मानहानि क्या होता है? मानहानि केस कैसे कर सकते हैं? Defamation IPC Act 499 Kya Hai

मानव का व्यक्तित्व बहुत ही विशाल है। मानव जीवन में नित नए चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है। रास्ते में कई सारे रुकावटें आती है। इन रुकावट की तरफ ध्यान ना देकर हमें आगे की ओर अग्रसर रहना पड़ता है। हमारे इस संघर्ष मय जीवन में कई बार ऐसे समय में आता है, जब हमें कुछ अनचाही घटनाओं को भूलना पड़ता है इस दुनिया में इंसान को एक दूसरे को चोट पहुंचाना अच्छा लगता है।चोट  इतनी गहरी हो जाती है कि हमारा मान सम्मान पर हमला होने लगता है। ऐसे में हम अपार दुख से भर उठते हैं।

मानहानि क्या है? What is Maan Haani?

कई बार बहुत ही समस्या खड़ी हो जाती हैं और हमारे मान सम्मान को चोट पहुंचाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति किसी पर झूठा आरोप लगाए या किसी भी तरह मान सम्मान को ठेस पहुंचाए तो यह मानहानि की श्रेणी में आ जाता है। यदि किसी प्रकार का झूठ बोला जाए या किसी भी देश, उत्पाद, समूह को निजी रूप से प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने पर मानहानि कहा जाता है। जब किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए जाते हैं,तब इस बात को नहीं समझा जाता कि सामने वाले व्यक्ति को इस बात से कितनी चोट पहुंची होगी? उस समय हमें अपने मान सम्मान की वजह से व्यक्ति हीन भावना से ग्रसित होने लगता है।

मानहानि के प्रकार – Types of Defamation –

यदि मानहानि को विस्तार से देखा जाए तो इस के दो रूप होते हैं प्रथम लिखित और द्वितीय  मौखिक।

कभी-कभी लिखित रूप में मान सम्मान को ठेस पहुंचाया जाता है और कभी तो किसी व्यक्ति के लिए अपमानजनक बातें या भाषण से मानहानि होने लगती है। इन दोनों ही रूपों में ही किसी  व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाया जाता है। ऐसा करना सदा ही अनुचित माना गया है। मौखिक रूप से की गई  टिप्पणी किसी के सामने होनी चाहिए तभी वह मानहानि के दायरे में होगी।

मानहानि क्या होता है? मानहानि केस कैसे कर सकते हैं? Defamation IPC Act 499 Kya Hai

सभी लोगों के लिए अपना मान सम्मान बहुत ही मायने रखता है, चाहे वह अमीर हो या गरीब। ऐसे में एक बार गया सम्मान वापस आने में कई बार पूरी जिंदगी निकल जाती है। अपने सम्मान और प्रतिष्ठा को बनाए रखना हर व्यक्ति का परम कर्तव्य है। यदि कोई व्यक्ति नीचा दिखाने, झूठ बोलने, बदनाम करने,गाली देने जैसे अभद्र कार्य करें,तो व्यक्ति उसके खिलाफ न्यायालय में जा सकता है और अपने सम्मान की लड़ाई लड़ सकता है।

मानहानि केस क्या है? What is a defamation case?

हर व्यक्ति को अपने मान सम्मान बनाए रखने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अपने मान सम्मान को बनाए रखने में कामयाब होता है। आईपीएस की धारा 499 -500 के तहत न्यायालय में मानहानि का मामले का निर्णय किया जा सकता है। कई बार लोगों द्वारा ऐसी बातें बोल दी जाती है जो सर्वथा अनुचित है। इस अनुचित व्यवहार के लिए मानहानि का केस करके इंसाफ प्राप्त किया जा सकता है।

मानहानि के अंतर्गत आने वाले केस – Defamation Cases –

ऐसे तथ्य जो मानहानि केस के अंदर आते हैं-

1) जाति व समुदाय से संबंधित – Related to caste and community –

अक्सर यह देखा जाता है कि लोग गुस्से या जानबूझकर भी अपशब्द बोलने से पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में यदि व्यक्ति को नीचा दिखाने के उद्देश्य से जाति, धर्म,समुदाय के बारे में अपशब्द कहा जाए तो यह मानहानि केस के अंतर्गत आ जाता है। किसी से बात करते समय बहुत ही सोच विचार करने की आवश्यकता होती हैै।

2) योग्यता से संबंधित – Qualification related –

हमारे देश में लोगों को योग्यता के आधार पर नीचा दिखाया जाता है। हर व्यक्ति में कोई ना कोई योग्यता होती है।  इसके बाद भी लोगों को यह नासमझी वाला कार्य सही लगता हैै।ऐसे में किसी के योग्यता, अनुभव, ज्ञान और तजुर्बे को झूठा साबित करना या उस पर सवाल उठाना भी  मानहानि के केस के अंतर्गत आता है। यह मानहानि सामूहिक किसी संस्था के खिलाफ की जा सकती है।

3) साख से संबंधित

व्यक्ति की इज्जत ही सर्वोपरि होती है।किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व पर अंगुली उठाना, अपमानजनक बातें बोलना भी व्यक्ति के साख के खिलाफ होता है। किसी की शारीरिक स्थिति देखकर पागल, बदसूरत, लंगड़ा कहना या गाली देना साख  के खिलाफ है। किसी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को गलत बोलना भी खिलाफ माना जाता है।ऐसी स्थिति होने पर भी मानहानि का केस किया जा सकता है।

4)सोशल मीडिया संबंधित – Social media related –

मानहानि का सिलसिला सोशल मीडिया पर भी जारी रहता है। फेसबुक,टि्वटर, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया में अपमानजनक टिप्पणी करना भी मानहानि के अंतर्गत आता है। सोशल मीडिया में किसी भी फोटो, नाम, टिप्पणी करना भी सही नहीं माना गया है। इन सभी तथ्यों के कारण ही मानहानि का केस किया जा सकता है। सजा के रूप में जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

ऐसे तथ्य जो मानहानि केस के अंदर नही आते हैं- Facts that do not come within the defamation case-

इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो मानहानि केस के अंदर नहीं आते हैं –

  • 1) किसी व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का केस तब तक नहीं किया जा सकता है, जब तक यह साबित ना हो जाए कि इसका उद्देश्य दूसरे की मान सम्मान को ठेस पहुंचाना ही है।
  • 2) जब तक यह साबित ना हो जाए कि व्यक्ति को समाज में नीचा दिखाने या झूठा आरोप लगाने का प्रयास किया गया है।
  • 3) यदि कोई व्यक्ति समाज हित में रहकर अपराधी और बेईमान लोगों से आगाह करें, ऐसी स्थिति में भी मानहानि का केस नहीं हो सकता है।
  • 4) जब तक किसी भी प्रकार के मानहानि का सबूत ना मिल जाए ऐसी स्थिति में मानहानि का केस बिल्कुल नहीं हो सकता है।

मानहानि केस कब करें? When to file a defamation case?

यदि किसी व्यक्ति का मान सम्मान पर लिखित या मौखिक रूप से हमला बोला जाता है,तो ऐसे में आईपीएस की धारा 499 के तहत मानहानि का केस किया जा सकता है। ऐसे में यह साबित होना भी अनिवार्य है कि दोषी की मंशा सही नहीं है। अगर कोई व्यक्ति धारा 499 के अंतर्गत दोषी पाया गया,तो धारा के तहत सजा भी होती है। मानहानि आईपीएस धारा 500 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे की मानहानि करता है तो उसको 2 साल की कैद हो  सकती है

मानहानि का मामला अदालत में साबित करना आसान काम नहीं है। जब तक मानहानि होने के पक्के सबूत ना हो,तब तक मानहानि का केस निराधार ही होता है। केस होने के बाद अदालत साक्ष्यों का बयान दर्ज करता है। अगर पर्याप्त सबूत ना मिले,तो समन भी जारी किया जाता है। अदालत के सामने यदि आरोपी अपने आरोप को मंजूर करता है, तो शिकायतकर्ता के हक में फैसला होता है। इस दौरान आरोपी के वकील द्वारा सारे साक्ष्य पेश किए जाते हैं। मानहानि के क्षतिपूर्ति होने के तौर पर हर्जाना मिल सकता है।

मानहानि रोकने के लिए फौजदारी कानून – Criminal law to stop defamation –

किसी भी व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर सवाल उठाना सही नहीं है। इस बात की बिल्कुल भी इजाजत नहीं दी जा सकती है कि कोई भी व्यक्ति किसी पर कीचड़ उछाले।ऐसा देखा जाता है कि लोग आसानी से दूसरे पर आरोप लगाना, गाली देना, आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाना जैसा काम कर लेते हैं। ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ लोग राजनीतिक बयान या निजी बयान पर टिप्पणी कर लेते हैं। ऐसी स्थिति लोकतंत्र के हिसाब से सही नहीं मानी गई है। न्यायालय में मानहानि के खिलाफ लड़ाई भी जरूरी होती है ऐसे में जनहित याचिका कर ली जाती है।

जनहित याचिका करने वाले समाज के मुख्य रूप में भी देखा जाने लगा है। कुछ लोगों ने फौजदारी कानून के बजाय दीवानी कानून की बात की है। भारत में अभी तक फौजदारी कानून को ही सर्वोपरि माना गया है क्योंकि लोकतांत्रिक देश में जहां दिनोंदिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं वहां पर कानून और सजा का खौफ भी जरूरी हो जाता है।

अपराध के रूप में मानहानि – Defamation as a crime-

मानहानि की धारा 499 के तहत भारत में प्रत्येक व्यक्ति को मान सम्मान बरकरार रखना आवश्यक है। यदि भारत का कोई व्यक्ति 499 के अंतर्गत दोषी पाया जाता है, तो निम्न धाराओं के तहत दंड देने का प्रावधान है-

1) धारा 500 – अगर कोई व्यक्ति मानहानि करता है, तो आईपीएस की धारा 500 के तहत 2 साल की सजा का प्रावधान है या फिर जुर्माने भी लिया जा सकता है।

2) धारा 501 – यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर मानहानि करता है, तो धारा 501 लगाई जा सकती है।जिसके तहत 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

3) धारा 502 – अपने आर्थिक उद्देश्य के लिए किसी की मानहानि करने पर धारा 502 के तहत 2 साल की सजा और आर्थिक रूप से जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।

4) धारा 505 – यह धारा गलत जानकारी के लिए लागू होती है। यदि किसी खबर, तथ्य और रिपोर्ट को इस प्रकार से पेश किया जाए जिसमें भारतीय जल, थल, वायु सेना या कोई भी अधिकारी बगावत के लिए तैयार हो जाए। इस वजह से देश में डर का भाव पैदा करने वाले लोगों पर धारा 505 के तहत 2 साल की आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है।

इनमें से किसी भी स्थिति के होने से आईपीएस की धारा लगाई जा सकती है।

मानहानि के खिलाफ बचाव कैसे करें? How to defend against defamation?

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का केस किया जाता है, तो इसके खिलाफ भी कुछ बचाव शामिल किए गए हैं।सार्वजनिक रूप से हमारे देश का खास महत्व दिया जाता है। लोकतांत्रिक देश में जनता का लाभ सर्वोपरि है।ऐसे में पत्रकारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो जाती है। पत्रकारों को विशेष अधिकार प्राप्त है जिसके अंतर्गत उन्हें मानहानि के मामले में तब तक शामिल नहीं किया जा सकता जब तक उनके द्वारा दिया गया बयान किसी को बदनाम करने के लिए उपयोग नहीं किए गए हैं।

यदि किसी कारणवश मुकदमे का आरोप लगाया जाए,  तो ऐसे में व्यक्ति के खिलाफ अपने अधिकारों को जानना ही प्रथम कर्तव्य बनता है। एक वकील ही इस मामले में आपकी मदद कर सकता है और आगे बढ़ने के लिए उपयुक्त तरीका सूझा भी सकता है।

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अपनी प्रतिष्ठा और मान सम्मान बनाए रखना अति आवश्यक है। यह कहना गलत नहीं है कि समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो दूसरे व्यक्तियों के मान सम्मान में रुकावट पैदा करते हैं। अगर आप ऐसे लोगों से परेशान हैं, तो न्यायालय में जाकर मानहानि का केस कर सम्मान बनाया जा सकता है।न्यायालय हमारे सम्मान को बनाए रखने में हमारा सहयोग करती है। किसी भी प्रकार की अवहेलना से सरकार की नजर में दंडनीय है। इसके लिए बहुत ही आवश्यक है कि अपने अधिकारों को जानकर ही अपने कर्तव्यों के साथ सही दिशा में अग्रसर रहें।

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