हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा क्या है? यह किस काम आती है? पूरी जानकारी

इस समय देश और दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से बेहाल है। दुनिया भर में लाखों जानें जा चुकी है। अकेले भारत में कोरोना वायरस से हजारों लोग संक्रमित हैं। अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है। लेकिन इन दिनों वायरस से बचाव के नाम पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन नाम की दवा बेहद चर्चा में है। इसे कोरोना को देखते हुए बेहद फायदेमंद बताया जा रहा है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि यह हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा क्या है? यह किस काम आती है? अगर नहीं तो यह पोस्ट आप ही के लिए है। आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें। इसके माध्यम से हम आपको हाइड्रोक्सी क्लोरो क्वीन से संबंधित सारी जानकारी देने की कोशिश करेंगे आइए शुरू करते हैं-

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हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा क्या है? What is hydroxy chloroquine medicine?

दोस्तों, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दरअसल एक एंटी मलेरिया ड्रग है। यह एक ऐसी टेबलेट है, जिसका इस्तेमाल ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ यानी Arthritis के उपचार में किया जाता है। लेकिन इसके कोरोना से बचाव में कारगर होने की बात सामने आई है। बताया जाता है कि इस दवा का खास असर SARS-CoV-2 पर पड़ता है। जी हां, यह वही वायरस है जो COVID-2 का कारण बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के साथ प्रोफिलैक्सिस का डोज लेने से SARS-CoV-2 संक्रमण और वायरल को बढ़ने से रोका जा सकता है।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा क्या है? यह किस काम आती है? पूरी जानकारी

यही वजह है कि अमेरिका में प्रोफिलैक्सिस या एसएआरएस-सीओवी -2 संक्रमण के उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के प्रयोग करने की योजना बनाई गई है कुल मिलाकर कोरोना के उपचार के लिए इस समय केवल एक दवा कारगर साबित हो रही है और वो है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन।

भारत ने क्यों लगाई थी इसके निर्यात पर रोक? Why did India ban its export?

दोस्तों, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के कोरोना वायरस के संक्रमण की बात सामने आने पर देश में कोरोना से लड़ने के लिए इस दवा की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत ने इसके निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया। असल में, कोरोना को लेकर फैले खौंफ के बीच अचानक इस दवा को लेकर अफवाह उड़ी कि ये दवा कोरोना से बचा सकती है। जिसके बाद लोगों ने इस दवा को जमा करना शुरू कर दिया। परिणाम ये हुआ कि मेडिकल स्टोर से यह दवा गायब हो गई।

दूसरे, भारत में इस दवा के इस्तेमाल को लेकर भारतीय चिकित्सा शोध परिषद यानी ICMR (Indian council of medical research) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनमे डॉक्टर, नर्से, सफाई कर्मचारी, हेल्पर आदि के इलाज के लिए सिफारिश की थी। इसी को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन साथ ही साथ, यह भी साफ कर दिया गया था कि मानवता के आधार पर इसका वितरण किया जायेगा। 

दवा निर्यात बंद होने की बात पर धमकी पर उतरे ट्रंप –

मित्रों, आपको बता दें कि भारत की ओर से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का निर्यात बंद किए जाने की बात से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पांव तले जमीन खिसक गई। अमेरिका में कोरोना वायरस ने कहर बरपाया हुआ है। अमेरिका में बढ़ते कोरोना के संकट में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा रामबाण का काम कर रही है ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और यहां तक कह दिया कि अगर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा न भेजी गई तो अमेरिका कार्रवाई करेगा। इसी बीच भारत ने इस दवा के निर्यात पर लगी रोक हटा ली।

संसार भर से इस दवा की डिमांड आ रही थी। ऐसे में अमेरिका ही नहीं इजरायल और अन्य देशों को भी दवा भेजी गई। सभी देशों के प्रमुखों ने ट्विटर के जरिए और फोन पर भारत का आभार जताया। दोस्तों, लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि भारत इस समय दुनिया में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

सोशल मीडिया पर छापा, विपक्ष ने उठाया हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का मुद्दा

दोस्तों, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के निर्यात पर पहले रोक लगाने और बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के धमकी दिए जाने के बाद निर्यात पर से रोक हटाने का मामला सोशल मीडिया की सुर्खियों में बना रहा। इतना ही नहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे को उठाया और कहा कि जब कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में इस दवा की अधिक आवश्यकता है तो ऐसे में इसे दूसरे देशों को निर्यात करना कतई उचित नहीं है। इससे पहले सोशल मीडिया पर भी लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर इस मुद्दे को गर्म रखा। उन्होंने उनके 56 इंच सीने के जुमले पर भी इस फैसले को लेकर सवाल उठाए। लेकिन सरकार बाद में दवा निर्यात के अपने फैसले पर कायम रही। हालांकि, ज्यादातर लोगों के अनुसार यह अमेरिका के दबाव में लिया गया फैसला था।

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के नुकसान – Disadvantages of hydroxy chloroquine –

दोस्तों, बेशक यह माना जा रहा है कि सिर्फ हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन या अजिथ्रोमाइसिन को अकेले लेने से या दोनों को मिलाकर लेने से अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (Upper respiratory infection) में SARS-CoV-2 RNA कम होते नजर आते हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना यह भी है कि इस दवा को बिना किसी लक्षण के इस्तेमाल करना सही नहीं है। इस दवा के कुछ नुकसान यानी साइड इफेक्ट भी हैं। सामान्य साइड इफ़ेक्ट की बात करें तो इसके अंतर्गत सिरदर्द, चक्कर आना, भूख मर जाना, मतली, दस्त, पेट दर्द, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते होना शामिल हैं।

इसके अलावा इस दवा को अधिक मात्रा में लेने यानी इसकी ओवरडोज लेने से दौरे भी पड़ सकते हैं। मरीज बेहोश भी हो सकता है। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरीकिन से सिर दर्द, सिर चकराना, ब्लड ग्लूकोज का कम होना, नींद आना, भूख कम लगना, अवसाद, अंधापन, क्रैम्प और दिल का काम करना बंद कर देना जैसी मुसीबत भी हो सकती है।

लगातार बढ़ रही दवा की मांग, उत्पादन भी

दोस्तों, कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही दुनिया में अब तक इससे बचाव की कोई निश्चित दवा नहीं बनने के बावजूद हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा की डिमांड लगातार बढ़ रही है। जाहिर है कि इसका उत्पादन भी बढ़ा है। इस दवा के कारण ही भारत सुर्खियों में है। देश में अनेक स्थानों पर इसे तैयार किया जा रहा है। ऐसी ही एक जगह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भी हैं। देहरादून के सेलाकुई स्थित सारा फार्मा सिटी स्थित आईपीसीए लिमिटेड (इप्का) लेबोरेटरीज नामक फैक्ट्री में एचसीक्यूएस टेबलेट निर्मित की जाती हैं।

जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि यह दवा आमतौर पर मलेरिया के निदान में प्रयुक्त की जाती है और दुनिया में कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने में यह काफी हद तक सफल हुई है, इसलिये विशेषकर, सेलाकुई के इस प्लांट में अभी तक जो दो करोड़ टेबलेट प्रति माह तैयार की जाती थीं, कोरोना के प्रकोप के बाद बढ़ी मांग के कारण इसका उत्पादन अब पांच करोड़ टेबलेट प्रति माह कर दिया गया है। सरकार की ओर से कोई आदेश मिलने पर इसके और बढ़ाए जाने की भी संभावना है।

कई कंपनियां कर रही निर्माण, लाकडाउन में भी खुलीं

मित्रों, दैश की कई अन्य कंपनियां जैसे कैडिला, सिप्ला आदि ने भी अपने स्तर पर इस दवा का उत्पादन शुरू कर दिया है। इसके लिए कच्चा माल भी देश की कंपनियां तैयार कर रही हैं। टेबलेट बनाने में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल ग्वालियर सहित कई अन्य जगहों में स्थित प्लांट में तैयार होता है। लाकडाउन यानी पूर्णबंदी के कारण सारी फैक्ट्री बन्द हो गई थीं, लेकिन प्रशासन की मदद से इसे शुरू किया गया। वर्तमान में प्लांट में तीन सौ कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं।

कई कंपनियों ने कच्चा माल न मिलने से उत्पादन बंद भी किया

साथियों, कई स्थानों पर यह भी हुआ है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन का कच्चा माल पांच गुना महंगा हो जाने से फार्मा कंपनियों ने इसका उत्पादन बंद कर दिया है। दवा के कच्चे माल (एपीआई) की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल को पत्र भी लिखा गया है। हालत यह हो गई है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की 100 गोलियों का मैटीरियल पहले 180 रुपये में मिलता था। लेकिन अब यह बढ़कर 1100 रुपये हो गया है। बाजार में हाईड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन के कच्चे माल की खासी कमी है। इसलिए जिनके पास थोड़ा बहुत माल है, उन्होंने कीमतें बढ़ा दी हैं।

हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वीन पर बवाल के बीच चीन पर सवाल

दोस्तों, एक ओर जहां देश में हाइड्रो क्लोरोक्वीन दवा को लेकर बवाल कटा था तो दूसरी ओर चीन के कोरोना वायरस फैलाने की आशंका पर भी दुनिया भर में बवाल मचा हुआ है। चीन ने कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर लेने का दावा किया, हालांकि जब पलटकर चीन में कोरोना के नए मामले सामने आने लगे तो इस वैक्सीन के कारगर होने पर सवाल खड़े हो गए। चीन ने इसके साथ ही उसने दुनिया भर में जो पीपीई किट भेजी, वो भी कारगर नहीं बताई गई। यहां तक कि भारत में भेजी गई उसकी टेस्ट किट भी केवल 5% ही कामयाब पाई गई है। ऐसे में उन टेस्टिंग किट्स पर भी रोक लगा दी गई है। और अब जर्मनी से किट्स मंगाई जा रही हैं ।

Hydroxy chloroquine medicine in hindi –

आईसीएमआर के वैज्ञानिकों से कहा गया है कि वे स्वास्थ्य टीमों के साथ घर-घर जाकर लोगों का टेस्ट सुनिश्चित कराएं, ताकि कोरोना के समान को रोका जा सके। इससे पहले सरकार भी केलल का चीन से मंगाया गया किट कंसाइनमेंट रोकने में खासी आलोचना का शिकार हुई। दोस्तों, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा की जानकारी के बीच लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि विभिन्न देशों में कोरोना की वैक्सीन को लेकर इस वक्त ट्रायल चल रहे हैं और माना यह जा रहा है कि यह वैक्सीन आने वाले साल डेढ़ साल में तैयार हो सकती है। हर किसी को अब इसकी वैक्सीन तैयार होने का इंतजार है।

FAQ

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का इस्तेमाल किस बीमारी के लिए किया जाता है?

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के इस्तेमाल विशेष तौर पर अर्थराइटिस, मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए किया जाता है।

क्या हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा से कोरोना का इलाज संभव है?

जैसा कि आपको बताया कि इस दवा का इस्तेमाल अर्थराइटिस, मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन इस दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस संक्रमण मरीजे पर परीक्षण करने पर इसके उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले हैं। बाकी कुछ विशेषज्ञ के कहना है कि इस दवा से वायरल और संक्रमण को रोका जा सकता है।

भारत मे हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का उत्पादन क्यो बढ़ रहा है?

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा मलेरिया, अर्थराइटिस के इलाज़ के साथ – साथ कोरोना संक्रमण वायरस को रोकने में सक्षम है। दवा का उत्पादन तेजी से किया जा रहा है।

किस देश मे हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है?

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा का उत्पादन सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है। यही कारण है कि कोरोना काल में अमेरिका सहित दुनिया के लगभग 30 देशों ने भारत से इस दवाई की मांग की थी।

क्या हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के साइड इफ़ेक्ट भी है?

जी हाँ, इस दवा का सेवन करने के बाद मरीज को सिर दर्द, सूजन,स्किन का पीलापड़ना, नाक से आना आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

तो दोस्तो, यह थी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवा के बारे में पूरी जानकारी। हमने इस पोस्ट में वह सब बताने की कोशिश की है, जो इस दवा के बारे में जानना आवश्यक हो सकता है। अगर इस विषय से संबंधित किसी भी बिंदु पर अब जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। हम आपको वह जानकारी मुहैया कराने का पूरा पूरा प्रयास करेंगे। कोई अन्य सुझाव यदि आपके मस्तिष्क में है तो उसे भी आप हमसे साझा कर सकते हैं। इसके लिए भी आपको नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करना होगा। हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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Comment (1)

  1. और शिवकुमार शर्मा मूक बधिरों गांव घुरीखास जिला पीलीभी बोल और सुनने नहीं सकता दिनेश कुमार गंगवार प्रधान से अनुरोध है की मेरा कमरा और लैटरीन पैसे के नहीं हैं
    प्रधानमंत्री आवास योजना पीलीभीत

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