लोकसभा एवं राज्यसभा में क्या अंतर है? (What is the difference between loksabha and rajyasabha?)
यदि आपने बचपन में नागरिक शास्त्र पढ़ा होगा तो संसद, लोकसभा एवं राज्यसभा का नाम अवश्य सुना होगा। अथवा यदि आप 18 वर्ष से अधिक हैं एवं आपके पास वैध वोटर आईडी कार्ड है तो हो सकता है कि आपने लोकसभा चुनाव में मतदान भी किया हो और अपना प्रतिनिधि चुना हो।
क्या आप जानते हैं कि लोकसभा एवं राज्यसभा के कार्य अथवा इन दोनों में क्या अंतर है? संसद का लोकसभा एवं राज्यसभा से क्या नाता है? यदि नहीं जानते तो आज इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे। आपको बताएंगे कि लोकसभा एवं राज्यसभा में क्या अंतर है? उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगी।
संसद क्या है? (what is parliament)
लोकसभा एवं राज्य सभा में अंतर जानने से पूर्व संसद के विषय में जानना जरूरी है। संसद दरअसल, देश की सर्वोच्च विधायी शक्ति है। भारत में संसद राष्ट्रपति (president) एवं दो सदनों राज्यसभा (rajyasabha) एवं लोकसभा (loksabha) से मिलकर बनती है।
राज्यसभा राज्यों की परिषद, जबकि लोकसभा लोगों का सदन कहलाता है। राष्ट्रपति के हाथ में यह शक्ति होती है कि वह संसद के दोनों से किसी भी सदन को बुलाए, स्थगित करे अथवा लोकसभा भंग कर सके। राज्यसभा को संसद का उच्च (higher), जबकि लोकसभा को निचला (lower) सदन माना जाता है।
लोकसभा एवं राज्य सभा में क्या क्या अंतर हैं? (what is the difference between loksabha and rajyasabha)
हमने आपको संसद के गठन के बारे में तो बता दिया। अब आपको जानकारी देंगे कि संसद के इन दोनों उच्च एवं निचले सदनों क्रमशः राज्यसभा एवं लोकसभा में क्या क्या अंतर है-
- लोकसभा सदस्य आम जनता द्वारा मतदान (voting) के जरिए चुने जाते हैं। 18 वर्ष से ऊपर के वोटर कार्ड धारी मतदाता इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं, वहीं राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य करते हैं।
- लोकसभा को आम लोगों का सदन कहा जाता है, जबकि राज्य सभा को राज्यों की परिषद पुकारा जाता है।
- लोकसभा में सीटों की अधिकतम संख्या 552 निर्धारित की गई हैं, जबकि राज्यसभा में सीटों की संख्या अधिकतम 250 है।
- लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष निर्धारित की गई है, जबकि राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए।
- लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल पांच वर्ष होता है, वहीं राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष में रिटायर (retire) होते हैं।
- भारत के राष्ट्रपति राज्यसभा में संगीत (music), कला (art), साहित्य (literature), खेल (sports) जैसे विभिन्न क्षेत्रों के 12 विशेषज्ञों को मनोनीत करते हैं, जबकि लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय (Anglo Indian community) के सदस्यों का मनोनयन अब नहीं होता। पूर्व में इसका प्रावधान (provision) था, जिसे 2019 के एक अधिनियम (act) द्वारा समाप्त कर दिया गया।
- लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता, लोकसभा अध्यक्ष करते हैं, जबकि राज्यसभा में यह कार्य सभापति यानी उप राष्ट्रपति के जिम्मे होता है।
- देश में शासन चलाने के लिए धन आवंटन हेतु धन विधेयक (money bill) केवल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। राज्यसभा के पास इसकी शक्ति नहीं है।
- लोकसभा अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में उपाध्यक्ष कार्रवाई का संचालन करते हैं, जबकि राज्यसभा में सभापति की अनुपस्थिति में कार्रवाई संचालन का जिम्मा राज्यसभा के उप सभापति के पास होता है।
लोकसभा एवं राज्यसभा के बारे में विस्तार से जानिए (know about loksabha and rajyasabha in detail)
ऊपर हमने आपको लोकसभा एवं राज्यसभा के बीच अंतर समझाया। अब हम आपको लोकसभा एवं राज्यसभा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे-
1. राज्यसभा क्या है? (rajyasabha)
सबसे पहले बात राज्यसभा की करते हैं। हम आपको बता ही चुके हैं कि यह संसद का उच्च सदन है। इसका पहला सत्र 13 मई, 1952 को हुआ। भारतीय संविधान (indian constitution) के अनुच्छेद (section) 80 में राज्यभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है। आपको जानकारी दे दें कि इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
ये वे सदस्य होते हैं, जिन्होंने देश में मनोरंजन, संगीत, साहित्य, कला, चिकित्सा, पर्यावरण अथवा किसी अन्य क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। राज्यसभा के 238 सदस्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं। वर्तमान में इसके सभापति एम वेंकैया नायडू हैं।
वर्तमान में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या कितनी है? (at present the number of members in rajyasabha is 245)
वर्तमान में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है। इनमें से 233 सदस्य राज्य (state) एवं संघ शासित (union territory) दिल्ली एवं पुड्डचेरी के प्रतिनिधि हैं, वहीं, 12 को राष्ट्रपति ने नामांकित किया है। पांच सीटें वर्तमान में रिक्त हैं।
आपको जानकारी दे दें कि इसके सदस्य 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। इनमें से एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं। राज्यसभा में विभिन्न पार्टी के सदस्यों का ब्रेकअप (break up) निम्न प्रकार से है-
एनडीए (NDA)-
145 सदस्य (इनमें भाजपा के 96, एआईएडीएमके के 9, बीजेडी के 9, टीआरएस के 7, वाईएसआरसीपी के 6, जेडीयू के 5, एनओएम के 4, एजीपी, एनपीपी, एमएनएफ, पीएमके, एनपीई, एसडीएफ, टीएमसी एम, आरपीआईए एवं आईएमडी के 1-1 सदस्य शामिल हैं)
यूपीए (UPA)-95 सदस्य
(इनमें कांग्रेस के 35, एआईटीसी के 12, डीएमके के 7, सीपीआईएम के 6, आरजेडी एवं सपा के 5-5, एनसीपी के 4, आप, शिरोमणि अकाली दल, बसपा एवं एसएचएस के 3-3, सीपीआई के 2, जबकि टीडीपी, जेडीएस, एलजेडी, जेएमएम, आईयूएमएल, एमडीएमएमके एवं आईएनडी के 1-1 सदस्य शामिल हैं)
राज्यसभा की क्या विशेषता है? (what are the special feature of rajyasabha)
राज्यसभा का गठन संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ। इसकी विशेषता यह है कि यह लोकसभा अर्थात संसद के निचले सदन द्वरा पारित प्रस्तावों की पुनरीक्षा करता है।
मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी राज्यसभा के चलते पूरी होती है, क्योंकि इसमें राष्ट्रपति द्वारा 12 विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ सदस्य मनोनीत होकर पहुंचते हैं। यह आवश्यक है कि इमरजेंसी (emergency) लगाने से जुड़े जो भी प्रस्ताव आते हैं, वे राज्यसभा द्वारा भी पारित होने चाहिए।
राज्सभा का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यताएं आवश्यक हैं? (what is the necessity to be the member of rajyasabha)
भारतीय संविधान (indian constitution) के अनुच्छेद (section) 84 में राज्यसभा की सदस्यता के लिए कुछ योग्यताएं निर्धारित की गई हैं, जो कि निम्नवत हैं-
- संबंधित व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु न्यूनतम 30 वर्ष होनी आवश्यक है।
- वह भारत अथवा राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो।
- वह विकृत्तचित्त अथवा दिवालिया न हो।
- वह विधि द्वारा स्थापित किसी संस्था के नियमों का उल्लंघन न करता हो।
राज्यसभा के पदाधिकारी कौन होते हैं? (who are the position holders of rajyasabha)
अब आपको जानकारी देते हैं कि राज्यसभा के पदाधिकारी कौन कौन होते हैं। इनका ब्योरा निम्नवत है-
सभापति-
भारत के उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। वे ही राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हैं। आपको जानकारी दे देते हैं कि राज्यसभा के अन्य सदस्यों के विपरीत राज्यसभा के सभापति का कार्यकाल 5 वर्ष का ही होता है।
उपसभापति-
राज्यसभा के सदस्य अपने बीच से किसी सदस्य का उप सभापति के बतौर चुनाव करती है। सभापति की गैर मौजूदगी में कार्रवाई का संचालन उप सभापति के हाथों में होता है। यदि सभापति एवं उपसभापति दोनों ही गैर मौजूद रहें तो राज्यसभा में उप सभाध्यक्षों का भी एक पैनल (panel) होता है, जिनका एक सदस्य सभा की कार्रवाई का संचालन करता है।
इसके सदस्यों का नामांकन राज्यसभा करती है। पद छोड़ने की स्थिति में राज्यसभा का सभापति अपना इस्तीफा (resignation) भारत के राष्ट्रपति को सौंपता है।
राज्यसभा की विशेष शक्तियां क्या हैं? (what are the special powers of rajyasabha)
यदि भारतीय संविधान की बात करें तो राज्यसभा को मुख्य तौर पर तीन विशेष शक्तियां (special powers) प्रमुख रूप से प्रदान की गई हैं-
- राज्य सूची के विषय पर संविधान के अनुच्छेद 249 के तहत 1 साल का बिल बनाने का अधिकार।
- संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत दो तिहाई बहुमत से नई अखिल भारतीय सेवा का गठन करना।
- संविधान के अनुच्छेद 67 एवं उप राष्ट्रपति को हटाए जाने का प्रस्ताव राज्यसभा में ही लाया जा सकता है।
राज्यसभा सरकार को बना अथवा गिरा नहीं सकती (rajyasabha can’t make or dissolve the government)
बेशक राज्यसभा संसद का उच्च सदन है, किंतु मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होती है। लिहाजा, राज्यसभा सरकार को बना अथवा गिरा नहीं सकती। यद्यपि यह सरकार पर नियंत्रण (control) रख सकती है। यह कार्य उस समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण (important) हो जाता है, जबकि सरकार (government) को राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं होता।
किसी सामान्य परिस्थिति में दोनों सभाओं के बीच गतिरोध को दूर करने के लिए संविधान में संयुक्त बैठक (joint meeting) बुलाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, बात धन विधेयक की हो तो संविधान में दोनों सभाओं की संयुक्त बैठक बुलाने की कोई व्यवस्था नहीं है, क्योंकि वित्तीय मामलों (financial matters) में लोकसभा को राज्यसभा की तुलना में प्रमुखता प्राप्त है।
2. लोकसभा क्या है? (loksabha)
लोकसभा (loksabha) संसद का निचला सदन है। वर्तमान में लोकसभा की कुल सीटों की संख्या 550 है। यद्यपि भारत के संविधान (constitution of India) के अनुसार लोकसभा में सदस्यों की अधिकतम (maximum) संख्या 552 हो सकती है। इसमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व (representation) करते हैं, जबकि 20 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों (union territory) से चुने जाते हैं।
लोकसभा के सदस्य प्रति पांच वर्ष पर होने वाले चुनाव (election) के माध्यम से चुने जाते हैं। इसे संसदीय चुनाव (parliamentary election) भी पुकारा जाता है। लोकसभा की अवधि पांच वर्ष होने के बावजूद इसे इससे पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
लोकसभा की विशेष शक्तियां क्या क्या हैं (what are the special powers of loksabha)
लोकसभा को संविधान द्वारा कई विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं, जो कि निम्नवत हैं-
- मंत्रिपरिषद सिर्फ लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होगी। सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ यहीं लाया जा सकता है।
- नेशनल इमरजेंसी (national emergency) जारी रखने का प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया एवं पास किया जा सकता है।
- मनी बिल (money bill) पास करने में यह सदन निर्णायक है।
लोकसभा के पदाधिकारी कौन कौन होते हैं? (who are the position holders of loksabha)
लोकसभा के भी अपने पदाधिकारी होते हैं, जो इसके कार्यों को अंजाम देते हैं। इनका ब्योरा निम्नवत है-
लोकसभा अध्यक्ष-
इसे स्पीकर (speaker) भी पुकारा जाता है। लोकसभा अध्यक्ष के दो कार्य होते हैं-
- लोकसभा की अध्यक्षता करना। सदन में अनुशासन एवं उसकी गरिमा बनाए रखना। इसके लिए वह किसी कोर्ट के समक्ष उत्तरदाई नहीं होता।
- वह लोकसभा से संलग्न सचिवालय का प्रशासनिक अध्यक्ष होता है, लेकिन इस रूप में अपने कार्यों के लिए वह कोर्ट के सामने जवाबदेह होता है।
- सभी संसदीय समितियां उसके अधीन कार्य करती हैं। यदि वह किसी समिति का सदस्य चुना जाता है तो वह उसका पदेन अध्यक्ष होता है।
- लोकसभा का विघटन होने पर भी स्पीकर पद रहता है। नई लोकसभा चुने जाने पर ही वह पद छोड़ता है।
- यदि दोनों सदनों का सम्मिलित सत्र बुलाया जाता है तो उसका अध्यक्ष स्पीकार ही होता है। उसकी गैर मौजूदगी में डिप्टी स्पीकर अथवा उसके भी गेर मौजूद होने पर राज्यसभा का उपसभापति अथवा सत्र द्वारा नामित कोई सदस्य सत्र की अध्यक्षता करता है।
- धन बिल के मामले में स्पीकर का फेसला अंतिम एवं बाध्यकारी होता है।
संसद के इस निचले सदन के लिए निर्वाचित सदस्यों में से किसी एक को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना जाता है। लोकसभा में कार्य संचालन का जिम्मा लोकसभा अध्यक्ष का ही होता है।
उसके कार्य के संचालन में उपाध्यक्ष द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। उपाध्यक्ष को भी लोकसभा के निर्वाचित सदस्य ही चुनते हैं। इस समय ओम बिरला लोकसभा के अध्यक्ष हैं।
कार्यवाहक अध्यक्ष
कार्यवाहक अध्यक्ष को प्रोटेम स्पीकर (protem speaker) भी पुकारा जाता है। जब भी नई लोकसभा चुनी जाती है तो राष्ट्रपति संसद में सबसे लंबा अनुभव (experience) रखने वाले सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त करता है। उसे राष्ट्रपति द्वारा शपथ दिलाई जाती है। इसके दो कार्य होते हैं-
- संसद सदस्यों को शपथ दिलाना।
- नए स्पीकर की चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करना।
उपाध्यक्ष
उपाध्यक्ष को डिप्टी स्पीकर (deputy speaker) भी पुकारा जाता है। लोकसभा सदस्य किसी एक सदस्य (member) को उपाध्यक्ष चुनते हैं। वह लोकसभा अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में कार्य संचालन को अंजाम देता है तथा अध्यक्ष के रहने पर कार्य संचालन में उनकी सहायता करता है।
लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद कैसे समाप्त होता है?
यहां यह बात खास है कि यदि किसी सदस्य की लोकसभा सदस्यता समाप्त हो जाती है तो उसका अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष पद भी समाप्त हो जाता है। उपाध्यक्ष अपना इस्तीफा अध्यक्ष को सौंपता है। लोकसभा के उपस्थित सदस्यों के बहुमत से प्रस्ताव लोकर अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष को उसके पद से हटाया जा सकता है।
यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो यहां लोकसभा का पद खाली है, क्योंकि निवर्तमान उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई का कार्यकाल 16वीं लोकसभा भंग होने से पूर्व पूर्ण हो गया।
अब एंग्लो इंडियन कम्युनिटी के सदस्य नहीं मनोनीत होते
सन् 1952 से लेकर सन् 2020 तक भारत सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति एंग्लो इंडियन कम्युनिटी (Anglo Indian community) के दो अतिरिक्त सदस्यों को मनोनीत कर सकते थे, लेकिन इस चलन को जनवरी, 2020 में 104वें संविधान संशोधन अधिनियम (consitute ammendment act)-2019 के द्वारा खत्म कर दिया गया।
लोकसभा का विघटन कैसे किया जाता है
राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर लोकसभा का विघटन भी किया जाता है। इससे लोकसभा का काल (period) समाप्त हो जाता है। इसके पश्चात आम चुनाव (general election) ही होते हैं।
विघटन के पश्चात जो भी पेंडिंग (pending) कार्य लोकसभा के समक्ष होते हैं, वे सभी समाप्त हो जाते हैं, लेकिन जो विधेयक (bill) राज्यसभा में ले आए जाते हैं, वे लंबित रहते हैं। इसके अतिरिक्त जो विधेयक राष्ट्रपति के समक्ष विचाराधीन होते हैं, वे भी समाप्त नहीं होते।
लोकसभा सदस्य बनने के लिए आवश्यक योग्यता (necessary requirements to be a loksabha member)
लोकसभा के विषय में मोटा मोटी जानकारी प्रदान करने के बाद अब हम आपको बताएंगे कि लोकसभा का सदस्य बनने के लिए किसी व्यक्ति के पास क्या क्या योग्यता होनी आवश्यक हैं-
- संबंधित व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- उसकी उम्र न्यूनतम 25 वर्ष हो।
- वह भारत अथवा राज्य सरकार के अधीन किसी सरकारी अथवा लाभ के पद पर न हो।
- वह पागल अथवा दिवालिया न हो।
संसद का गठन कैसे होता है?
संसद का गठन राष्ट्रपति, राज्यसभा एवं लोकसभा को मिलाकर होता है।
संसद का उच्च सदन कौन सा है?
राज्यसभा संसद का उच्च सदन है, लोकसभा को निचला सदन माना जाता है।
लोकसभा की अधिकतम कितनी सीटें निर्धारित हैं?
लोकसभा की अधिकतम सीटें 552 हैं।
राज्यसभा के लिए अधिकतम कितनी सीट निर्धारित हैं?
राज्यसभा के लिए अधिकतम 250 सीटें निर्धारित हैं?
राज्यसभा में राष्ट्रपति कितने सदस्यों को मनोनीत कर सकता है?
राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।
राज्यसभा में मनोनीत किए जाने वाले सदस्य किस क्षेत्र से होते हैं?
ये किसी एक क्षेत्र नहीं, बल्कि संगीत, कला, साहित्य, खेल, पर्यावरण, चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए विशेषज्ञ होते हैं।
लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु क्या निर्धारित की गई है?
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम उम्र 25 वर्ष, जबकि राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष निर्धारित की गई है।
क्या किसी सरकारी पद पर तैनात व्यक्ति लोकसभा अथवा राज्यसभा का सदस्य बन सकता है?
जी नहीं, किसी सरकारी अथवा लाभ के पद पर तैनात व्यक्ति लोकसभा अथवा राज्यसभा का सदस्य नहीं बन सकता।
लोकसभा एवं राज्य सभा का कार्यकाल कितना होता है?
लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है, जबकि राज्यसभा एक स्थाई सदन होता है। इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष निर्धारित किया गया है। प्रत्येक दो वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते रहते हैं।
धन विधेयक पेश करने का अधिकार किस सदन के पास है?
धन विधेयक पेश करने का अधिकार केवल लोकसभा के पास है।
वर्तमान में लोकसभा एवं राज्यसभा में कितने सदस्य हैं?
वर्तमान में लोकसभा में कुल 550, जबकि राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। पांच सीटें खाली हैं।
वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति कौन हैं?
वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं राज्यसभा के सभापति उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू हैं।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके लिए उत्तरदाई होती है?
केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है।
लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्य कैसे चुने जाते हैं?
लोकसभा के सदस्य सीधे जनता के द्वारा चुनाव के जरिए चुने जाते हैं, वहीं राज्सभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
उप राष्ट्रपति किस सदन के पदेन सभापति होते हैं?
उप राष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा सदस्यों के बीच में से ही किया जाता है।
लोकसभा अध्यक्ष को अन्य किस नाम से पुकारा जाता है?
लोकसभा अध्यक्ष को स्पीकर कहकर भी पुकारा जाता है।
क्या लोकसभा अध्यक्ष को पद से हटाया जा सकता है?
लोकसभा सदस्यों द्वारा एक प्रस्ताव लाकर लोकसभा अध्यक्ष को उसके पद से हटाया जा सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्रवाई का संचालन कौन करता है?
लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्रवाई का संचालन लोकसभा उपाध्यक्ष करता है।
लोकसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष कौन होता है?
जब भी नई लोकसभा चुनी जाती है तो सबसे अधिक अनुभव रखने वाले सदस्य को उसका कार्यवाहक अध्यक्ष चुना जाता है।
कार्यवाहक अध्यक्ष का क्या काम होता है?
इसका कार्य सदस्यों को शपथ दिलाना एवं लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया की अध्यक्षता करना होता है।
कार्यवाहक अध्यक्ष को क्या किसी अन्य नाम से भी पुकारा जाता है?
कार्यवाहक अध्यक्ष को प्रोटेम स्पीकर के नाम से भी पुकारा जाता है।
जी नहीं, कोई सरकारी अथवा लाभ के पद पर तैनात व्यक्ति लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकता। इससे पूर्व उसे अपने पद से इस्तीफा देना होगा। वह तभी चुनाव लड़ सकेगा।
हमने आपको इस पोस्ट में संसद के दोनों सदनों राज्यसभा एवं लोकसभा के विषय में जानकारी दी। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा (competitive exams) की तैयारी कर रहे हैं अथवा देश के जागरूक नागरिक हैं तो निश्चित रूप से इस पोस्ट से आपको बहुत लाभ होगा। इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर (share) करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने देश के दोनों सदनों के बारे में जान सकें। धन्यवाद।
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