|| Mayor is the head of in Hindi | मेयर कौन होता है? | Mayor kya hota hai in Hindi | Mayor ko kaun chunta hai | मेयर के कार्य क्या होते हैं? | Mayor kya kaam karta hai | Mayor ki salary kitni hoti hai ||
Mayor in Hindi :- भारत देश में समय समय पर कई तरह के चुनाव होते हैं जिनमे राष्ट्रीय स्तर पर सांसदों के चुनाव से लेकर राज्य स्तर पर विधयाक का चुना जाना और फिर स्थानीय स्तर पर पार्षदों का चुनाव महत्वपूर्ण है। अब देश के सांसदों के पास एक से लेकर दो जिलो का संचालन होता है और उनकी शक्तियां तथा कर्तव्य भिन्न भिन्न होते हैं। वहीं किसी शहर का प्रमुख तौर पर नेतृत्व वहां का विधायक करता है जिस पर अपने शहर के विकास का उत्तरदायित्व होता (Mayor is the head of in Hindi) है।
इसके बाद स्थानीय निकाय आते हैं जिन्हें शहर की जनसँख्या तथा घनत्व के अनुसार बांटा गया होता है। इसमें सबसे पहले नगर निगम आती है और उसके बाद नगर परिषद् व नगर पालिका आती है। इन तीनो के बाद नगर पंचायत व ग्राम पंचायत भी आती है। अब जो नगर निगम होती है वह किसी भी राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह सभी तरह के स्थानीय निकाय में सबसे शक्तिशाली व कर्तव्यों को लिए हुए होती (Mayor kya hota hai in Hindi) है।
इसी नगर निगम के द्वारा ही मेयर का चुनाव किया जाता है जो किसी विधायक से कम नहीं होता है या यूँ कहें कि उसको मिली शक्तियां तो स्थानीय विधायक से भी अधिक होती है। उसे हम महापौर के नाम से भी जानते हैं। ऐसे में यह मेयर कौन होता है, उसका चुनाव कैसे किया जाता है, उसके अधिकार व कर्तव्य क्या क्या होते हैं तथा उसकी सैलरी कितनी होती है, इत्यादि सभी की जानकारी आपको इस लेख के तहत मिलने वाली (Mayor kise kahate hain) है।
मेयर कौन होता है? योग्यता, सैलरी व इलेक्शन प्रक्रिया
जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया कि आज के इस लेख में आपको मेयर के पद के बारे में हरेक बारीक जानकारी मिलने वाली है। बहुत से लोग स्थानीय निकाय के चुनाव को लेकर झंझट में पड़ जाते हैं और उन्हें पता ही नहीं होता है कि किस शहर में मेयर होता है और किस शहर में चेयरमैन या सभापति होते हैं। तो आज के इस लेख में आपको मेयर के पद और उसकी चुनाव प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलने वाली (Mayor kise kaha jata hai) है।
इसके लिए पहले आपको उस स्थानीय निकाय के चुनाव को समझना पड़ेगा जिसकी सहायता से किसी शहर में मेयर को चुना जाता है। तो वह स्थानीय निकाय चुनाव होता है नगर निगम का जिसके बारे में थोड़ा बहुत आईडिया हमने आपको ऊपर ही दे दिया है। फिर भी इसके बारे में विस्तार से जानकारी हम आपको नीचे देने वाले हैं। इसके बाद हम आपके सामने मेयर के बारे में सभी जानकारी रखेंगे।
नगर निगम क्या होती है? (Nagar nigam kya hota hai)
मेयर के बारे में जानने से पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि यह नगर निगम क्या होती है। तो भारत देश के जितने भी शहर हैं उन्हें मुख्य तौर पर तीन अलग अलग विभागों या पालिकाओं में बांटा गया है जो वहां की जनसँख्या पर निर्धारित है। तो इसमें नगर निगम सबसे पहले आती है जिसे उस राज्य के मेट्रो या बड़े शहरों में स्थापित किया गया होता है।
तो जिस भी शहर की जनसँख्या 10 लाख से ऊपर है तो वहां का स्थानीय चुनाव नगर निगम का चुनाव माना जाता है। उसे उस राज्य के मुख्यमंत्री के द्वारा सबसे अधिक पैसा दिया जाता है और उसे अधिकार व कर्तव्य भी उसी के अनुसार ही दिए जाते हैं। एक तरह से नगर निगम की शक्तियां वहां के विधायक से भी अधिक होती है किन्तु इसी के साथ ही उसके दायित्व भी बड़े हो जाते हैं। तो कुल मिलाकर जिस भी शहर की जनसँख्या 10 लाख से अधिक है वहां नगर निगम का चुनाव होता है।
मेयर कौन होता है? (Mayor in Hindi)
अब आपने यह जान लिया है कि मेयर को केवल नगर निगम में ही चुना जाता है। इस तरह से भारत के जिस भी राज्य में 10 लाख से अधिक की जनसँख्या है वहां पर नगर निगम का चुनाव होगा और लोगों के द्वारा मेयर का चुनाव किया जाएगा। अब यह जरुरी नहीं है कि मेयर का चुनाव सीधे जानता के द्वारा ही किया जाए। वैसे भारत के लगभग ज्यादातर राज्यों में मेयर का चुनाव वहां चुने गए पार्षदों के द्वारा ही किया जाता है केवल आठ राज्यों को छोड़ (Mayor is elected by in Hindi) कर।
तो जिस भी राज्य के शहर में नगर निगम है वहां हर पांच वर्ष में स्थानीय निकाय के चुनाव होते हैं। अब उन चुनावों के जरिये पार्षद चुने जाते हैं और उन्हीं पार्षदों में से एक व्यक्ति को मेयर चुना जाता है जो उस नगर निगम का अध्यक्ष या सर्वेसर्वा होता है। जिस तरह से किसी राज्य का मुख्यमंत्री व देश का प्रधानमंत्री होता है तो उसी तरह से किसी नगर निगम के अध्यक्ष को मेयर कहा जाता है।
महापौर कौन होता है? (Mayor meaning in Hindi)
आपके दिमाग में यह प्रश्न भी आ रहा होगा कि मेयर तो ठीक है लेकिन यह महापौर कौन होता है। तो यहाँ हम आपको बता दें कि मेयर व महापौर एक ही चीज़ होती है। मेयर तो अंग्रेजी भाषा का शब्द है जबकि मेयर को हिंदी में महापौर कहा जाता (Mayor is also known as in Hindi) है। तो इस तरह से जहाँ भी नगर निगम के चुनाव हो रहे हैं या हो चुके हैं तो उस नगर निगम के अध्यक्ष को महापौर के नाम से जाना जाता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो मेयर ही महापौर होता है और महापौर ही मेयर।
मेयर की योग्यता क्या है? (Mayor eligibility in Hindi)
अब यदि किसी व्यक्ति को अपने शहर की नगर निगम में मेयर का चुनाव लड़ना है तो इसके लिए उसके पास कुछ आवश्यक योग्यताओं का होना अनिवार्य किया गया है। बिना इनके वह मेयर पद का चुनाव नहीं लड़ सकता है। तो इनमे जो जो योग्यताएं बताई गयी है, वह इस प्रकार हैं:
- वह व्यक्ति भारत का स्थानीय निवासी होना आवश्यक है अर्थात किसी भी विदेशी नागरिक को भारत के किसी भी शहर में मेयर के पद पर नहीं बिठाया जा सकता है।
- वह देश का स्थानीय निवासी होने के साथ साथ जिस भी शहर से मेयर का चुनाव लड़ रहा है, वह वहां का भी स्थानीय निवासी होना जरुरी होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि राजस्थान के बीकानेर शहर का निवासी जयपुर के शहर में जाकर मेयर का चुनाव नहीं लड़ सकता है। उसके लिए उसे जयपुर का ही निवासी होना जरुरी है और वहां की वोटिंग सूची में उसका नाम भी होना चाहिए।
- उसे वहां की स्थानीय भाषा का ज्ञान होना भी जरुरी है और यह एक जरुरी मापदंड है अन्यथा वह वहां के लोगों की समस्या कैसे सुन पायेगा और अधिकारियों को किस तरह से निर्देश दे पायेगा। ऐसे में गुजरात में मेयर पद के प्रत्याशी को गुजराती तो मणिपुर में मणिपुरी आनी चाहिए।
- मेयर पद के लिए योग्यता के रूप में शिक्षा को भी आधार माना गया है और इसके लिए उस व्यक्ति का कम से कम भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड व विश्व विद्यालय से दसवीं कक्षा तक पास होना जरुरी किया गया है।
- उसे किसी आपराधिक मुकदमे के तहत भारतीय न्यायालय से सजा मिली हुई नहीं होनी चाहिए और ना ही वह कारावास में बंद होना चाहिए।
- वह एक साफ छवि का व्यक्ति होना चाहिए। हालाँकि यह एक नैतिक योग्यता है जो आज के समय में हास्यास्पद बन चुकी है तथा आपराधिक प्रष्ठभूमि के लोग ही राजनीति में पैठ बनाये बैठे हैं।
- वह किसी भी सरकारी विभाग का अधिकारी नहीं होना चाहिए अन्यथा वह मेयर तो क्या पार्षद पद के प्रत्याशी का चुनाव भी नहीं लड़ सकता है। मेयर बनना तो फिर भी दूर की बात है।
- मेयर बनने के लिए पहले उसे उस नगर निगम का पार्षद होना जरुरी है और एक चुना हुआ पार्षद ही अपनी नगर निगम में मेयर का चुनाव लड़ सकता है।
मेयर को चुने जाने की प्रक्रिया (Mayor election process in Hindi)
अब जब आपने ऊपर मेयर कौन होता है और वह बनने के लिए व्यक्ति के अंदर किन किन योग्यताओं का होना अनिवार्य है, यह जान लिया है तो अब बारी आती है मेयर इलेक्शन प्रक्रिया अर्थात मेयर को चुने जाने की चुनावी प्रक्रिया के बारे में जानने की। तो इसके लिए सबसे पहले तो व्यक्ति को ऊपर बताये गए मापदंडों को ध्यान में रखते हुए अपने यहाँ की नगर निगम के अपने वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ना होता है। जब वह पार्षद का चुनाव जीत जाता है तो उसके बाद सभी पार्षदों के द्वारा उस नगर निगम का अध्यक्ष अर्थात मेयर का चुनाव किया जाता (Mayor ko kaun chunta hai) है।
इसके लिए या तो निर्विरोध रूप से चुनाव होता है या फिर अलग अलग पार्टियों या निर्दलीय रूप से व्यक्ति के द्वारा मेयर पद के लिए आवेदन किया जाता है। इसके बाद स्थानीय प्रशासन के द्वारा एक निश्चित दिन पर निश्चित समय पर उस नगर निगम के चुने गए सभी पार्षद मेयर पद पर खड़े हुए प्रत्याशियों के लिए अपना अपना वोट डालते हैं। अब जिस भी व्यक्ति को अधिकतम वोट मिलते हैं उसे ही उस नगर निगम का मेयर चुन लिया जाता है।
हालाँकि भारत के अधिकांश राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में नगर निगम के पार्षदों के द्वारा ही मेयर को चुना जाता है किन्तु भारत के 8 ऐसे राज्य हैं जहाँ पर यह अधिकार वहां के चुने गए पार्षदों को नहीं अपितु वहां की स्थानीय प्रजा को ही दिया गया है। इसके तहत वहां के लोगों के पास अपने वार्ड का पार्षद चुनने के साथ साथ अपने यहाँ की नगर निगम का मेयर चुनने का भी अधिकार प्राप्त हैं। उन आठ राज्यों के नाम हैं:
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- ओड़िसा
- मध्य प्रदेश
- हरियाणा
- छत्तीसगढ़
- उत्तराखंड
- झारखंड
मेयर के कार्य क्या होते हैं? (Mayor kya kaam karta hai)
अब आपने मेयर का चुनाव लड़ने और उसको जीतने की प्रक्रिया के बारे में जान लिया है तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि किसी शहर में मेयर का क्या काम होता है और उसे किसलिये यह पद दिया जाता (Mayor ke karyon ki vivechna kijiye) है। तो एक मेयर या महापौर के ऊपर अपने शहर के विकास कार्य का जिम्मा होता है और उसे इसी का ही निर्वहन करना होता है। तो मेयर के काम में जो जो चीजें आती है, उनके बारे में यहाँ बताया गया है:
- अपने शहर की भूमि से संबंधित निर्णयों को लेना और उसका आवंटन करना।
- अपने यहाँ काम कर रहे तहसीलदार, जिला अधिकारी, पटवारी, गिरदावर, SDM इत्यादि के साथ मिल कर कार्य करना व उन्हें जरुरी दिशा निर्देश देना।
- स्थानीय विधायक व सांसद के साथ मिल कर कार्य करना व उन्हें रिपोर्ट देना इत्यादि।
- शहर में जल की निर्बाध रूप से आपूर्ति सुनिश्चित करना और उसको साफ करवाने का जिम्मा रखना।
- शहर में जितनी भी स्ट्रीट लाइट लगी हुई है उनका ध्यान रखना, उनके बंद पड़ने पर सही करवाना तथा जहाँ पर अँधेरा है, वहां नयी स्ट्रीट लाइट लगवाना।
- शहर की बस्तियों को सही तरह से बसाने का कार्य करना और वहां कोई अवैध गतिविधि हो रही है तो उस पर अंकुश लगाना।
- शहर की साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना और कहीं भी गन्दगी नहीं होने देना।
- शहर के गटर को साफ करवाना, नालियों की सफाई करवाना, कचरे का उठाव समय पर करवाना इत्यादि।
- शहर में जितने भी मैदान, उद्यान इत्यादि सार्वजानिक स्थल हैं, उनका उचित रखरखाव करवाना, उनका विकास करना इत्यादि।
- शहर की सुन्दरता पर ध्यान देना और किसी के द्वारा अगर उसमे गन्दगी फैलायी जा रही है या पोस्टर लगवाए जा रहे हैं तो उन पर कार्यवाही करना।
- शहर में कहीं भी अवैध अतिक्रमण हुआ है तो उसे हटाना। उस पर बुलडोज़र चला कर उस अवैध अतिक्रमण को नष्ट कर देना तथा जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही करना।
- शहर की सडकों को दुरुस्त रखना तथा उसमे किसी तरह की खराबी आने पर उसका निर्माण करवाना।
- सार्वजानिक शौचालयों का भी रखरखाव करना, पार्किंग की उचित सुविधा देना, बाजार की सुन्दरता का ध्यान रखना इत्यादि।
- शहर के गरीब लोगों के लिए समय समय पर योजनाओं को चलाना और उनके खाने पीने से लेकर रहने तक की व्यवस्था करना।
- शहर के आवारा पशुओं की देखभाल करवाना और उन्हें सही स्थल पर पहुंचा कर उनकी सुरक्षा करना।
इस तरह से एक शहर के मुख्य कामों को करवाने का उत्तरदायित्व वहां के मेयर के पास ही होता है और वही यह सब कार्य करता है। हालाँकि इसमें वहां के स्थानीय विधायक की भी अहम भूमिका होती है और दोनों को मिल कर यह कार्य करना होता (Mayor ke karya) है। फिर भी मेयर को इन कामो को करवाने के लिए प्राथमिक तौर पर उत्तरदायी माना गया है और उसके बाद विधायक का नंबर आता है।
मेयर की सैलरी कितनी होती है? (Mayor salary per month in Hindi)
अब यदि हम किसी भी राज्य के यहाँ चुने गए मेयर की सैलरी की बात करें तो उसे लेकर कोई एक राय नहीं है। वह इसलिए क्योंकि यह पूर्ण रूप से नगर निगम के प्रकार, उसकी शक्तियां, शहर का आकार, उसका राजनीतिक महत्व, राज्य का बजट, मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति इत्यादि कई कारकों पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर मुंबई के मेयर की सैलरी निश्चित तौर पर जयपुर के मेयर से अधिक होगी किन्तु उसकी शक्तियां व कर्तव्य भी अधिक ही (Mayor ki salary kitni hoti hai) होंगे।
वैसे एक अनुमान के अनुसार किसी भी नगर नियम के मेयर को अनुमानित तौर पर एक लाख रुपये की सैलरी मिल जाती है। यह प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिलती है बल्कि इसमें उसके आवास, बिजली, पानी का खर्चा व अन्य कई तरह के खर्चे शामिल होते हैं। एक मेयर पद पर काम कर रहा व्यक्ति महीने का 70 हज़ार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रूपये तक कमा लेता (How much mayor salary in Hindi) है।
- विधायक कौन होता है? | विधायक कैसे बनते है? | आयु सीमा, शैक्षिक योग्यता, चुनाव प्रक्रिया कार्य व वेतन
मेयर कौन होता है – Related FAQs
प्रश्न: मेयर का क्या मतलब है?
उतर: मेयर का मतलब महापौर होता है जो किसी नगर का प्रशासक होता है।
प्रश्न: मेयर की स्पेलिंग क्या है?
उतर: मेयर की स्पेलिंग Mayor है।
प्रश्न: मेयर कौन है और क्या काम है?
उतर: मेयर के बारे में संपूर्ण जानकारी को हमने आपको इस लेख में देने का प्रयास किया है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
प्रश्न: भारत में महापौर किसे कहते हैं?
उतर: भारत में महापौर मेयर को कहा जाता है जो नगर निगम का प्रमुख होता है।
तो इस तरह से आपने इस लेख के माध्यम से मेयर के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है आपने जाना कि मेयर कौन होता है मेयर की योग्यता क्या है मेयर को चुने जाने की प्रक्रिया क्या है एक मेयर के क्या कुछ कार्य होते हैं और साथ ही आपने मेयर की सैलरी कितनी होती है यह भी जान लिया है। आशा है कि जो जानकारी लेने आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी।