|| भारत में गर्भपात के लिए क्या कानून हैं? एमटीपी एक्ट क्या है? क्या अविवाहित लड़कियों को भी गर्भपात का अधिकार है? गर्भपात पर देश-दुनिया में कौन कौन से कानून हैं? मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी क्या है, एमटीपी अधिनियम 1972, एमटीपी का फुल फॉर्म, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 ||
बच्चे को जन्म देना बेशक किसी महिला का अपना अधिकार है, लेकिन बात गर्भपात की आती है तो हर कोई उसे कानून, समाज की बातें सिखाने लगता है। यह ऐसा विषय है, जिस पर बहुत खुलकर बात नहीं होती। मामला अविवाहित महिला से जुड़ा तो और संवेदनशील हो जाता है। भारत जैसे देश में महिलाओं को खुद गर्भपात से जुड़े कानूनों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं।
यदि आप भी इस बारे में ज्यादा जागरूक नहीं तो आज की हमारी ये पोस्ट आपके ही लिए है। इसमें हम आपको बताएंगे कि गर्भपात क्या होता है? भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है? एमटीपी एक्ट क्या होता है? आदि। आपको इस पूरी पोस्ट को शुरू से अंत तक ध्यान से पढ़ना होगा। आइए, शुरू करते हैं-
गर्भपात क्या होता है? (What is abortion?)
दोस्तों, इससे पूर्व कि हम भारत में गर्भपात कानून पर बात करें, आइए पहले जान लेते हैं कि गर्भपात क्या होता है? (What is abortion?) आपको को बता दें कि किसी महिला में भ्रूण की परिपक्वता अवधि से पूर्व यदि गर्भ समापन होता है तो उसे गर्भपात कहा जाता है। गर्भपात की स्थिति में गर्भाशय से भ्रूण स्वत: निष्काषित हो जाता है अथवा इसे निष्कासित कर दिया जाता है। इसी को गर्भावस्था यानी प्रेगनेंसी (pregnancy) की समाप्ति पुकारा जाता है। सामान्य रूप से गर्भपात को मानव गर्भ को जबरन समाप्त किए जाने के रूप में देखा जाता है।
भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है? (What is law regarding abortion in india?)
दोस्तों, आइए अब भारत में गर्भपात के कानून के बारे में बात कर लेते हैं। आपको जानकारी दे दें कि भारत में गर्भपात आज से करीब 52 वर्ष पूर्व सन् 1971 में लाए गए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (medical termination of pregnancy act) यानी एमटीपी एक्ट (MTP act) के अंतर्गत संभव है। इसके तहत गर्भवती महिला को 20 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत है।
यद्यपि दो वर्ष पूर्व सन् 2021 में इस एक्ट में हुए बदलाव के पश्चात कुछ विशेष परिस्थितियों में यह सीमा 24 हफ्ते कर दी गई है। इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि यदि गर्भ 24 हफ्ते से अधिक का है तो पहले गर्भपात की अनुमति नहीं थी, किंतु अब नए बदलाव के बाद मेडिकल बोर्ड (medical board) की रजामंदी पर ऐसा किया जा सकता है। आपको बता दें दोस्तों कि इसके लिए तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं-
1. गर्भावस्था के 0 से 20 हफ्ते तक:
यदि कोई गर्भवती महिला गर्भपात करना चाहती है तो वह एक रजिस्टर्ड डॉक्टर की सलाह से ऐसा कर सकती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि संबंधित महिला विवाहित है अथवा अविवाहित।
2. गर्भावस्था के 20 से 24 हफ्ते तक:
यदि गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो, उसके शारीरिक/ मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा आघात लगने का डर हो अथवा जन्म लेने वाले बच्चे को गंभीर शारीरिक या मानसिक विकलांगता का डर हो, तो संबंधित महिला दो डॉक्टरों की सलाह पर गर्भपात करा सकती है। मित्रों, आप यह भी जान लीजिए कि ऐसा भी इन स्थितियों में होगा, यदि-
- a. महिला को अनचाहा गर्भ ठहरा हो। महिला अथवा उसके साथी ने गर्भावस्था से बचने के लिए जिन उपायों को आजमाया है, वे निष्फल हो गए हों।
- b. यदि महिला द्वारा यह आरोप लगाया गया हो कि गर्भ दुष्कर्म की वजह से ठहरा है। ऐसे में इस प्रकार की प्रेगनेंसी संबंधित महिला के लिए मानसिक रूप से ठीक नहीं रहेगी।
किन स्थितियों में 24 हफ्ते बाद गर्भपात संभव है? (In which conditions abortion is possible after 24 weeks too?)
मित्रों, अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि यदि भ्रूण को 24 हफ्ते से अधिक हो गया है तो क्या ऐसे में गर्भपात संभव है? तो आपको जानकारी दे दें कि हमारे देश की सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में कुछ विशेष स्थितियों में गर्भावस्था के 24 हफ्ते बाद भी गर्भपात की इजाजत प्रदान की गई है। यह कौन सी स्थिति होगी? आपको बता दें दोस्तों कि यदि भ्रूण अत्यधिक विकृत हो एवं गर्भवती महिला का जीवन बचाने के लिए गर्भपात करना जरूरी हो तो मेडिकल बोर्ड (medical board) की सलाह पर 24 हफ्ते के बाद भी कभी भी गर्भपात कराया जा सकता है।
एमटीपी एक्ट क्या है? यह कब अस्तित्व में आया? (What is MTP act? When it came into existence?)
मित्रों, हमने आपको यह तो बताया कि भारत में गर्भपात एमटीपी एक्ट के जरिए नियंत्रित होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक्ट क्या है और कब अस्तित्व में आया? दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि आज से करीब 63 साल पहले यानी 1960 के दशक तक भारत में गर्भपात अवैध था। यदि कोई महिला इसकी दोषी पाई जाती थी उसे भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 312 के तहत तीन वर्ष की कैद और/अथवा ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया था।
इसी दशक के मध्य में सरकार द्वारा डॉ. शांतिलाल शाह की अध्यक्षता वाले में शांतिलाल शाह समिति (shantilal Shah committee) का गठन किया गया और उसे गर्भपात के मामले की जांच करने के साथ ही यह तय करने के लिए कहा गया कि क्या भारत को इसके लिए एक कानून की आवश्यकता है अथवा नहीं?
शांतिलाल शाह समिति की रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा एवं राज्यसभा में एक चिकित्सकीय गर्भ समापन विधेयक (medical termination of pregnancy bill) पेश किया गया। अगस्त, 1971 में इस बिल को संसद द्वारा पारित किया गया एवं अप्रैल, 1972 ये यह एक्ट पूरे भारत (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू हो गया। इस एक्ट में गर्भपात की स्थितियों, उनके तरीकों एवं आवश्यक प्रावधानों का विस्तार से उल्लेख किया गया।
मित्रों, यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि हमारे देश में गर्भपात को नियंत्रित करने के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (MTP) एक्ट बनाया गया है। इस एक्ट के तहत विवाहित महिलाओं की एक विशेष श्रेणी है, जिसमें दुष्कर्म पीड़िता rape (victim), दिव्यांग (disabled) एवं नाबालिग (minor) जैसी अन्य संवेदनशील महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी समय सीमा 24 सप्ताह निर्धारित थी। वहीं, अविवाहित महिलाओं के लिए यह समय सीमा 20 सप्ताह रखी गई थी। सितंबर, 2021 में इस एक्ट में बदलाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी अंतर को खत्म करने का आदेश दिया है।
आपको बता दें दोस्तों कि इससे पूर्व अगस्त माह में हुई सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि जब कानून में अपवादों के लिए जगह है तो अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह का गर्भ डॉक्टरी सलाह पर गिराने की इजाजत आखिर क्यों नहीं दी जा सकती? उस वक्त कोर्ट ने 2021 में MTP एक्ट में हुए संशोधन की व्याख्या करते हुए कहा था कि संसद ने जब ‘पति’ शब्द को हटाकर ‘पार्टनर’ शब्द का प्रयोग किया है तो इससे स्पष्ट है कि सांसद भी अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह के गर्भपात के दायरे में लाना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल था कि जब एमटीपी कानून, 1971 के तहत विवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देने के लिए नियम बनाए गए हैं तो इससे अविवाहित महिलाओं को बाहर क्यों रखा गया है? जबकि स्वास्थ्य का जोखिम दोनों के लिए एक समान है। ऐसे में एमटीपी कानून के दायरे से अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है। इसके बाद अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एमटीपी एक्ट के तहत 24 सप्ताह के अंदर गर्भपात का अधिकार सभी को बताया व देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, चाहे वो विवाहित हों अथवा अविवाहित।
दोस्तों, अब इस फैसले की जड़ में जाते हैं। आपको बता दें दोस्तों कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अविवाहित महिलाओं को 24 हफ्ते के बाद भी गर्भ गिराने का अधिकार देने संबंधी यह फैसला एक 25 साल की महिला की याचिका पर सुनाया गया था। दरअसल, महिला अपने साथी के साथ सहमति से रह रही थी। बाद में उसने शादी से इनकार कर दिया। याचिका में गर्भवती महिला द्वारा कहा गया कि वह बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती, इसलिए उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को इसकी इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।
दुनिया के कितने देशों में गर्भपात बैन है? (In how many countries of the world abortion is ban?)
दोस्तों, आपको बता दें कि दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां गर्भपात पर बैन (ban) यानी पाबंदी है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 24 देशों में गर्भपात कराना गैर-कानूनी है। ऐसे जिन देशों में गर्भपात पर प्रतिबंध है, उनमें सेनेगल (cenegal), मिस्र, लाओस (Laos,), मॉरिटेनिया (moriteniya), अल सल्वाडोर al (salwador), फिलीपींस (phillipense), होंडुरास (Honduras), पोलैंड (Poland) एवं माल्टा (Malta) आदि देश शामिल हैं।
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि, लगभग 50 देश ऐसे भी हैं, जहां सख्त शर्तों के साथ गर्भपात की इजाजत दी गई है। इन देशों में ईरान (Iran), लीबिया, इंडोनेशिया (Indonesia), वेनेजुएला (Venezuela), नाइजीरिया (naiziria) जैसे देश शुमार हैं। यहां गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को खतरा होने पर ही गर्भपात की अनुमति दी जाती है। इसके अतिरिक्त कई देश ऐसे भी हैं, जहां दुष्कर्म, अनाचार अथवा भ्रूण के अति विकृत होने की स्थिति में गर्भवती महिला को गर्भपात कराने की इजाजत मिलती है।
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गर्भपात क्या होता है?
किसी महिला में भ्रूण की परिपक्वता अवधि से पूर्व यदि गर्भ समापन होता है तो उसे गर्भपात कहा जाता है।
भारत में गर्भपात किस कानून के तहत नियंत्रित होता है?
भारत में गर्भपात एमटीपी एक्ट-1971 के तहत नियंत्रित होता है।
MTP act की फुल फॉर्म क्या है?
MTP act की फुल फॉर्म medical termination of pregnancy act है।
इस एक्ट में कब संशोधन किया गया?
इस एक्ट में सन् 2021 में संशोधन किया गया।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं के गर्भपात से संबंधित क्या अहम फैसला दिया है?
सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते बाद गर्भपात का अधिकार दे दिया है।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में जानकारी दी कि भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार की जानकारीपरक पोस्ट हम से चाहते हैं तो उसके लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हमें बताएं। ।।धन्यवाद।।
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