मंकी पाक्स वायरस क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? मंकी पाक्स से कैसे बचा जा सकता है?

|| मंकी पाक्स वायरस क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? मंकी पाक्स से कैसे बचा जा सकता है? सबसे पहले मंकी पाक्स कहां आया? भारत में मंकी पाक्स को लेकर चिंता क्यों बढ़ी है? (What is monkey pox? What are its signs? How can one be safe from monkey pox? Where did first case of monkey pox reported? Why there is worries in india regarding monkey pox?) ||

लोग अभी तक कोरोना महामारी के दंश से उभर नहीं पाए हैं, इस बीच एक नए संक्रामक रोग मंकी पाक्स ने दस्तक दे दी है। यूरोप एवं अफ्रीकी देशों के बाद इस बीमारी ने भारत का रूख कर लिया है। इस रोग को बेहद खतरनाक बताया जा रहा है। जानकार कहते हैं कि यदि यह रोग फैला तो कोरोना महामारी जैसा रूप धारण कर सकता है।

मंकी पाक्स क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? मंकी पाक्स कैसे फैलता है? मंकी पाक्स से बचने के क्या उपाय हैं? जैसे आपके मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब आज हम आपको इस पोस्ट के जरिए विस्तार से देंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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मंकी पाक्स क्या है? (What is monkey pox?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि यह एक दुर्लभ बीमारी (rare desease) है। यह वायरस संक्रमण (bacterial infection) की वजह से ही होती है। खास बात यह है कि शुरुआत में यह जानवर से मनुष्य में होती है। इसके पश्चात संक्रमित मनुष्य के संपर्क में आने वाले से यह अन्य इंसानों में फैल जाती है। यानी कि संक्रमित के संपर्क में आने पर यह बीमारी हो सकती है। जिन जानवरों की प्रजातियों को मंकी पाक्स वायरस के लिए जिम्मेदार बताया जाता है, उनमें पेड़ गिलहरी, रस्सी गिलहरी, गैंबिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, गैर मानव प्राइवेट समेत अन्य प्रजातियां शुमार हैं।

आपको बता दें दोस्तों कि यह संक्रामक रोग कुछ कुछ स्माल पाक्स (small pox) यानी चेचक की तरह ही होता है। यह रोग लंबा नहीं रहता, लेकिन खतरनाक (dangerous) अवश्य होता है। एक और बात, कई लोग मंकी पाक्स का चिकन पाक्स (chicken pox) से नाता जोड़ते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि मंकी पाक्स का चिकन पॉक्स से कोई भी लेना देना नहीं है।

मंकी पाक्स वायरस क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? मंकी पाक्स से कैसे बचा जा सकता है?

बीमारी का नाम मंकी पाक्स क्यों पड़ा? (Why the desease got the name monkey pox?)

मित्रों, आपके मस्तिष्क में यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा कि आखिर इस संक्रामक रोग का नाम मंकी पाक्स क्यों पड़ा है? तो आपको बता दें दोस्तों कि यह संक्रमण पहली बार आज से करीब 64 वर्ष पूर्व सन् 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में मिला था, इसी वजह से इसी मंकी पाक्स कहा गया। आपको यह भी जानकारी दे दें कि इंसानों में इसके ठीक 12 वर्ष बाद मंकी पाक्स संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

मंकी पाक्स के क्या लक्षण हैं? (What are the signs of monkey pox?)

मित्रों, मंकी पाक्स स्किन पर दानों एवं चकत्तों की शक्ल में उभरता है। किसी भी बीमारी से बचाव का सबसे सरल तरीका है कि उसके लक्षण पहचानकर बीमारी का जल्द से जल्द इलाज शुरू करा दिया जाए। यही बात मंकी पाक्स के बारे में भी लागू होती है। मंकी पाक्स के लक्षण इस प्रकार से हैं-

  • गले में खराश-खांसी हो सकती है।
  • संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार आता है।
  • लगातार तेज सिर दर्द की शिकायत होती है।
  • मांसपेशियों एवं कमर में दर्द हो सकता है।
  • हाथ पैरों में अकारण सूजन आ सकती है।
  • संक्रमित को ठंड के साथ ही थकावट लग सकती है।
  • संक्रमित के चेहरे पर फोड़े-फफोले जैसे निशान हो सकते हैं।
  • हाथ-पैर, जननांगों एवं गुदा मार्ग में भी रैशेज हो सकते हैं।

मंकी पाक्स कैसे फैलता है? (How does monkey pox commute?)

दोस्तों, यह बात एकदम साफ कर दें कि मंकी पाक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह रोग फैलता है। संक्रमण के तीन सप्ताह पश्चात संबंधित व्यक्ति में इसके लक्षण नजर आते हैं। यदि इन लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए तो यह स्थिति घातक भी बन सकती है।

आवश्यकता इस बात की है कि जो भी लक्षण हमने आपको ऊपर बताए हैं, उनमें से किसी के भी सामने आने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। आपको यह भी बता दें दोस्तों कि कई लोगों में रैशेज पहले नजर आते हैं, जबकि कई लोगों में अन्य लक्षण पहले दिखाई देते हैं। ऐसे में सावधानी ही बचाव है।

मंकी पाक्स का संक्रमण कब तक रह सकता है? (Till when the infection of monkey pox resume?)

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि मंकी पाक्स वायरस का संक्रमण तुरंत खत्म नहीं होता। आम तौर पर यह 2 से लेकर 4 हफ्ते तक रह सकता है। इस रोग के लक्षणों में रैशेज प्रमुख हैं, जो ठीक होने से पहले कई दौर से गुजरते हैं। इसीलिए इस संक्रमण के ठीक होने में भी समय लगता है।

मंकी पाक्स से बचने का उपाय क्या है? (What is the remedy to gat away from monkey pox?)

अब आपको बताते हैं कि मंकी पाक्स (monkey pox) से बचने का उपाय क्या है? मित्रों, किसी भी अन्य संक्रामक बीमारी की तरह इससे बचने के लिए भी आवश्यक है कि-

  • -संक्रमित व्यक्ति से आपका कोई शारीरिक संपर्क न हो। यदि किसी व्यक्ति में आपको मंकी पाक्स के लक्षण दिखाई दें तो उससे हाथ न मिलाएं, उसे चूमें नहीं और शारीरिक संबंध बनाने से कतई बचें।
  • -मंकी पाक्स संक्रमित व्यक्ति के रैशेज को छूने से भी बाज आएं।
  • -साबुन और पानी से बार बार हाथ धोते रहें एवं अच्छे सेनिटाइजर (sanitizer) का इस्तेमाल करें।
  • -यदि घर में किसी को मंकी पाक्स है तो उसके खाने-पीने के बर्तन अलग रखें। उन्हें छुएं नहीं।
  • -यदि किसी व्यक्ति में मंकी पाक्स के लक्षण दिखें तो उसे तुरंत आइसोलेट कर लेना चाहिए।
  • -संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, चादर एवं अन्य कपड़े भी इस्तेमाल करने से बचें।

मंकी पाक्स इंसानों में सबसे पहले कहां पाया गया था? (Where monkey pox was reported in human being for the first time?)

मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि इंसानों में मंकी पाक्स का मामला सबसे पहले आज से करीब 52 वर्ष पूर्व सन् 1970 में सामने आया था। उस समय रिपब्लिक ऑफ कांगो (republic of Congo) में एक 9 वर्षीय बालक में इसकी पहचान हुई थी। तब से अधिकांश मामले ग्रामीण एवं वर्षा क्षेत्र (rural and rainy areas) में सामने आए हैं। कांगो बेसिन एवं खास तौर पर कांगो रिपब्लिक में एवं मध्य एवं पश्चिम अफ्रीका में यह तेजी से फैला है।

इस बीमारी का अभी तक कोई टीका (vaccine) इजाद नहीं किया गया है। इसके टीकाकरण को लेकर अभी तक अध्ययन चल रहा है। जिस प्रकार से यह रोग अन्य देशों में भी फेल रहा है, ऐसे में इस बीमारी का लेकर अध्ययनों में और तीव्रता आने की संभावना है।

भारत में मंकी पाक्स को लेकर लोग क्यों चिंतित हैं? (Why people in India are worried in regard to monkey pox?)

दोस्तों, आपको बता दें कि दुनिया भर में मंकी पाक्स के 100 से भी अधिक संदिग्ध एवं पुष्ट केस सामने आ चुके हैं। वहीं, कनाडा (Canada), आस्ट्रेलिया (Australia), ब्रिटेन (Britain), फ्रांस (France) आदि देशों में भी इस बीमारी के संक्रमितों की जांच की जा रही है। इस में मृत्यु दर (death rate) 10 प्रतिशत हो सकती है। वहीं, यदि भारत की बात करें तो अपने देश में मंकी पाक्स को लेकर इस समय हर कोई चिंतित है। इसकी वजह यह है कि भारत में इस संक्रामक बीमारी के तीन मरीज सामने आ चुके हैं।

इनमें दो केस केरल (Kerala) में सामने आए हैं, जबकि तीसरा मामला देश की राजधानी दिल्ली से (Delhi) रिपोर्ट (report) हुआ है। इसकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री (travel history) भी नहीं। ये बात परेशान करने वाली है। लेकिन केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय (health ministry) की ओर से अन्य सभी राज्यों को इस बीमारी के मद्देनजर एडवाइजरी/गाइडलाइन (advisory/guidelines) जारी की गई है। इन सभी राज्यों (states) में लक्षणों के दिखते ही लोगों से डाक्टर से संपर्क करने को कहा गया है।

क्या मंकी पाक्स कोरोना जैसी महामारी बन सकता है? (Can monkey pox be turned a pendamic like corona?)

बहुत से लोगों के दिलों में यह डर बैठा हुआ है कि कहीं मंकी पाक्स कोरोना जैसी महामारी न बन जाए? दोस्तों, क्या आपके दिलों को भी यह सवाल मथ रहा है? तो आपको बता दें कि अभी तक मंकी पाक्स के 58 देशों में करीब चार हजार मामले सामने आ चुके हैं। जाहिर सी बात है कि यह संसार के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization) यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) ने इस मामले में ग्लोबल एक्शन (global action) के लिए कहा है। फिलहाल, भारत की स्थिति को देखते हुए इसके महामारी बनने की संभावना कम है, लेकिन बाहर के देशों में यह जिस तेजी से फेल रहा है, उसे देखते हुए भारत को पर्याप्त सतर्कता बरतनी होगी। पर्याप्त सचेत रहना होगा।

मंकी पाक्स क्या है?

यह एक संक्रामक वायरसजनित रोग है, जो इंसानों से इंसानों में फैल रहा है।

मंकी पाक्स से बचाव का क्या उपाय है?

संक्रमित से किसी भी प्रकार का शारीरिक संपर्क न होना ही इस रोग से बचाव का सबसे सरल उपाय है।

क्या मंकी पाक्स के लक्षण स्माल पाक्स यानी चेचक से मिलते जुलते हैं?

जी हां, मंकी पाक्स के लक्षण कुछ कुछ चेचक से मिलते जुलते हैं?

मंकी पाक्स के क्या क्या लक्षण हैं?

इस संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से जानकारी दी है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।

क्या मंकी पाक्स का चिकन पाक्स से कोई लेना-देना है?

जी नहीं, मंकी पाक्स का चिकन पाक्स से कोई लेना-देना नहीं है।

भारत में मंकी पाक्स के मामले कहां पाए गए हैं?

अभी तक भारत में मंकी पाक्स के मामले केरल एवं देश की राजधानी दिल्ली से रिपोर्ट हुए हैं।

दोस्तों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको मंकी पाक्स बीमारी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। यदि आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें एवं लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। मंकी पाक्स से बचाव को इस आर्टिकल को अधिक से अधिक शेयर करें। यदि इस पोस्ट पर आपका कोई सवाल है तो उसे आप हमसे नीचे दिए गए कमेंट बाक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके पूछ सकते हैं। ।। धन्यवाद।।

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प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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