हर साल की भांति इस साल भी सुहागिनों ने करवाचौथ व्रत की तैयारी शुरू कर दी है। इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 को पड़ रहा है। इसके लिए महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। नई साड़ियां खरीदी जा रही हैं। ब्यूटी पार्लरों ने महिलाओं की सजधज के लिए विशेष पैकेज निकाले हैं।
आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि करवाचौथ क्या है? करवाचौथ क्यों मनाया जाता है? इस दिन किसकी पूजा होती है? इस व्रत की क्या विधि है? समय के साथ करवाचौथ व्रत में किस तरह का बदलाव देखने को मिला है? आदि। आइए, शुरू करते हैं-
करवाचौथ व्रत क्या है? (What is karwa chauth vrat?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि करवाचौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। वे स्वयं निर्जल रहकर अपने पति की सलामती के लिए कामना करती हैं। यह व्रत पति और पत्नी के बीच निश्छल प्रेम का प्रतीक भी है। हमारे देश में खास तौर पर उत्तर एवं पश्चिमी राज्यों में यह व्रत त्योहार की तरह मनाया जाता है।
उनकी देखा देखी अन्य स्थानों पर भी यह व्रत देखने को मिलने लगा है। सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी युवतियां भी अपने होने वाले पतियों के लिए इस उपवास को बहुत उत्साह एवं श्रद्धा के साथ करती हैं।
व्रत का नाम | करवा चौथ |
करवा चौथ का दिनांक | 13 अक्टूबर |
आरम्भ | कार्तिक मास में ढलते चंद्रमा पखवाड़े (कृष्ण पक्ष) का चौथा दिन |
पूजा का समय | शाम को 6 बजकर 01 मिनट से लेकर शाम को 7 बजकर 15 मिनट |
चाँद निकलने का समय | रात 8 बजकर 19 मिनट |
उद्देश्य | विवाहित महिलाओं द्वारा उपवास |
अनुयायी | विवाहित हिंदू महिलाएं, कभी-कभी अविवाहित हिंदू महिलाएं |
करवाचौथ क्यों मनाया जाता है? (Why karwa chauth is celebrated?)
करवाचौथ क्यों मनाया जाता है? अधिकांशतः इसके पीछे प्राचीन काल से एक कथा चली आ रही है। यह कथा सत्यवान एवं उसकी पत्नी सावित्री की है। कहा जाता है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण हरने पृथ्वी पर आए तो सावित्री ने सत्यवान के स्थान पर अपने प्राण लेने को कहा। लेकिन यमराज ने कहा ऐसा संभव नहीं और उसकी बात नहीं मानी।
इस पर सावित्री ने खाना पीना छोड़ दिया और पति के शव के पास बैठकर विलाप करने लगी। आखिर सावित्री के हठ को देखकर यमराज ने उनसे सत्यवान के प्राण छोड़ने के अतिरिक्त कोई और वर मांगने को कहा। सावित्री ने उनसे कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया।
यमराज ने वर दे दिया तो सावित्री ने कहा कि मेरे पति को आप लिए जा रहे हैं, ऐसे में आपका यह वर कैसे पूरा होगा। यमराज घिर गए। आखिर सावित्री की हठ के आगे उन्हें झुकना पड़ा और उन्होंने सत्यवान को जीवित कर दिया। माना जाता है कि महिलाएं उसी समय से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सावित्री का अनुसरण करते हुए करवाचौथ का निर्जला व्रत करती हैं।
करवाचौथ पर किसकी पूजा होती है? (Who is worshipped on this special occasion?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इस विशेष दिन सुहागिन महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं। इस वजह से भी इसे करवाचौथ कहा जाता है। महिलाएं उनसे अपने पति की लंबी आयु एवं अपने सदा सुहागन रहने का वरदान मांगती हैं। दोस्तों, यह आप भी जानते होंगे कि हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है।
इसी दिन विधि विधान से गणेश जी की पूजा अर्चना भी जाती है। यह आप जानते ही हैं कि करवा के बगैर करवा माता की पूजा अधूरी होती है। करवा मिट्टी का एक बर्तन होता है, जिसके आगे एक टोंटी लगी होती हे। यह गणेश जी की सूंड की प्रतीक मानी जाती है। करवाचौथ के दिन मिट्टी के करवा में जल भरकर पूजा में रख जाना शुभ एवं मंगलकारी होता है।
करवाचौथ का विधि विधान क्या है? (What is method of karwa chauth worship?)
अब हम आपको जानकारी देंगे कि करवाचौथ व्रत की विधि क्या है? किस प्रकार के विधान इस व्रत के दौरान किए जाते हैं। मित्रों, करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करती हैं। इसके पश्चात वे पूजा स्थल की साफ-सफाई कर दीपक जलाती हैं। इसके बाद वे निर्जला अथवा अपनी शारीरिक शक्ति के अनुसार व्रत का संकल्प लेती हैं। शा
म के समय पुनः स्नान के पश्चात जिस स्थान पर करवा चौथ का पूजन होना है, वहां वे गेहूं से फलक बनाती हैं। इसके पश्चात चावल पीसकर करवा की तस्वीर बनाती हैं।
इसके बाद वे 8 पूरियों की अठवारी एवं उसके साथ हलवा अथवा खीर बनाती हैं। अब पीले रंग की मिट्टी से गौरी की मूर्ति का निर्माण कर उनकी गोद में गणेशजी को विराजित कराया जाता है। मां पार्वती को चौकी पर स्थापित कर श्रंगार सामग्री अर्पित करती हैं। इसके पश्चात कथा सुनती हैं और पूजा के पश्चात चांद के दर्शन कर पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का पारण करती हैं।
करवाचौथ की पूजा में दीपक व छलनी का क्या महत्व है? (What is the importance of Deepak and chalni in karwa chauth?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि करवा चौथ की पूजा में दीपक एवं छलनी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है और दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर होती है। इसके साथ ही पूजा में ध्यान केंद्रित होता है। इससे एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। करवा चौथ पर महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद के दर्शन करती हैं और इसके पश्चात अपने पति का चेहरा देखती हैं। यह विधान करवा चौथ में सुनाई जाने वाली वीरवती की कथा से भी जुड़ा हुआ है।
कथा में वर्णन है कि परदेस गए पति के लिए व्रत कर रही बहन वीरवती को भूखा देख उसके भाई बहुत विह्वल हुए। उन्होंने चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ की आड़ ली। छलनी में दीपक रखकर चांद बनाया और बहन का व्रत खुलवाया। स्त्रियां आज भी इसीलिए पहले दीपक को छलनी में रख पहले चांद देखती हैं।
करवाचौथ में किस तरह का बदलाव आया है? (What changes have been seen in karwa chauth?)
करवाचौथ मनाने के तरीके में पहले की अपेक्षा अब काफी बदलाव आ चुका है। इसमें अब ग्लैमर का तड़का लग चुका है। स्त्रियां इस दिन सबसे अलग दिखने के लिए ब्यूटी पार्लर जाकर विशेष साज सज्जा, मेकअप आदि कराती हैं, जिस पर हजारों रुपए खर्च होते हैं। इसके अतिरिक्त कभी खुशी कभी गम, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, परंपरा जैसे बड़े बैनर और बजट की फिल्मों ने इस त्योहार के प्रति क्रेज में इजाफा ही किया है।
बालीवुड की फिल्मों में करवाचौथ को जिस शानदार अंदाज में फिल्माया गया है और जिस स्तर पर गीतों का फिल्मांकन किया गया है, उसने समाज पर बड़ा प्रभाव डाला है। ए काश देखूं मैं आज की रात, चांद और पिया दोनों एक साथ…., तेरे हाथ का पीकर पानी, दासी से बन जाऊं रानी…, जैसे करवाचौथ का बखान करते गीत बरसों से करवाचौथ के दिन महिलाओं के प्रिय रहे हैं।
करवाचौथ अब एक बड़े इवेंट में भी तब्दील हो गया है। इसे एक बड़े त्योहार की तरह मनाया जाता है। होटल, रेस्टोरेंट आदि करवाचौथ व्रती महिलाओं और शादीशुदा जोड़ों के लिए खास आयोजन करते हैं। दोस्तों, आपको बता दें कि ऐसी स्त्रियां भी बहुसंख्य हैं, जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर देखकर इस व्रत की शुरूआत की है। ऐसी बहुत सी महिलाएं भी हूं, जो स्वयं यह व्रत नहीं करती थीं, लेकिन दूसरों की देखा देखी उन्होंने अपनी बहुओं से यह व्रत कराया है।
इस वर्ष करवाचौथ का व्रत कब है और पूजा का समय क्या है? (When is karwa chauth fast this year? What is the time of worship?)
मित्रों आपको जानकारी दे दें कि इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को किया जाएगा। इसके अतिरिक्त करवा चौथ की पूजा का समय इस दिन शाम को 6 बजकर 01 मिनट से लेकर शाम को 7 बजकर 15 मिनट तक है। अब आते हैं चांद निकलने के समय पर। मित्रों, यदि उत्तराखंड राज्य की बात करें तो यहां चांद निकलने का समय रात 8 बजकर 19 मिनट पर है।
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करवाचौथ क्या है?
यह एक ऐसा व्रत है, जिसे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं।
करवाचौथ क्यों मनाया जाता है?
इसका कारण हमने आपको ऊपर पोस्ट में बताया है। आप वहां से देख सकते हैं।
करवाचौथ के दिन किसकी पूजा की जाती है?
करवाचौथ के दिन भगवान गणेश व करवा माता की पूजा की जाती है।
करवा में जल भरकर पूजा में रखने की परंपरा क्यों है?
करवा को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। इसमें जल भरकर रखना मंगलकारी माना जाता है।
करवाचौथ व्रत क्या निर्जला होता है?
कई महिलाएं करवाचौथ पर निर्जला व्रत लेती हैं, लेकिन कई महिलाएं शारीरिक या चिकित्सीय कारणों से सजल व्रत करती हैं।
क्या समय के साथ करवाचौथ व्रत के स्वरूप में कुछ बदलाव आया है?
जी हां, बालीवुड फिल्मों का असर इस व्रत के चलन पर देखने को मिला है।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में देश में त्योहार की तरह मनाए जाने वाले करवाचौथ व्रत की जानकारी दी। यदि आपका इस पोस्ट पर किसी प्रकार का सुझाव अथवा प्रतिक्रिया है तो उसे आप हमसे साझा कर सकते हैं। इसके लिए आप हमें नीचे दिए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) कर सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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