महिला से मारपीट की धारा कौनसी है? महिलाओं से अभद्रता और कानून

हमारे देश में महिला को अक्सर अबला कहकर संबोधित किया जाता है। जननी होने के बावजूद शारीरिक दृष्टि से उसे कमजोर माना जाता है। शादीशुदा पुरुष अक्सर अपनी पत्नी पर हाथ उठाते व जोर आजमाते देखे जा सकते हैं। वे ऐसा करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार (birth right) समझते हैं। क्या महिला पर हाथ उठाना अपराध है? और यदि हां तो महिला पर हाथ उठाने पर कौन सी धारा लगती है? यदि आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते तो भी कोई बात नहीं। आज हम आपको इस संबंध में इस पोस्ट के माध्यम से विस्तार से जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

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पुरुष महिला पर हाथ क्यों उठाते हैं? (Why men raise hand on women in present time?)

महिला से मारपीट की धारा कौनसी है? महिलाओं से अभद्रता और कानून

दोस्तों, आपने अक्सर पुरुषों को महिलाओं पर हाथ उठाते देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुरुष महिला पर हाथ क्यों उठाते हैं? मित्रों, इसका एक कोई सीधा सा कारण नहीं है। बहुत से मनोवैज्ञानिकों, मनो विश्लेषकों एवं समाज शास्त्रियों ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है। इस क्रम में जो उत्तर उनके सामने आए हैं, वे पारिवारिक कारणों से लेकर सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, वित्तीय जैसे कई तरह के पहलुओं को अपने आप में समेटे हुए हैं। मुख्य तौर पर ये खास खास कारण इस प्रकार से हैं-

पारिवारिक कंडीशनिंग: इस श्रेणी में आप उन पुरुषों को रख सकते हैं, जिन्होंने अपने परिवारों में अपने पिता या अन्य किसी रिश्तेदार को महिलाओं को मारते पीटते देखा है। उनकी पारिवारिक कंडीशनिंग इस प्रकार की होती है कि उन्हें इसमें कुछ बुरा भी नहीं लगता।
कुंठा: मित्रों, कई पुरुष हीन ग्रंथि के शिकार होते हैं। ऐसे में वे अपने से कमजोर महिलाओं पर हाथ उठाकर उन्हें पीटकर अपनी इस ग्रंथि को शांत करते हैं। इससे उन्हें ताकतवर होने का एहसास होता है।

मर्दानगी की गलत परिभाषा: हमारे देश में बहुत से पुरुष मर्दानगी की गलत परिभाषा को सही मानते हैं। इस परिभाषा के अनुसार वे मर्द होने के नाते वे औरत/महिला को काबू में रखना चाहते हैं। और इसके लिए उन्हें उनके खिलाफ हिंसा करना अथवा हाथ उठाना एक बेहतर जरिया लगता है।

असहमति को खत्म करने का तरीका: हमारा समाज पितृसत्तात्मक समाज है। इसमें परिवार संबंधी सभी फैसले लेने का हक अधिकांशतः पुरुष को ही प्राप्त है। ऐसे में स्त्री यदि उसके किसी फैसले से असहमति जताती है तो पुरुष को उस पर हाथ उठाना ही उसकी असहमति को खत्म करने का एकमात्र तरीका नजर आता है और वह इसका बखूबी इस्तेमाल भी करता है।

अन्य कारण : बहुत सारे पुरुष ऐसे होते हैं, जो महिला पर हाथ उठाने के कई सारे बहाने बनाते हैं। जैसे कई बार वह नशे में होने का बहाना बनाते हैं तो कई बार आपा खो बैठने का बहाना बनाते हैं। असली समस्या स्त्री की है, जिसे हर हालत में इस हिंसा को केवल सहना पड़ता है।

क्या महिला पर हाथ उठाना अपराध है? (Is it a crime to raise hand on a woman?)

दोस्तों, आपने देखा होगा कि गुस्सा आने पर लोग एक दूसरे को मारने के लिए पत्थर तक उठा लेते हैं। आपको बेशक रोजमर्रा के जीवन में यह सब देखने की आदत होगी और आपको लगता होगा कि यह सामान्य सी बात है, तो आपको यह बता दें दोस्तों कि ऐसा करना भी अपराध (crime) है। यदि कोई आपको पत्थर फेंक कर मारता है और पत्थर आपको नहीं लगता, निशाना चूक जाता है तो वह पत्थर फेंका जाना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

महिला पर हाथ उठाने में कौन सी धारा लगती है? (What section is imposed on raising hand on a woman?)

मित्रों, अब आते हैं मुख्य सवाल पर। किसी महिला पर हाथ उठाने में हाथ उठाने वाले पर कौन सी धारा लगती है? आपको बता दें कि ऐसी स्थिति में संबंधित व्यक्ति पर धारा (section)-323 लगाई जाती है। यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी दूसरे व्यक्ति को चोट या नुकसान पहुंचाने की नीयत से हाथ उठाते हमला करता है तो वह सारे केस भारतीय दंड संहिता (indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) की इसी धारा के अधीन आते हैं। इस धारा में आरोपी को दोष सिद्ध होने पर 1 साल की कैद या ₹1000 का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं।

महिला से मारपीट की धारा कौनसी है? महिलाओं से अभद्रता और कानून

क्या कोई पत्नी अपने पति को मार-पीट के मामले में सजा दिला सकती है? (Can a wife get her husband punished for assault?)

मित्रों, हमारे देश में पति द्वारा पत्नी की पिटाई पर कोई आश्चर्य व्यक्त नहीं किया जाता। इसको बहुत सामान्य सी बात मान लिया गया है। लेकिन यह सामान्य सी बात नहीं है। यदि पत्नी चाहे तो अपने पति को मारपीट के केस में जेल की हवा तक खिला सकती है। आईपीसी (ipc) के अंतर्गत इसका भी प्रावधान किया गया है। मारपीट का आरोप सिद्ध होने पर दोषी पति को भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत छह माह की जेल एवं 2000 रुपए का आर्थिक दंड तक भुगतना पड़ सकता है। आपको बता दें दोस्तों कि पत्नी से मारपीट करने पर पति के खिलाफ 498ए एवं 323 की धारा (section) लगती है।

क्या महिला पर हाथ उठाने को लेकर स्थिति में कोई बदलाव आया है? (Is there any changes in the situation in case of raising the hand on women?)

दोस्तों, यदि विशेष तौर पर भारत के परिपेक्ष्य में बात करें तो ये बात बेशक परेशान कर सकती है, लेकिन सच यह है कि भारत में महिलाएं पर हाथ उठाने को लेकर स्थिति में कोई बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। यद्यपि कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा और सिनेमा (cinema) के माध्यम से भी महिलाओं से जुड़ा यह महत्वपूर्ण मुद्दा (issue) उठाया जाता रहा है। कुछ वर्ष पूर्व बालीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू की फिल्म ‘थप्पड़’ में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था।

लेकिन दोस्तों, यदि सामाजिक स्तर (social level) पर लोगों के व्यवहार (behaviour) की बात करें तो उनके व्यवहार में अभी वह समझदारी नहीं दिखती, जो इस संबंध में संवेदनशील (sensitive) होने के लिए आवश्यक है। पुरुष अभी भी महिला को अपने बराबर का दर्जा (status) देने के लिए तैयार नहीं। खास तौर पर मारपीट की बात करें तो कई लोगों के लिए अपनी पत्नी से मारपीट एक सामान्य सी बात होती है। आपने भी ऐसे कई मामले देखे होंगे, जहां पर पति शराब पीकर अपनी अर्द्धांगिनी को मारता पीटता है।

वहीं, पत्नी मार खाकर भी अपना गम छिपाते हुए झूठी मुस्कान ओढ़कर अपने दफ्तर या काम पर चली जाती है अथवा घर के रोजमर्रा के कामों में लग जाती है। यदि अन्य लोग उसके मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश करते भी हैं, तो वे इसे व्यक्तिगत मामला (personal matter) कहकर उन्हें ऐसा करने से रोक देती हैं।

हालांकि दोस्तों, बहुत सारी महिलाएं इस स्थिति को बजाय अपनाने के अपने मारपीट या हाथ उठाने वाले पति को सबक सिखाने के लिए ‘दुर्गा’ बन जाती हैं। पति को उसी के अंदाज में ठोंककर जवाब देती हैं। उसके साथ मारपीट कर देती है या फिर कई बार स्थितियां विकट हो जाती हैं तो अलग होने का रास्ता अख्तियार कर लेती हैं।

ढेरों महिलाएं पति द्वारा हाथ उठाए जाने पर भी खामोश क्यों रहती हैं? (Why many women kept silent even after assault by husband?)

दोस्तों, बेशक आईपीसी में महिलाओं के लिए कई प्रावधान किए गए हों और कानून द्वारा उन्हें कई तरह की सहूलियतें प्रदान की गई हों, इसके बावजूद महिलाएं अपने पति के हाथ उठाए जाने के बावजूद उसके खिलाफ थाना या कोर्ट-कचहरी करने को तैयार नहीं होती। इसके कई सारे कारण होते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि महिला अपने साथ हुई हिंसा को सार्वजनिक नहीं करती। उसे लगता है कि उसका व्यक्तिगत मामला है।

दूसरे, पति द्वारा किसी भी प्रकार की हिंसा किए जाने पर उसे परिवार की महिलाएं समझाती हैं कि ‘अपना मर्द है, अपना पति ही तो है, दो-चार जड़ दिए तो भी क्या हुआ?’ तीसरे हमारी सामाजिक कंडीशनिंग (social conditioning) इस तरह की है कि लोग किसी भी प्रकार के विवाद में अधिकांशतः स्त्री को ही दोषी ठहराते हैं। यह कुछ ऐसे कारण हैं, जो महिलाओं को पति के हाथों हिंसा का शिकार होते हुए भी अपनी बात कहने से रोकते हैं। इन स्थितियों में बदलाव लाने के लिए पुरुषों की कंडीशनिंग (conditioning) ठीक से होनी जरूरी है। इसके अतिरिक्त महिलाओं का जागरूक होना, शिक्षित होना और अपने लिए लड़ने का जज्बा रखना भी बेहद आवश्यक है।

महिला पर हाथ उठाने में कौन सी धारा लगती है?

महिला पर हाथ उठाने में भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 323 लगती है।

महिला पर हाथ उठाने या मारपीट के आरोपी को कितनी सजा मिलती है?

महिला पर हाथ उठाने अथवा मारपीट करने के आरोपी को 1 साल की सजा अथवा एक हजार जुर्माना अथवा दोनों सजाएं एक साथ तजवीज हो सकती हैं।

क्या किसी को मारने की नीयत से पत्थर उठाकर दिखाना भी अपराध है?

जी हां, यदि पत्थर मारने की नीयत से उठाकर किसी के भीतर भय पैदा किया जा रहा है, तो यह अपराध की श्रेणी में आता है।

क्या भारत में महिला पर हाथ उठाने को सामाजिक मान्यता प्राप्त है?

भारत में पति के पत्नी पर हाथ उठाने को अक्सर सामान्य दृष्टि से देखा जाता है।

क्या कोई महिला अपने पति को मारपीट के लिए जेल की सजा खिलवा सकती है?

जी हां, आईपीसी के अधीन मारपीट के मामले में दोषी पति को जेल का प्रावधान किया गया है।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में आज हमने आपको बताया कि महिला पर हाथ उठाने में कौन सी धारा लगती है? उम्मीद करते हैं कि जानकारी की दृष्टि से यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि इस पोस्ट के संबंध में आपका कोई भी सवाल अथवा सुझाव है तो उसे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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Comments (2)

  1. किसी भी पति-पत्नी में झगड़ा, पत्नी को मारने के लिए वो इसलिए चुप रहती, क्योंकि उसके पीछे बच्चे होते, उसकी जिंदगी खराब नहीं होती। इसलीए महिला ज्यादतर चुप रहति है क्या कोई बता सकता है ऐसे लोगो के लिए क्या करना चाहिए

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  2. क्या आदमी जब महिला को मरता है तो उसको सबक तो सिखाना चाहिए जेल में बंद करना ठीक नहीं है क्योंकि बच्चों के भविष्य पर प्रभाव क्या कोई ऐसा रास्ता है जिसे ऐसे आदमी को सुधारा जा सके

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