|| नकली जीएसटी बिल की पहचान कैसे करें? इसकी शिकायत कहां करें? | How to identify fake GST bill? Where to register complaint against it? | नकली जीएसटी बिल की शिकायत कहां की जा सकती है? | जीएसटीआईएन में पहले दो डिजिट किसके परिचायक होते हैं? ||
जीएसटी का मतलब तो हम सभी समझते हैं -गुड्स एंड सर्विस टैक्स (goods and service tax) यानी माल एवं सेवा कर। हमारे देश में एक जुलाई, 2017 से दुनिया के दूसरे 140 देशों की तर्ज पर एक देश -एक टैक्स (one nation- one tax) सिस्टम लागू है। भारत में ग्राहकों के साथ दिक्कत यह है कि या तो वह जीएसटी बिल लेना पसंद नहीं करते या फिर कई बार विक्रेता अथवा सप्लायरों द्वारा उन्हें नकली/फर्जी बिल पकड़ा दिया जाता है।
पिछले कुछ समय से इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। आखिर नकली जीएसटी बिल की पहचान कैसे करें? इसकी शिकायत कहां करें? आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध की जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
ग्राहकों को नकली जीएसटी बिल क्यों दिया जाता है? (Why consumers are given fake GST Bills?)
दोस्तों, यह हम सब जानते हैं कि जीएसटी के अंतर्गत रजिस्टर हर व्यापारी / सप्लायर को एक इनवॉइस (invoice) इश्यू करना होता है। इस इन्वॉइस में एक जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर (GSTIN) दर्ज होता है। IGST, CGST एवं SGST का सारा ब्योरा दर्ज होता है। कई बार घोटालेबाज (scammer) फर्जी जीएसटी बिल के माध्यम से फर्जीवाड़ा करते हैं।
दोस्तों, ग्राहकों को जीएसटी का नकली/फर्जी बिल बनाकर फर्जीवाड़ा करने के पीछे सप्लायर/विक्रेता का सबसे बड़ा उद्देश्य जीएसटी की चोरी करना होता है। यह तो आप जानते ही हैं कि वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति अथवा जीएसटी भुगतान के बिना भी नकली जीएसटी बिल तैयार किया जाता है।
ऐसे में जीएसटी चोरी के अलावा आयकर क्रेडिट (income tax credit) को नकदी (cash) में तब्दील करने, फर्जी खरीदारी बुक करने एवं मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) के लिए भी नकली जीएसटी बिल तैयार किए जा सकते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि पिछले कुछ समय से नकली जीएसटी बिल दिए जाने की घटनाएं खूब सामने आई हैं। ये ग्राहकों, छोटे व्यापारियों एवं इन्कम टैक्स टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों के लिए मुसीबत साबित होती हैं।
नकली जीएसटी बिल की पहचान कैसे करें? (How to identify fake GST bill?)
दोस्तों, आपको बता दें कि नकली बिल की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं। आप बिल पर लिखे invoice number, GSTIN एवं HSN/SAC कोड की मदद से बिल के असली या नकली होने की पहचान कर सकते हैं। पहचान के तरीके इस प्रकार से हैं-
- जीएसटी बिल पर लिखे 15 अंको के GSTIN को GST portal (www.gst.gov.in) पर चेक करें। इससे जीएसटी इन्वॉइस की प्रमाणिकता साबित हो जाएगी। इसके लिए आपको यह स्टेप्स लेने होंगे –
- सबसे पहले www.gst.gov.in पर जाएं।
- अब आपके सामने वेबसाइट (website) का होमपेज (homepage) खुल जाएगा।
- यहां आपको सर्च टैक्स पेयर (search tax payer) के ऑप्शन पर क्लिक कर अपना GSTIN दर्ज करना होगा।
- यदि ये नंबर सही है तो वेबसाइट पर आपकी सारी डिटेल्स सामने आ जाएंगी।
- जीएसटी बिलों की पहचान के एक और तरीका है। आप GSTIN के 15 डिजिट वाले नंबर के जरिए भी फर्जी जीएसटी बिल को पहचान सकते हैं। आपको बता दें कि GSTIN के पहले दो डिजिट स्टेट कोड (state code), अगले 10 डिजिट विक्रेता/सप्लायर्स (seller/supplier) का पैन नंबर (PAN Card number), 13वां डिजिट पैन कार्ड होल्डर की किसी विशेष राज्य में इकाइयों की संख्या होगी। यदि वह एक यूनिट संचालित करता है, तो 13वां अक्षर 1 होगा। 14वां डिजिट हमेशा Z लेटर होता है, वहीं, 15वां डिजिट जीएसटी अधिकारियों द्वारा आंतरिक जांच के लिए जारी संख्या होती है।
- सप्लायर/विक्रेता के नाम व पते का जीएसटी बिल से मिलान करें। इसमें अंतर बता देगा कि बिल नकली है कि नहीं।
- पता करें कि GST बिल पर लिखा invoice number किसी पुराने बिल (old bill) से तो कॉपी नहीं कर लिया गया है।
- चेक करें कि जीएसटी बिल (GST Bill) में कर राशि (tax amount) सहित सही चालान (challan) मूल्य दर्ज है अथवा नहीं।
जीएसटी के नकली बिल की शिकायत कहां की जा सकती है? (Where the complaint about fake bill can be done?)
दोस्तों, यदि आपको आपके द्वारा खरीदे गए सामान अथवा सेवा के लिए नकली बिल थमा दिया गया है तो आप इसकी शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए आप जीएसटी पोर्टल का सहारा ले सकते हैं। इसके जरिए शिकायत दर्ज करने के लिए आपको ये कदम उठाने होंगे –
- सबसे पहले www.gst.gov.in पर जाएं।
- यहां होमपेज पर आपको CBEC Mitra हेल्प डेस्क (help desk) का ऑप्शन दिखेगा। यह सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (CBEC) की हेल्प डेस्क है। आपको इस पर क्लिक करना होगा।
- अब आपके सामने ‘Raise Web Ticket’ का ऑप्शन आएगा। इस पर क्लिक कर दें।
- दिए गए बॉक्स में शिकायत दर्ज कर submit कर दें।
दोस्तों, यदि आप चाहें तो ईमेल आईडी cbecmitra.heldesk@icegate.gov.in पर ई-मेल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप सरकार के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल (official Twitter handle) @askGST_GoI एवं @FinMinIndia पर भी अपनी कंप्लेंट रजिस्टर कर सकते हैं।
किन कारोबारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है? (Which business has to to necessary GST registration?)
मित्रों, आइए अब जान लेते हैं कि किन कारोबारियों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है। दोस्तों कुछ ही समय पहले तक 20 लाख रुपए से अधिक टर्नओवर (turnover) वाले कारोबारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य था, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दी गई है।
दोस्तों, अब आप पूछेंगे कि क्या जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस देनी पड़ती है? तो आपको साफ कर दें कि जीएसटी में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (online Registration) की कोई फीस नहीं रखी गई है। जीएसटी पोर्टल (GST Portal) पर जाकर आप स्वयं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (online registration) की प्रक्रिया (process) को पूरा कर सकते हैं।
लेकिन हां, यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति या किसी प्रोफेशनल (Professional) के जरिए अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST registration) करवाते हैं तो वह निश्चित रूप से इसके लिए कुछ फीस चार्ज (fee charge) कर सकता है। दोस्तों, आपको बता दें कि यह फीस (fee) आम तौर पर एक हजार रुपए के आस-पास हो सकती है।
सरकार द्वारा नौकरी जीएसटी बिल बनाने वालों पर लगाम के लिए क्या-क्या कदम उठाया गया है? (What steps has been taken by the government to have a check on the makers of fake bill?)
दोस्तों, जैसा कि हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताया कि नकली जीएसटी बिलों से संबंधित शिकायतें दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं, ऐसे में इन पर लगाम लाने के लिए सरकार द्वारा भी कदम उठाया गया है। उसके द्वारा जीएसटी को पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (prevention of money laundering act) के दायरे में ला दिया गया है।
ऐसा होने से अब जीएसटी से जुड़े मामलों में सीधे प्रत्यावर्तन निदेशालय (enforcement directorate) यानी ईडी (ED) का दखल हो सकेगा। ईडी जीएसटी चोरी करने वालों के खिलाफ सीधे कार्रवाई कर सकेगी। इसके लिए जीएसटी नेटवर्क (GSTN) से संबंधित डाटा अब ईडी एवं एफआईयू (ED and FIU) संग भी साझा किया जाएगा।
दोस्तों, आइए अब आपको लगे हाथों थोड़ी जानकारी पीएमएलए (PMLA) पर भी दे दें। यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि इसकी फुल फॉर्म प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (prevention of money laundering act) है। यह कानून सन् 2005 में केंद्र में सत्तारूढ़ तत्कालीन कांग्रेस की मनमोहन सिंह द्वारा भ्रष्टाचार (corruption) पर लगाम लगाने के लिए लाया गया था।
इसका मुख्य उद्देश्य ब्लैक मनी (black money) यानी काले धन को व्हाइट करने के तरीकों पर लगाम कसना था। दोस्तों, आपको बता दें कि इस कानून के अंतर्गत ईडी (ED) द्वारा आरोपी को गिरफ्तार करके उसकी संपत्तियों (properties) को जब्त किया जा सकता है। इन मामलों में जांच के बाद ही कोर्ट (court) द्वारा कोई फैसला लिया जाता है।
जीएसटी के नकली बिल क्यों बनाए जाते हैं?
जीएसटी के नकली बिल मुख्य रूप से जीएसटी चोरी के लिए बनाए जाते हैं।
नकली जीएसटी बिलों की पहचान कैसे की जा सकती है?
इसके तरीके हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताए हैं। आप वहां से देख सकते हैं।
किन व्यापारियों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन आवश्यक है?
40 लाख से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।
आधिकारिक जीएसटी पोर्टल का एड्रेस क्या है?
आधिकारिक जीएसटी पोर्टल का एड्रेस www.gst.gov.in है।
नकली जीएसटी बिल की शिकायत कहां की जा सकती है?
नकली जीएसटी बिल की शिकायत CBEC Mitra हेल्प डेस्क पर की जा सकती है।
जीएसटी चोरी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कौन सा कदम उठाया गया है?
जीएसटी चोरी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाया गया है।
पीएमएलए की फुल फॉर्म क्या है?
पीएमएलए की फुल फॉर्म प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (prevention of money laundering act) है।
जीएसटीआईएन में पहले दो डिजिट किसके परिचायक होते हैं?
जीएसटीआईएन में पहले दो डिजिट संबंधित राज्य को इंगित करते हैं। जैसे-किसी विक्रेता अथवा सप्लायर की यूनिट उत्तराखंड में है तो ये दो डिजिट UK होंगे।
दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको जानकारी दी कि आप नकली जीएसटी बिल की पहचान कैसे कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं की पोस्ट में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई सवाल अथवा सुझाव है तो उसे आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें भेज सकते हैं। ।।धन्यवाद।।