किरायानामा फॉर्म इन हिंदी – भारत एक विशालकाय देश है। जहां पर विभिन्न धर्म, भाषा, जाति के लोग रहकर अपना जीवन यापन करते हैं।जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा राष्ट्र है। दिनोंदिन भारत की जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है,वैसे- वैसे आवश्यक सामानों की कमी नजर आने लगी है। जनसंख्या वृद्धि होने के कारण लोगों को मकान की समस्या होने लगी है।
जनसंख्या बढ़ने से एक प्रमुख समस्या मकान की हो रही है। लोगों के रहने में असुविधा होने और घर ना बना पाने की स्थिति देखी जा सकती है। कई परिवार ऐसे भी होते हैं, जो जिंदगी भर खुद के बनाए हुए घर में नहीं रह पाते।ऐसे लोगों के लिए एकमात्र व्यवस्था किराए के मकान से ही हो पाती है।
मकान इंसान की सबसे बुनियादी आवश्यकता है। जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए मकान बहुत आवश्यक है। ऐसे में किराए के मकान में रहना ही उचित समझा जाता है, जहां रहकर पालन-पोषण आसानी से किया जा सके।
जब मकान मालिक अपना घर किराए के लिए देता है, तो बहुत सी बातों को ध्यान देना पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किराएदार बिना किसी नियम कानून के ही घर में रहने लगता है और उसे अपनी ही पूंजी समझने लगता है। कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि मकान मालिक किराएदार से घर खाली करवा पाने में असफल होते हैं।ऐसे में किरायानामा का तरीका बहुत ही कारगर होता है जिससे मकान मालिक की मदद भी हो जाती है।
किरायानामा क्या है? What is a Rent Agreement?
आज के समय में किराया आमदनी का बहुत ही अच्छा साधन है, जहां खाली पड़ी किसी भी प्रॉपर्टी को किराए में लगाकर पैसे कमाए जा सकते हैं। आज के बदलते परिवेश को ध्यान में रखकर किरायानामा बनाना जरूरी हो जाता है। किरायानामा वह सरकारी दस्तावेज होता है, जो किसी प्रॉपर्टी को किराए से देने पर मकान मालिक और किराएदार के समझौते से तैयार किया जाता है। इसमें सारी शर्तें होती हैं, जिसके हिसाब से मकान मालिक को कोई भी तकलीफ ना हो।
इस किराए नामे पर किराएदार के दस्तखत लिए जाते हैं और यह समझा जाता है कि किराएदार को सारी शर्तें मंजूर है। किरायानामा अक्सर 11 महीनों के लिए बनाया जाता है। उसके बाद या तो किराएदार घर,दुकान छोड़कर चला जाता है या फिर किराए नामे की अवधि को बढ़ा दिया जाता है।
किरायानामा 11 माह के लिए ही क्यों बनाया जाता है? Why is Rent-Agreement made for 11 months only?
अक्सर यह देखा जाता है कि किसी भी दुकान या मकान का किरायानामा 11 महीने का ही बनाया जाता है। दरअसल पंजीयन अधिनियम के अनुसार यदि किरायानामा 11 महीने या ज्यादा दिनों के लिए बनवाया जाए, ऐसा किरायानामा रजिस्टर्ड कराना जरूरी होता है। कम दिनों का किरायानामा बनाने से पंजीयन नहीं करवाना पड़ेगा। यदि ज्यादा दिनों का किरायानामा बनवाया जाए तो पंजीकरण के साथ-साथ 2 वर्ष की राशि के बराबर संपत्ति के विक्रय पत्र स्टांप ड्यूटी अदा करनी होती है।यह एक लंबी प्रक्रिया हो जाती है।
किरायानामा के बाद भी कुछ जरूरी बातों का ख्याल जरूरी हो जाता है
1) पुलिस वेरीफिकेशन -मकान किराए पर देने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन होना भी अनिवार्य माना गया है। कानूनी रूप से भी इस प्रस्ताव को पारित किया गया है। ऐसा ना करने पर जुर्माना भी देना पड़ सकता हैै।
2) मकान का रखरखाव- मकान किराए पर देने के बाद भी समय-समय पर इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि घर का रखरखाव सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं?
3) टैक्स में छूट- अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैै, तो किरायानामा दिखाकर भी टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है। जो लोग बिना किरायानामा किए रहते हैं उन्हें छूट नहीं मिल पाती है।
4) गैस कनेक्शन- किरायानामा के बाद गैस कनेक्शन में भी मदद मिल जाती है। इसके लिए किरायानामा की कॉपी लगाकर आसानी से गैस कनेक्शन लिया जा सकता है।
आज के समय के हिसाब से ऐसे किराए नामे बनवाए जाते हैं।पूर्व में यह समझौता जुबानी तौर पर किया जाता था। ऐसे में कई बार धोखा भी हो जाता था और लोग बिना किराए दिए भी चले जाते थे।ऐसे में इस किरायानामा से चालाकी की गुंजाइश नहीं रहती है। भविष्य में किसी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए किराए नामे को आवश्यक कर दिया गया है। जिससे सुरक्षा की भावना बनी रहती है। अब घर या दुकान किराए पर लेने से किरायानामा को रजिस्टर करना आवश्यक होता है।
ऐसा कहा जाता है कि दुनिया के करीब 45% से ज्यादा लोग किराए के मकानों में रहती है। इससे संबंधित सरकार ने भी प्रकार की गाइडलाइन बनाए हैं, जो हितकर भी होती है। कई बार किराएदार अपने हिसाब से घर के अंदर में बदलाव, भुगतान करने में आनाकानी करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में किरायानामा फायदे का सौदा साबित हो जाता है।
अगर किराएदार किसी प्रकार की बेदखली करता है ऐसी स्थिति में कोर्ट में किराए नामे को दिखाकर इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है।कई मामलों में किराएदार बढ़ा हुआ किराया देने से मना करने लगते है,तब मकान मालिक मकान को खाली कराने को कह सकता है। किराए नामे का उल्लंघन करने पर किराएदार को नोटिस भेजा जा सकता है मकान मालिक अपने कर्तव्यों को सही तरीके से जानकारी होना भी अनिवार्य है।
रेंट एग्रीमेंट / किरायानामा बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज – Documents required to make a rent agreement –
रेंट एग्रीमेंट / किरायानामा बनाने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी –
- किराएदार मकान मालिक दोनों का आधार कार्ड की फोटो कॉपी एवं ओरिजिनल
- दो गवाह एवं गवाहों के आइडेंटी प्रूफ के रूप में आधार कार्ड की फोटो कापी एवं ओरिजिनल
- स्टांप पेपर
- किराएदार मकान मालिक का पासपोर्ट साइज फोटो
- मकान का किराया एवं सिक्योरिटी धनराशि
मकान मालिक द्वारा अपने किसी भी प्रॉपर्टी घर,दुकान आदि के लिए किरायानामा बनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। किरायानामा बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
- 1) अगर आप किरायानामा नोटरी से बनवाना चाहे तो,हमेशा ₹100 के स्टांप पेपर पर ही बनवाना चाहिए।जनरल एग्रीमेंट स्टैंप पेपर एक्ट के अनुसार यह आवश्यक माना गया है।
- 2) किरायानामा बनवाते समय पूरी जानकारी होना आवश्यक है।जैसे दिन, तारीख,समय आदि।
- 3) किरायानामा के समय आधार कार्ड होना भी जरूरी है।स्टांप पेपर पर किराएदार और मकान मालिक के हस्ताक्षर अनिवार्य है।
- 4) इस बात का ध्यान रखा जाए कि किरायानामा के समय दो गवाह आवश्यक रूप से मौजूद हैं।
- 5) किरायानामा के समय दोनों पक्षों का पता नाम साफ-साफ लिखा होना चाहिए। आधार कार्ड में लिखा पता भी उपलब्ध होना अनिवार्य है।
- 6) किरायानामा में इस बात का भी उल्लेख होना चाहिए कि किराया देर से लेने पर कितनी पेनल्टी देनी होगी?
- 7) किराएदार द्वारा दिया गया सिक्योरिटी मनी का भी उल्लेख होना अनिवार्य है।
- 8) मकान मालिक द्वारा किराएदार को जो भी जरूरी सुविधा दी जा रही हो उसका भी उल्लेख किरायानामा में होना आवश्यक है। जैसे– बिजली, पानी आदि।
- 9) घर छोड़े जाने की स्थिति में 1 महीने का लीगल नोटिस भी देना अनिवार्य होता है।
- 10) ज्यादातर मकान मालिक अपने किराए में प्रतिवर्ष 10% की बढ़ोतरी कर देते हैं। इस बात का उल्लेख किराए नामे में होना चाहिए।
इन सभी बातों का ध्यान रखकर किरायानामा बनवाना सही होता है। यदि भविष्य में कोई समस्या आए, तो आसानी से निपटारा भी हो जाता है।
किरायानामा फॉर्म इन हिंदी – House rent agreement format in hindi –
आप निम्न फॉर्मेट का उपयोग किरायानामा बनाये में उपयोग कर सकतें हैं –
इकरारनामा बाबत किराया/किरायानामा –
वार्षिक किराया रूपये में
स्टाम्प रूपये में
स्टाम्प क्रमांक दिनांक
स्टाम्प की संख्या
किरायानामा आज दिनांक ———————————– को श्री/श्रीमती —————————————-
पत्र/पत्री/धर्मपत्नी/विधवा——————– आय वर्ष ——————– निवासी —————-तहसील ————-
जिला —————– राज्य——————-। (प्रथम पक्ष/मालिक)
श्री/श्रीमती ——————- पुत्र/पत्री/धर्मपत्नी/विधवा—— आयु वर्ष —— निवासी ——तहसील —– जिला —— राज्य——————(द्धितीय पक्ष/ किरायेदार ) के बीच निष्पादित किया गया है/लिखा गया है।
जो कि प्रथम पक्ष अनुसूची मे दर्शाया गया है, एक मकान/प्लाट/फलेट/दुकान/फैक्टरी /उद्योगिक प्लाट/जिसका प्रथम पक्ष मालिक व काबिज है। जिस पर किसी प्रकार का कोई भार नहीं है। अनुसूची मे दर्शाई गई अचल संपति पर किसी प्रकार का कोई कर्जा, किसी बैंक या सरकारी अथवा गैर सरकारी संस्था से प्राप्त नही किया हुआ। संबंधित अचल संपति किसी नीलामी व कुर्की आदि मे शामिल नही है। संबंधित अचल संपति को आज से पहले किसी प्रकार से रहन-बैय-हिब्बा व अन्य तरीके पर हस्तान्तरित नही किया गया है। अचल संपति को किराये पर देनेे की बावत किसी प्रकार की कोई रूकावट किसी विभाग या किसी न्यायालय की नहीं है। उक्त अचल संपति पर प्रथम पक्ष का कब्जा दिनांक ————— से बतौर किरायेेदार राशि——————- रू0 प्रति मास पर बतौर किराये के रूप मे देनी स्वीकार की है। जिसकी बावत किरायानामा दिनांक ————– को किया गया है। जिसका किरायानामा निष्पादित करना प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उचित समझते है। इसलिए अब प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष उक्त किरायानामा दिनांक ————— तक के लिये निष्पादित करते है कि प्रथम पक्ष ने अपनी उक्त राशि —————- रू0 प्रति मास किराये पर द्धितीय पक्ष को निम्नलिखित शर्तो पर दी है : –
- यह है कि मौके पर कब्जा द्धितीय पक्ष का दिनांक ————– से दे दिया है और यह किरायानामा दिनांक —————- तक की अवधि तक वैध रहेगा।
- किराया की इस अवधि के दौरान द्धितीय पक्ष किराये के रूप मे प्रथम पक्ष को ————— रू0 प्रति मास के हिसाब से हर मास की ————————————–. तिथि तक अग्रिम रूप मे प्रथम पक्ष को नगद प्रदान कर देगा।
- यह है कि उक्त अवधि के दौरान सरकारी लगान, पानी एवं बिजली का खर्च द्धितीय पक्ष स्वंय वहन करता रहेगा। जिसके बारे मे प्रथम पक्ष कोई आपत्ति उत्पन्न नही करेगा।
- यह है कि उक्त अवधि समाप्त होने पर द्धितीय पक्ष, प्रथम पक्ष को वापिस कर देगा।
- यह है कि उक्त अवधि के दौरान भुगतान की रसीद प्रथम पक्ष्, द्धितीय पक्ष को देगा।
- यह है कि उक्त अवधि के दौरान प्रथम पक्ष व द्धितीय पक्ष के बीच कोई विवाद होता है तो पंच फैसला दोनो पक्षो को मान्य होगा।
- यह है कि द्धितीय पक्ष ने —————————— रूपये (शब्दो में——————रूपये) केवल नगद प्रथम पक्ष को बतौर जमानत के रूप मे अदा कर दिये है जो कि बिना किसी ब्याज के प्रथम पक्ष द्धितीय पक्ष को सम्बन्धित अचल सम्पति के खाली करने के समय बकाया किराया व अन्य देनदारी आदि काट कर वापिस कर देगा।
- यह है कि उपरोक्त म्यांद के बाद यदि किरायेदारी की म्यांद बढ़ाई जाती है तो प्रत्येक मास——– के बाद —– प्रतिशत की दर से किराये मे वृद्धि होगी तथा किरायेदारी की म्यांद केवल प्रथम पक्ष की सहमति द्वारा ही बढ़ाई जा सकेगी।
- यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति को केवल——— कार्य के लिए इस्तेमाल करेगा।
- यह है कि द्धितीय पक्ष सम्बन्धित अचल सम्पति पर या इसकी किसी भी निर्माण मे किसी भी किस्म की कोई तोडफोड या नया निर्माण नही करेगा तथा किसी अन्य व्यक्ति को किराये पर नही देगा तथा प्रथम पक्ष को हक होगा कि वह किसी भी समय निरीक्षण के लिए आ सकता है जिसका द्धितीय पक्ष को कोई आपत्ति नही होगी तथा द्धितीय पक्ष कोई ऐसा कार्य नही करेगा जो कि कानून की नजरों मे गल्त होगा।
- यह है कि सम्बन्धित अचल सम्पति मे छोटी मुरम्मत जैसे कि बिजली की तारों मे परेशानी, पानी की लीकेज आदि द्धितीय पक्ष स्वंय करेगा।
- यह है कि जब भी किसी पक्ष को उपरोक्त अचल सम्पति को खाली करना या कराना हो तो वह दूसरे पक्ष को दो महिने पहले नोटिस देगा।
- यह है कि उपरोक्त किराया नामा के दोनो पक्ष व उनके वारसान आदि हमेशा पाबन्द रहेगे तथा इसकी शर्तो का पालन करेगें।
अतः यह किराया नामा लिख दिया है कि बतौर साक्षी प्रमाण रहे ताकि समय पर काम आये।
दिनांक——————
अनुसूचि ( पहचान के लिये अचल सम्पति का विवरण)
नक्शा सीमा व पैमाईश मकान /प्लाट/फलेट/दुकान/फैक्टरी/उद्योगिक प्लाट के केस में
पूर्व : – —————————- फुट————————————- इंच————————————।
पश्चिम :- ————————- फुट————————————– इंच————————————।
उतर :- —————————फुट————————————– इंच————————————।
दक्षिण :- ————————–फुट————————————– इंच————————————।
स्थित—————————–
साक्षीगणः हस्ताक्षर प्रथम पक्ष
1.
2. हस्ताक्षर द्धितीय पक्ष
किरायानामा फॉर्म पीडीएफ डाउनलोड – Rent Agreement Form PDF Download –
यदि आपको किरायानामा फॉर्म पीडीऍफ़ फोर्मेट में चाहिए तो आप यहाँ क्लीक करके इस फॉर्म को पीडीऍफ़ फोर्मेट में डाउनलोड कर सकतें हैं।
कई बार ऐसा होता है कि किरायेदारों को भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे गरीब परिवार जो किराए के मकान में रहते हैं और बिजली का मीटर मकान मालिक के नाम पर होता है। ऐसे में किराएदार को बिजली बिल माफी के लिए परेशान होना पड़ता है। ऐसी अड़चन से बचने के लिए ₹100 के स्टांप पर किराया नामा और शपथ पत्र देना होगा। मकान मालिक को भी बिल माफी का किराया देना होगा। इसके बाद होने वाले वेरिफिकेशन से बिल माफ किया जाएगा। इस प्रकार की मदद से होने वाली समस्याओं से भी दूर रहा जा सकता है।
भले ही किराए पर प्रॉपर्टी देने पर इससे व्यवसाय का तरीका माना जा सकता है। इससे एक फायदा यह भी है कि लोगों को इससे घर मिल जाता है, जो उनको आश्रय प्रदान करता है।किरायानामा बनवाना लोगों ने खुद ही स्वीकृत किया है, जो भरोसेमंद और न्याय प्रणाली के अंतर्गत भी आता है। किराए नामे में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए कि मकान मालिक कौन है? किराया क्या निर्धारित किया जाना है ?इसके साथ ही समस्त जानकारी होने की स्थिति में धोखा होने की गुंजाइश नहीं हो पाती है।
रेंट एग्रीमेंट इन हिंदी –
आज के दौर में मकान मालिक और किराएदार के बीच दोस्ताना व्यवहार देखा जाता है,जहां दोनों ही पक्ष अभी समस्या खुलकर सांझा करते हैं। किसी भी परेशानी के होने पर आपस में बात ही सही समझते हैं।कई बार किराएदार अपने ही पहचान वाले या रिश्तेदार होते हैं,जिसके कारण किरायानामा बनाने में कुछ हिचक होती है लेकिन फिर भी किरायानामा बनाना एक उचित कदम है।जिस से आने वाली किसी भी दुविधा से बचा जा सके और होने वाली अनहोनी से दूर रहा जा सके।
पिछले कुछ दिनों से सरकार ने हर क्षेत्र में नए नियम बनाए हैं, जिसे सामान्य जनता को फायदा हो सके और उन्हें सामान्य जीवन बिताने में कठिनाई ना हो।किरायानामा बनाने की शुरुआत होने से उन सभी लोगों को राहत महसूस हुई,जो कहीं ना कहीं किराएदार संबंधी समस्या से ग्रसित है। दुनिया में कई तरह के लोग होते हैं पर यह जरूरी नहीं है हर किराएदार धोखेबाज हो।
बिगड़ते माहौल को देखते हुए सभी मकान मालिकों को सजग देने की आवश्यकता है,जिससे भी किसी भी बुरी घटना से बच सकें। किराए नामे से किराएदार को भी किसी भी अप्रिय घटना से रूबरू नहीं होना पड़ेगा। किराए नामे के खत्म होने पर अवधि बढ़ाकर भी बिना किसी परेशानी के आराम से रहा जा सकता है। जरूरत है तो सावधान और सुरक्षित रहने की। थोड़ी सी सावधानी रखकर आप सही निर्णय लेते हुए किराएदार पर भरोसा कर सकते हैं।