KGF क्या होता है? KGF की फुल फॉर्म | KGF full form in Hindi

KGF full form in Hindi, हाल ही में कई दक्षिण भारतीय फिल्मे पूरे भारत में प्रसिद्ध हुई हैं और इसी कारण हिंदू धर्म व भारतीय विरोधी बॉलीवुड के मुहं पर एक करार तमाचा (KGF kya hai) लगा है। इन्हीं दक्षिण भारतीय फिल्मो में जो एक फिल्म प्रसिद्ध हुई और जिसने सभी भारतीयों का दिल जीता वह थी KGF। अभी तक इस फिल्म के दो पार्ट आ चुके हैं और दोनों ही पार्ट हर भारतीय के दिलो पर छा गए।

बहुत से लोग KGF फिल्म देखने के बाद इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते (KGF kya real story hai) हैं। हालाँकि मूवी को मसालेदार बनाने के लिए उसमे बहुत सी बाते मनगढ़ंत भी जोड़ दी जाती है। इसलिए यदि आप KGF क्या है और KGF के इतिहास (KGF kya sachi kahani hai) के बारे में विस्तार से जानने को इच्छुक हैं तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से KGF के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

KGF क्या है? (KGF kya hai)

सबसे पहले बात की जाए कि आखिरकार KGF है क्या चीज़ या फिर इसे इसी नाम से क्यों जाना जाता है। दरअसल KGF पर मूवी तो अवश्य बनी है लेकिन यह कोई मूवी या कोई और चीज़ ना होकर बल्कि एक (KGF kya hota hai) जगह है। यह जगह भारत देश के कर्नाटक राज्य में स्थित (KGF kya real kahani hai) है। इसी कारण इस पर कन्नड़ भाषा में फिल्म बनी है जिसका हिंदी सहित अन्य कई भारतीय भाषाओँ में अनुवाद किया गया।

इस तरह से यदि आप KGF क्या है, के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आज आपको बता दे कि यह कर्नाटक राज्य में स्थित सोने की बहुत बड़ी खदान है। भारत का अधिकांश सोना एक समय में इसी खदान से निकला करता (KGF kya chij hai) था। तो हम KGF को सोने की खदान कह सकते हैं।

KGF क्या होता है? KGF की फुल फॉर्म (KGF full form in Hindi)

KGF की फुल फॉर्म (KGF full form in Hindi)

अब आपके मन में यह बात आ रही होगी कि आखिरकार KGF की फुल फॉर्म क्या है। आप सभी को पता है कि KGF तो बस एक शोर्ट फॉर्म है जबकि इसका पूरा (KGF full form movie in Hindi) नाम कुछ और है। ऐसे में KGF की फुल फॉर्म क्या होगी यह जानने की जिज्ञासा सभी के मन में होगी।

ऐसे में आज आप जान ले कि (KGF full form kya hai) KGF की फुल फॉर्म कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स (Kolar Gold Fields) है। इसे कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि यह कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है। यदि KGF के हिंदी नाम की बात की जाए तो इसे कोलार सोना क्षेत्र कहा जाएगा अर्थात जहाँ पर सोना बहुतायत में मिलता हो।

KGF कहां है (KGF kha hai)

अब यदि हम यह जानना चाहे कि आखिर यह कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स कर्नाटक में कहां स्थित है या फिर इसके पास के बड़े शहर कौन से है तो आज आपको वह भी विस्तार से जानने को मिलेगा। दरअसल KGF भारत देश के कर्नाटक राज्य के कोलार (KGF kha h) जिले में स्थित एक सोने की बहुत बड़ी खदान है।

KGF कोलार जिले के मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर रोबर्टसोनपेट नामक तहसील में स्थित एक बहुत बड़ी खदान है। यह रोबर्टसोनपेट नाम उसी (KGF kha par hai) रोबर्ट के नाम पर पड़ा है जिसे आप KGF मूवी में हेरी की भूमिका निभाते हुए देखते है। इसी कारण यह मूवी बनी थी जो इतनी प्रसिद्ध भी हुई थी।

KGF की खदान कोलार जिले से तो 30 किलोमीटर और कर्नाटक की राजधानी बेंगलोर से 100 किलोमीटर दूर स्थित है। KGF का क्षेत्रफल लगभग 60 किलोमीटर का है और यहाँ पर समुंद्र तल से ऊंचाई को हम 850 मीटर कह सकते हैं।

KGF किसलिये प्रसिद्ध है (Kolar gold fields kya hai)

अब आपको यह जानना चाहिए कि आखिरकार KGF किसलिए इतना प्रसिद्ध है। आपके मन में यह विचार आ रहा होगा कि सोने की खदान तो बहुत जगह होती है तो फिर KGF ही क्यों इतना प्रसिद्ध है। क्या यह मूवी के कारण ही प्रसिद्ध हुई है या फिर यह पहले से ही इतनी प्रसिद्ध थी।

तो आज हम आपको बता दे कि एक समय में भारत की खदानों से निकालने वाले सोने में से अधिकांश भाग इसी खदान से निकला करता था। कहने का अर्थ यह हुआ कि भारत की सोने की सबसे बड़ी खदान KGF ही है जहाँ से बेहताशा सोना निकला करता था। किंतु इसमें से अधिकांश सोना अंग्रेज़ अपने साथ ले गए।

एक अनुमान के अनुसार अंग्रेज़ सरकार इसमें से हजारो टन सोना निकाल कर अपने देश ले गयी और इसे बंजर बनाकर छोड़ दिया। KGF इसी कारण प्रसिद्ध है कि भारत का सबसे अधिक सोना इसी खदान में से निकला करता था और इसी कारण भारत को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था।

KGF का इतिहास (KGF history in Hindi)

एक समय में कोलार जिला मैसूर के अंतर्गत आता था और वहां पर कई दक्षिण भारतीय राजवंशो ने राज किया जैसे कि चोल वंश, चालुक्य, पल्लव इत्यादि। फिर एक दिन भारत की पश्चिमी सीमा से जेहादियों की सेना आई और सब तहस नहस करके रख दिया। ये अफगान व मुगल आक्रांता था जिन्होंने भारत भूमि पर रक्त की नदिया बहा दी। इनका मुख्य उद्देश्य भारत के लोगों का रक्त बाहर हिंदू धर्म की समाप्ति ही था।

इसके बाद भारत भूमि पर लालची अंग्रेजो का शासन (KGF ka itihaas) स्थापित हो गया। उन्होंने जेहादी मुगल सत्ता को उखाड़ फेंका और भारत के राजाओं को भी अपने अधीन कर लिया। अंग्रेज़ चतुर थे और उन्होंने रक्त बहाने की बजाए उन्हें गुलाम बनाया और उनसे अपना काम करवाया। एक दिन ब्रिटिश सरकार के कानो में कर्नाटक राज्य के कोलार जिले में स्थित सोने की खदान की खबर पहुंची।

यह सुनते ही उनके कान खड़े हो गए और उसने अपने अधिकारी वहां (KGF ka itihas in Hindi) दौड़ा दिए। वहां के लोगों को कहां गया कि जो भी KGF से सोना निकाल कर लायेगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा। निर्धन लोग उनके लिए सोना निकाल कर लाने लगे। उस समय तक सोना केवल हाथों से ही खोद खोद कर निकाला जाता था इसलिए KGF का अधिकांश सोना खाददो में ही दबा रहा।

इसी के साथ KGF की खदान बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैली हुई थी। इसलिए सोना निकालने का काम कहां से किया जाए यह भी सही से ज्ञात नही था। अंग्रेज़ सरकार ने दशकों तक यहाँ से सोना निकालने और उसका पता लगाने में बहुत मेहनत की लेकिन ज्यादा सोना हाथ नही लगा। यह समय 1800 से लेकर 1860-70 तक का रहा। उस समय अंग्रेज़ सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों से अंतिम युद्ध 1857 का युद्ध भी लड़ा था और विजय प्राप्त की थी।

अब एक तरह से भारत अंग्रेजों के अधीन हो चुका था और वहां के राजा भी। इसी का लाभ उठाकर अंग्रेज़ सरकार ने कोलार गोल्ड फ़ील्ड्स में सोना ढूंढने और उन्हें निकालने का काम तेज कर दिया। अंत में सन 1871 में ब्रिटिश अधिकारी माइकल लेवेली के नेतृत्व में उन्हें सफलता प्राप्त हुई और KGF में सपने की जगहों का पता चल गया। उसके बाद ताबड़तोड़ खुदाई शुरू हो गयी और इसमें हजारो भारतीयों की खदान में दबसे से मृत्यु हो गयी।

ब्रिटिश सरकार को यहाँ से इतना सोना मिलने लगा कि उसने और सोना निकालने की चाह में यहाँ भारत का पहला बिजली संयंत्र तक लगवा दिया। यहाँ बड़ी बड़ी मचीनो से खुदाई होने लगी और ट्रक भर भर कर सोना निकाला जाने लगा। उस समय भारत का लगभग 90 प्रतिशत सोना इसी खदान में से निकालने लगा। अंग्रेज़ सरकार ने रेलगाड़ियाँ व जगह भर भरकर यह सोना अपने देश इंग्लैंड पहुंचा दिया।

KGF में यह खुदाई 1871 से शुरू होकर 1930 तक बेधडक तरीके से चलती रही। हर वर्ष अंग्रेज़ लाखों की मात्रा में सोना KGF की खदानों से निकाल कर उसे इंग्लैंड पहुंचाते रहे। वर्ष 1930 तक आते आते KGF भूमि बंजर होने लगी और वहां से सोना लगभग खत्म सा हो गया। कहने का अर्थ यह हुआ कि अंग्रेजो ने यहाँ का लगभग सारा सोना लूट लिया और अपने देश पहुंचा दिया।

फिर उसके बाद अंग्रेजो ने यहाँ काम करना बंद कर दिया क्योंकि ज्यादातर सोना निकाला जा चुका था और उसके बाद आगे खुदाई करना संभव नही था। तब के संयंत्र इतने भी आधुनिक नही थे कि जमीन में इतनी खुदाई की जा सके। फिर भी भारत की स्वतंत्रता तक अंग्रेजो का ही यहाँ पर नियंत्रण रहा और वे किसी ना अकिसी तरीके से सोना निकलते रहे।

भारत की स्वतंत्रता के बाद सन 1956 में इस क्षेरा पर भारत सरकार का नियंत्रण स्थापित हो गया। भारत सरकार के द्वारा यहाँ पर काम करने के लिए भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड व भेल कंपनियों को लगाया गया। आज भी यहाँ पर कई कर्मचारी अपने परिवार सहित रहते हैं और इस क्षेत्र पर रिसर्च करते हैं। हालाँकि सोना निकालने का काम बंद ही हैं।

KGF की वर्तमान स्थिति

अब यदि KGF की वर्तमान स्थिति की बात की जाए तो आज के समय में यह जगह खंडहर के अलावा कुछ भी नही है। अंगेजों ने यहाँ इतनी गहरी सुरंगे खोद खोद कर पूरा सोना चूस लिया है कि पूछो मत। हालाँकि आज भी यहाँ सोना उपलब्ध है लेकिन उसके लिए इन सुरंगों के अंदर जाकर बहुत गहराई तक खुदाई करने की आवश्यकता है।

अब यदि यहाँ से सोना निकालने का काम होता हैं तो उस सोने का मूल्य ही इतना नही होगा क्योंकि उसे निकालने में ही इतनी लागत आ जाएगी। मतलब जितना खर्चा उस सोने को निकालने में होगा उससे ज्यादा खर्चा तो उसे निकालने में ही आ जाएगा। इसी कारण अब यहाँ पर खुदाई लगभग बंद है। साथ ही जो गहरी सुरंगे अंग्रेजो ने खोदी थी उनमे अब पानी भरा हुआ हैं।

KGF से जुड़ी जानकारी – Related FAQs

प्रश्न: KGF का मतलब क्या होता है?

उत्तर: KGF का मतलब एक सोने की खदान है जो कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित है।

प्रश्न: KGF की असली कहानी क्या है?

उत्तर: KGF की असली कहानी यही हैं कि वहां से लगभग एक सदी तक अंग्रेजो के द्वारा सोने को लूटा गया था और उसे अपने देश इंग्लैंड पहुँचाया गया था।

प्रश्न: केजीएफ मूवी ने कितनी कमाई की थी?

उत्तर: केजीएफ मूवी ने देश व विदेश में तथा सभी भाषाओँ में एक हज़ार करोड़ के आसपास की कमाई की थी।

प्रश्न: क्या रॉकी केजीएफ में एक असली चरित्र है?

उत्तर: हां, रॉकी केजीएफ में एक असली चरित्र है।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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