लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस क्या हैं? रियायत एंव पाबंदी Lockdown 4.0 Guidelines In Hindi

कोरोना वायरस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है। इससे लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने लॉक डाउन को बढ़ा दिया है।अब लॉक डाउन 4.0 की घोषणा की गई है। इसमें सड़क यातायात खोल देने के साथ ही कई अन्य रियायतें भी दी गई हैं। लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस क्या-क्या है, लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस इन हिंदी. आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे। आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ते जाइए, ताकि कोई बिंदु आपकी नजर से छूट न जाए। आइए शुरू करते हैं-

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लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस क्या हैं? Lockdown 4.0 Guidelines In Hindi

दोस्तों, सबसे पहले आपको यह बता दें कि देश भर में सभी जोन में शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक रहेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो नाइट कर्फ्यू जारी रहेगा। स्थानीय प्रशासन अपने अधिकार क्षेत्र में कानून के प्रावधानों के अनुसार इस संबंध में आदेश जारी करेंगे। वहीं, कंटेनमेंट जोन में पाबंदी जारी रहेगी। इस जोन में पूरी तरह सख्ती बरती जाएगी। केवल जरूरी सामानों की दुकानें खुलेंगी। ई कामर्स के जरिये भी केवल जरूरी सामान मंगाया जा सकेगा। आइए, अब आपको बताते हैं कि लाकडाउन 4.0 में क्या बंद रहेगा यानी किस पर रोक रहेगी और क्या खुला रहेगा-

लाकडाउन 4.0 में किस पर रोक रहेगी? What will be stopped in lockdown 4.0?

लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस क्या हैं? रियायत एंव पाबंदी Lockdown 4.0 Guidelines In Hindi

सभी सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक धार्मिक आयोजनों पर रोक मेट्रो, रेल सेवाओं पर रोक धार्मिक स्थल बंद रहेंगे, धार्मिक सभाओं, बैठकों पर भी रोक रहेगी स्कूल-कॉलेज शैक्षिक संस्थान बंद होटल, रेस्टोरेट बंद रहेंगे शॉपिंग मॉल, जिम, सिनेमा घर, स्विमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थियेटर, बार, आडिटोरियम भी नहीं खुलेंगे

लाकडाउन 4.0 में क्या खुलेगा? What will open in lockdown 4.0?

आनलाइन पढ़ाई होगी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स खुलेंगे, लेकिन दर्शक नहीं जा सकेंगे। यात्री गाड़ियों, बसों से यात्रा, हालांकि इसके लिए राज्यों की अनुमति जरूरी की गई है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश का राज्य के भीतर ट्रांसपोर्ट आर्थिक गतिविधियां (स्थानीय प्रशासन के निर्देशानुसार) तमाम गतिविधियों के लिए तय किए गए स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर यानी एसओपी

राज्य खुद करेंगे जोन का निर्धारण –

कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए राज्यों को यह सहूलियत दी गई है कि वह खुद रेड, ग्रीन, आरेंज और ग्रीन जोन का निर्धारण करें। यह फैसले स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस को नजर में रखते हुए संबंधित राज्य का प्रशासन लेगा। जोन के आधार पर ही इन स्थानों पर आर्थिक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।

लाकडाउन 4.0 में अब तीन की जगह पांच जोन –

रेड और आरेंज जोन में जिला प्रशासन कंटेनमेंट और बफर जोन निर्धारित करेगा। कंटेनमेंट जोन में सभी जरूरी कार्यों की अनुमति होगी। लेकिन लोगों की आवाजाही पर पाबंदी जारी रहेगी। केवल मेडिकल इमरजेंसी और आवश्यक सामान के लिए ही आवाजाही की इजाजत मिल सकेगी। कंटेनमेंट जोन में बड़े स्तर पर कांटेक्ट ट्रेसिंग होगी। घर घर जाकर लोगों की जांच की जाएगी।

किस उम्र के लोगों को घर में ही रहने का सुझाव

65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और 10 साल से कम आयु के बच्चों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी पहले की तरह जारी रहेगी। कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए यह माना जा रहा है कि इस उम्र में इम्युनिटी यानी शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम होती है। ऐसे में इन लोगों के आसानी से कोरोना का शिकार बन की आशंका हैं।

कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब कुछ दिन के बच्चों में भी कोरोना कै लक्षण देखने को मिले। कुछ केस ऐसे भी रहे हैं, जिनमें मां को कोरोना था, लेकिन उनके दुधमुंहे बच्चे की रिपोर्ट नेगेटिव निकली। ऐसे में इस खास वर्ग के इन लोगों को उनके घरों के भीतर ही रहने पर जोर दिया गया है।

आरोग्य सेतु एप इंस्टाल कराने का सुझाव दिया –

हर व्यक्ति को अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु डाउनलोड कराना होगा। इस बाबत जिला प्रशासन को सुझज्ञव दिया गया है कि वह आरोग्य सेतु एप हर व्यक्ति के मोबाइल में इंस्टाल कराने के साथ ही उनसे हर रोज अपना हेल्थ स्टेटस अपडेट करने को कहे। इससे संक्रमण पर नजर रहेगी और समय से इलाज संभव हो सकेगा। सभी दफ्तरों में नियोक्ताओं को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने कर्मचारियों के मोबाइल में इस एप को डाउनलोड कराए।

लाकडाउन 4.0 क्यों लागू किया गया? Why is Lockdown 4.0 implemented?

अब हम आपको बताएंगे कि लाकडाउन की नौबत क्यों आई। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। अब एक दिन में औसतन चार से पांच हजार मरीज रोज आ रहे हैं। हालांकि बड़ी संख्या में मरीज ठीक भी हो रहे हैं, लेकिन उनके ठीक होने की दर संक्रमित होने वाले लोगों की अपेक्षा बहुत कम है। दोस्तों, अभी भी बहुत सावधानी बरते जाने की जरूरत है। इसे देखते हुए ही लॉक डाउन 4.0 की घोषणा की गई है।

अभी इसे आने वाली 31 मई तक बढ़ाया गया है। इसके बाद इसे हटाया जाएगा या और बढ़ाया जाएगा, इस संबंध में फैसला भविष्य में कोरोना वायरस संक्रमण के हालात को देखते हुए लिया जाएगा। हर किसी की निगाह इस समय लाकडाउन कब हटेगा, इसी बात पर लगी हुई हैं।

लाकडाउन के बीच घर जाने वाले प्रवासी श्रमिक बने चुनौती

आपको बता दें कि लाकडाउन के बीच घर जाने वाले प्रवासी श्रमिक सरकारों और शासन प्रशासन के लिए चुनौती बने हुए हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि लाकडाउन की वजह से इंडस्ट्री बंद हैं और काम धंधे ठप पड़े हुए हैं। ऐसे में मजदूरों का बड़ी संख्या में शहरों से अपने घरों की ओर पलायन लगातार जारी है। मित्रों, हालांकि सरकारो का दावा है कि उन्होंने तमाम श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, लेकिन कुछ तो जानकारी का अभाव है और कुछ हड़बड़ी।

ऐसे में सभी मजदूरों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। दोस्तों, बहुत जगह ऐसा भी हुआ है कि मजदूर अवैध रूप से ट्रकों में भरकर गए और दुर्घटना के शिकार हो गए। कई जगह उन्हें जब कोई साधन नहीं मिला तो वह पैदल ही अपने गंतव्य स्थल की तरफ रवाना हो गए। इस बीच दुर्घटनाएं भी बहुत सामने आई। जैसे कि 16 मजदूर ट्रेन की पटरी पर मालगाड़ी से कट मरे तो वही औरैया के पास एक ट्रक हादसे में 24 मजदूरों की जान चली गई।

अपनी जगह पहुंचने में मजदूरों को पुलिस के लाठी-डंडे भी खाने पड़ रहे हैं। पत्नी और बच्चों के साथ लंबी सड़क यात्रा ने उन्हें बेदम कर दिया है। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर निशाना भी साधा है।

लाकडाउन को निजी ट्रांसपोर्ट वालों ने बनाया काली कमाई का जरिया

यह लाकडाउन का एक काला पक्ष बनकर उभरा है। निजी ट्रांसपोर्ट वालों ने भी काली कमाई शुरू कर दी है वह कई कई हजार रुपए लेकर मजदूरों को अपने ट्रकों में पनाह दे रहे हैं, और उन्हें उनके गांव, घरों तक पहुंचा रहे हैं। ऐसे ही बद्रीनाथ के कुछ तीर्थ पुरोहित, जो हर साल यात्रा के प्रचार पर जाते थे, वह कोलकाता में फंस गए। उन्हें करीब एक लाख रुपए खर्च करके पूरी बस बुक करके उत्तराखंड लौटने को मजबूर होना पड़ा। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने घर पहुंचने के लिए ढाई ढाई लाख रुपए भी खर्च किए हैं।

वहां जाकर भी उन्हें चैन मिला हो ऐसा नहीं है। सरकार की तरफ से उनकी थर्मल स्कैनिंग और स्वास्थ्य जांच करने के बाद उन्हें क्वारंटीन किया गया है। यानी उन्हें अब 14 दिन के लिए बाकी सब से अलग रहना पड़ेगा।उनकी वजह से कोरोना संक्रमण की आशंका बनी हुई है। हालात कुल मिलाकर बहुत विपरीत बने हैं।

लाकडाउन का प्रकृति, पर्यावरण पर बेहतर असर भी –

लॉकडाउन का एक बहुत अच्छा असर भी देखने को मिला है और यह अच्छा असर है प्रकृति और पर्यावरण पर। जिस गंगा की स्वच्छता के लिए प्रोजेक्ट बनाकर करोड़ों रुपये फूंक दिए गए, वह इन दिनों निर्मल, शीतल, कलकल बह रही है। वहीं पर्यावरण भी एकदम स्वच्छ है। पहाड़ के जिन जंगलों में इन दिनों फायर सीजन की वजह से जहां हजारों हेक्टेयर पेड़ और जीव जंतुओं की बलि चढ़ जाती थी, वहां अभी तक एकबारगी भी आग नहीं लगी है। इससे पर्यावरणप्रेमी खुश हैं और वनकर्मी राहत की सांस ले रहे हैं। फायर सीजन 15 जून तक माना जाता है।

इसके लिए वन विभाग बाकायदा तैयारी करता है। वह फायर लाइन भी खुदवाता है, लेकिन इस बार सारी तैयारी धरी रह गई हैं। वहीं, बारिश की वजह से वनों का घनत्व बढ़ा है। लाकडाउन की वजह से कई ऊंचाई वाले इलाकों में मानवीय हस्तक्षेप बेहद कम हो गया है। इससे दुर्लभ वनस्पतियों की प्रजाति बढ़ने की संभावना है तो वहीं नीलकंठ जैसे पक्षी शहरों तक उड़ान भरने लगे हैं। बुग्यालों यानी हरे भरे मैदानों में बारहसिंघे, घुरल बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं। हिम तेंदुए तक इस बार दिखाई पड़े हैं।

एक नुकसान सिर्फ यह हुआ है कि तेंदुओं और गुलदारों जैसे जानवरों का आबादी क्षेत्र के पास तक विचरण बढ़ गया है। जो लोगों के लिए चिंता की बात है। लेकिन बात यदि कुल प्रभाव की करें तो यह बहुत उत्साहजनक है। अब लाकडाउन खुलने के बाद लोगों के लिए पर्यावरण की इस स्वच्छता को बचाए रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी, जो कि पहले की स्थितियों पर नजर डालते हुए बहुत दुष्कर प्रतीत होता है।

लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस उल्लंघन पर  सजा, चालान और मुकदमे भी –

कोरोना संक्रमण बेशक बेहद तेज गति से फैल रहा है, लेकिन इसके बावजूद लोग लाकडाउन का जमकर उल्लंघन कर रहे हैं। जबकि यह उन्हीं की सुरक्षा के लिए बढ़ाया गया है। जो लोग अपनी रोजी के लिए सैलून या चाय की दुकान खोल रहे थे, उनका तो फिर भी ठीक लेकिन लोग सुबह की सैर करने तक को लाकडाउन तोड़ रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी कर रही है।

हजारों चालान किए गए हैं तो वहीं बड़ी संख्या में मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। पहाड़ों के कई गांवों में तो ग्राम प्रधान खुद सड़कों पर उतरे हुए हैं। वह अपने हाथ में कंडाली (बिच्छू घास) लेकर चल रहे हैं, ताकि यदि कोई लाकडाउन उल्लंघन में पकड़ा जाए तो उसे कंडाली लगा दी जाए। बता दें कि यह कंडाली लगाने पर व्यक्ति को घोर चुभन का अहसास होता है। लोगों को सबक सिखाने के लिए ग्राम प्रधान इस रास्ते को अपना रहे हैं।

लाकडाउन में कुछ ने दिखाया संयम तो कुछ भागे भी –

कई प्रवासी ऐसे भी हैं, जिन्होंने उन क्वारंटीन सेंटर को जहां उन्हें ठहराया गया है, सजा संवार दिया है। इनमें से ज्यादातर वह हैं, जो किसी स्कूल में क्वारंटीन किए गए थे। इन्होंने स्कूल की क्यारी को संवार डाला तो कहीं बच्चों के खेलने के लिए फील्ड तैयार हो गया। इससे इनका अपना समय तो कटा ही स्कूलों को भी नया रंग रूप मिला। इनका मानना था कि छुट्टी के बाद जब बच्चे स्कूल आएंगे तो इस रूप रंग को देखकर खुश हो जाएंगे।

इसके अलावा रूद्रप्रयाग के एक गांव में गांव के सरपंच और अन्य लोगों ने मिलकर खुद 20 लोगों के ठहरने लायक एक क्वारंटीन सेंटर बना डाला है। इसमें पंखे, एलईडी के साथ ही सीसीटीवी कैमरे तक की व्यवस्था की गई है, ताकि क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों की निगरानी की जा सके। क्योंकि लाकडाउन के बीच क्वारंटीन सेंटर से भाग जाने वाले लोगों के मामले में बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं।

लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस का पूर्ण संयम और संकल्प के साथ पालन करें –

अलबत्ता, पकड़े जाने पर वह कोई न कोई बहाना बना रहे हैं। इसके साथ ही कई क्वारंटीन सेंटर से अव्यवस्था के केस सामने आए। यहां रहने वाले लोगों ने अव्यवस्थाओं को लेकर वीडियो भी खूब वायरल किए। किसी जगह खाना अच्छा नहीं तो कहीं बिस्तर की ठीक व्यवस्था नहीं। एक क्वारंटीन सेंटर से तो सांप तक निकलने का वीडियो वायरल हुआ। उत्तर प्रदेश में तो मेडिकल कालेज की अव्यवस्थाओं पर मुख्यमंत्री योगी ने एक विशेष कार्य अधिकारी यानी ओएसडी को वहां भेजा है और प्रिंसिपल को भी बदल दिया। कुल मिलाकर लाकडाउन के अच्छे और बुरे प्रभाव सामने आ रहे।

मित्रों, यह थी लाकडाउन 4.0 गाइडलाइंस क्या हैं? रियायत एंव पाबंदी Lockdown 4.0 Guidelines In Hindi.  उम्मीद है कि यह जानकारीपरक पोस्ट आपको पसंद आई होगी। अगर आप लाकडाउन 4.0 के संबंध में कुछ और जानने के इच्छुक हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के अंदर कमेंट करके बता सकते हैं। यदि आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो बेहतर। उसके लिए भी आप कमेंट बॉक्स में हमें लिखकर भेज सकते हैं। दोस्तों, यदि किसी अन्य विषय पर आप जानकारी चाहते हैं तो उसका भी नाम लिखकर हमें भेज सकते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि हम आपको संबंधित जानकारी मुहैया कराएं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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