जिला उद्योग केंद्र क्या है? | जिला उद्योग केंद्र से लोन लेने के लिए क्या करना होगा? | Jila udyog kendra kya hai

Jila udyog kendra kya hai: भारत सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को व्यापार में सक्षम बनाने तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं लाई गई है उसी में एक योजना जिला उद्योग केंद्र के द्वारा उन लोगों को लोन प्रदान करने के बारे में है। जिला उद्योग केंद्र वैसे तो सन 1978 में ही स्थापित हो गए ((District industries centre explained in Hindi) थे।

जिला उद्योग केंद्र मुख्य तौर पर राज्यों के जिलों में स्थापित किए जाते हैं तभी इनका नाम जिला उद्योग केंद्र पड़ा है। ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति को जिला उद्योग केंद्र से लोन लेने के लिए आवेदन करना होता है तो उसे अपने जिले के जिला उद्योग केंद्र जाकर ही सारी प्रक्रिया का पालन करना होता (Jila udyog kendra kya hai in Hindi) है।

इसके माध्यम से भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न बैंकों व अन्य संस्थाओं की मदद से अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, सफाई कर्मचारी के परिवार तथा विकलांग लोगों को जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में योग्यता रखते हैं, उनके लिए लोन देने की सुविधा दी जाती है। उसके लिए आवेदन कैसे किया जा सकता है और उसके लिए रजिस्ट्रेशन की संपूर्ण जानकारी आज के इस लेख में आपको जानने को मिलेगी। तो आइए जाने जिला उद्योग केंद्र क्या है व उसकी लोन स्कीम क्या (Jila udyog kendra loan yojana apply online in Hindi) है।

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जिला उद्योग केंद्र क्या है? (Jila udyog kendra kya hai)

जिला उद्योग केंद्र का संचालन भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा हर राज्य के जिला स्तर पर किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जनजातियों के परिवारों को व्यापारिक रूप से सक्षम बनाना व उन्हें आगे बढ़ाना है। इसके लिए सरकार उन्हें व्यापार करने के सभी संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ वित्तीय रूप से भी उनकी सहायता करने का आवश्यक प्रयास करती (Jila udyog kendra kya hota hai) है।

Jila udyog kendra kya hai

किसी भी पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति व उसके परिवार को यदि व्यापार में काम करना है तो उसके लिए व्यापार के सभी संसाधन उपलब्ध कराना, उसका उत्पादन देखना, विपणन में सहायता करना जैसे की मार्केटिंग और पब्लिसिटी उसकी ट्रेनिंग देना इत्यादि का कार्य जिला उद्योग केंद्र के द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में करवाया जाता है। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र उन लोगों को लोन भी देता है जो अलग-अलग जनजातियों के लिए अलग-अलग लोन है इस पर लगने वाला ब्याज प्रतिशत भी कम होता है। साथ ही जिला उद्योग केंद्र से ऐसे लोगों को लोन जल्दी व आसान प्रक्रिया के तहत मिल जाता (Jila udyog kendra se aap kya samajhte hain) है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा इसके लिए कई तरह की योजनाओं की शुरुआत की गई है जिन्हें जिला उद्योग केंद्र से जोड़ दिया गया है। एक प्रमुख योजना का नाम प्रधानमंत्री मुद्रा योजना है, इसके बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं। इसके तहत भारत सरकार अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के लोगों को लघु, सूक्ष्म व मध्य उद्योगों को विकसित करने तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए लोन प्रदान करती है। इससे देश के एमएसएमई सेक्टर को भी बढ़ावा मिलता है तथा देश सक्षम बनता है। आज के इस लेख में हम आपको जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम तथा अन्य प्रक्रियाओं के बारे में भी विस्तार से (DIC kya hai) बताएंगे।

जिला उद्योग केंद्र को अंग्रेजी में क्या कहते हैं? (Jila udyog kendra in Hindi)

आज के इस लेख में आप साथ के साथ यह भी जाने कि जिला उद्योग केंद्र को अंग्रेजी भाषा में किस नाम से जाना जाता है। तो जिला उद्योग केंद्र को अंग्रेजी में डिस्ट्रिक्ट इंडस्टरीज सेंटर (District Industries Centre) के नाम से जाना जाता है।

हालांकि ज्यादातर ना तो इसका हिंदी नाम और ना ही इसका अंग्रेजी नाम इस्तेमाल में लिया जाता है। इसके लिए जिला उद्योग केंद्र की शॉर्ट फॉर्म इस्तेमाल में ली जाती है जिसे हम डीआईसी (DIC) कहते हैं। ऐसे में भारत देश में ज्यादातर जिला उद्योग केंद्र या फिर इसकी शॉर्ट फॉर्म का इस्तेमाल किया जाता है।

जिला उद्योग केंद्र लोन स्कीम क्या है? (Jila udyog kendra loan in Hindi)

अभी तक आपने जिला उद्योग केंद्र के बारे में जान लिया है लेकिन जिला उद्योग केंद्र के द्वारा जो लोन स्कीम अर्थात ऋण योजना चलाई गई है उसके बारे में भी जानना आवश्यक है। तो जिला उद्योग केंद्र के द्वारा देश के सभी ऐसे नागरिक जो पिछड़े वर्ग या सफाई कर्मचारी या विकलांग विशिष्ट श्रेणी में आते हैं उन्हें भारत सरकार के द्वारा अपने लघु, सूक्ष्म व मध्यम उद्योग को आगे बढ़ने या उसका विकास करने के लिए कुछ राशि का न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण दिया जाता (District industries centre kya hai)है।

इस राशि को वे अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने, उसकी मार्केटिंग करने तथा अपना विकास करने में उपयोग करते हैं। अब इस लोन को लेने के लिए अलग-अलग शर्तें होती है जो अलग-अलग जातियों और उनकी श्रेणी के आधार पर निर्धारित की जाती है। ऐसे में अब हम आपको जिला उद्योग केंद्र के द्वारा चलाई गई लोन स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले हैं।

जिला उद्योग केंद्र से लोन लेने के लिए नियम (DIC loan process in Hindi)

अब हम बात करते हैं जिला उद्योग केंद्र के द्वारा किन-किन व्यक्तियों को लोन दिया जाता है अर्थात जिला उद्योग केंद्र का लोन लेने के लिए क्या नियम बनाए गए हैं। तो इसके लिए भारत सरकार के द्वारा चार वर्ग के लोगों को एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लोन प्रदान किया जाता है यह चार वर्ग हैं:

  • अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अर्थात शेड्यूल कास्ट व शेड्यूल ट्राइब्स जिन्हें हम SC या ST भी कहते हैं।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखने वाले व्यक्ति जिन्हें अंग्रेजी में अदर बैकवर्ड क्लासेस कहा जाता है। वहीं इनकी शॉर्ट फॉर्म ओबीसी होती है।
  • भारत सरकार या राज्य सरकार के अंतर्गत काम करने वाले सफाई कर्मचारी व उनके परिवार के सदस्य भी जिला उद्योग केंद्र से लोन ले सकते हैं।
  • इसी के साथ ही भारत सरकार द्वारा नामित विकलांग व्यक्ति जो किसी विशिष्ट योग्यता या नौकरी को कर रहे हैं जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील कलाकार, फिजियोथैरेपिस्ट, वैज्ञानिक इत्यादि।

तो इस तरह से भारत सरकार के द्वारा इन चार श्रेणियों के व्यक्तियों को अपना खुद का एमएसएमई सेक्टर खोलने अर्थात बिजनेस करने के लिए लोन दिया जाता है। यदि आप भी इनमें से किसी एक श्रेणी में आते हैं तो आप भी जिला उद्योग केंद्र में जाकर लोन लेने के लिए आवेदन दे सकते हैं।

अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए जिला उद्योग केंद्र का लोन

यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति अर्थात एससी एसटी समुदाय से आता है तो उसे जिला उद्योग केंद्र के द्वारा बिजनेस लोन प्रदान किया जाता है। इसके माध्यम से उसको 30 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। इस लोन पर लगने वाले ब्याज का प्रतिशत 6 से 10% होता है जो प्रतिवर्ष के आधार पर तय किया जाता है। जिला उद्योग केंद्र के द्वारा इस पर मिलने वाली सब्सिडी बीपीएल कैटेगरी के लिए ₹10000 तक की होती है।

वहीं यदि हम लोन चुकाने की अवधि की बात करें तो इसे 10 वर्ष तक के अंतराल में चुकाया जाना होता है। इसी के साथ ही जो व्यक्ति अपने बिजनेस के लिए लोन ले रहा था वह अपने उद्योग में कुल बजट का 2 से 10% तक का पैसा लगा सकता है। जिला उद्योग केंद्र के द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्ति को लोन देने के लिए जिस पात्रता का पालन करना होता है उसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्ति की सालाना ₹40000 तक की आय होनी चाहिए जबकि शहरी क्षेत्र के व्यक्ति की सालाना 55000 तक की आय होनी चाहिए।

सफाई कर्मचारी व उसके परिवार के लिए जिला उद्योग केंद्र का लोन

अब यदि कोई व्यक्ति राज्य या राष्ट्रीय सरकार के किसी विभाग में सफाई कर्मचारी है तो उस व्यक्ति या उसके परिवार को भी जिला उद्योग केंद्र के द्वारा ऋण मिलने की सुविधा प्रदान की गई है। ऐसे व्यक्ति को अपना बिजनेस शुरू करने के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है।

उसे इस लोन पर 6% प्रति वर्ष के दर से ब्याज देना होता है। उसके लिए भी भुगतान की अवधि 10 वर्ष की ही रखी गई है। ऐसे में यदि कोई सफाई कर्मचारी का परिवार अपना खुद का व्यापार शुरू करना चाहता है तो वह जिला उद्योग केंद्र में जाकर लोन के लिए आवेदन कर सकता है।

अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम

अब यदि व्यक्ति भारत सरकार के द्वारा सूचित अन्य पिछड़ा वर्ग अर्थात अदर बैकवर्ड क्लासेस में आता है तो उसको भी जिला उद्योग केंद्र के द्वारा लोन लेने का अधिकार होता है। उस व्यक्ति को भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा अधिकतम 5 लाख रुपए तक की ऋण राशि उपलब्ध कराई जाती है।

इसके लिए ब्याज का प्रतिशत 5 से 6% रखा गया है, उस व्यक्ति को भी अधिकतम 10 वर्ष की अवधि तक लोन की राशि का ब्याज सहित भुगतान कर देना होता है। वह अपने उद्योग में 5% तक की राशि का इस्तेमाल कर सकता है।

शारीरिक विकलांग व्यक्ति के लिए जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम

अब यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार के द्वारा विकलांग की श्रेणी में रखा गया है और वह ऊपर दिए गए किसी विशिष्ट योग्यता को लिए हुए में आता है तो उसे भी जिला उद्योग केंद्र अर्थात डीसी के द्वारा ऋण उपलब्ध करवाया जा सकता है। उस व्यक्ति को अधिकतम 25 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है जिसके द्वारा वह अपना व्यापार शुरू कर सकता है। अब उसको कितना ब्याज देना पड़ेगा यह संपूर्ण रूप से उसके द्वारा ली गई लोन राशि पर निर्भर करता है। आमतौर पर यह ब्याज का प्रतिशत चार से आठ के बीच में होता है जो प्रतिवर्ष लगता है। विकलांग व्यक्ति के लिए भी लोन में ब्याज को भुगतान करने की समय सीमा 10 वर्ष तक की होती है। इसमें प्रमोटर का योगदान 10% तक का होता है।

इस तरह से भारत सरकार के द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों को समय-समय पर जिला उद्योग केंद्र के द्वारा एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लोन प्रदान किया जाता है। हालांकि ब्याज दरों में परिवर्तन संभव है। यह भारत सरकार का वित्त विभाग हर वित्तीय वर्ष के दौरान निर्धारित करता है। फिर भी यदि आप जिला उद्योग केंद्र के द्वारा लोन ले चुके हैं तो आपको उस समय जो ब्याज दर बताई गई थी आपको उसी ब्याज दर के अनुसार ही अपना लोन चुकाना होगा। नई ब्याज दर नया लोन लेने वालों पर लागू होती है।

जिला उद्योग केंद्र के द्वारा लोन की स्कीम (District industries centre loan scheme in Hindi)

जिला उद्योग केंद्र तो भारत सरकार के द्वारा सन 1978 में ही बना दिए गए थे लेकिन जिन योजनाओं के द्वारा जिला उद्योग केंद्र भारत के नागरिकों को लोन देता है उन योजनाओं के बारे में जानना भी जरूरी हो जाता है। अब ऐसी योजनाओं को भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर अपडेट किया जाता है।

कुछ पुरानी योजनाओं को बंद कर दिया जाता है तो कुछ नहीं योजनाओं को शुरू किया जाता है। ऐसे में वर्तमान समय में भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा किन-किन लोन योजना के तहत जिला उद्योग केंद्र विशिष्ट लोगों को लोन की सुविधा प्रदान करते हैं आइए उनके नाम जान लेते हैं।

  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना: इस योजना के द्वारा भारत सरकार एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लोन देती है जिसमें सभी प्रकार के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग आते हैं।
  • स्टैंड अप इंडिया योजना: भारत सरकार के द्वारा हाल फिलहाल के वर्षों में शुरू की गई इस योजना के तहत भारत सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा खास तौर पर महिला उद्यमियों को ऋण प्रदान करती है, चाहे वे किसी भी जाति से संबंध रखती हो।
  • खादी ग्राम उद्योग विकास योजना: यह भारत के लाखों गांव में रह रहे लोगों को खादी और ग्राम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ऋण प्रदान करने की एक वृहद योजना है।
  • क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट: इस योजना का पूरा नाम क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज है। इस योजना के द्वारा भी एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए गारंटी के तौर पर लोन प्रदान किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम: इस योजना को भी तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा शुरू किया गया है। इसके तहत केंद्र सरकार के द्वारा रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना करने के उद्देश्य से लोन प्रदान किया जाता है।

इस तरह से भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर कई तरह की योजनाओं के द्वारा पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को कई तरह के ऋण प्रदान करने की सुविधा दी जाती है। यदि आप भी इनमें से किसी योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो आप अपने जिले के जिला उद्योग केंद्र में जाकर विशिष्ट योजना के तहत ऋण के लिए आवेदन दे सकते हैं।

DIC के तहत लोन कैसे लें? (Jila udyog kendra se loan kaise le)

अब आपको जिला उद्योग केंद्र के तहत लोन लेने के लिए आवेदन देना है तो इसके लिए पहले आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले तो आप यह देखें कि आप ऊपर बताए गए सभी नियमों व शर्तों का पालन करते हैं या नहीं। इसके लिए आपको अन्य पिछड़ा वर्ग या ऊपर बताई गई जाति व जनजाति के अंतर्गत आना होगा तभी आपको लोन मिल सकता है। इसी के साथ ही आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आपको केवल और केवल लघु, सूक्ष्म व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने या उन्हें शुरू करने या उन्हें आगे बढ़ाने के लिए लोन मिल सकता है।

अन्य किसी कार्य के लिए लोन लेना हो तो आपको किसी अन्य योजना या अन्य जगह से आवेदन करना होगा। जिला उद्योग केंद्र से लोन लेने के लिए आप यह भी देखें कि आप किस योजना के तहत लोन लेना चाहते हैं। ऊपर हमने आपको कई तरह की योजनाओं के बारे में बताया है जिसके तहत भारत सरकार व राज्य सरकार के द्वारा लोन प्रदान किया जाता है। ऐसे में आप किस उद्योग के लिए लोन ले रहे हैं और उस पर कौन सी योजना के तहत लोन मिलेगा इसका भी ध्यान रखें।

जब आप यह देख लें तो आपको अपने जिले के जिला उद्योग केंद्र में जाना होगा और वहां जाकर अधिकारियों से बात करनी होगी। वहां के अधिकारी आपको एक फॉर्म भरने को देंगे। आपको उस फॉर्म में पूछी गई हर एक जानकारी को विस्तार से और सही रूप में भरना होगा। इसी के साथ ही आपको अपने उद्योग धंधे की जानकारी से जुड़े दस्तावेज की फोटो कॉपी भी उसके साथ संलग्न करनी होगी। इसके बाद में वह अधिकारी आपके सभी दस्तावेजों की जांच करेगा और फॉर्म को अच्छे से पढ़ेगा। वह आपसे कई तरह के प्रश्न भी पूछ सकता है। इसके लिए आपको कुछ पैसे देने होंगे जो कि ज्यादा नहीं होंगे।

इसके बाद में वह अधिकारी उस फॉर्म को आगे भेज देगा तथा उच्च अधिकारी उसका निरीक्षण करेंगे। इन सब में एक से दो माह का समय लग सकता है। यदि आपका लोन का आवेदन स्वीकृत हो जाता है तो आपको जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी अपने कार्यालय में बुलाएंगे। इसके बाद भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा आपके बैंक खाते में लोन की राशि भेज दी जाएगी। यदि आपका बैंक खाता नहीं है तो आपको कैश के रूप में भी पैसा दिया जा सकता है लेकिन भारत सरकार आज के समय में बैंक खाते में ही लोन राशि भेज रही है।

जिला उद्योग केंद्र क्या है- Related FAQs

प्रश्न: उद्योग विभाग से लोन कैसे लिया जाता है?

उत्तर: उद्योग विभाग से लोन लेने की संपूर्ण प्रक्रिया को हमने इस लेख में आपके साथ सांझा किया है। इसके साथ ही लोन किसे और किस योजना के तहत मिल सकता है, इसके बारे में भी बताया है।

प्रश्न: जिला उद्योग केंद्र से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: जिला उद्योग केंद्र भारत देश के हर जिले में स्थापित एक ऐसा उद्योग केंद्र है जिसके माध्यम से निचली जातियों के व्यक्तियों को अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने के लिए लोन दिया जाता है।

प्रश्न: लघु उद्योग के लिए कितना लोन मिल सकता है?

उत्तर: लघु उद्योग के लिए अधिकतम 30 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। हालाँकि यह पूर्ण रूप से आपके और आपके परिवार की स्थिति, उद्योग के प्रकार और शहर पर निर्भर करता है।

प्रश्न: DIC योजना क्या है?

उत्तर: DIC योजना का पूरा नाम जिला उद्योग केंद्र होता है। इसके माध्यम से भारत सरकार के द्वारा कुछ स्पेशल वर्ग के लोगों को MSME सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऋण प्रदान किया जाता है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि जिला उद्योग केंद्र क्या होते हैं, जिला उद्योग केंद्र की ऋण योजना अर्थात लोन स्कीम क्या होती है उसके क्या-क्या नियम हैं तथा उनके द्वारा भारत सरकार किन-किन योजना के तहत लोन प्रदान करती है। आशा है कि आपको इसलिए के माध्यम से जिला उद्योग केंद्र की लोन स्कीम के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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