर आपका कोई सलाह अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।