Internship kya hota hai: आजकल 3 साल की उम्र से ही स्कूल में जाना शुरू कर देते हैं जहाँ हमें भविष्य के लिए तैयार किया जाता है। स्कूल में हमें कई विषयों के बारे में पढ़ाया जाता है जिसे हम दसवीं तक पढ़ते हैं। इसके बाद 11 वीं कक्षा में हमें किसी एक स्ट्रीम को चुनना होता है जिसमें हम आगे बढ़ना चाहते हैं। इसके बाद जब हम बारहवीं कक्षा को पास कर लेते हैं तो उसके बाद स्कूल छोड़कर कॉलेज में जाने का समय आ चुका होता है जहाँ हमें किसी एक कोर्स या विषय में डिग्री लेनी होती (Internship ke bare mein bataiye) है।
अब हमारे देश सहित पूरी दुनिया में अपना करियर बनाने के कई तरह के विकल्प व क्षेत्र हैं। उसके लिए हमें कॉलेज व यूनिवर्सिटी में 3 से 5 वर्ष की पढ़ाई करवायी जाती है। पढ़ाई पूरी होने के बाद हमें उस क्षेत्र में नौकरी करनी होती है किन्तु क्या आप जानते हैं कि केवल पढ़ाई कर लेना ही पर्याप्त नहीं होता है। किसी भी क्षेत्र में काम करने से पहले आपका उसमें पहले का अनुभव लेना जरुरी होता (Internship ka Hindi arth) है।
इस पहले के अनुभव को ही हम इंटर्नशिप कहते हैं जो हर फ्रेशर के लिए बहुत जरुरी होती है। अब जो लोग सोचते हैं कि किसी फ्रेशर को काम करने का अनुभव कैसे होगा तो वह इसी इंटर्नशिप के माध्यम से ही होता है। ऐसे में आज हम आपके साथ इंटर्नशिप क्या होता है और इसके क्या कुछ फायदे व क्षेत्र हैं, के बारे में चर्चा (Internship ka mahatva) करेंगे।
इंटर्नशिप क्या होता है? (Internship kya hota hai)
सबसे पहले हम इंटर्नशिप की परिभाषा क्या होती है या फिर इंटर्नशिप का क्या मतलब है, इसके बारे में बात कर लेते हैं। तो इंटर्नशिप कुछ और नहीं बल्कि बिना पक्की नौकरी लगे हुए काम का अनुभव लेना होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि आप जिस चीज़ के लिए इतनी पढ़ाई कर रहे हैं, वह आपकी पढ़ाई करते समय ही लग जाती है। अब आप जिस भी क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे हैं फिर चाहे वह इंजीनियरिंग हो या बीकॉम या डॉक्टर या फिर आर्किटेक्ट (Internship kya hai) इत्यादि।
जब आपकी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो जाएगी तो आप अपने क्षेत्र से संबंधित कंपनी में नौकरी करने के लिए आवेदन करेंगे। अब उस व्यक्ति को जल्दी नौकरी मिल जाती है जिसके पास पहले से ही उस क्षेत्र में काम करने का अनुभव है लेकिन फ्रेशर को कई तरह की दिक्कत आती है। ऐसे में कोई भी कंपनी या ज्यादातर कंपनियां ऐसे फ्रेशर को नहीं लेगी जिसे काम करने का पहले का अनुभव ही ना हो। तो वह काम करने का अनुभव इंटर्नशिप के माध्यम से ही आता (Internship kya hota hai in Hindi) है।
इंटर्नशिप के तहत आप अपनी पढ़ाई को करते हुए ही उसके बीच में कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनो के लिए किसी कंपनी में अपनी पढ़ाई से संबंधित नौकरी करते हैं। वह नौकरी पक्की नहीं होती है और आप सीधे तौर पर भी नहीं करते हैं बल्कि आप किसी प्रशिक्षित व्यक्ति के नीचे रहकर वह इंटर्नशिप करते हैं और उससे काम सीखते हैं। उदहारण के तौर पर यदि आप डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे हैं तो इंटर्नशिप के दौरान आप पहले के किसी डॉक्टर के नीचे रहकर इंटर्नशिप करते हैं। वहीं सीए की पढ़ाई कर रहे हैं तो किसी सीए के नीचे रहकर उसका काम करते (Internship ka matlab) हैं।
इस तरह से इंटर्नशिप उस अवधि को कहा जाता है जहाँ आप अपने क्षेत्र के अनुभवी लोगों के नीचे रहकर उनके सहायक के रूप में काम करते हैं। इससे आपको उनके प्रशिक्षण में रहकर काम सीखने को मिलता है। इसकी अवधि 15 दिनों से लेकर 6 माह तक की हो सकती है। हालाँकि कुछ कुछ क्षेत्रों में यह 3 से 4 वर्ष की भी हो सकती है।
इंटर्नशिप को हिंदी में क्या कहते हैं? (Internship in Hindi)
अब बहुत से लोगों को यह भी जानना होगा कि इंटर्नशिप को हिंदी में क्या कहा जाता है। तो इस शब्द का नाम ऊपर आपने इंटर्नशिप की परिभाषा में ही पढ़ लिया है और वह शब्द है प्रशिक्षण। इस तरह से इंटर्नशिप को हिंदी में प्रशिक्षण कहा जाता (Internship meaning in Hindi) है। हालाँकि इसका अंग्रेजी नाम ही हर जगह प्रसिद्ध है और भारत देश में काम करने की भाषा के रूप में अंग्रेजी को ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसे में इसके लिए इंटर्नशिप शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता है।
इंटर्नशिप के प्रकार (Internship ke prakar)
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि इंटर्नशिप कितने तरह की हो सकती है। आप लोग सोच रहे होंगे कि इंटर्नशिप का क्या है और यह तो बस एक तरह की होती होगी लेकिन ऐसा नहीं है। इंटर्नशिप में भी कई तरह के प्रकार देखने को मिलते (Types of internship in Hindi)हैं जो इसके काम करने के तरीके को तो एक जैसा ही रखते हैं लेकिन वह लग किस तरह से रही है, वह उसे भिन्न बना देते हैं। अब आप इसे सही से समझ नहीं पाए हैं तो आइये हम आपको इसके प्रकार के बारे में जानकारी देकर अच्छे से समझा देते हैं।
Paid Internships
इस तरह की इंटर्नशिप ज्यादातर बड़ी कंपनियों में देखने को मिलती है या जो इंटर्नशिप देने के बड़े बड़े संस्थान होते हैं वहां देखने को मिलती है। इन सभी के अलावा जो छात्र अच्छे और टॉप लेवल के कॉलेज व यूनिवर्सिटी में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें अक्सर पैसे देकर इंटर्नशिप पर रखा जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जितने समय के लिए आप किसी कंपनी में रहकर इंटर्नशिप करते हैं, कंपनी उसके लिए कुछ भुगतान आपको वेतन के तौर पर करती है।
Unpaid Internships
इस तरह की इंटर्नशिप उन छात्रों को करनी पड़ती है जो ना तो टॉप लेवल के कॉलेज में पढ़ रहे हैं और ना ही छोटे लेवल के। साथ ही जिनका परिणाम इतना अच्छा नहीं है चाहे वे टॉप कॉलेज में पढ़ भी रहे हैं तो भी उन्हें इस तरह की इंटर्नशिप करनी पडती है। इस इंटर्नशिप में उन्हें काम करने का अनुभव और सर्टिफिकेट तो मिलता है लेकिन इसके लिए किसी तरह के पैसे नहीं मिलते हैं।
Self paid Internships
इस तरह की इंटर्नशिप वे छात्र करते हैं जो या तो पढ़ाई में बहुत ही कमजोर हैं या घटिया स्तर के कॉलेज में पढ़ रहे हैं या फिर वे किसी ऐसी जगह से इंटर्नशिप लेना चाहते हैं जो बहुत ही उच्च स्तर का है और उन्हें वहां जाकर लाभ मिल रहा है। इस तरह की इंटर्नशिप में उन्हें काम करने का अनुभव और सर्टिफिकेट मिलता है लेकिन इंटर्नशिप लेने के लिए सामने वाले को ही पैसे देने पड़ते हैं।
Virtual/Remote Internships
आज के समय में बहुत सी चीजें ऑनलाइन या डिजिटल हो चुकी है। अब जो काम ऑनलाइन होता है तो उसकी इंटर्नशिप भी डिजिटल या रिमोट रूप में दी जा सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं तो आप वर्चुअल या रिमोट रूप में भी इंटर्नशिप कर सकते हैं और इसके लिए आपको कहीं जाने की भी जरुरत नहीं होगी।
Summer Internships
यह इंटर्नशिप ज्यादातर इंजीनियरिंग की पढ़ाई में देखने को मिलती है जो उनके तीसरे से चौथे वर्ष के बीच में होती है। जब इंजीनियरिंग का तीसरा वर्ष समाप्त हो जाता है और चौथा वर्ष शुरू होने वाला होता है तो उसके बीच में गर्मियों की छुट्टियाँ इंटर्नशिप के लिए होती है। यह सामान्य तौर पर 1 से 2 महीने की होती है जब छात्र अपनी इंटर्नशिप पूरी कर सीधे चौथे वर्ष में प्रवेश करता है।
Cooperative Education Internships
यह इंटर्नशिप लंबी चलने वाली इंटर्नशिप होती है जो सामान्य तौर पर सीए और डॉक्टर की पढ़ाई में देखने को मिलती है। अब सीए को अपनी पहले की 2 से 3 परीक्षा को पास करके 3 वर्ष की इंटर्नशिप करनी होती है और उसके बाद फाइनल एग्जाम देकर वह सीए बन जाता है। उसी तरह डॉक्टर को भी किसी अनुभवी डॉक्टर के नीचे रहकर कई वर्ष तक काम करने का अनुभव लेना होता है। यह इंटर्नशिप शिक्षा का ही एक अभिन्न अंग होती है। इस कारण इन्हें एक अलग प्रकार में रखा गया है।
Research Internships
इस तरह की इंटर्नशिप भी हर क्षेत्र में हो सकती है लेकिन इसमें छात्र को किसी का काम नहीं करना होता है बल्कि किसी विषय पर रिसर्च या खोज करनी होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि एक तरह से वह वैज्ञानिक के तौर पर काम कर रहा होता है जहाँ वो नए क्षेत्र में खोज करता है या कोई नयी चीज़ बनाता है। इसे हम रिसर्च इंटर्नशिप के साथ साथ प्रोजेक्ट पर काम करना भी कह सकते हैं।
Corporate Internships
इस तरह की इंटर्नशिप पढ़ाई के बीच में नहीं बल्कि उसके बाद की जाती है। आमतौर पर जब पढ़ाई खत्म होते ही बड़ी कंपनियां आपको नौकरी दे देती है तो वह सीधे आपसे काम नहीं करवाती है बल्कि पहले से 2 से 4 महीनों तक इंटर्नशिप पर रखती है। इस दौरन वह आपको काम सिखाती है और कंपनी में कैसे रहना है, इसके बारे में बताती है। जब आप काम करने के लायक हो जाते हैं और इंटर्नशिप पूरी हो जाती है, तब वह आपसे असली काम करवाना शुरू करती है। एक तरह से इसे ट्रेनिंग पीरियड भी कहा जा सकता है।
इंटर्नशिप कैसे करें? (Internship kaise kare)
अब हम बात करते हैं कि किस तरह से आप अपनी इंटर्नशिप कर सकते हैं और इसे करने के क्या कुछ तरीके हैं। तो पहली बात तो ज्यादातर इंटर्नशिप कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्र ही करते हैं और इसके लिए उनकी सहायता उनका संस्थान ही कर देता (Internship kaha se kare) है। किन्तु यह जरुरी नहीं है कि वह हर बार ही आपकी सहायता करे। ऐसे में आप अन्य तरीकों से भी इसे जारी रख सकते हैं। आइये जाने किन किन तरीकों से आप अपनी इंटर्नशिप को कर सकते हैं।
कॉलेज या यूनिवर्सिटी की सहायता से
इंटर्नशिप करने का सबसे सरल तरीका अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी की सहायता से ही इसे करना उचित माना जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जिस भी कॉलेज में रहकर आप पढ़ाई कर रहे हैं और जब आपकी इंटर्नशिप का समय आता है तो वह कॉलेज ही कहाँ पर इंटर्नशिप करनी है और कितने समय के लिए और कैसे करनी है, यह सब बता देता है। हालाँकि वह अपने छात्रों को किसी विशिष्ट जगह से ही इंटर्नशिप करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है। ऐसे में यह आप पर निर्भर करता है कि आप वहां से इंटर्नशिप करना चाहते हैं या नहीं।
कंपनियों में आवेदन कर
अब यदि आप अपने कॉलेज के द्वारा बताई गयी जगह से इंटर्नशिप नहीं करना चाहते हैं या फिर आपका कॉलेज इसकी सुविधा नहीं देता है तो आप स्वयं से भी कंपनियों में आवेदन कर इंटर्नशिप करने के लिए कह सकते हैं। हालाँकि इसके लिए आपको ज्यादा परिश्रम करना होगा और अपने क्षेत्र से संबंधित तरह तरह की कंपनियों में आवेदन करना होगा। यदि आपको किसी कंपनी में चुन लिया जाता है तो वहां आप अपनी इंटर्नशिप कर सकते हैं।
ऑनलाइन या डिजिटल रूप से आवेदन कर
आज के समय में जब सबकुछ ऑनलाइन हो गया है तो इंटर्नशिप को भी ऑनलाइन ही किया जा सकता है या उसके लिए ऑनलाइन रूप में आवेदन किया जा सकता है। आपको कई तरह की वेबसाइट व ऐप मिल जाएगी जो छात्रों को इंटर्नशिप पर रखने के बारे में ऑफर देती होगी। तो आपको वहां पर जाकर आवेदन करते रहना है और उन पर नज़र बनाये रखनी है।
रेफरल के माध्यम से
जब आप कॉलेज में पढ़ रहे होते हैं तो आपके कई सीनियर भी होते हैं जो आपसे पहले ही कॉलेज से पासआउट हो जाते हैं और भिन्न भिन्न कंपनियों में नौकरी कर रहे होते हैं। ऐसे में आप उनकी सहायता से भी कंपनी में इंटर्नशिप करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यदि आप स्वयं से कंपनी में इंटर्नशिप के लिए आवेदन करते हैं तो उसमें देर लगती है जबकि रेफरल के माध्यम से यह काम जल्दी हो जाता है।
जॉब फेयर में जाकर
कंपनियों के द्वारा सामूहिक रूप से इंटर्नशिप देने के लिए जॉब फेयर का भी आयोजन किया जाता है। अब इसमें मुख्य तौर पर नौकरी दी जाती है लेकिन इंटर्नशिप पर भी रखा जाता है क्योंकि काम तो दोनों से ही हो रहा है। साथ ही कंपनियों को इंटर्न बहुत ही सस्ते में मिल जाते हैं और उनसे काम लेना भी सरल होता है। यही कारण है कि आज के समय में बहुत कंपनियां अपने यहाँ इंटर्न को लेने में प्राथमिकता दिखा रही है।
इंटर्नशिप क्यों जरुरी होती है? (Internship kyu kiya jata hai)
किसी भी छात्र या फ्रेशर के लिए इंटर्नशिप करना बहुत ही जरुरी माना जाता है और यह शायद आपको ऊपर का लेख पढ़कर थोड़ा बहुत आईडिया हो भी गया होगा। हालाँकि फिर भी हम आपको थोड़ा विस्तार से इसके बारे में बता देते हैं। तो इंटर्नशिप किसी भी छात्र को आगे नौकरी लगवाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी सहायता से उसे काम करने का अनुभव पहले ही मिल जाता है जो फ्रेशर के तौर पर उसके रिज्यूमे को भारी करने में जरुरी होता (Purpose of an internship in Hindi) है।
इसी के साथ ही कंपनियों को भी अपने यहाँ इंटर्न को नौकरी पर रखने में बहुत लाभ देखने को मिलता है। वह इसलिए क्योंकि इंटर्न को कम पैसे देने पड़ते हैं और उनसे काम को सरलता से करवाया जा सकता है। इस तरह से कंपनियों की कॉस्ट कटिंग हो जाती है जो उनके लिए लाभदायक ही कही जाएगी। इस कारण भी छात्र और कंपनी दोनों के लिए ही इंटर्नशिप लाभदायक रहती है और जरुरी (Importance of internship in Hindi) भी।
इंटर्नशिप कहाँ जरुरी होती है?
वैसे तो इंटर्नशिप हर क्षेत्र में जरुरी मानी जाती है लेकिन कुछ कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ इसे अनिवार्य रूप से करवाया जाता है और इसके बिना उन्हें डिग्री नहीं मिलती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि कुछ कुछ डिग्री ऐसी होती है जहाँ पर इंटर्नशिप करनी इतनी जरुरी नहीं होती है और वह आप बिना करे भी डिग्री ले सकते हैं। वहीं कुछ डिग्री या कोर्स ऐसे होते हैं जहाँ बिना इंटर्नशिप किये आपको डिग्री नहीं मिल सकती है। तो उन कोर्स या डिग्री के नाम हैं:
- इंजीनियरिंग
- डॉक्टर
- सीए
- सीएस
- अधिवक्ता या वकील
- नर्सिंग
- मेडिकल स्टाफ
- होटल मैनेजमेंट
- हॉस्पिटैलिटी
- शिक्षा इत्यादि।
इनके अलावा भी कुछ क्षेत्र ऐसे हो सकते हैं जहाँ पर इंटर्नशिप को करना जरुरी माना गया है। इसी के साथ ही भविष्य में इंटर्नशिप को लगभग हर क्षेत्र में जरुरी कर दिया जाएगा क्योंकि इससे काम को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है।
इंटर्नशिप के फायदे (Internship karne ke fayde)
अब आपने इंटर्नशिप के बारे में इतना सब जान लिया है तो इंटर्नशिप से क्या कुछ लाभ हो सकते हैं या इसके क्या क्या फायदे देखने को मिलते हैं, इसके बारे में भी जान लेना (Internship ke fayde) चाहिए। तो इंटर्नशिप को लेने के जो मुख्य फायदे होते हैं उनके बारे में तो आपने ऊपर पढ़ ही लिया है लेकिन फिर भी कुछ अन्य फायदों को साथ में लेकर हम इस पर अच्छे से प्रकाश डाल देते हैं।
- इससे छात्र को पढ़ाई के साथ साथ काम करने का अनुभव भी हो जाता है और वह पढ़ाई के साथ साथ प्रैक्टिकल का भी अनुभव ले पाता है।
- यदि वह किसी अच्छी कंपनी से अपनी इंटर्नशिप करता है तो इससे आगे अच्छी नौकरी मिलने की संभावना भी बढ़ जाती (Internship benefits in Hindi) है।
- वह चाहे तो इंटर्नशिप करने वाली कंपनी में ही आगे की नौकरी करने के लिए आवेदन कर सकता है। यदि कंपनी को उसका काम अच्छा लगता है तो अवश्य ही उसे नौकरी पर रख लेती है।
- इससे छात्र का रिज्यूमे भी प्रभावी बनता है जो उसे तरह तरह की कंपनियों से ऑफर दिलवा सकता है। इससे वह अपने लिए किसी बेस्ट कंपनी को चुन सकता है।
- पढ़ाई करते हुए ही छात्र को इंटर्नशिप के तौर पर पैसे कमाने का अवसर मिल जाता है जो उसके खर्चे को पूरा करने में मदद करता (Internship ke labh) है।
- इससे छात्र का आत्म विश्वास भी बढ़ता है और उसे पता चलता है कि वह आगे चलकर उस क्षेत्र में किस किस तरह की नौकरी कर सकता है।
- इंटर्नशिप करते समय उसके कई तरह के कांटेक्ट बनते हैं जो भविष्य में उसके लिए बहुत सहायक होते हैं।
इस तरह से इंटर्नशिप करने के एक नहीं बल्कि कई तरह के फायदे देखने को मिलते हैं जो उसे निरंतर आगे बढ़ाने और उसके उन्नत भविष्य के लिए जरुरी होते हैं.
इंटर्नशिप क्या होता है – Related FAQs
प्रश्न: इंटर्नशिप का मतलब क्या होता है?
उत्तर: इंटर्नशिप उस अवधि को कहा जाता है जहाँ आप अपने क्षेत्र के अनुभवी लोगों के नीचे रहकर उनके सहायक के रूप में काम करते हैं।
प्रश्न: इंटर्नशिप क्या है और इसके फायदे?
उत्तर: इंटर्नशिप के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको ऊपर का लेख पढ़ कर मिल जायेगी।
प्रश्न: इंटर्नशिप करने के बाद क्या होता है?
उत्तर: इंटर्नशिप करने के बाद आपको काम का अनुभव हो जाता है और आपको नौकरी मिलने में आसानी हो जाती है।
प्रश्न: इंटर्नशिप में क्या क्या करना पड़ता है?
उत्तर: इंटर्नशिप के बारे में संपूर्ण जानकारी आप ऊपर का लेख पढ़ कर प्राप्त कर सकते हो।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने इंटर्नशिप के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि इंटर्नशिप क्या है इंटर्नशिप के प्रकार क्या हैं इंटर्नशिप के फायदे क्या हैं इंटर्नशिप कैसे करते हैं और इंटर्नशिप क्यों और कहां जरूरी होती है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।