केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया क्या है? | केसीसी ऋण नहीं चुका पाने की स्थिति में क्या करें?

|| केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया क्या है? | KCC loan recovery procedure in Hindi | केसीसी पर कितना प्रतिशत ब्याज लगता है? | केसीसी लोन नहीं चुकाया तो क्या होगा? | केसीसी ऋण नहीं चुका पाने की स्थिति में क्या करें? | केसीसी पर कितनी छूट है? | मौत के बाद केसीसी लोन का क्या होता है? ||

KCC loan recovery procedure in Hindi :- भारत सरकार ने देश के लाखों किसान परिवारों की सहायता करने के उद्देश्य से कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं को शुरू किया है। इन योजनाओं क लाभ देश का हरेक किसान और उसका परिवार उठा भी रहा है। ऐसे में किसानों की आय पहले से बहुत ज्यादा बाढ़ चुकी है और आज के समय में वे सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसी में एक बहुत ही बड़ी व प्रभावी योजना है किसान क्रेडिट कार्ड योजना जिसके तहत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋण प्रदान किया जाता (KCC loan na chukane par kya hoga) है।

अब किसानों को खेती करने और उसके उपकरण खरीदने के लिए कई बार पैसों की आवश्यकता होती है। यदि वह किसी साहूकार या बड़े व्यापारी से पैसे लेता है तो उसे बहुत ब्याज चुकाना पड़ता है। पहले के भारत में हमने हजारों किसानों को कर्ज के बोझ तले आत्महत्या करते हुए देखा है। ऐसे में मोदी सरकार ने किसानों के इस दुःख व पीड़ा को समझा और किसान क्रेडिट कार्ड योजना को शुरू किया। इसके तहत किसानों को बहुत ही कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता (KCC settlement process in Hindi) है।

अब यदि किसान किसान क्रेडिट कार्ड या केसीसी योजना के तहत ऋण ले भी लेता है लेकिन फिर आगे जाकर उसे चुका पाने में असमर्थ हो जाता है तो उस स्थिति में वह बैंक या संस्था ऋण वसूली की प्रक्रिया के लिए क्या कुछ करती है, आज हम इसी के बारे में ही बात करने वाले हैं। इसके अलावा आपको केसीसी योजना के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी इसी लेख में जानने को (KCC loan nahi bhara to kya hoga) मिलेगी।

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किसान क्रेडिट कार्ड योजना क्या है? (Kisan credit card yojana kya hai)

केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया को जानने से पहले आपका यह जानना आवश्यक है कि आखिरकार किसान क्रेडिट कार्ड योजना है क्या चीज़। साथ ही इसके तहत किन किन किसानों को कितने तक का ऋण, कितनी अवधि और ब्याज दर पर मिलता (KCC loan interest rate in Hindi) है। तो यहाँ हम आपको बात दें कि यह योजना देश के सभी किसानों के लिए है और इस पर किसी तरह की शर्त नहीं रखी गयी है। इसी के साथ ही वह किसान देश के किसी भी सरकारी या निजी बैंक या अन्य वित्तीय संस्था से ऋण लेने के लिए आवेदन कर सकता (Kisan credit card yojana in Hindi) है।

केसीसी ऋण नहीं चुका पाने की स्थिति में क्या करें

इसी के साथ ही किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत भारत सरकार एक किसान को अधिकतम 3 लाख तक का ऋण प्रदान करती है। इस ऋण को चुकाने के लिए अधिकतम समय सीमा 5 वर्ष की होती है जिस पर मात्र 4 प्रतिशत की दर से ब्याज लिया जाता (KCC loan kya hai) है। हालाँकि इसके लिए किसान को अपनी जमीन गिरवी रखनी होती है। वहीं इस केसीसी योजना में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी किसान को छोटी अवधि के लिए छोटा ऋण चाहिए तो उसे बिना कुछ गिरवी रखे डेढ़ लाख तक का ऋण मिल सकता है।

किसान केसीसी का ऋण क्यों नहीं चुका पाता?

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि जिस किसान ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत बैंक से ऋण लिया है और वह समय पर उसकी किश्तों का भुगतान भी कर रहा था तो एकदम से ऐसा क्या हो जाता है कि वह ऋण की किश्तों को चुकाने में असमर्थ हो जाता है। तो इसको लेकर भी कई तरह के कारण हो सकते हैं जो हर किसान के लिए भिन्न भिन्न हो सकते हैं। आइये उनमे से कुछ मुख्य कारणों के ऊपर नज़र डाल लेते हैं।

  • बेमौसम बारिश या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा के कारण किसान के द्वारा की गयी खेती पर पानी फिर जाता है और उसकी सारी फसल या उसका कुछ हिस्सा बर्बाद हो जाता है।
  • यह किसी भी कारण हो सकता है और मुख्य तौर पर केसीसी ऋण नहीं चुका पाने का यही कारण होता है। इसमें फसल पर टिड्डों या अन्य जीव जंतुओं का हमला इत्यादि भी शामिल है।
  • इनके अलावा किसी कारणवश किसान की खेती करते समय या अन्य किसी कारण से मृत्यु हो जाए या वह स्थायी या अस्थायी तौर पर विकलांग हो जाए जिस कारण वह खेती कर अपना जीवनयापन ना कर सके।
  • किसान के परिवार में किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ जाये या उसे कोई गंभीर बीमारी हो जाये जिस कारण मेडिकल बिल्स में ही ज्यादातर पैसा निकल जाए।
  • बच्चों के विवाह या अन्य किसी तरह का आर्थिक संकट आ जाना भी किसी किसान को केसीसी ऋण की किश्तों को चुकाने में असमर्थ बना सकता है।

इनके अलावा भी हर किसान के अपने अपने कारण हो सकते हैं जो उसके परिवार, आर्थिक स्थिति, वातावरण और समाज पर निर्भर करते हैं। ऐसे में यदि वह केसीसी ऋण की किश्तों को नहीं चुका पाता है या जान बूझकर ऐसा करता है तो उसकी वसूली की प्रक्रिया हम आपको नीचे देने वाले हैं।

केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया क्या है? (KCC loan recovery procedure in Hindi)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि यदि किसी कारणवश या फिर जान बूझकर ही किसी किसान के द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत मिलने ऋण की राशि को नहीं चुकाया जाता है या इसमें आनाकानी की जाती है तो उसके लिए बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान जहाँ से उसने ऋण लिया (KCC loan na bhare to kya hoga) था, वह क्या कार्यवाही करते हैं तथा उस कार्यवाही के द्वारा वे किस तरह से ऋण वसूली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं। आइये जाने एक एक करके सभी चरणों के बारे में।

रिमाइंडर संदेश भिजवाना

बैंक के द्वारा सबसे पहले तो किसान को केसीसी ऋण को चुकाने के लिए एक सामान्य रिमाइंडर भेजा जाता है। यह रिमाइंडर उसके अधिकृत मोबाइल नंबर पर मैसेज भेजकर या फिर उसकी ईमेल आईडी है तो उसकी मेल आईडी पर एक ईमेल भेजा जाता है। इस तरह से बैंक कुछ कुछ दिनों के अंतराल में एक सप्ताह से लेकर 3 सप्ताह तक उसे उसके मोबाइल नंबर और मेल आईडी पर सूचनाएँ भेजता है।

इस सूचना में बैंक के द्वारा किसान को उसी की स्थानीय भाषा सहित हिंदी व अंग्रेजी में सूचित किया जाता है कि वह इतनी तारीख को अपने ऋण की किश्त चुकाना भूल गया है। ऐसे में वह इतने समय तक उसे चुका सकता है और उस पर कितना अतिरिक्त जुर्माने के तौर पर देना होगा, इसके बारे में भी बता दिया जाता है।

सामान्य संपर्क करना

अब जब रिमाइंडर संदेश भेजने के बाद भी किसान के द्वारा कोई उत्तर नहीं मिलता है और ना ही वह ऋण को चुकाता है तो बैंक के अधिकारी उसे फोन करते हैं या उसे बैंक बुलाते हैं। इस तरह से बैंक के अधिकारी या अन्य कर्मचारी उससे फोन पर बात कर यह समझने का प्रयास करते हैं कि उस किसान ने अभी तक किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लिए गए ऋण की किश्त को क्यों नहीं चुकाया है।

यदि किसान वाकई में असमर्थ है या उसके साथ कुछ घटित हो गया है तो बैंक के अधिकारी के द्वारा इस पर संज्ञान लिया जाता है। ऐसे में आगे क्या कुछ कार्यवाही हो सकती है और किसान को कुछ सहायता की जा सकती है या नहीं, इसके बारे में विचार विमर्श किया जाता है।

घर पर नोटिस भिजवाना

अब यदि बैंक के अधिकारी से बात करने के बाद भी बात नहीं बनती है और आप ऋण नहीं चुकाते हैं तो बैंक आपके घर पर एक नोटिस भिजवाता है। यह नोटिस तब भिजवाया जाता है जब आप लगातार तीन महीने तक केसीसी ऋण को नहीं चुकाते हैं। ऐसे में ऋण की किश्त को चुकाए हुए 90 दिन से ज्यादा का समय बीत जाता है तो बैंक आपके घर पर एक सामान्य नोटिस भिजवाता है।

इस नोटिस में बैंक आपको यह सूचित करता है कि आपने 3 माह से किसान क्रेडिट कार्ड योजना का ऋण नहीं चुकाया है और ऐसे में आपके विरुद्ध यह कार्यवाही की जा सकती है। आप उस नोटिस का उत्तर अगले एक से दो महीने में अच्छे से सोच समझ कर दे सकते हैं और ऋण की राशि को ब्याज सहित चुका सकते हैं।

रिकवरी एजेंट्स को भेजना

अब यदि आप सही समय पर नोटिस का उत्तर नहीं देते हैं और इस दौरान ऋण की राशि भी नहीं चुकाते हैं तो हर बैंक के द्वारा कुछ ऐसे व्यक्तियों को काम पर रखा जाता है जो ऋण की राशि को प्राप्त करवाने में बैंक की सहायता करते हैं। इन लोगों को रिकवरी एजेंट्स कहा जाता है जिन्हें बैंक की कार्यप्रणाली और किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में पूरी जानकरी होती है।

यह एजेंट्स आपसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क करते हैं और आपकी समस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं। वे आपसे आपके घर या खेत में बात करते हैं, समस्या को समझते हैं, ऋण की राशि कितनी बची है, उसका पता लगाते हैं, वह कब से नहीं चुकाया गया है और आगे क्या कुछ हो सकता है, इसके बारे में निर्णय लेते हैं और किसान को उसके बारे में सूचित करते हैं। एक तरह से वह ऋण की राशि को किसान से लेने के लिए बैंक की पूरी सहायता करते हैं।

कानूनी नोटिस भेजना

अब यदि बैंक के द्वारा केसीसी ऋण वसूली के सभी प्रयास विफल होते हैं और किसान के ऊपर सामान्य नोटिस, रिमाइंडर मैसेज, रिकवरी एजेंट्स इत्यादि का भी कोई लाभ नहीं पहुँचता है तो फिर बैंक के द्वारा किसान के घर पर कानूनी नोटिस भिजवाया जाता है। हालाँकि यह कानूनी नोटिस सीधे ही नहीं भिजवाया जाता है बल्कि इसके लिए सामान्य नोटिस भेजने के बाद दो महीने की प्रतीक्षा की जाती है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि जब बैंक 3 माह तक ऋण की किश्त नहीं प्राप्त होने पर आपके घर पर एक सामान्य नोटिस भिजवाता है तो उसके बाद वह 2 माह की और प्रतीक्षा करता है। अब यदि उसके बाद भी किसान से कोई उत्तर नहीं आता है या ऋण नहीं चुकाया जाता है तो फिर बैंक उसके घर पर कानूनी नोटिस भिजवाता है। इसमें यह बताया गया होता है कि भारतीय कानून के अनुसार उस पर क्या कुछ कार्यवाही की जा सकती है।

कोर्ट में केस करना

अब जब बैंक किसान को कानूनी नोटिस भिजवा देता है तो इसी के साथ साथ वह उस किसान पर न्यायालय में मुकदमा दायर करने को स्वतंत्र हो जाता है। इसके लिए बैंक या वह वित्तीय संस्था हर तरह के पहलू पर विचार विमर्श करती है और किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत उसके विरुद्ध क्या कुछ कार्यवाही की जा सकती है, इस पर सोचा जाता है।

हालाँकि बैंक के द्वारा यह निर्णय अंतिम पहलू के तौर पर ही उठाया जाता है क्योंकि उससे पहले वह यह देखता है कि आपसी बातचीत और किसान क्रेडिट कार्ड की शर्तों के आधार पर ही मामला सुलझा लिया जाए तो बेहतर रहेगा।

जमीन जब्त करना

जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि केसीसी योजना के तहत जब कोई किसान बैंक में जाकर ऋण लेता है तो उसके लिए उसे बैंक में अपने जमीन के कागजात गिरवी रखने पड़ते हैं या ऋण की राशि के अनुसार जमीन का कुछ हिस्सा बैंक में गिरवी रखना होता है। तो यदि आपको बैंक की ओर से ऋण नहीं चुकाने का कानूनी नोटिस भी मिल चुका है और फिर भी आप ऋण नहीं चुकाते हैं या उसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं देते हैं तो बैंक आपकी जमीन को बेचने या उसकी नीलामी करने का अधिकार रखता है।

इसके लिए बैंक एक महीने का सार्वजनिक नोटिस जारी करता है और उसमे बताता है कि आज से लगभग एक माह बाद उस जमीन की नीलामी की जाएगी। इसके तहत किसान को एक माह का समय और मिल जाता है लेकिन उसके बाद वह जमीन उसकी ना होकर बैंक की संपत्ति हो जाती है।

केसीसी ऋण नहीं चुका पाने की स्थिति में क्या करें?

अब यदि आपके साथ कुछ अनहोनी हो गयी है या परिवार पर आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है या अन्य कोई गंभीर संकट है जिस कारण आप केसीसी ऋण को नहीं चुका पा रहे हैं तो आपको डरने की बजाये क्या कुछ करना चाहिए, उसके बारे में जानकारी होनी जरुरी है। आइये जाने उस स्थिति में आप क्या कुछ कर सकते हैं।

  • सबसे पहले तो आप ठंडे दिमाग से यह सोचें कि आपको कितना कुछ नुकसान हुआ है या फिर आप केसीसी ऋण क्यों नहीं चुका पा रहे हैं। यदि कहीं से उसकी किश्त के लिए पैसों की व्यवस्था हो पाती है तो पहले वह कर लें अन्यथा दूसरे विकल्पों के बारे में सोचें।
  • जब बैंक के अधिकारी आपको फोन करे तो आप उनसे विस्तार में पूरी बात करें। आप उन्हें बताएं कि क्यों आप केसीसी ऋण नहीं चुका पा रहे हैं और उसका क्या कुछ समाधान हो सकता है। बैंक के अधिकारी आपकी परेशानी व स्थिति को समझ कर एक बढ़िया सुझाव आपको देंगे।
  • आप चाहे तो केसीसी ऋण की अवधि को बढ़ाने का भी विचार कर सकते हैं और उसके तहत ऋण की किश्तों को कम करवा सकते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि आपको अगले एक वर्ष में हर महीने 5 हज़ार देने थे तो आप उसे 2 वर्ष का करवा कर हर महीने 2500 रुपये दे सकते हैं।
  • इससे आप पर आर्थिक बोझ भी नहीं बढ़ेगा। हालाँकि समय अवधि बढ़ने के साथ ही ब्याज की दर कुछ सीमा तक बढ़ सकती है लेकिन यह मामूली ही होगी जिससे आप पर ज्यादा बोझ नहीं बढ़ेगा।
  • आप चाहे तो भारत सरकार के संबंधित विभाग या किसी कानूनी पेशेवर की भी सलाह या परामर्श ले सकते हैं। इससे आपको कुछ मदद मिल जाएगी और काम भी बन जाएगा।

यह जरुरी नहीं है कि हर किसान की स्थिति एक जैसी ही रहे और वह केसीसी ऋण को चुकाता रहे। क्या पता कुछ समय के बाद उसके परिवार में कुछ अनहोनी हो जाए जिस कारण आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाए। ऐसे में वह केसीसी ऋण को नहीं चुका पाता है। इस स्थिति में उसे डरने की बजाय बैंक अधिकारी व भारत सरकार से स्पष्ट रूप में बात करनी चाहिए ताकि समस्या का किसी ना किसी तरह से समाधान हो सके।

किसान की मृत्यु हो जाने पर केसीसी ऋण का क्या होता है?

अब बहुत बार यह देखने में भी आता है कि किसान की किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है या वह विकलांग हो जाता है। अब खेती का काम करना खतरे वाला काम होता है जहाँ किसान के साथ कुछ भी घटित हो सकता है। ऐसे में यदि किसी कारणवश किसान की मृत्यु हो जाए या फिर वह स्थायी या अस्थायी तौर पर विकलांग हो जाए तो उस स्थिति में भारत सरकार उसकी सहायता अवश्य करती है।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के साथ ही भारत सरकार उसका बीमा भी करवाती है जिसके तहत वह ऋण की राशि को क्लेम कर सकता है। ऐसे में यदि केसीसी कार्ड धारक किसान की मृत्यु हो जाती है तो भारत सरकार उसके परिवार को सहायता राशि के तौर पर 50 हज़ार रुपयों का भुगतान करती है। वहीं यदि वह स्थायी या अस्थायी तौर पर विकलांग हो जाता है जिस कारण वह खेती नहीं कर पाता है तो उसे 25 हज़ार से लेकर 50 हज़ार रुपये तक की राशि दी जाती है।

केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: केसीसी लोन नहीं चुकाया तो क्या होगा?

उत्तर: केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया को हमने ऊपर के लेख के माध्यम से बताने का प्रयास किया है जो आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: मौत के बाद केसीसी लोन का क्या होता है?

उत्तर: मौत के बाद केसीसी लोन का सेटलमेंट होता है और परिवार को सहायता दी जाती है।

प्रश्न: केसीसी पर कितनी छूट है?

उत्तर: केसीसी के तहत किसान को 3 लाख तक ब्याज 5 साल के लिए 4 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाता है।

प्रश्न: केसीसी पर कितना प्रतिशत ब्याज लगता है?

उत्तर: केसीसी के तहत किसान को 3 लाख तक ब्याज 5 साल के लिए 4 प्रतिशत ब्याज पर दिया जाता है।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि केसीसी ऋण वसूली प्रक्रिया क्या है केसीसी क्या है केसीसी ऋण ना चुका पाने की स्थिति में क्या करें और किसान को मृत्यु हो जाने पर केसीसी ऋण का क्या होता है इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह जानकारी आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई सवाल आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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