|| शेयर बाजार के नए नियम, शेयर मार्केट की T+1 सेटलमेंट प्रणाली क्या है? | New regulation in share market, what is T+1 arrangement in share market | T-1 सेटलमेंट सिस्टम से निवेशकों को क्या लाभ होगा? | What advantages investors will get through this T-1 settlement system? ||
शेयर मार्केट की व्यवस्थाओं में निरंतर बदलाव आते रहते हैं। हमारे देश में करोड़ों लोग अच्छी कमाई की आस में शेयर मार्केट में निवेश करते हैं। इसमें अधिसंख्य ऐसे भी होते हैं, जो रातों रात अमीर बनना चाहता है। शेयर मार्केट में इस बार जो बदलाव आया है, वह T+1 व्यवस्था अथवा T-1 सेटलमेंट सिस्टम है। क्या आप जानते हैं कि T+1 व्यवस्था क्या है? यदि नहीं, तो आज की हमारी पोस्ट आपके लिए ही है। इसमें हम आपको बताएंगे कि T+1 व्यवस्था क्या है? इससे पहले शेयर मार्केट में कौन सा सेटलमेंट सिस्टम लागू था? निवेशकों को इस नई व्यवस्था से क्या लाभ होगा? आदि। आइए शुरू करते हैं-
दोस्तों, बचपन में आपने पढ़ा होगा T फॉर टेबल (table) होता है लेकिन यदि शेयर मार्केट की बात करें तो यहां T का अर्थ टेबल से नहीं होता। यहां T का अर्थ होता है ट्रेडिंग trading यानी व्यापार। यह तो आप जानते ही हैं कि शेयर बाजार में शेयरों की ट्रेडिंग यानी खरीद बिक्री का काम होता है। लोग किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं ताकि प्राइस बढ़ने पर उन्हें बेचकर लाभ कमा सकें।
T+1 व्यवस्था क्या है? (What is T+1 arrangement?)
मित्रों, आपको बता दें कि शेयर मार्केट (share market) में 27 जनवरी, 2024 से नए सेटलमेंट सिस्टम (settlement system) की शुरुआत हो चुकी है, जिसे T-1 का नाम दिया गया है। विशेष बात यह है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद सेटलमेंट की अवधि (settlement period) कम हो गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय इक्विटी मार्केट (indian Equity Market) अब पूरी तरह से एक छोटे से ट्रांसफर साइकल (transfer cycle) में तब्दील हो गया है.
जिसको T+1 सेटलमेंट पुकारा जाता है। अब इस नए नियम के लागू होने के पश्चात कारोबार समाप्त होने के 24 घंटे के भीतर खरीदार (buyer) के डीमैट खाते (Dmat account) में शेयर (share) एवं विक्रेता (seller) के खाते में पैसा प्राप्त हो जाएगा। T-1 यानी trading+1 day. अब हम आपको इस व्यवस्था को और आसान शब्दों में समझाने की कोशिश करते हैं। मान लीजिए कि आप अपने निवेश पोर्टफोलियो (investment portfolio) में शामिल शेयरों (shares) को बेचते हैं तो आपके खाते (account) में 24 घंटे के भीतर यह पैसा क्रेडिट (credit) हो जाएगा और खरीदार के एकाउंट में शेयर क्रेडिट हो जाएंगे।
दोस्तों, आपको बता दें कि इसकी आंशिक रूप से शुरुआत 25 फरवरी, 2022 को 100 शेयरों के साथ हुई थी। इन कंपनियों का चयन (selection) मार्केट वैल्यूएशन (market valuation) के आधार पर किया गया था और सबसे कम वैल्यूएशन वाली 100 कंपनियों को शुरू में इसका हिस्सा बनाया गया। इसके पश्चात मार्च के महीने के शुक्रवार को 500 कंपनियों के शेयरों को इस सूची में लाया गया। इसके बाद हर महीने इसमें नए शेयर जुड़ते गए। 27 जनवरी, 2024 से सभी शेयर इसके दायरे में आ गए। इसका अर्थ यह है दोस्तों कि सभी लार्ज-कैप (large cap) एवं ब्लू-चिप कंपनियां (blue-chip companies) अब T+1 सेटलमेंट सिस्टम पर जा चुकी हैं।
मित्रों, जान लीजिए कि T-1 सेटलमेंट सिस्टम यानी निपटान चक्र से पूर्व भारतीय शेयर मार्केट में T+2 सेटलमेंट सिस्टम लागू था। यानी trading+2 days. इस सिस्टम के अंतर्गत विक्रेता अथवा खरीदार के खाते में पैसा पहुंचने में दो दिन यानी 48 घंटे का समय लगता था। मित्रों, यह भी जान लीजिए कि शेयर बाजार में T+2 का नियम एक अप्रैल, 2003 से लागू था। करीब दो दशक के पश्चात 27 जनवरी, 2024 को इसमें बदलाव किया गया।
T-1 सेटलमेंट सिस्टम से निवेशकों को क्या लाभ होगा? (What advantages investors will get through this T-1 settlement system?)
मित्रों, हमने आपको T+1 सेटलमेंट सिस्टम के बारे में तो बता दिया है। अधिकांश विशेषज्ञ यह मानकर चल रहे हैं कि इससे शेयर मार्केट में काम आसान हो जाएगा। शेयरों का निपटान जल्द होगा। अब एक नजर में यह भी जान लेते हैं कि निवेशकों (investors) को इससे क्या लाभ होगा। ये इस प्रकार से हैं-
- * यह सिस्टम फंड एवं शेयरों को तेजी से रोल करके अधिक ट्रेडिंग करने के ऑप्शन देगा।
- * T+1 व्यवस्था के लागू होने के बाद एक ही दिन में शेयर आपके खाते में क्रेडिट हो जाएंगे।
- * सेटलमेंट का चक्र अथवा साइकिल (cycle) तभी पूरा होता है, जब किसी खरीदार को शेयर मिल जाते हैं और बेचने वाले को पैसे। T+1 के बाद कम समय में पैसा प्राप्त होगा, जिससे मार्केट में लिक्विडिटी में बढ़ोतरी होगी। यानी मार्केट में नकदी अधिक मात्रा में उपलब्ध हो सकेगी। पहले इस काम में दो दिन लगते थे।
- * अधिक नकदी उपलब्ध होने से निवेशक ज्यादा मात्रा में खरीद-बिक्री कर पाएंगे। इससे बाजार का वॉल्यूम बढ़ेगा।
- * T-1 सिस्टम में ज्यादातर मामलों में शेयर निपटान का भुगतान और वितरण (distribution) उसी दिन शाम को हो जाएगा, इससे बाजार की दक्षता (market efficiency) बढ़ेगी
- * T-1 में निपटान चक्र छोटा होगा। लिहाजा, उस निपटान को प्रभावित करने वाले दिवालिया जैसे कारकों की आशंका भी कम रहेगी।
T-1 सिस्टम से किस प्रकार के नुकसान की आशंका है? (What type of risk experts are assuming in T-1 setllement system?)
मित्रों, अभी तक हमने आपसे T-1 सेटलमेंट सिस्टम के लाभों पर बात की, लेकिन बहुत से शेयर मार्केट एक्सपर्ट (share market expert) यानी शेयर बाजार विशेषज्ञ इससे नुकसान की आशंका भी जता रहे हैं। उनके अनुसार-
- * T+1 सिस्टम के लागू होने से शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव बढ़ने की आशंका है।
- * सेबी के इस निर्णय से छोटे निवेशकों पर कोई खास प्रभाव नहीं होगा। अलबत्ता, कॉरपोरेट्स और बड़े निवेशकों को अधिक लिक्विडिटी मिल सकती है।
- * मार्जिन की आवश्यकता कम होने से शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है, जो निवेशकों के लिए कतई एक अच्छी स्थिति नहीं होती।
क्या पूरी तरह T-1 सेटलमेंट सिस्टम पर आने वाला भारत पहला देश है? (Is india first country to start T-1 settlement system?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि शेयर बाजार में T+1 सेटलमेंट की शुरुआत सबसे पहले चीन (china) ने की थी, लेकिन वह इसे पूरी तरह लागू नहीं कर पाया। वहां अभी भी यह प्रणाली आंशिक रूप से ही लागू है। भारतशेयर मार्केट में पूरी तरह से T+1 सेटलमेंट सिस्टम शुरू करने वाला पहला देश है। जापान समेत यूरोप के कई देशों में अभी भी T-2 सेटलमेंट सिस्टम ही काम कर रहा है।
क्या भारत के शेयर मार्केट में इससे पूर्व भी कभी T-1 सेटलमेंट सिस्टम लागू था? (Has india had T-1 settlement system before this too?)
मित्रों, आपको यह सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यह सच है कि जो प्रणाली या सेटलमेंट सिस्टम भारत आज लागू कर रहा है, वह आज से 26 पूर्व भी भारत के शेयर मार्केट में लागू थी। जी हां, दोस्तों शेयर मार्केट के बेहद चर्चित रहे हर्षद मेहता घोटाले (Harshad Mehta scam) के समय बीएसई (Bombay stock exchange) में सेटलमेंट cycle T+1 थी।
लेकिन सन् 1997 में ही इसे बढ़ाकर T+5 कर दिया गया। यानी उस वक्त शेयरों की बिक्री का पैसा ट्रेडिंग के पांच दिन बाद विक्रेता के एकाउंट में क्रेडिट होता था। यह सिस्टम वर्ष आज से 22 वर्ष पूर्व यानी सन् 2001 तक चलता रहा। सन् 2002 में बाजार T+3 सेटलमेंट प्रणाली में चले गए। इसके बाद जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं, सन् 2003 में T+2 सिस्टम लागू हो गया.
T-1 सेटलमेंट सिस्टम क्या है?
शेयर बाजार में नया सेटलमेंट सिस्टम लागू हुआ है, जिसे T-1 नाम दिया गया है।
यह सेटेलमेंट सिस्टम शेयर मार्केट में कब से लागू हुआ है?
यह सेटेलमेंट सिस्टम शेयर मार्केट में 27 जनवरी, 2024 से लागू हुआ है।
इस सिस्टम के लागू होने के बाद क्या हुआ है?
इस सिस्टम के लागू होने के बाद सेटलमेंट की अवधि कम हुई है। अब शेयर खरीद या बेच का पैसा संबंधित व्यक्ति के अकाउंट में 24 घंटे में क्रेडिट हो जाएगा।
T-1 सेटलमेंट सिस्टम के क्या-क्या लाभ हैं?
इन लाभों की सूची हमने आपको ऊपर पोस्ट में गिनाई है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
इससे पूर्व शेयर बाजार में कौन सा सेटेलमेंट सिस्टम लागू था?
इससे पहले शेयर बाजार में T-2 सेटेलमेंट सिस्टम लागू था।
T-2 सेटलमेंट सिस्टम कितने वर्ष बाद समाप्त हुआ है?
T-2 सेटलमेंट सिस्टम भारत के शेयर मार्केट में एक अप्रैल, 2003 में लागू हुआ था, जो अब 20 साल बाद समाप्त हुआ है।
T-2 सेटलमेंट सिस्टम में पैसे का भुगतान कितनी अवधि में होता था?
T-2 सेटलमेंट सिस्टम में पैसे का भुगतान शेयर की खरीद-बेच के 48 घंटे बाद होता था।
क्या भारत में इससे पूर्व भी T-1 सेटलमेंट सिस्टम लागू था?
जी हां, हर्षद मेहता के घोटाले के समय भारत में T-1 सिस्टम ही चल रहा था।
सन् 1997 के बाद भारतीय शेयर मार्केट में कौन सा सेटलमेंट सिस्टम लागू हुआ?
सन् 1997 के बाद भारतीय शेयर मार्केट में T-5 सेटलमेंट सिस्टम लागू किया गया।
T-1 सेटलमेंट सिस्टम सबसे पहले किसने लागू किया था?
यह सेटलमेंट सिस्टम सबसे पहले चीन ने लागू किया था।
T-1 सेटलमेंट सिस्टम लागू करने वाला भारत कौन सा देश है?
पूरी तरह से यह सिस्टम लागू करने वाला भारत पहला देश है।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) के जरिए शेयर मार्केट में हुए ताजा बदलाव T-1 सेटलमेंट सिस्टम की जानकारी दी। यदि आप इसी शेयर मार्केट नवीनतम ट्रेंड से जुड़े इस प्रकार के आर्टिकल्स पढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए हमारी वेबसाइट को लगातार चेक करते रहिए। इसके अतिरिक्त यदि आपका कोई सुझाव अथवा सवाल है तो उसे आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक पहुंचा सकते हैं ।।धन्यवाद।।