|| जन्म कुंडली कैसे देखें? How to see janam kundli? मेरी जन्म कुंडली में क्या लिखा है? कुंडली से भाग्य कैसे जाने? जन्म कुंडली से शादी कब होगी? मेरी कुंडली में क्या दोष है? Janam Kundli Kaise Nikale In Hindi, Kundli Dekhne Ka Tarika ||
आपने देखा होगा कि बच्चे के जन्म लेने के तुरंत पश्चात उसकी जन्म कुंडली बनवा दी जाती है। हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसका भाग्य निर्धारित हो जाता है। उसका भविष्य कैसा रह सकता है, यह जानकारी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति, गति एवं चाल के अनुसार कुछ रेखाओं के माध्यम से दी जाती है।
लोग बहुधा इस कुंडली को स्वयं नहीं पढ़ पाते कि इसमें क्या लिखा है। ऐसे में वे लोग इसे लेकर ज्योतिषी के पास जाते हैं। यदि आप अपनी जन्म कुंडली खुद देखकर अपने भविष्य के बारे में एक आंकलन करना चाहते है। तो आप एकदम सही स्थान पर हैं। आज हम आपको यही बताएंगे कि आप अपनी जन्म कुंडली कैसे देखें? उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगी-
जन्म कुंडली क्या होती है?
जन्म कुंडली को जन्मपत्री भी पुकारा जाता है। कई लोग इसे पत्रा भी कहते हैं। यह किसी जातक के ग्रहों की दिशा एवं दशा का बखान करती है। जन्म कुंडली के ही जरिए किसी का भविष्य बांचा जाता है। जैसे- निकट भविष्य में उसके लिए समय कैसा रहेगा? इसकी बेहतरी के लिए उसे क्या करना होगा और किस काम से विरत रहना होगा? आदि।
यही वजह है कि जब हमारे यहां शादी-ब्याह होते हैं तो भावी वर-वधू की जन्म कुंडली का मिलान अवश्य कराया जाता है, ताकि दोनों के संगठित भविष्य की संभावनाओं को लेकर कोई आंकलन किया जा सके।
दरअसल, हमारे यहां माना जाता है कि बालक के भविष्य में जो कुछ घटित होता है वह उसके ग्रहों की दशा व दिशा पर निर्भर होता है। इसी के चलते आपने देखा होगा कि यदि किसी का समय अच्छा नहीं चल रहा तो वह ज्योतिषी/पुरोहित आदि के दिशा निर्देशन में अपने ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ, दान दक्षिणा आदि कराता है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि भविष्य अनिश्चित होता है। इसके रहस्यों का पता लगा पाना किसी के लिए भी संभव नहीं। लेकिन जन्म कुंडली कुछ हद तक ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर भविष्य का पता दे देती है, लोग इसीलिए जातक की जन्म कुंडली बनवाते हैं, क्योंकि वे अपने बालक के भविष्य को लेकर उत्कंठित एवं चिंतित रहते हैं।
इसके साथ ही वे भविष्य का आंकलन समझकर उसे जातक के प्रति अनुकूल बनाने की चेष्टा विभिन्न उपायों के माध्यम से करते हैं। यूं तो बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं, जिनकी कोई जन्म कुंडली नहीं बनी है, न ही वे उन्हें बनवाने के लिए उद्यत होते हैं।
लेकिन संख्या की दृष्टि से ऐसे लोग कम है। अधिकांश संख्या उन्हीं की है, जो जन्म कुंडली बनवाते हैं एवं उसके माध्यम से अपना एवं अपने रक्त संबंधियों का भविष्य जानने के लिए इच्छुक/उत्सुक रहते हैं।
जन्म कुंडली किस आधार पर बनाई जाती है?
बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि जन्म कुंडली किस आधार पर बनाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि किसी भी जातक की कुंडली उसकी जन्म तिथि, जन्म के समय एवं जन्म स्थान के आधार पर बनाई जाती है।
यदि किसी व्यक्ति को अपने बच्चे का जन्म का समय ध्यान नहीं तो ठीक ठीक जन्मपत्री बनाई जानी संभव नहीं हो पाती। ऐसे में जन्म कुंडली में विचलन की आशंका रहती है।
जन्म कुंडली बनवाने यह लाभ होता है कि व्यक्ति के ग्रहों के अनुसार उसके जीवन की भावी परिस्थितियों का आंकलन किया जा सकता है। ग्रहों की गति से कोई भी बच नहीं सका है। बड़े से बड़ा राजा रंक हुआ तो कभी किसी रंक को बगैर कुछ किए राजपाट हासिल हो गया। उसकी कुंडली में राजयोग था।
इसी प्रकार जन्म कुंडली बनवाने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके माध्यम से किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्टों को बेशक खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन उनके असर को उपाय करके कम जरूर किया जा सकता है। सामान्य रूप से जन्म कुंडली के निम्न लाभ हैं-
- विभिन्न ग्रहों एवं नक्षत्रों के प्रभावों के आंकलन से भविष्य का आंकलन संभव।
- जन्म कुंडली मिलान द्वारा लड़के एवं लड़की का उपयुक्त जीवनसाथी के रूप में चयन संभव।
- जन्म कुंडली के माध्यम से जातक के व्यक्ति एवं गुणों का प्रभावशाली अध्ययन संभव।
- जातक पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों का पता कर उनका समय रहते उपाय संभव।
- गुणों के आधार पर किस क्षेत्र में जातक अधिक सफल रहेगा, उसकी गणना/आंकलन संभव।
जन्म कुंडली में कौन से नौ ग्रह होते हैं?
मित्रों, जन्म कुंडली में स्थित नौ ग्रह एवं 12 राशियां ही मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। यही उसके जीवन में स्थायी भाव की निर्माता भी होती हैं। माना जाता है कि तारा समूहों का सीधा प्रभाव पृथ्वी ग्रह के वासियों पर पड़ता है। यह तो आप जानते ही हैं कि एक ही दिन में जन्में लोगों के जन्म नक्षत्र एवं स्थिति अलग होती है।
जिस प्रकार डाक्टर रोग पहचानकर इलाज करता है, उसी प्रकार एक ज्योतिषी कुंडली देखकर व्यक्ति की समस्या का निदान बताने में समर्थ होता है। अब आपको जानकारी देते हैं कि जन्म कुंडली में कौन से नौ ग्रह स्थित होते हैं। ये ग्रह निम्नवत हैं-
- सूर्य ग्रह।
- चंद्र ग्रह।
- मंगल ग्रह।
- बुध ग्रह।
- बृहस्पति ग्रह।
- शुक्र ग्रह।
- शनि ग्रह।
- राहु ग्रह।
- केतु ग्रह।
राशि के 12 भाव कौन कौन से हैं?
अब हम आपको यह जानकारी देंगे कि राशि के 12 भाव कौन कौन से हैं। इनका ब्योरा निम्नवत है-
- प्रथम भाव।
- द्वितीय भाव।
- तृतीय भाव।
- चतुर्थ भाव।
- पंचम भाव।
- षष्ठम भाव।
- सप्तम भाव।
- अष्टम भाव।
- नवम भाव।
- दशम भाव।
- एकादश भाव।
- द्वादश भाव।
कौन सा ग्रह किस राशि का स्वामी होता है?
हमने अभी अभी आपको कुंडली में स्थित नौ ग्रहों की जानकारी दी। अब आपको बताएंगे कि कौन सा ग्रह किस राशि का स्वामी होता है। जानकारी निम्नवत है-
सूर्य ग्रह | सिंह राशि का स्वामी। |
चंद्र ग्रह | कर्क राशि का स्वामी। |
मंगल ग्रह | मेष एवं वृश्चिक राशि का स्वामी। |
बुध ग्रह | कन्या एवं मिथुन राशि का स्वामी। |
बृहस्पति ग्रह | धनु एवं मीन राशि का स्वामी। |
शुक्र ग्रह | तुला एवं वृष राशि का स्वामी। |
शनि ग्रह | मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी। |
जन्म कुंडली कैसे देखें?
इन दिनों इंटरनेट/आनलाइन का जमाना है। सारी सुविधाएं अब आनलाइन एक क्लिक पर उपलब्ध हैं। अब कई ऐसे साफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से आप कुंडली भी स्वयं आनलाइन देख सकते हैं। इसके लिए आपको निम्न कदम उठाने होंगे-
- सबसे पहले www.freekundli.com पर जाएं। अब आपके सामने एक फार्म (form) खुल जाएगा।
- आपको इस फार्म में अपना नाम, जन्म समय, जन्म तिथि जैसी सारी जानकारी सही सही भरकर सबमिट (submit) पर क्लिक (click) करना होगा।
- इसके पश्चात आपकी जन्म कुंडली आपके सामने बनी हुई नजर आ जाएगी।
- आप इस जन्म कुंडली को अपने मोबाइल या कंप्यूटर (mobile/computer) में डाउनलोड (download) कर सकते हैं।
- आप चाहें तो भविष्य (future) के संदर्भ के लिए इस कुंडली का प्रिंट आउट (print out) भी लेकर अपने पास रख सकते हैं।
बहुत से लोग अपने बच्चों की जन्म के समय कुंडली नहीं बनवा पाते। वे इस कदर व्यस्त रहते हैं कि उन्हें इसका ध्यान भी नहीं रहता। उन्हें होश तब आता है, जब या तो बच्चे के जीवन में कुछ परेशानियां आ रही हों या फिर उनका शादी-ब्याह होने वाला हो। ससुराल पक्ष जन्म कुंडली की मांग करे।
ऐसे में आपको निराश होने की आवश्यकता नहीं। जन्म के समय यदि कुंडली न भी बनी हो तो भी बाद में आसानी से बनवाई जा सकती है।
लेकिन इसके लिए आपको बच्चे की जन्म तिथि एवं जन्म का समय एकदम सही सही ज्ञात होना चाहिए। इसके साथ ही उसका जन्म स्थान भी आपको पता हो। तभी संबंधित जने की सही सही जन्म कुंडली निकल सकेगी।
जन्म कुंडली के सबसे खतरनाक दोष कौन से हैं?
बहुत से लोगों की जन्म कुंडली में दोष भी होता है, जिसका उपाय ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ आदि से किया जा सकता है। अब हम आपको जानकारी देंगे कि जन्म कुंडली में सबसे खतरनाक दोष कौन से होते हैं? ये निम्नवत हैं-
1-मंगल दोष
इस दोष को जन्म कुंडली के एक खतरनाक दोष की संज्ञा दी गई है। यह दोष रिश्तों में तनाव का कारण बनता है। आपको जानकारी दे दें कि यदि कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तो मांगलिक दोष लगता है।
यह दोष शादी-ब्याह के लिए अशुभ माना जाता है। यदि एक पक्ष की जन्म कुंडली में यह दोष हो तो शादी के बाद रिश्ते पर इसका प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। वर वधू की पटरी एक दूसरे से मेल नहीं खाती।
2-कालसर्प दोष
कुंडली में राहु एवं केतु के एक साथ आने से कालसर्प दोष उत्पन्न होता है। यदि सात प्रमुख ग्रह राहुल एवं केतु ग्रह की धुरी के अंतर होते हैं तो भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है।
इसका प्रभाव यह होता है कि व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। उसका संघर्ष निरंतर चलता है और उसका काम बनते-बनते बिगड़ जाता है।
3-पितृ दोष
माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति के पितृ प्रसन्न नहीं होते तो उसकी जन्म कुंडली में यह दोष लग जाता है। प्रत्येक वर्श पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध न करने, श्राद्ध में शिरकत न करने एवं पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ न करनेवाले व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह दोष हावी हो जाता है।
यह दोष कई तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है, जिसमें आर्थिक हानि, स्वास्थ्य परेशानी जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त आपको जानकारी दे दें कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अथवा केतु के साथ सूर्य का संयोजन हो तो ऐसी स्थिति में भी उसकी जन्म कुंडली में पितृ दोष लग जाता है। ऐसे व्यक्ति के जीवन का विकास रूक जाता है। वह भयंकर धनहानि के दौर से गुजरता है।
4- केंद्राधिपति दोष
केंद्राधिपति दोष तब लगता है, जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है। शुभ ग्रह से आशय बुध, शुक्र, बृहस्पति, चंद्रमा से है। इनमें से भी बुध एवं बृहस्पति ग्रह के कारण होने पर यह दोष और गंभीर हो जाता है।
शनि, मंगल सूर्य जैसे ग्रहों पर यह दोष नहीं लगता। यह दोष लगने पर व्यक्ति को नौकरी, व्यापार, पढ़ाई आदि से संबंधित परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। नुकसान उठाने पड़ते हैं।
5- गुरू चांडाल दोष
गुरू चांडाल दोष एक बहुत बड़ा दोष है। यदि कुंडली में राहु और बृहस्पति एक साथ हों तो यह दोष बन जाता है। आपको स्पष्ट कर दें कि इस दोष की वजह से सदैव नुकसान ही होता है।
यदि समय पर उपाय न किए जाएं तो कुंडली के अन्य शुभ योग नष्ट हो जाते हैं। इस दोष के लगने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या समेत गंभीर रोगों की आशंका होती है। उसका चरित्र कमजोर हो जाता है। भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
जन्म कुंडली का सटीक आंकलन कौन कर सकता है?
यह तो आप जानते ही हैं कि किसी व्यक्ति क जन्म कुंडली व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने वाले ग्रहों एवं खगोलीय पिंडों की स्थिति को दर्शाती है। ग्रहों की दशा एवं दिशा के आधार पर ही जातक के भविष्य में को लेकर कोई भी भविष्यवाणी की जाती है।
कोई भी व्यक्ति, जो दावा करे वह जन्म कुंडली का सटीक आंकलन नहीं कर सकता। केवल अनुभवी ज्योतिषी ही आपकी जन्म कुंडली को देखकर भविष्य बहुत हद तक सटीक आंकलन प्रस्तुत कर सकता है।
यह माना जाता है कि विदेश प्रवास लोगों को अपनी जड़ों से दूर कर देता है। उनका यहां की परंपराओं एवं चलन से विश्वास उठ जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। यदि हम जन्म कुंडली की बात करें तो विदेशों में बसे भारतीय लोग भी अपने भारतीय पुरोहितों, ज्योतिषियों से जन्म कुंडली तैयार कराते हैं। उसके आधार पर उपाय आदि करते हैं।
ऐसे बहुत से भारतीय ज्योतिषी हैं, जिनका कार्य भारत में तो फैला ही है, वे विदेश की धरती पर उससे भी अधिक लोकप्रिय हैं। ये अपने यजमानों के कार्य आनलाइन भी करते हैं। उनकी जन्म कुंडली बनाते हैं। उनका भविष्य बांचते हैं और कुंडली के अनुसार कोई कमी रहने पर उसका उपाय/समाधान भी बताते और कराते हैं।
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जन्म कुंडली क्या होती है?
यह किसी जातक के जन्म के समय के ग्रहों की दशा एवं दिशा का बखान करती है। इससे उसके भावी गुणों का पता चलता है।
जन्म कुंडली को और क्या कहकर पुकारा जाता है?
जन्म कुंडली को जन्म पत्री अथवा पत्रा कहकर भी पुकारा जाता है।
जन्म कुंडली कैसे देखी जा सकती है?
इसकी प्रक्रिया हमने आपको पोस्ट में विस्तार से बताई है। आप वहां से देख सकते हैं।
किसी व्यक्ति की कुंडली में कौन से प्रमुख दोष होते हैं?
किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष, मंगल दोष, पितृ दोष आदि प्रमुख दोष होते हैं।
कालसर्प दोष का क्या प्रभाव होता है?
इससे जातक को जीवन में अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है। आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती है। साथ ही उसके बनते काम बिगड़ जाते हैं।
हमने इस पोस्ट में आपको बताया कि आप अपी जन्म कुंडली कैसे देख सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी। प्रत्येक व्यक्ति जन्म कुंडली के माध्यम से अपना भविष्य जानने का इच्छुक रहता है। यदि आपके मित्र परिचित भी ऐसे जिज्ञासु लोगों में हैं, तो उनके साथ यह पोस्ट शेयर करना न भूलें। धन्यवाद।
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