|| जमीन विवाद की शिकायत कहां करें? | Land dispute complaint in Hindi | कोर्ट से स्टे ऑर्डर क्या है? | जमीन के झगड़े का निपटारा कौन करते थे? | स्टे आर्डर कब मिलता है? ||
Land dispute complaint in Hindi :- एक व्यक्ति अपने जीवनभर की कमाई मकान बनाने में खर्च कर देता है। इसके लिए वह दिनरात मेहनत करता है और फिर जमीन अपने नाम करवाता है ताकि वह अपना खुद का मकान वहां खड़ा कर सके। वहीं बहुत बार हमें अपने पुरखों से जमीन मिलती है तो उसका बंटवारा किया जाना जरुरी होता है। भारत देश में जमीन से जुड़े विवाद कोई नए नहीं हैं बल्कि यह सदियों से चलते आ रहे हैं। इसके लिए भाई भाई का दुश्मन बन जाता है तो बाप बेटे (Land dispute meaning in Hindi) का।
ऐसे में यदि आप भी जमीन के किसी विवाद में फंसे हुए हैं या आपकी जमीन पर किसी ने अवैध तरीके से कब्ज़ा कर रखा है या कोई उस पर अपना हक़ जमा रहा है या ऐसा ही कुछ जमीनी विवाद है तो आपको उसकी शिकायत करनी चाहिए। अब आपको जमीन विवाद की शिकायत कहां हो सकती है या आप उसके विरुद्ध क्या कुछ कार्यवाही करने का अधिकार रखते हैं, इसके बारे में जानकारी ले लेनी (Property dispute complaint in Hindi) चाहिए।
आज के इस लेख में हम आपके साथ जमीन विवाद की शिकायत कहां करें और इसके लिए आप क्या कुछ कार्यवाही कर सकते हैं, सांझा करने वाले हैं। ऐसे में आपको यह लेख बहुत ही ध्यान से और अंत तक पढ़ना होगा ताकि कोई जानकारी रहने ना (Jamin vivad ki shikayat kahan karen) पाए।
जमीन विवाद की शिकायत कहां करें? (Land dispute complaint in Hindi)
जमीन विवाद को सुलझाने के लिए भारतीय कानून में एक विधिक प्रणाली बनायी हुई है और हर किसी को उसी के अनुसार ही चलना होता है। यदि आप किसी अलग तरीके का पालन करते हैं तो वह इतना कारगर सिद्ध नहीं होगा क्योंकि भारतीय न्याय व्यवस्था उसको नहीं मानती है। ऐसे में आप क्या कुछ कर सकते हैं या सामने वाले के प्रति क्या कार्यवाही की जा सकती है, इसके बारे में उचित जानकारी का होना बहुत ही आवश्यक हो जाता (Jamin vivad ki shikayat kaha kare) है।
आज हम आपके साथ सिलसिलेवार तरीके से जमीन विवाद से जुड़ी शिकायत कहाँ करनी होती है और उसके लिए आपके द्वारा क्या कुछ तैयारी किये जाने की जरूरत है, इसके बारे में चर्चा करने वाले हैं। ऐसे में शुरू से लेकर अंत तक क्या प्रक्रिया होती है और आप सामने वाले पर किन धाराओं के तहत केस फाइल कर सकते हैं, आइये उसके बारे में जानकारी ले लेते (Jamin ka vivad in Hindi) हैं।
जमीन से जुड़े सभी कागजात जुटाएं
यदि आप किसी जमीनी विवाद से जूझ रहे हैं और आपको इसके लिए शिकायत करनी है तो उससे पहले जरुरी है कि आपके पास उस जमीन से जुड़े सभी तरह के वैध दस्तावेज हों क्योंकि यही आपके आगे काम आने वाले हैं। ऐसे में उस जमीन से जुड़े सभी कागज, उन पर आपका मालिकाना हक़ सिद्ध करने वाले सभी दस्तावेज, उसकी प्रक्रिया, स्टाम्प पेपर इत्यादि का जुगाड़ करें।
आपके नाम पर वह जमीन कब हुई थी, किसने नाम की थी, क्यों नाम की थी, किस तहसील में कब काम हुआ था, उस समय रजिस्ट्रार व पटवारी कौन था, वह फाइल कहाँ पड़ी (Land dispute complaint kaha kare) है, जमीन आपके साथ और किसी के नाम है तो उसके कागज कहां है इत्यादि सभी तरह के दस्तावेजों को एक जगह एकत्रित कर लें। इसी के साथ ही इन सभी दस्तावेजों की 3 से 4 फोटोकॉपी भी करवा लें और इन्हें अलग अलग जगह रख दें ताकि यह खो ना जाएं।
रजिस्ट्रार से मदद लें
अब यदि कोई दस्तावेज नहीं मिल रहा है या वह खो गया है तो आप बिना देर किये वह जमीन जिस भी तहसील में पड़ती है, वहां के कार्यालय में जाएं। वहां बैठे पटवारी या रजिस्ट्रार से संपर्क करें और अपने नए कागज लें। उनके पास हर तरह की जमीन के कागज होते हैं और आपको बस उन्हें कुछ पैसे देकर अपने कागज निकलवाने हैं।
इसके लिए कुछ मोलभाव करना पड़े या कुछ चक्कर लगाने पड़े, तो भी कर लें और उसमें किसी तरह की आनाकानी ना करें। वह इसलिए क्योंकि इस समय आपके लिए आपकी जमीन ज्यादा जरुरी है ना कि किसी सरकारी अधिकारी से उलझना या उन्हें अपना शत्रु बनाना। यह याद रखिये कि जब आप कोर्ट में जमीन विवाद का केस करेंगे तो यही अधिकारी ही आपकी सहायता करेंगे।
थर्ड पार्टी से मामला सुलझाएं
यदि आप बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं और केस या विवाद को पहले ही सुलझा लेना चाहते हैं तो इसके लिए किसी थर्ड पार्टी का सहारा लिया जाना जरुरी हो जाता है। अब यदि आपका जमीन का विवाद किसी दूसरे व्यक्ति से चल रहा है तो इसमें किसी तीसरे व्यक्ति को मध्यस्थ की भूमिका निभाने दें। वह तीसरा व्यक्ति या थर्ड पार्टी कोई ऐसी पार्टी होनी चाहिये जिसे आप और वह दूसरा व्यक्ति अच्छे से जानता हो और वह दोनों पर ही अपना प्रभाव रखता हो।
इस बात का ध्यान रखें कि आप यह बातचीत तभी करें जब आपको लगे कि दूसरा व्यक्ति समझ सकता है और वह दुष्ट प्रवत्ति का नहीं है। क्योंकि यदि वह गलत सोच वाला हुआ या आपका बुरा करने वाला हुआ तो उससे बातचीत कर आप केवल और केवल अपना समय ही बर्बाद कर रहे होंगे और कुछ नहीं।
वकील का साथ लें
इस मामले में वकील आपकी बहुत हद्द तक सहायता कर सकते हैं। सही वकील को सभी तरह के कानूनी दांव पेंच पता होते हैं और शिकायत को कब और कैसे करना है, इसकी भलीभांति जानकारी होती है। इसलिए आपको कोई अच्छा वकील करना चाहिए जो आपके पूरे केस को पढ़े और उसके अनुसार ही आगे की कार्यवाही करे।
इसके लिए आप किसी भी वकील का चुनाव कर सकते हैं लेकिन यदि आप जानकारी के किसी वकील को चुनते हैं तो आपका काम सरल हो जाता है। यदि आपकी जानकारी में कोई वकील नहीं है तो फिर परेशान होने की बजाये किसी अनुभवी व सीनियर वकील को चुना जा सकता है जो आपका काम सरलता से करके दे देगा। हालाँकि इसके लिए आपको अपनी आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना होगा।
पुलिस थाने में केस करें
अब यदि बात हाथ से निकल चुकी है और आपको उसके लिए शिकायत करनी ही है तो आप अपने यहाँ के पुलिस थाने में जाकर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवा दें। जमीन विवाद से जुड़ी कई तरह की धाराएँ होती है और उसके बारे में पुलिस ही आपको सही तरीके से बताती है। हालाँकि इसमें वकील भी आपकी सहायता कर सकता है और यदि आपने वकील कर लिया है तो वही आपका सारा काम करके दे देगा।
यदि आप बिना वकील किये सीधे ही पुलिस थाने में जाकर केस करवाते हैं तो वह भी आप करवा सकते हैं। इसके लिए आपको उसी पुलिस थाने में जाना होगा जहाँ वह जमीन पड़ती है। आप उसके अलावा किसी अन्य पुलिस थाने में वह केस नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में पुलिस को सारी बात बताएं और संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध FIR दर्ज करवा दें।
सिविल कोर्ट में फाइल लगाएं
बहुत से लोग जमीन विवाद की शिकायत करने के लिए सीधे सिविल कोर्ट भी पहुँच जाते हैं और यह कोई गलत नहीं है। भारत सरकार व कानून व्यवस्था आपको सीधे सिविल कोर्ट में केस लगाने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। यदि आप वकील या पुलिस के चक्कर नहीं लगाना चाहते हैं या उनके मामले में नहीं पड़ना चाहते हैं तो आप सीधे सिविल कोर्ट पहुँच कर संबंधित धाराओं में व्यक्ति के ऊपर सूट लगा सकते हैं।
कोर्ट में जब यह मामला चलता है तो वह सम्बन्धित व्यक्ति को कानूनी नोटिस भेजता है जिसे हम लॉ सूट भी कह सकते हैं। इससे वह व्यक्ति भी बाध्य हो जाता है और उसे कोर्ट की कार्यवाही में भाग लेना होता है। हालाँकि यह एक लंबी प्रक्रिया है क्योंकि कानून के हाथ लम्बे होने के साथ साथ उसकी प्रक्रिया भी बहुत लंबी होती है।
स्टे लगवाएं
यदि कोई आपकी जमीन के नकली कागज बनाकर या उसे अवैध तरीके से बेचने जा रहा है या आपने किसी सांझेदार के साथ वह जमीन खरीदी है लेकिन अब वह मनमाने तरीके से उसे बेचने जा रहा है तो आप सिविल कोर्ट में इसके लिए स्टे लगवाने की अपील कर सकते हैं। यदि कोर्ट आपके द्वारा लगाये गए मामले में और उससे संबंधित जमीन की खरीद और बिक्री पर स्टे लगा देता है तो इसका अर्थ होता है कि कोर्ट के अगले ऑर्डर तक उस जमीन को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही खरीदा जा सकता है।
ऐसे में यदि आपको अपनी जमीन पर तत्काल रूप से कार्यवाही करनी है और उसे बिकने से बचाना है तो आप उस पर सिविल कोर्ट से तुरंत ही स्टे ऑर्डर ले आएं। उसके बाद वह जमीन मामला चलने तक सुरक्षित रहती है और इस पर आप दोनों ही कोई कार्यवाही नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट की हियरिंग में जाएं
अब यह तो हमने आपको ऊपर ही बता दिया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था इतनी पेचीदा है कि क्या ही कहें। इसमें कोर्ट के हाथ अवश्य ही बहुत लम्बे हैं लेकिन उसकी प्रक्रिया उसके हाथों से भी लंबी है। यह इतनी लंबी होती है कि कई बार व्यक्ति पूरे जीवनभर केस लड़ता ही रह जाता है लेकिन न्याय नहीं हो पाता है। अब जो है वो है और आपको वह सहना ही होगा।
इसके लिए आपको जब भी कोर्ट की हियरिंग में बुलाया जाए तो आपको जाना ही होगा। इसके तहत आपसे एक ही बात, एक ही सबूत और एक ही गवाह 10 बार कहने को कह जाएगा, हर बार वही पूछा जाएगा और आपको बिना परेशान हुए वह दिखाने ही होंगे, और तब जाकर मामले का निपटारा होगा। ऐसे में हमेशा कोर्ट की हियरिंग में जाएं और उसका हिस्सा बने।
पक्षकार व साक्षी लाएं
कोर्ट में केवल आपकी ही हियरिंग नहीं होगी बल्कि उस जमीन विवाद को सुलझाने के लिए जो भी अन्य लोग साक्षी हैं, वह भी उसका हिस्सा बनेंगे। ऐसे में आपके पक्ष में कौन कौन है, कौन उस जमीन के साक्षी हैं, इत्यादि सभी की व्यवस्था कीजिये। अपने वकील को उनके बारे में बताएं ताकि वह कोर्ट की कार्यवाही में उन व्यक्तियों का नाम भी जुड़वा सके।
यह बहुत ही जरुरी हो जाता है कि आप जिस भी व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत करवा रहे हैं, उसके सामने अपना पक्ष मजबूती से रखें। यदि आपका पक्ष कमजोर पड़ जाता है तो सिविल कोर्ट में सामने वाले व्यक्ति की जीत हो जाती है। यह आपके हित में बिल्कुल भी नहीं रहेगा क्योंकि निर्णय सामने वाले के पक्ष में चला जाएगा।
उच्च न्यायालय में अपील लगायें
यदि सिविल कोर्ट से आपको न्याय नहीं मिलता है और निर्णय आपके पक्ष में नहीं आता है या वह आंशिक रूप से ही आपके पक्ष में आता है या आप उस निर्णय से खुश नहीं हैं तो निराश मत होइए। भारतीय न्याय व्यवस्था के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जमीन विवाद से जुड़े सिविल कोर्ट के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह उच्च न्यायालय में इसकी अपील लगा सकता है।
ऐसे में आपके राज्य की उच्च न्यायालय आपके राज्य की राजधानी में स्थित होती है। आपको वहां जाना होगा और मामले को लगाना होगा। आपको बताना होगा कि आप क्यों इस निर्णय से खुश नहीं हैं और आप उसके लिए क्या चाहते हैं। उसके बाद उच्च न्यायालय इस मामले को देखता है और उस पर अपना निर्णय सुनाता है।
जमीन विवाद की शिकायत कहां करें – Related FAQs
प्रश्न: जमीन के झगड़े का निपटारा कौन करते थे?
उत्तर: जमीन के जगड़े का निपटारा कोर्ट के द्वारा किया जाता है।
प्रश्न: जमीन का मुकदमा कितने साल तक चलता है?
उत्तर: जमीन का मुकदमा 5 साल से लेकर कितने भी साल तक चल सकता है।
प्रश्न: स्टे आर्डर कब मिलता है?
उत्तर: यदि दो लोगों के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा हो तो उसमे से कोई भी एक उस जमीन को ना बेच दे इसके लिए दूसरे के द्वारा स्टे ऑर्डर लिया जाता है।
प्रश्न: कोर्ट से स्टे ऑर्डर क्या है?
उत्तर: यदि दो लोगों के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा हो तो उसमे से कोई भी एक उस जमीन को ना बेच दे इसके लिए दूसरे के द्वारा स्टे ऑर्डर लिया जाता है।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि जमीन से जुड़े विवाद के लिए आप शिकायत या कंप्लेंट कहां कर सकते हैं। इसके लिए हमने पूरी प्रक्रिया को चरण दर चरण तरीके से पूरा समझाया है। आशा है कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। यदि ऐसा है तो आप हमें नीचे कॉमेंट करके बता सकते हैं।