मिशन कर्मयोगी योजना क्या है? उद्देश्य, बजट, लाभ | Mission Karmayogi Yojana 2024

सिविल सेवाओं के प्रति युवाओं में बेहद उत्साह होता है। वह बड़े पैमाने पर सिविल सेवा भर्ती परीक्षाओं में शिरकत भी करते हैं। इसका एक मकसद यह भी है कि सिविल सेवा के जरिये सीधे जनता से जुड़ने और उनकी समस्याओं को हल करने, उनके दुखों को दूर करने का अवसर मिलता है। लेकिन पिछले कुछ समय से देखा गया है कि सिविल अधिकारी और कर्मचारी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे। ऐसे में उनकी कार्यप्रणाली में सुधार और उन्हें प्रशिक्षण की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसे देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बाद मिशन कर्मयोगी योजना को सेंट्रल कैबिनेट ने हरी झंडी दी है। आज इस पोस्ट के जरिये हम आपको इस योजना के सभी पहलुओं पर जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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मिशन कर्मयोगी योजना क्या है? What is Mission Karmayogi Scheme?

बीती दो सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट ने मिशन कर्मयोगी योजना को मंजूरी दी है। यह योजना सिविल सेवा के अधिकारियों की कार्यक्षमता बढाने और कार्यप्रणाली में सुधार के लिए प्रारंभ की गई है। इसे मानव संसाधन क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। इसके माध्यम से सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों का कौशल विकास यानी स्किल डेवलपमेंट किया जाएगा।

मिशन कर्मयोगी योजना क्या है? उद्देश्य, बजट, लाभ | Mission Karmayogi Yojana 2021

इसके लिए उन्हें एक विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए ई लर्निंग पर फोकस रहेगा। इसी के माध्यम से उन्हें आवश्यक कंटेंट प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के पश्चात ही उन्हें तैनाती दी जाएगी। उनके कार्यों का निर्धारण किया जाएगा और खाली पदों के संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी।

योजना का नाम मिशन कर्मयोगी योजना
किसने शुरू की हैकेंद्र सरकार
लाभार्थीसरकारी कर्मचारी
उद्देश्यकौशल विकास करना
वेबसाइटअभी नहीं

मिशन कर्मयोगी योजना के उद्देश्य क्या हैं? objectives of the Mission Kaarmayogi Scheme

इस योजना को लाने के पीछे उद्देश्य जनता की अपेक्षाओं पर खरे उतरने वाले अधिकारी तैयार करना है। इस योजना के जरिये उनका फोकस अधिकारियों और कर्मचारियों के काम करने की शैली और प्रणाली में सुधार करना है। इस योजना के तहत नियुक्ति के बाद अफसरों को प्रशिक्षण देकर उनकी क्षमता में वृद्धि की जाएगी। आपको बता दें कि इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संचालित किया जाएगा। इसमें एचआर कौंसिल के अतिरिक्त कुछ चुनिंदा मंत्री और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।

आपको बता दें कि इस योजना के संचालन के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन यानी कि स्पेशल परपज व्हीकल (SPV) कंपनी गठित की जाएगी। यह कदम कंपनी ला-2013 की धारा 8 के तहत उठाया जाएगा। साथ ही क्षमता निर्माण आयोग, आईजीओटी (IGOT) तकनीकी मंच का भी सहयोग स्किल डेवलपमेंट के लिए लिया जाएगा। इनका स्वामित्व और प्रबंधन एसपीवी के पास ही होगा।

योजना के तहत कौन से स्किल डेवलप होंगे?

आइए अब आपको बता दें कि मिशन कर्मयोगी योजना के तहत अधिकारियों और कर्मचारियों में कौन-कौन से स्किल डेवलप किए जाएंगे। योजना के बिंदुओं पर गौर करें तो इस योजना के अंतर्गत अधिकारियों और कर्मचारियों में रचनात्मकता, कल्पनाशीलता, इनोवेशन, प्रगतिशीलता जैसे स्किल डेवलप करने की कोशिश की जाएगी।

अधिकारियों और कर्मचारियों को सक्षम, पारदर्शी और तकनीकी रूप से दक्ष बनाने पर जोर रहेगा। इसके बाद ही वह तकनीकी रूप से सक्षम पारदर्शी प्रशासन दे पाने में कामयाब हो सकेंगे। इससे जहां अधिकारी और कर्मचारी बेहतर रूप से कार्य करने में सक्षम होंगे, वहीं, प्रत्यक्ष रूप से जनता का भी लाभ होगा।

मिशन कर्मयोगी योजना का बजट क्या है? What is the budget of the Mission Karmayogi Scheme?

दोस्तों, आपको बता दें कि मिशन कर्मयोगी योजना के तहत करीब 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को शामिल किया गया है। इस योजना के लिए सरकार की ओर से भारी भरकम बजट निर्धारित किया गया है। आने वाली पांच वर्श की समयावधि में 510.86 करोड रुपये इस पर खर्च किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे भर्ती के सुधारों के पश्चात का सुधार करार दिया। आपको बता दें कि इस योजना को राश्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम यानी कि एनपीसीएससीबी के तहत प्रारंभ किया गया है।

मिशन कर्मयोगी योजना से कार्य आधारित मूल्यांकन को बढ़ावा

मिशन कर्मयोगी योजना के जरिये अधिकारियों और कर्मचारियों को वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन खत्म होकर वैज्ञानिक मूल्यांकन संभव होगा। उनकी मूल्यांकन की प्रणाली प्रक्रिया पर आधारित न होकर उनके कार्य पर आधारित होगी। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि यदि कोई अधिकारी ईमानदार है तो वह इस गुण के जरिये किस तरह से अपने कार्य को बेहतर कर रहा है, इसकी समीक्षा होगी और जहां कमी पाई जाएगी सका सुधार किया जाएगा। यह कहने की जरूरत नहीं कि उनकी कार्यक्षमता में सुधार होने से समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिलेगा।

बहुत समय से महसूस की जा रही थी सुधार की आवश्यकता

बहुत समय से सिविल सेवा अधिकारियों और कर्मचारियों को इस तरह के प्रशिक्षण की जरूरत महसूस की जा रही थी, ताकि वह और सेवान्मुख हो सकें। अभी तक हो यह रहा था कि सिविल सेवा में आने के बाद अधिकारी और कर्मचारी एक बंधी बंधाई लीक पर कार्य करते चले आ रहे हैं। कुछ वर्श की सेवा के पश्चात वह सेवा के मूल उद्देश्य यानी कि जनता की सेवा के मकसद को ताक पर रखकर केवल अपने हितों को साधने में लग जाते हैं।

कुछ वर्ष की सेवा के पश्चात ही उनकी संपत्ति में कई गुना इजाफा इस बात की तरफ साफ इशारा करता है। कार्यक्षमता में सुधार के साथ ही उनका मूल्यांकन कार्य आधारित हो जाने से वह सौ प्रतिशत कार्य की ही तरफ ध्यान देंगे। ऐसा माना जा सकता है।

प्रतिष्ठा से जुड़ा है सिविल सेवा में जाना

साथियों, आपको बता दें कि सिविल सेवा में जाना हमारे देश भारत में एक प्रतिष्ठा पूर्ण बात है। समाज में सिविल सेवा अफसरों के परिवारों को बेहद सम्मान हासिल है। यही वजह है कि अधिकांश मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर सिविल सेवा में जाएं ताकि समाज में बच्चे और उनके परिवार दोनों की प्रतिष्ठा बढे़। उनकी इसी इच्छा का दोहन बडे़-बड़े कोचिंग सेंटर वाले करते हैं। वह कोचिंग के नाम पर मनचाही फीस वसूलते हैं। उनका पूरा साल का निर्धारित कोर्स और फीस structure है। बच्चे को सिविल सेवा का अफसर बनाने का सपना देख रहे मां-बाप अपने पेट काटकर भी इस फीस का जुगाड़ करते हैं।

कई बार उनके सपने पूरे हो जाते हैं, और कई बार ऐसा नहीं हो पाता। ऐसे में कई बार बच्चे तनाव का शिकार होकर खुदकुशी तक कर लेते हैं। हालांकि बहुत से परीक्षार्थी ऐसे भी होते हैं, जो बहुत गरीब परिवार से होने के बावजूद इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करते हैं। वह अपना लक्ष्य निर्धारित कर उपलब्ध सीमित संसाधनों से ही दिन दिन भर लगकर पढ़ाई करते हैं। योजनाबद्ध तरीके से समयबद्ध होकर की गई इस तैयारी में कोई भी रोड़ा उनकी मार्ग की बाधा नहीं बनता।

सिविल सेवा में जाने वाले डाॅक्टरों, इंजीनियरों की भी संख्या बढ़ी

आपको सुनकर बेशक आश्चर्य होगा कि ढेरों ऐसे डाॅक्टर, इंजीनियर हैं जो अपने क्षेत्रों में बेहतर करने के बावजूद सिविल सेवा परीक्षा में बैठते हैं और चुने भी जाते हैं। हर साल ऐसे परीक्षार्थियों का ग्राफ बढ़ता भी जा रहा है। कई ऐसे भी छात्र होते हैं, जो सिविल सेवा में जाना चाहते हैं, लेकिन रैंकिंग मेंनीचे रह जाने की वजह से उन्हें मजबूरी में राजस्व या कोई और क्षेत्र चुनना पड़ जाता है। ऐसे में वह सेवा के तहत मिलने वाले सीमित प्रयासों का भी इस्तेमाल करते हैं। कईयों को उनकी सिविल की मंजिल मिल जाती है, लेकिन कई इसमें असफल भी रहते हैं।

यहां आपको एक और बात बता दें कि जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के छात्रों को सिविल सेवा भर्ती परीक्षा के लिए उम्र और प्रयासों में छूट का भी प्रावधान किया गया था, जिसे पिछले ही साल खत्म किया गया है। वहां हालांकि उनके लिए अन्य राज्यों की तरह प्रदेश की प्रशासनिक सेवा केएएस यानी कश्मीर प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बनने का भी मौका होता है।

लगे हाथों आपको एक और बात की जानकारी दे दें कि पिछले कुछ सालों की सिविल सेवा परीक्षा के विश्लेषण से ज्योग्राफी यानी भूगोल के भर्ती परीक्षा के सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाइअले विशय होने की बात सामने आई है। इसे बेहद स्कोरिंग विशय माना जा रहा है। बाकी परीक्षार्थी अपनी पसंद का विशय भर्ती परीक्षा के लिए चुनते ही हैं।

रिफ्रेशर कोर्स का भी था आइडिया

बहुत सारे रिटायर्ड सिविल सेवा के अधिकारी इस सेवा में भी रिफ्रेशर कोर्स और वर्कशाॅप के आयोजजन को उचित ठहरा रहे थे। हालांकि कई जगह इस तरह के कोर्स बहुत प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे थे, क्योंकि यह कार्य यानी परफाॅर्मेंस आधारित नहीं थे। इसी को देखते हुए मिशन कर्मयोगी योजना जैसी एक मूल्यपरक योजना की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

अब जिन उदृदेश्यों को लेकर यह योजना लाॅंच की जा रही है, यदि यह उन पर खरी उतरती है तो निश्चित रूप से इससे सिविल सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली में बड़ा बदलाव आएगा। यह बदलाव सकारात्मक होगा, यह मानकर चला जा सकता है। उनके एटीटृयूड में बदलाव देखने को मिल सकता है। माना जा सकता है कि इससे जनता की अपेक्षाएं भी पूरी होंगी।

बहुत से अधिकारी अपने कार्य से पेश करते हैं एक मिसाल

यहां यह बताना भी अप्रासंगिक नहीं होगा कि एक तरफ जहां सिविल सेवा के अधिकारियों की कार्यप्रणाली में सुधार की बात हो रही है, उसी दौर में बहुत सारे अधिकारी ऐसे भी हैं, जो एक मिसाल पेश करते हैं। उत्तराखंड का ही उदाहरण लें, यहां कई जिलों को ऐसे अधिकारी मिले, जिनका अन्यत्र तबादला होेने पर स्थानीय जनता ने उनका तबादला रोके जाने की गुहार लगाई या फिर उन्हें रो रोकर विदाई दी। लेकिन यह भी सच है कि ऐसे अधिकारी अपवाद ही होते हैं।

अधिकांश एक अलग लाइन फाॅलो करते हैं। जो सीधे सीधे पर उद्धार नहीं, बल्कि स्व उत्थान से जुड़ी होती है। ऐसे अफसरों का ध्यान जनता की सेवा पर नहीं, बल्कि किसी भी तरह अपनी धन संपत्ति में इजाफा होता है। ऐसे कई अपफसर हैं, जो इस तरह के घोटालों में फंसे हैं और संपत्ति का ब्योरा दिए जाने को आवश्यक किए जाने के बावजूद वह अपने धन संपत्ति का कोई सालाना ब्योरा नहीं भरते। इस प्रवृत्ति पर रोक तभी संभव है, जब पूरी कार्य प्रणाली में सुधार किया जाए।

मिशन कर्मयोगी योजना से जुड़े पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके जवाब

मिशन कर्मयोगी योजना क्या है?

मिशन कर्म योगी योजना केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गई एक महत्वकांक्षी योजना है इस योजना के अंतर्गत सिविल सेवा से जुड़े कर्मचारियों का उनकी योग्यता के अनुसार कौशल कराया जाएगा

मिशन कर्मयोगी योजना किसने शुरु की हैं?

मिशन कर्म योगी योजना की शुरुआत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा की गई है।

मिशन कर्मयोगी योजना के अंतर्गत कितना बजट निर्धारित किया गया है?

Mission Karmayogi Yojana 2024 के अंतर्गत 510.86 करोड़ रुपये का बजट 5 साल तक केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित किया गया है।

Mission Karmayogi Yojana 2024 को शुरू करने का क्या उद्देश्य है?

मिशन कर्मयोगी योजना के अंतर्गत सिविल सेवा से जुड़े कर्मचारियों की कार्य क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य शुरू किया गया हैं।

मिशन कर्मयोगी योजना में कितने कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा?

इस योजना में देश के 46 लाख सिविल सेवा से जुड़े कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा।

मिशन कर्मयोगी योजना में आवेदन कैसे करें?

आप कभी भी मिशन कर्मियों की योजना का हिस्सा बन सकते हैं। बाकी इस योजना में आवेदन करने या इस योजना से जुड़ी किसी भी वेबसाइट को भारत सरकार के द्वारा लांच नहीं किया गया हैं।

दोस्तों, यह थी मिशन कर्मयोगी योजना के संबंध में जानकारी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी। यदि आप अन्य किसी विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बाक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपके सभी तरह के सुझावों और प्रतिक्रियाओं का स्वागत है। तो देर किस बात की कमेंट करिए और अपनी बात हमें लिख भेजिए। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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