रेप केस में सजा के प्रावधान | धारा 376 आईपीसी- बलात्कार के लिए दण्ड | IPC Section 376 in Hindi

रेप केस इन हिंदी – देश में महिलाओं पर होने वाले अपराधों की फेहरिस्त लंबी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के प्रति अपराध लगातार बढ़ रहा है। इसमें भी सबसे ऊपर रेप ही है जिसके मामले हर दिन सुनाई देते हैं। कुछ मामलों की गूंज तो देशभर में हुई।

इनमें 2012 में हुए निर्भया कांड के साथ ही हैदराबाद कांड, उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड का नाम लिया जा सकता है। निर्भया कांड के बाद तो बलात्कार संबंधी कानून में कुछ बदलाव भी किए गए। आज इस पोस्ट में हम आपको रेप केस में सजा के प्रावधान से जुड़े प्रावधानों के बारे में जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

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रेप (rape) यानी बलात्कार क्या है?

साथियों, इससे पूर्व कि हम आपको रेप के मामले में सजा से जुड़े प्रावधानों की जानकारी दें, पहले जान लेते हैं कि कानून की नजर में रेप क्या है। दोस्तों, निम्न स्थितियों में बनाए गए शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में आते हैं-

  • 1-स्त्री की इच्छा के विरुद्ध।
  • 2-महिला की सहमति के बिना।
  • 3-यदि स्त्री की सहमति उसे या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति की मृत्यु या अन्य नुकसान का डर दिखाकर हासिल की गई हो।
  • 4-यदि महिला की सहमति उससे विधिपूर्वक विवाह का झांसा देकर हासिल की गई हो।
  • 5-यदि स्त्री विकृत चित्त हो या फिर उसकी सहमति उसे व्यक्तिगत रूप से या अन्य किसी के माध्यम से कोई संज्ञाशून्यकारी या अस्वास्थ्यकर पदार्थ देकर प्राप्त की गई हो और वह उसकी प्रकृति और परिणामों को समझने में असमर्थ हो।
  • 6-यदि युवती की आयु 18 वर्ष से कम है तो उसकी सहमति/सम्मति बगैर।
  • 7-यदि स्त्री सम्मति जताने में असमर्थ हो ।

IPC की धारा 375, 376 में रेप केस सजा का प्रावधान – IPC Section 376 in Hindi

दोस्तों, आपको बता दें कि किसी भी महिला से बलात्कार किया जाना भारतीय कानून के तहत गंभीर श्रेणी में आता है। इसे धारा 375 में परिभाषित किया गया है। इस अपराध को अंजाम देने वाले दोषी को कड़ी सजा का प्रावधान है। इस अपराध के लिये भारतीय दंड संहिता यानी Indian penal code में धारा 376 376 के तहत सजा का प्रावधान है। अपराध की श्रेणी के अनुसार न्यूनतम सात साल के कठोर कारावास से लेकर मृत्यु की सजा तक का प्रावधान किया गया है।

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पत्नी से उसकी सहमति बगैर संबंध को भी सजा के दायरे में रखा गया

साथियों, आपको बता दें कि किसी व्यक्ति के उसकी सहमति के बगैर जबरन शारीरिक संबंध बनाने को भी सजा के दायरे में रखा गया है। पत्नी के साथ दुराचार में आरोपी को दो वर्ष तक की सजा हो सकती है। या फिर आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। कई मामलों में कोर्ट (court) पर्याप्त और विशेष कारणों से सजा की अवधि को कम भी कर सकती है।

रेप केस में निर्भया कांड के बाद मौत की सजा जोड़ी गई

मित्रों, 2012 में देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया कांड एक ऐसी घटना थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए थे। उसके बाद बलात्कार जैसी घटना पर कड़ी सजा को लेकर चारों ओर से जोरदार आवाजें उठनी शुरू हो गईं। आम नागरिकों के भारी दबाव के चलते संविधान संशोधन किया गया और आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रकैद या मौत की सजा का प्रावधान कर दिया गया।

धारा 376 के अंतर्गत सजा के प्रावधान – Punishment provisions under section 376

आपको जानकारी दे दें कि किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है। अपराध सिद्ध होने की स्थिति में दोषी को कम से कम सात साल और अधिकतम 10 साल तक कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है। रेप केस में हालात और श्रेणी के अनुसार सजा को धारा 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ के रूप में विभाजित किया गया है। विस्तार से इन पर बात करते हैं-

376(क)

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि पत्नी की सहमति के बगैर या उनकी उम्र विवाह के लिए निर्धारित आयु से कम होने पर शारीरिक संबंध बनाने की स्थिति में जिसके लिए दो वर्ष तक की सजा या जुर्माना देना पड़ेगा। या दोनों सजा साथ मिल सकती हैं।

376(ख)

दोस्तों, आपको बता दें कि किसी लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में किसी स्त्री के साथ रेप करने की दशा में यह अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके लिए पांच वर्ष तक की जेल के साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा।

376(ग)

जेल में अधिकारी द्वारा किसी महिला बंदी से शारीरिक संबंध बनाना भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। इसमें पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।

376(घ)

अस्पताल के प्रबंधक या कर्मचारी या किसी अन्य सदस्य द्वारा अस्पताल में किसी स्त्री के साथ रेप की सजा अवधि पांच साल तक हो सकती है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो एक नजर में रेप के इन मामलों को इस धारा के तहत दंड योग्य माना गया है-

  • किसी पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्कार।
  • किसी लोक सेवक द्वारा बलात्कार।
  • सशस्त्र बलों के किसी सदस्य द्वारा बलात्कार
  • जेल, सुधार गृह, विधवा गृह,या फिर इसी तरह की किसी संस्था के कर्मचारी द्वारा बलात्कार।
  • किसी रिश्तेदार, संरक्षक या शिक्षक या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जो उस महिला के प्रति न्यास की हैसियत रखता है, के द्वारा बलात्कार।
  • सम्मति देने में असमर्थ किसी स्त्री से बलात्कार।
  • किसी सांप्रदायिक या पंथीय हिंसा के दौरान बलात्कार।
  • किसी गर्भवती स्त्री से बलात्कार।
  • मानसिक या शारीरिक अशक्तता से ग्रसित किसी स्त्री से बलात्कार।
  • बलात्कार करते समय स्त्री को गंभीर शारीरिक हानि पहुंचाना या विकलांग बनाना
  • किसी स्त्री से बार-बार बलात्कार

दोस्तों, आपको बता दें कि उपरोक्त परिस्थितियों में किसी स्त्री से बलात्कार किया जाता है तो बलात्कार के दोषी को कम से कम 10 वर्ष का कारावास जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा। बहुत गंभीर मामले में मृत्यु दंड दिया जा सकता है।

बांबे हाईकोर्ट का निर्णय चर्चा में रहा

साथियों, रेप केस के तमाम मामलों से जुड़े प्रावधानों के बीच बांबे हाईकोर्ट का एक आदेश भी चर्चा में रहा। हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि यदि कोई शिक्षित और 18 वर्ष की उम्र से बड़ी लड़की रिलेशनशिप में सहमति से संबंध बनाती है तो रिश्ते खराब होने के बाद वह बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती। हाईकोर्ट के मुताबिक समाज में यौन संबंधों को सही नहीं माना जाता है। तब भी यदि कोई महिला यौन संबंधों के लिये ‘न’ नहीं कहती तो उसे सहमति से बनाया संबंध ही माना जाएगा।

भारत समेत कई देशों में पति द्वारा बलात्कार पर ठोस कानून का अभाव

आज से तीन साल पहले यानी 2017 की एक रिपोर्ट में इक्वलिटी नाउ (Equality Now) नामक एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने बलात्कार को लेकर मिलने वाली सजाओं के बारे में अपनी बात रखी थी। उस रिपोर्ट के आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो घाना, भारत, इंडोनेशिया, जॉर्डन, लिसोथो, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, श्रीलंका और तंजानिया में पति द्वारा किए गए बलात्कार पर कोई कठोर कानून नहीं है, कुछ देशों में तो यह पूरी तरह से कानूनी माना गया है।

तमाम देशों में महिलाओं की स्थिति खराब

दोस्तों, आपको बता दें कि दुनिया के तमाम देशों में महिलाओं की स्थिति खराब है। 2016 में जारी विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि दुनिया में 155 देश ऐसे हैं, जहां के कानून महिलाओं को आर्थिक विकास यानि आर्थिक मौके मिलने से रोकते हैं। इसके अलावा दुनिया में 100 देश ऐसे भी हैं, जहां औरतों को क्या काम करना है और क्या नहीं, इसका फैसला लेने की आजादी नहीं है।

मित्रों, आपको बता दें कि संसार में 18 देश ऐसे भी हैं, जहां पति यह तय करता है कि पत्नी को काम करना भी है या नहीं। इसके अलावा दुनिया के 82 में से 15 देश ऐसे हैं, जहां पर बलात्कार का मामला हिंसा से भी ज्यादा नैतिकता का हो जाता है। इन देशों में बेल्जियम, नीदरलैंड्स, लग्ज़मबर्ग और जॉर्डन के साथ साथ नाइजीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, यमन शामिल हैं।

रेप केस में सामाजिक शर्म और दबाव से जुबान बंद रहती है, समझौते की भी कोशिश

मित्रों, आपको बता दें कि हमारे देश का ताना-बाना बड़ा अजीब है। सामाजिक शर्मा और दबाव के चलते कई बार इस तरह के मामले सामने नहीं आते। पीड़ित की जुबान बंद रहती है। वहीं, कई महिलाएं ऐसी होती हैं, जो घरेलू उत्पीड़न की शिकार होती हैं। लेकिन उनकी जुबान नहीं खुलती। कई इस तरह के भी मामले सामने आए हैं कि पीड़िता पर आरोपी से शादी का दबाव रहता है। बहुत से मामलों में आरोपी इसीलिए सजा से भी बच पाए हैं कि उन्होंने बलात्कार पीड़िता से विवाह कर लिया।

भारत में महिलाओं पर चौथा सबसे बड़ा अपराध

साथियों, यदि एनसीआरबी की 2019 की सालाना रिपोर्ट पर भरोसा करें तो देश भर में रेप के 32,033 मामले दर्ज किए गए। इस तरह देखा जाए तो हर रोज औसतन 88 मामले दर्ज हुए। 2018 के मुकाबले यह थोड़ा कम है। उस वक्त रोज 91 मामले दर्ज किए गए थे। आपको बता दें कि साल भर में दर्ज बलात्कार के 30,165 मामलों में अपराधी पीड़िता के परिचित ही थे।

आपको बता दें कि सन् 2019 में हर दिन महिलाओं और लड़कियों पर बलात्कार के साथ ही हमले और हिंसा की कोशिश में नाबालिगों के साथ बलात्कार भी हुए। एनसीआरबी की 2019 की ही रिपोर्ट के अनुसार बलात्कार के मामले सबसे ज्यादा राजस्थान में सामने आए।

इसके अलावा उत्तर भारत, जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई।राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो वहां 2019 में बलात्कार के कुल 1253 मामले दर्ज किए गए।

फास्ट ट्रैक कोर्ट से जल्द सजा

साथियों, आपको बता दें कि रेप से जुड़े कई मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी ले जाया जाता है। जहां मामलों पर जल्द सुनवाई होकर सजा तजवीज की जाती है। ढेर सारे आरोपियों को दोषी सिद्ध होने पर पॉक्सो एक्ट में सजा तजवीज की जाती हैं।

अंतिम शब्द

दोस्तों, तमाम कठोर कानून के बावजूद देश में रेप की घटनाएं रुक नहीं रही है। खासतौर पर नाबालिगों पर अत्याचार लगातार बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि यदि रेप संबंधी कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए तो इन पर पाबंदी लगाई जा सकती है। निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा हो चुकी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में इस तरह के अपराध पर अंकुश लग सकेगा।

दोस्तों, हमने आपको रेप केस में सजा प्रावधानों के बारे में बताया। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आप किसी अन्य विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का हमें हमेशा की तरह इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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