|| वाहन बीमा में आईडीवी क्या होती है? IDV full form, Meaning and Calculation in Hindi, IDV Full Form in Hindi, IDV full form in insurance in Hindi ||
हमारे देश में प्रति वर्ष लगभग पौने पांच लाख सड़क हादसे होते हैं। इसमें से 71 प्रतिशत सड़क हादसे तेज स्पीड से चलने की वजह से होते हैं। कई बार सड़क एक्सीडेंट में लोगों की कार को बहुत नुकसान पहुंचता है। इतना नुकसान कि कार नष्ट हो जाती है। यहां इंश्योरेंस काम आता है।
कांप्रेहेन्सिव पालिसी के अंतर्गत नष्ट हुई कार का मुआवजा बीमा कंपनी बीमित कार के लिए प्रदान करती है, लेकिन उसे यह मुआवजा आईडीवी पर मिलता है। इस पोस्ट में हम आपको इसी आईडीवी पर जानकारी प्रदान करेंगे।
आपको बताएंगे कि आईडीवी क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ती है? आईडीवी को कैसे कैलकुलेट किया जाता है? आईडीवी तय करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आदि। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगी।
आईडीवी का क्या है? [What is IDV?]
आईडीवी (IDV) का अर्थ इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (Insured declared value) होेता है, जिसे हिंदी में ‘बीमित घोषित मूल्य’ भी कहा जाता है। वाहन के बिक्री मूल्य अर्थात सेल्स प्राइस (sales price) को वाहन के depriciation अर्थात अवमूल्यन से समायोजित करके जो मूल्य आता है, वह आईडीवी (IDV) कहलाता है। सामान्य भाषा में इसे वाहन की वर्तमान मार्केट वैल्यू (market value) भी कहा जा सकता है।
ये वह अधिकतम कीमत है, जो वाहन चोरी होने पर अथवा किसी हादसे में पूरी तरह नष्ट होने पर आपको मिलती है। इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि कोई भी बीमा करने वाली कंपनी उस वाहन के बदले मुआवजा उसकी आईडीवी के बराबर ही देती है। बीमा अवधि के लिहाज से वह आईडीवी 7-10 फीसदी तक कम भी कर सकती है।
आईडीवी की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
दिक्कत यह होती है कि गाड़ी को किसी भी प्रकार के नुकसान की स्थिति में बीमा कंपनी हमेशा कम मूल्य देने की कोशिश करती है एवं बीमा ग्राहक अधिक से अधिक मूल्य लेना चाहता है। ऐसे में मुआवजा तय करने का एक फार्मूला (formula) होता है, जिससे दोनों संतुष्ट हो जाते हैं। यह फार्मूला आईडीवी होता है।
इंश्योरेंस पाॅलिसी लेते वक्त ही उसकी आईडीवी तय हो जाती है। यही बीमा क्लेम (insurance claim) के निपटारे में मुआवजा तय करने में मददगार होती है। यह अभी हमने आपको बताया कि है कि यह वाहन की मार्केट वैल्यू के बराबर होती है।
आईडीवी को कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि आईडीवी को किस प्रकार कैलकुलेट (calculate) किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्पादक द्वारा तय वाहन के विक्रय मूल्य यानी सेल्स प्राइस में से डेप्रिसिएशन वैल्यू को घटाकर आईडीवी तय की जाती है। यदि इसके फार्मूले की बात करें तो वह निम्नवत है-
IDV= (कंपनी का sales price-depriciation value)+ (वाहन में लगे सामान का मूल्य-इनकी depriciation वैल्यू)
आईडीवी तय करने के क्या क्या आधार होते हैं?
आईडीवी तय करने के कुछ आधार होते हैं। आम तौर पर ये निम्नवत होते हैं-
- प्रथम बिक्री में वाहन की शोरूम से खरीद कीमत क्या थी।
- वाहन की depriciation वैल्यू क्या है अर्थात वाहन कितना पुराना है।
- गाड़ी में अलग से लगाए गए सामान की कीमत क्या है।
इन तीनों आधारों को ध्यान में रखते हुए आईडीवी कैलकुलेट किया जाता है। इसके लिए आनलाइन आईडीवी कैलकुलेटर्स (online IDV calculators) की भी मदद ली जा सकती है।
आईडीवी तय करने में ध्यान में रखे जाने वाले तत्व –
बीमा कंपनी एवं बीमाकर्ता द्वारा आईडीवी तय करने में कई तत्व ध्यान में रखे जाते हैं, जो कि निम्नवत हैं-
1. गाड़ी दुपहिया है अथवा चौपहिया – यह तय करने मदद करता है कि आईडीवी कम होगी अथवा अधिक।
2. वाहन किस राज्य एवं शहर में रजिस्टर्ड है – जिस शहर में आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन हुआ है, यह भी आपकी आईडीवी निर्धारित करेगा। जैसे कि नई दिल्ली में रजिस्टर्ड एवं वहां चलने वाले वाहन का जोखिम यूपी में चलने वाले वाहन से अधिक होगा, लिहाजा, आईडीवी भी अधिक होगा।
3. गाड़ी का रजिस्ट्रेशन किस वर्ष में हुआ है – इससे गाड़ी की उम्र एवं उस पर डेप्रिसिएशन वैल्यू निकालने में मदद मिलती है। यह हम आपको बता ही चुके हैं कि गाड़ी के बिक्री मूल्य में डेप्रिसिएशन घटाकर आपकी आईडीवी तय की जाएगी। गाड़ी जितनी पुरानी होगी, उसका आईडीवी उतना ही कम होगा।
4. गाड़ी किस कंपनी अथवा माडल की है – गाड़ी की बनावट एवं उसके माडल से यह पता चल जाता है कि वह कितनी हाईएंड है? उसकी मेंटिनेंस (maintenance) में कितना व्यय होगा? मसलन एक बीएमडब्ल्यू का मेंटिनेंस एक हुंडई सेंट्रो से अधिक होगा। ऐसे में अधिक खर्चीली गाड़ी की आईडीवी भी अधिक होगी।
गाड़ी की डेप्रिसिएशन वैल्यू के आधार पर आईडीवी इस प्रकार तय होगी –
आप गाड़ी की उम्र के आधार पर आईडीवी कैसे निकाल सकते हैं? ऐसे समझें-
गाड़ी की उम्र | डेप्रिसिएशन वैल्यू | आईडीवी |
छह माह से पुराना वाहन | 5 फीसदी | एक्स शोरूम प्राइस की 95 फीसदी के बराबर |
छह माह से एक साल पुराना वाहन | 15 फीसदी | एक्स शोरूम प्राइस के 85 प्रतिशत के बराबर |
एक साल से लेकर दो साल तक पुराना वाहन | 20 प्रतिशत | एक्स शोरूम कीमत के 80 प्रतिशत के बराबर |
दो वर्ष से अधिक तीन वर्श से कम पुराना वाहन | 30 प्रतिशत | आईडीवी एक्स शोरूम प्राइस के 70 फीसदी के बराबर तय होगी |
तीन साल से लेकर चार साल तक पुराना वाहन | 40 प्रतिशत | आईडीवी एक्स शोरूम कीमत के 60 फीसदी के बराबर |
चार साल से अधिक, पांच साल से कम पुराना वाहन | 50 प्रतिशत | आईडीवी एक्स शोरूम कीमत की 50 फीसदी के बराबर तय होगी। |
यदि गाड़ी पांच साल से पुरानी हो तो आईडीवी कितनी होगी?
यदि आपकी गाड़ी पांच साल से अधिक पुरानी हो तो आपकी आईडीवी कितनी तय होगी? जानकारी दे दें कि ऐसी स्थिति में आईडीवी गाड़ी की सर्विस लायक कंडीशन एवं उसके बाडी पार्ट्स की स्थिति पर निर्भर करेगी।
अलग अलग मैटीरियल (material) से बने सामान की एक एवरेज वैल्यू (average value) निकालकर आईडीवी तय कर ली जाती है। यहां डेप्रिसिएशन वैल्यू मायने नहीं रखती। सामान्यतः इसे बीमा कंपनी (insurance company) व ग्राहक के बीच आपसी सहमति से तय कर लिया जाता है।
आईडीवी तय करने में सर्वेयर भी मदद करते हैं-
हमने आपको बताया कि पांच साल से अधिक पुराने वाहन पर आईडीवी सामान्य रूप से ग्राहक एवं बीमा कंपनी के बीच सहमति के आधार पर होती है, किंतु कुछ कंपनियां ऐसी भी होती हैं, जो आईडीवी तय करने के लिए सर्वेयर (surveyor) का सहारा भेजती हैं।
ये सर्वेयर आकर गाड़ी का निरीक्षण करते हैं। इसके पश्चात गाड़ी की आईडीवी कितनी हो, इस पर रिपोर्ट पेश करते हैं। यह अलग बात है कि बीमा कराने वाले व्यक्ति यानी ग्राहक को ही इस सर्वेयर का खर्च उड़ाना पड़ता है।
आईडीवी का आपके इंश्योरेंस प्रीमियम से क्या संबंध है?
क्या आईडीवी का आपके इंश्योरेंस प्रीमियम (insurance premium) से कोई संबंध है? जी हां, यह तो आप जान ही चुके हैं कि आईडीवी आपके वाहन की मार्केट वैल्यू है। आपको जो क्लेम के रूप में जितनी राशि मिलती है, वह बहुत हद तक आईडीवी पर निर्भर करती है।
ऐसे में वाहन बीमा प्रीमियम तय करने में आईडीवी सबसे बड़ा आधार होता है। आपके वाहन की आईडीवी जितनी अधिक होती है, उसका प्रीमियम उतना ही अधिक भरना पड़ता है। इसी प्रकार कम आईडीवी होने की स्थिति में गाड़ी का प्रीमियम भी कम भरना पड़ता है।
ऐसे में जब आप बीमा कराएं तो इस बात का भी ख्याल अवश्य रखें कि संबंधित बीमा कंपनी ने आपकी गाड़ी की क्या आईडीवी तय की है। ऐसा न हो कि इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि को कम करके उसने आपकी गाड़ी की आईडीवी भी कम कर दी हो।
आईडीवी तय करने में कौन-कौन से खर्च शामिल होते हैं
आईडीवी निकालने के फार्मूले की जानकारी देने के बाद अब आपको बताते हैं कि एक गाड़ी की आईडीवी तय करने में उस पर हुए कौन कौन से खर्च को शामिल किया जाता है। ये खर्च निम्नवत हैं-
- वाहन की साज सज्जा में संबंधित कंपनी की ओर से लगाए गए सामान अथवा सहायक एक्सेसरीज (accessories) की कीमत।
- वाहन में कंपनी के अतिरिक्त बाहर से लगवाई गई एक्सेसरीज की कीमत।
- कंपनी द्वारा भेजे गए सर्वेयर का खर्च।
हालांकि आईडीवी तय करने में गाड़ी के रजिस्ट्रेशन एवं इंश्योरेंस (registration and insurance) का खर्च नहीं जोडा़ जाता।
आईडीवी निकालते समय किन बातों का ध्यान रखें –
कई ऐसी बातें हैं, जिनका आईडीवी निकालते अथवा तय करते समय ध्यान रखा जाना आवश्यक हैं। ये निम्नवत हैं-
- आईडीवी की सही गणना (right calculation) से आपका प्रीमियम कम हो सकता है। ऐसे में प्रीमियम कम करने के लिए अपनी गाड़ी का आईडीवी कम न बताएं। इससे आपको या तो कम क्लेम मिलेगा अथवा क्लेम मिलने में दिक्कत होगी।
- सही आईडीवी का अर्थ सही क्लेम होता है। आप अपनी बीमा कंपनी के आईडीवी तय करने से पूर्व उत्पादक से चेक कर लें अथवा अपनी गाड़ी की इंश्योरेंस पाॅलिसी (insurance policy) जांच लें।
- यह जांच लें कि आपका इंश्योरेंस प्रीमियम आपकी गाड़ी की आईडीवी के अनुसार तय किया गया है अथवा नहीं।
- यदि आवश्यक लगे तो आप आईडीवी पर मोलभाव अवश्य कर लें। यह तो आप जानते ही हैं कि बीमा कंपनी एवं ग्राहक के बीच सामान्यतः सहमति के आधार पर आईडीवी तय की जाती है।
- अपनी गाड़ी के लिए इंश्योरेंस रिन्यू कराते समय ध्यान रखें कि आपका प्रीमियम आईडीवी पर आधारित हो। यदि आपकी गाड़ी की कीमत इसकी तुलना में अधिक है तो इसका अर्थ है कि आपको गाड़ी के लिए महंगा प्रीमियम चुकाना पड़ रहा है।
प्रीमियम कम करने के लिए आईडीवी कम न कराएं –
कई लोग यह गलती करते हैं, लेकिन आप ऐसा न करें। यह गलती करने से बचें। कई लोग प्रीमियम कम करने के लिए आईडीवी कम कराते हैं, लेकिन इससे उन्हें ही नुकसान हो जाता है। कम आईडीवी का अर्थ है कि गाड़ी के पूरी तरह नष्ट होने अथवा चोरी होने पर आपको कम पैसा मिलेगा।
इससे बेहतर होगा कि आप मार्केट की कीमत के आस-पास का सही आईडीवी बताकर अधिक प्रीमियम देने से बचने की कोशिश करें। इससे आपको क्लेम भी कम नहीं मिलेगा।
इसके अतिरिक्त यदि आप गाड़ी बेचना चाहते हैं तो अधिक आईडीवी आपके काम आएगी, आपको उसकी अच्छी रकम मिलेगी।
लोग गाड़ी का इंश्योरेंस करा लेते हैं, लेकिन आईडीवी के बारे में नहीं जानते –
यह विडंबना ही कहा जाएगा कि हमारे देश में लोग गाड़ी का इंश्योरेंस अवश्य करा लेते हैं, लेकिन वे आईडीवी के विषय में अधिक नहीं जानते। उनका शौक केवल अच्छी गाड़ी को खरीदने एवं उसे स्पीड से दौड़ाने तक सीमित रहता है। एक बात यह भी है कि अधिकांश लोग इंश्योरेंस से जुड़ी अधिकतर शब्दावली को समझना सिरदर्द का कार्य समझते हैं।
इसलिए उसे जानने में उनकी कोई रुचि भी नहीं रहती। बीमा प्लान (insurance plan) चुनते वक्त भी उनका ध्यान केवल इस बात पर रहता है कि गाड़ी का इंश्योरेंस हो जाए। उनके लिए कौन सा इंश्योरेंस बेहतर रहेगा, इस बारे में वे अधिक सोचते समझते नहीं हैं। इसका लाभ कई बार बीमा कंपनियां उठाने की सोचती हैं।
उनकी कोशिश रहती है कि वे ग्राहक से अधिक से अधिक प्रीमियम लें, लेकिन बात मुआवजे की आए तो उन्हें कम से कम मुआवजे का भुगतान करना पड़े। इस स्थिति से ग्राहक की जागरूकता ही उसे उबार सकती है।
वाहन बीमा में आईडीवी से क्या समझते हैं?
वाहन बीमा में आईडीवी बीमित घोषित मूल्य होता है। इसे इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू भी पुकारा जाता है।
बीमा में आईडीवी का क्या महत्व है?
यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई भी नुकसान होने पर बीमा कंपनी गाड़ी का मुआवजा उसकी आईडीवी पर ही देती है।
आईडीवी कैसे तय की जाती है?
इसका सामान्य सा फार्मूला है-गाड़ी के कंपनी आधारित बिक्री मूल्य से उसकी डेप्रिसिएशन वैल्यू घटाकर आईडीवी तय की जाती है।
आईडीवी तय करते हुए किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
आईडीवी तय करते हुए गाड़ी का माॅडल, रजिस्ट्रेशन वर्ष, रजिस्ट्रेशन का शहर आदि को ध्यान में रखा जाता है।
सही आईडीवी क्यों आवश्यक है?
सही आईडीवी के जरिए ही आप किसी नुकसान की स्थिति में अपनी गाड़ी का सही क्लेम ले पाने में सफल होंगे।
यदि गाड़ी पांच साल से पुरानी हो तो आईडीवी कैसे तय होगी?
यदि गाड़ी पांच साल से पुरानी हो तो सामान्यतः आईडीवी बीमा कंपनी एवं ग्राहक के बीच सहमति के आधार पर तय होगी। कुछ कंपनियां इस कार्य के लिए सर्वेयर का भी सहारा लेती हैं।
सर्वेयर का व्यय बीमा कंपनी अथवा बीमा कराने वाला कौन वहन करता है?
सर्वेयर का व्यय बीमा कराने वाले को उठाना पड़ता है। कई बार डीलर भी गाड़ी की वैल्यूएशन करते हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको आईडीवी के संबंध में जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि वाहन बीमा से जुड़े इस महत्वपूर्ण बिंदु के विषय में आपको काफी कुछ स्पष्ट हो गया होगा। बीमा के संबंध में अभी लोगों में उतनी जागरूकता नहीं, जितनी होनी चाहिए। ऐसे में यह आपका कर्तव्य भी है कि आप इस पोस्ट को जागरूकता के उद्देश्य से अधिक से अधिक शेयर करें। धन्यवाद।
—————————-