मशरूम को देखकर आपको यक़ीनन बरसात में घर की मुंडेर पर या कूड़ी के ढेर पर उगे कुकरमुत्ते की याद आती होगी। आपको कभी ख्याल भी न आया होगा कि ये कोई जायकेदार और पोषक तत्वों से भरपूर चीज भी हो सकती है या कभी खाने की थाली में मशरूम का जलवा होगा।
लेकिन आज ऐसा ही है। मशरूम न केवल शरीर के लिए रिच न्यूट्रीशन पाने का एक जरिया है, बल्कि आप घर में ही इसकी खेती कर इससे बड़े पैमाने पर कमाई कर सकते हैं। यदि आप नहीं जानते कि मशरूम का काम कैसे शुरू करें तो आज इस पोस्ट में हम आपको इस संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आपको इस पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यान से पढ़ना होगा, ताकि कोई प्वाइंट छूट न जाए-
मशरूम क्या होता है? (What is mushroom?)
दोस्तों, सबसे पहले जान लेते हैं कि मशरूम क्या होता है? (What is mushroom?) मशरूम को बहुत से लोग सब्जी मानते हैं, जबकि यह कोई फल या सब्जी नहीं, बल्कि एक कवक यानी फंगस (fungus) है, जिसे खाने में इस्तेमाल किया जाता है।मशरूम का वैज्ञानिक नाम (scientific name) एगरिकस बिस्पोरस है। दोस्तों, इसके ऊपरी सिरे की बनावट छत्र जैसी होने की वजह से आम लोग इसे मशरूम के साथ ही खुंब, खुंभी, भूछत्र, भूछत्री आदि नामों से भी पुकारते हैं।
मशरूम को सेहत के लिए अच्छा क्यों माना जाता है? (Why mushroom is considered good for health?)
दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि मशरूम को सेहत के लिए बढ़िया माना जाता है। लेकिन ऐसा क्यों है? क्या आप जानते हैं कि मशरूम में कौन कौन से पोषक तत्व (nutritional elements) मौजूद होते हैं? नहीं? तो जान लीजिए कि मशरूम की तासीर ठंडी होती है। मशरूम प्रोटीन, डाइटरी फाइबर और खनिज के साथ ही विटामिन B1, B2, B12, C एवं E का बड़ा स्रोत हैं।
इसके अतिरिक्त इनमें, क्विनोलोन, टेरपेन, स्टीरॉएड, फ्लेवोनोइड्स, कैरोटीनॉएड जैसे एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) एवं पॉलिसैकेराइड जैसे बीटा-ग्लूकन एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में यह कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) कम करने के साथ ही कैंसर (cancer) के खतरे को कम करने में मददगार है। यह इम्यून सिस्टम (immune system) को मजबूत बनाने के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) को कंट्रोल (control) करने में भी मदद करता है।
इसे वजन कम (weight lose) करने के साथ ही आंखों (eyes) के लिए भी बेहतर बताया जाता है। एक नजर में कहें तो यह किसी व्यक्ति की इम्यूनिटी (immunity) मजबूत करने के साथ ही पाचन शक्ति (digestive power) को बढ़ाता है। साथ ही खून की कमी (Anemia) को भी दूर करता है। इसे डायबिटीज (diabetes) और दिल (heart) के मरीजों के लिए भी बेहतर माना जाता है।
मशरूम का काम कैसे शुरू करें? (How to start mushroom business?)
दोस्तों, मशरूम न केवल आपको पोषक तत्व मुहैया कराता है, बल्कि यह आपकी कमाई का भी बढ़िया जरिया बन सकता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे शुरू करने के लिए आपको ज्यादा लागत लगाने की आवश्यकता नहीं है। आप इसको छोटे पैमाने से शुरू करके बड़े पैमाने तक ले जा सकते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि आप मशरूम का कम कैसे शुरू कर सकते हैं-
मशरूम प्रोडक्शन की ट्रेनिंग लें:
यदि आप मशरूम (mushroom) का काम शुरू करना चाहते हैं तो इसे तरतीब के साथ करें। सबसे पहले मशरूम प्रोडक्शन (mushroom production) की ट्रेनिंग (training) लें। इसके लिए विभिन्न जिलों के उद्योग विभाग (industry department) के साथ ही विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय (agriculture University) एवं कृषि एवं औद्यानिकी केंद्र (agriculture and horticulture centre) के संग एनजीओ भी मशरूम उत्पादन की प्रशिक्षण सुविधा (training facility) देते हैं।
मशरुम के बीज (seeds) लाएं :
एक बार ट्रेनिंग (training) पूरी कर लेने के पश्चात अपने किसी नजदीकी सरकारी कृषि केंद्र (government agriculture centre) से बीज (seeds) खरीदें। दोस्तों, यदि आप चाहें तो इन्हें ऑनलाइन (online) भी खरीद सकते हैं। मशरूम के बीज की कीमत (cost) 70 से 80 रूपए प्रति किलो तक हो सकती है। कई बार कीमतों में अच्छा डिस्काउंट भी मिल जाता है।
मशरूम उगाने के लिए कम से कम 40×30 फुट की जगह चुनें :
मशरूम उत्पादन के लिए आपको कम से कम 40×30 फुट जगह की आवश्यकता होगी। आपको बहुत कुछ नहीं करना। इसमें आप केवल तीन -तीन फुट चौड़ी रैक बनाकर मशरूम उगा सकते हैं।
कंपोस्ट तैयार होने के बाद मशरूम के बीज लगाएं:
दोस्तों आपको बता दें कि कंपोस्ट (compost) तैयार होने के बाद इसकी 6-8 इंच मोटी परत, जो आपने तीन-तीन फुट चौड़ी रैक (rack) लगाई है, उस पर बिछा दें। अब इसमें मशरूम के बीज लगाएं और उसे कंपोस्ट से ढक दें।
तापमान 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड रखें:
दोस्तों, ध्यान रखने की बात यह है कि मशरूम उत्पादन के लिए आपको 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान रखना होगा। इससे अधिक तापमान में मशरूम खराब हो सकता है। लिहाजा, जिस जगह अपने मशरूम उगाने के लिए रखा है वह कमरा ऐसी जगह हो, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा ना पहुंचती हो। नमी 80-90 फीसदी हो।
40-50 दिन में मशरूम तैयार हो जाएगा:
दोस्तों, आपको बता दें कि उपरोक्त तरीके से आम तौर पर 40 से लेकर 50 दिन और अधिक से अधिक दो-ढाई माह में मशरूम पैदा होकर काटने लायक हो जाएगा। जान लीजिए कि प्रति वर्ग मीटर में 10 किलो मशरूम पैदा हो सकता है।
मशरूम की पैकिंग और मार्केटिंग करें:
एक बार मशरूम पैदा हो जाने के बाद आपको इसकी पैकिंग करनी होगी। इसके लिए आप अलग-अलग वजन के पैकेट्स (packets) बना सकते हैं। आप चाहे तो किसी ब्रांड (brand) को रजिस्टर (register) कर उसके नाम से भी अपने मशरूम की मार्केटिंग (marketing) और बिक्री कर सकते हैं।
डायरेक्ट सेलिंग या मार्केट में सप्लाई करें :
दोस्तों, मशरूम की मार्केटिंग अच्छी सी हो जाने के बाद आप या तो डायरेक्ट सेलिंग (direct selling) कर सकते हैं और अपना स्टॉल (stall) लगा सकते हैं या फिर अपना मशरूम लोकल मार्केट (local market) में सप्लाई (supply) के लिए भेज सकते हैं। आपका मशरूम अच्छा होगा तो हाथों हाथ लिया जाएगा।
मशरूम की खेती में शुरुआती लागत कितनी आती है इसमें कितना मुनाफा है? (How much initially cost does mushroom bear? How many )
दोस्तों, यदि आप मशरूम का कार्य करना चाहते हैं तो आपको बता दे कि इसकी खेती में आपको लगभग 50 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक की शुरुआती लागत झेलनी पड़ सकती है, जो इसके मुनाफे को देखते हुए बहुत अधिक नहीं। जान लीजिए दोस्तों कि एक किलो मशरूम 25 से 30 रुपए में आसानी से उगाया जा सकता है। वहीं, एक बढिया गुणवत्ता यानी क्वालिटी (quality) के मशरूम की कीमत लगभग 250 से 300 रुपए किलो तक है.
भारत में कौन सा मशरूम सर्वाधिक मांग में है? (Which mushroom has maximum demand in India?)
दोस्तों, यदि आपको लगता है कि भारत में खाने में मशरूम कोई अधिक लोकप्रिय नहीं तो आप गलत है। भारत में ऑयस्टर मशरूम और बटन मशरूम के साथ ही मिल्की मशरूम खासा लोकप्रिय है। वहीं, यदि दुनिया भर की बात करें तो धान की भूसी का मशरूम दुनिया भर में खासा पसंद किया जाता है।
अपने औषधीय गुणों के कारण शिटाके मशरूम की भी दुनिया भर में मांग है। दोस्तों, आपको यह जानकारी भी दे दें कि मशरूम की खूबी और मांग को देखते हुए तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों के किसान दूसरी फसलों के साथ ही मिल्की मशरूम जमकर उगाते हैं।
क्या मशरूम उत्पादन पर किसानों को सब्सिडी भी मिलती है? (Do farmers get subsidy on the production of mushroom?)
दोस्तों यदि आप गंभीरता पूर्वक मशरूम उत्पादन की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि इसके लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सब्सिडी भी प्रदान की जाती है। किसानों को सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन (online apply) करने के लिए, जिस राज्य में वे रहते हैं, वहां की सरकार की हॉर्टिकल्चर वेबसाइट पर जाना होगा।
आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर जाने के बाद उन्हें एकीकृत बागवानी विकास मिशन (integrated horticulture development mission) के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। इसके पश्चात दिए हुए इंस्ट्रक्शंस फॉलो (instructions follow) करने के बाद वे मशरूम की खेती पर मिलने वाली सब्सिडी (subsidy) के लिए आवेदन (apply) कर सकेंगे।
किन स्थितियों में मशरूम के सेवन से बचना चाहिए? (In which Conditions one should avoid to eat mushroom?)
दोस्तों बेशक मशरूम में पोषक तत्वों की भरमार है इसके बावजूद कुछ ऐसी स्थिति है जब मशरूम का सेवन सेहत और जान दोनों पर भारी पड़ सकता है। किसी को किसी भी व्यक्ति को पेट संबंधी दिक्कत होने पर जैसे दस्त आदि होने पर मशरूम नहीं खाना चाहिए।
इसके साथ ही इसे बारिश के मौसम में भी नहीं खाना चाहिए। मशरूम को यदि बारिश के मौसम में खाया जाए तो इससे पेट में इंफेक्शन (infection) यानी संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। इसके अतिरिक्त जहरीला मशरूम (poisonous mushroom) खाने से भी बचना चाहिए। दोस्तों, अब आप पूछेंगे कि जहरीले मशरूम की पहचान क्या है?
तो आपको बता दे यदि मशरूम पर टोपी, तने या छेद सहित कहीं भी कोई लाल रंग दिखाई देता है तो इसका अर्थ है कि मशरूम जहरीला है। मशरूम जहरीला है कि नहीं, इसकी पहचान के लिए आप एक और तरीका आजमा सकते हैं। इसके लिए मशरूम को लंबवत आधा काटें। यदि इसके गूदे पर तुरंत नीला दाग पड़ जाए तो समझ लीजिए कि यह जहरीला हो सकता है। ऐसे में इसकी पहचान कर इसके सेवन में सावधानी बरतें।
भारत में मशरूम उत्पादन का क्या भविष्य है? (What is the future of mushroom production in India?)
दोस्तों, आइए अब भारत में मशरूम के भविष्य पर बात कर लेते हैं। आपको बता दें कि भारत हर साल बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त देश के मशरूम मार्केट (mushroom market) में सन् 2024-2028 के दौरान सीएजीआर (CAGR) यानी सम्मिलित वार्षिक वृद्धि दर (compound annual growth rate) 7.6% रहने की उम्मीद है।
जो कि बेहतर मानी जा सकती है। छोटे-छोटे शहरों और कस्बों में भी लोग अपनी थाली में मशरूम को शामिल कर रहे हैं, उससे इस बात को लेकर निश्चिंत हुआ जा सकता है कि आने वाले समय में इसका उत्पादन और खपत (production and consumption) शिखर की ओर ही जाएगा।
क्या महिलाएं भी मशरूम का कार्य कर सकती हैं? (Can women also start mushroom business?)
दोस्तों, जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि मशरूम का कार्य छोटी जगह यानी कि दो कमरों से भी शुरू किया जा सकता है और इसमें लागत भी ज्यादा नहीं लगती, ऐसे में इस कार्य को महिलाएं भी आराम से कर सकती हैं। उत्तराखंड (uttarakhand) जैसे छोटे राज्य में ऐसी कई महिलाएं हैं जो मशरूम उत्पादन (mushroom production) के कार्य से जुड़ी हैं। वे स्वयं भी अच्छी कमाई कर रहीं हैं और उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है। उत्तराखंड की मशरूम गर्ल (mushroom girl) कहलाने वाली दिव्या रावत का नाम इस संदर्भ में विशेष रूप से लिया जा सकता है।
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मशरूम क्या होता है?
यह एक प्रकार का कटक यानी फंगस है, जिसे खाया जाता है।
मशरूम का वैज्ञानिक नाम क्या है?
मशरूम का वैज्ञानिक नाम एगरिकस बिस्पोरस है।
मशरूम का दिनों दिन खाने में इस्तेमाल क्यों बढ़ रहा है?
पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसका खाने में इस्तेमाल दिनों दिन बढ़ रहा है।
मशरूम का काम कैसे शुरू कर सकते हैं?
इसकी जानकारी हमने आपको ऊपर पोस्ट में दी है। आप वहां से देख सकते हैं।
मशरूम खाने से कब बचना चाहिए?
बरसात के मौसम में और यदि किसी व्यक्ति का पेट खराब हो तो उसे मशरूम खाने से बचना चाहिए।
जहरीले मशरूम की पहचान कैसे करें?
इसका तरीका हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताया है आप वहां से देख सकते हैं।
मशरूम उगाने के लिए कितने तापमान की आवश्यकता पड़ती है?
मशरूम उगाने के लिए 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान की आवश्यकता पड़ती है।
यदि तापमान निर्धारित से कम या अधिक हो तो क्या होता है?
यदि तापमान निर्धारित से कम या अधिक होता है तो मशरूम खराब हो जाता है।
क्या मशरूम उगाने से पहले ट्रेनिंग की आवश्यकता है?
यदि आप बड़े पैमाने पर मशरूम का उत्पादन करना चाहते हैं तो आपको मशरूम उगाने से पहले ट्रेनिंग की आवश्यकता होगी।
क्या ट्रेनिंग के दौरान मशरूम की मार्केटिंग और बिक्री संबंधी जानकारी भी दी जाती है?
जी हां, ट्रेनिंग के दौरान मशरूम की मार्केटिंग और बिक्री संबंधी जानकारी भी दी जाती है।