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दुनिया भर में रोड एक्सीडेंट में हर वर्ष करीब साढ़े 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके 10 प्रतिशत एक्सीडेंट केवल हमारे देश में होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय सड़क संगठन (international road organization) की ओर से भारत के लिए जारी यह आंकड़ा करीब डेढ़ लाख हादसों का बैठता है।
इससे होने वाले नुकसान का आंकलन तक आपको आश्चर्य में डाल सकता है। रोड एक्सीडेंट अर्थात सड़क दुर्घटनाओं की वजह से भारत में कुल साढ़े 15 से लेकर 40 अरब अमेरिकी डाॅलर का नुकसान हो जाता है। इन रोड एक्सीडेंट्स के बाद एक बड़ा सवाल मुआवजे का उठता है। आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि रोड एक्सीडेंट का क्लेम कैसे लें–
रोड एक्सीडेंट में मरने वाले अथवा घायल होने वाले व्यक्तियों को कितना क्लेम मिलता है-
यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। मोटर वाहन अधिनियम (motor vehicle act)-1988 में सड़क दुर्घटना की स्थिति में मिलने वाली क्लेम राशि को स्पष्ट किया गया है। इसके अनुसार किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में यदि किसी की मृत्यु हो जाए अथवा कोई घायल हो जाए तो रोड एक्सीडेंट क्लेम की राशि इस प्रकार से होगी-
- मृत्यु के मामले में क्लेम पांच लाख रुपये है।
- गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में क्लेम राशि ढाई लाख रुपये है।
- हिट एंड रन (hit and run) मामले में मृत्यु होने पर मृतक के नामिनी को दो लाख रुपये मिलते हैं, जबकि गंभीर चोट की स्थिति में 50 हजार रूपये की क्लेम राशि के भुगतान का प्रावधान है।
रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए कौन क्लेम कर सकता है?
मोटर वाहन अधिनियम-1988 के अंतर्गत मुआवजे के लिए क्लेम करने के अधिकारी निम्न लोग होंगे-
- दुर्घटना के मारे गए मृतक के परिजन अथवा किसी भी वैध उत्तराधिकारी द्वारा।
- घायल द्वारा अथवा उसके गंभीर घायल होने की स्थिति में उसके किसी परिजन अथवा वैध उत्तराधिकारी द्वारा।
- जिस व्यक्ति की क्षति हुई है, उसकी ओर से किसी अभिकर्ता द्वारा।
रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है?
अब हम आपको बताएंगे कि आपको रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता है। ये वे दस्तावेज हैं, जिनको संलग्न किए बगैर आवेदक को क्लेम नहीं मिलेगा। ये निम्नवत हैं-
- दुर्घटना के संबंध में दर्ज कराई गई एफआईआर की फोटो काॅपी।
- मृत्यु की स्थिति में पंचनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की काॅपी।
- डेथ सर्टिफिकेट की काॅपी।
- मृतकों एवं दावेदारों की पहचान से संबंधित डाक्यूमेंट।
- मृतक का आय प्रमाण पत्र
- मृतक/घायल का जन्म प्रमाण पत्र।
- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नोट (यदि कोई हो)।
- यदि व्यक्ति पहले से ही विकलांग हो तो विकलांगता प्रमाण पत्र।
रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए कहां क्लेम कर सकते हैं?
अब आपको जानकारी देंगे कि यदि सड़क दुर्घटना हो जाए तो आप रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए कहां क्लेम कर सकते हैं-
- जिस स्थान पर दुर्घटना हुई है, जिले के ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में।
- जिस स्थान पर दावेदार रहता अथवा व्यवसाय करता है, उस क्लेम ट्रिब्यूनल की स्थानीय सीमा के भीतर।
- जिस स्थान पर प्रतिवादी रहता है, वहां के क्लेम ट्रिब्यूनल की सीमा के भीतर।
रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए आवेदन की क्या प्रक्रिया है?
मोटर वाहन अधिनियम-1988 की धारा 166 के अंतर्गत मुआवजे के लिए आवेदन प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इसके अनुसार-
- कभी भी रोड एक्सीडेंट हो तो सबसे पहले पुलिस को सूचित करें।
- इसके पश्चात अपने इंश्योरेंस एजेंट अथवा कंपनी को एक्सीडेंट के संबंध में सूचित करें।
- पुलिस को अपनी गाड़ी के कागजात जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, गाड़ी का इंश्योरेंस आदि की काॅपी दें।
- इसके साथ ही अपने पाॅलिसी नंबर की डिटेल्स भी दें।
- पुलिस घटनास्थल का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट बनाकर 30 दिन के भीतर मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल को भेजेगी।
- इंश्योरेंस एजेंट की सूचना पर इंश्योरेंस कंपनी का सर्वेयर भी सर्वे करेगा एवं क्षति के आंकलन एवं तमाम दस्तावेजों के साथ अपनी रिपोर्ट इंश्योरेंस कंपनी को सौंपेगा।
- सर्वे रिपोर्ट के आधार का यहां इंश्योरेंस कंपनी आपके लिए एक क्लेम राशि निर्धारित करेगी।
- यदि आप इससे सहमत नहीं होते मामले को ट्रिब्यूनल कोर्ट में ले जा सकते हैं।
- यहां से इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम तय करने के लिए 30 और दिन का समय मिलता है।
- अब भी सेटलमेंट न हो पाने पर केस चलता है एवं क्लेम राशि कोर्ट तय करती है।
- इंश्योरेंस कंपनी को आदेशित क्लेम राशि का भुगतान वादी को करना ही होता है।
इंश्योरेंस कंपनी किन स्थितियों में क्लेम से मना कर सकती है?
बहुत सी ऐसी स्थितियां हैं, जिनमें कोई भी इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने से मना कर सकती है। ये स्थितियां निम्नवत हैं-
- दुर्घटना के समय वाहन चालक लापरवाही से गाड़ी न चला रहा हो।
- दुर्घटना के समय ड्राइविंग कर रहे व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस एवं वाहन से संबंधित वैध कागज मसलन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस के कागज आदि होने चाहिए।
- संबंधित व्यक्ति का लाइसेंस कभी जब्त न हुआ हो।
- यदि आपके पास लर्निंग लाइसेंस है तो भी इसको अपने साथ ही रखें।
- दुर्घटना के समय वाहन चालक ने शराब न पी हुई हो। एक निश्चित मात्रा से अधिक एल्कोहल मिलने पर बीमा कंपनी क्लेम से हाथ झाड़ देगी।
आन द स्पाॅट कोई भी एग्रीमेंट करने से बचें –
यदि आपकी कार अथवा बाइक का एक्सीडेंट हो जाता है तो आन द स्पाॅट कोई भी एग्रीमेंट न करें। यदि आपके वाहन का इंश्योरेंस है तो इसकी सारी जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी। किसी की मृत्यु होने की स्थिति में भी आपकी जिम्मेदारी नहीं होगी। आपका केस इंश्योरेंस कंपनी लड़ेगी।
आन द स्पाॅट समझौते में कई बार यह होता है कि आप तो मामला रफा-दफा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन संबंधित व्यक्ति आपसे भी राशि लेता है, फिर गाड़ी ठुकने पर इंश्योरेंस कंपनी से भी मुआवजे के लिए भी क्लेम कर देता है। इस प्रकार वह दोहरा लाभ लेने की कोशिश करता है। इस स्थिति को अवाइड ही कर देना बेहतर होता है।
मुआवजे के लिए आवेदन एक्सीडेंट की तिथि के छह माह भीतर तक कर सकते हैं
आपको इस बात का अवश्य ख्याल रखना होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात। आपको रोड एक्सीडेंट क्लेम के लिए दुर्घटना की तिथि के छह माह के भीतर ही आवेदन करना आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त यह भी आवश्यक है कि मुआवजे के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति दुर्घटना का शिकार अथवा मृत्यु की स्थिति में उसका कानूनी प्रतिनिधि होना चाहिए। उसका इंश्योरेंस एजेंट भी क्लेम कर सकता है।
मोटर वाहन अधिनियम-1988 से जुड़ी खास बातें-
- मोटर व्हीकल एक्ट-1988 की धारा 3 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर वाहन चलाने के लिए लाइसेंस की आवश्यक है। ऐसा न करने पर यह अपराध धारा 181 के तहत दंडनीय है।
- अधिनियम की धारा 4 के तहत 18 साल से कम उम्र के वाहन चालक का सार्वजनिक स्थान में वाहन चलाना अपराध है।
- 16 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति केवल 50सीसी से कम क्षमता का वाहन चला सकता है।
- मोटर वाहन का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। वाहन चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। दो पहिया वाहन चालक को हेलमेट पहनना चाहिए।
हिट एंड रन मामलों के लिए बनी थी अलग योजना
रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार वाहन की पहचान हो जाने पर हताहत व्यक्ति को रोड एक्सीडेंट क्लेम बीमा कंपनी से मिलता है। लेकिन हिट एवं रन मामले में टक्कर मारने वाला फरार हो जाता है। ऐसे मामलों में पीड़ित को मदद देने के लिए वर्ष 1989 में एक हर्जाना योजना बनी थी।
इन पीड़ितों को मोटर व्हीकल एक्सीडेंट फंड से मदद दी जाती है। कुछ हिट एंड रन मामलों के विषय में आपने अवश्य पढ़ा होगा, जो बहुत मशहूर रहे हैं। इसमें फिल्म अभिनेता सलमान खान का हिट एंड रन केस हर किसी को याद होगा। उनकी गाड़ी द्वारा फुटपाथ पर सोए लोगों को कुचल दिया गया था। बाद में उनके ड्राइवर ने सारा जिम्मा अपने ऊपर ले लिया था।
रोड एक्सीडेंट के क्या-क्या कारण होते हैं?
रोड एक्सीडेंट के कारणों से तो हम सभी परिचित हैं। कहीं यह ड्राइवर की लापरवाही के कारण अथवा तेज स्पीड से होता है तो कभी ड्राइवर शराब के नशे में गाड़ी पर से कंट्रोल खो बैठता है। कई बार छोटी उम्र में ही गाड़ी चलाने की उत्कंठा कई बार लोगों की जान पर भारी पड़ जाती है।
इसके अतिरिक्त हमारे देश में अधिकांश छोटे नगरों में सड़कों की खराब स्थिति भी खतरनाक रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार होती है। सड़कों पर इतने गड्रढे होते हैं कि या तो वाहन चालक पीठ दर्द जैसी तकलीफों के शिकार होते हैं या अपने हाड़-गोड़ तुड़वाते रहते हैं। इसी प्रकार अनेक कारण हैं, जो रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं।
हालांकि हाइवे आदि की बात करें तो केंद्र सरकार की ओर से उन पर बेहतर काम किया गया है, लेकिन समस्या यहां है कि वहां के लिए एक स्पीड निर्धारित है एवं अमूमन धीमे चलने वाले लोग वहां दुर्घटना के शिकार होते हैं।
सिर पर हेलमेट न लगाने वाले रोड एक्सीडेंट में अधिक मरते हैं
यदि दोपहिया वाहनों की बात करें तो ऐसे में सिर पर हेलमेट न पहनने वाले लोग एक्सीडेंट हो जाने पर मौत का अधिक शिकार बनते हैं। हालांकि यातायात विभाग की ओर से इसे लेकर जागरूकता को अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन बहुत से लोगों के लिए सरकार की बातें महज औपचारिकता भर होती हैं।
यदि बहुत से लोग हेलमेट लगाते भी हैं, तो इसलिए नहीं कि वे दुर्घटना की स्थिति में सुरक्षित रहेंगे। वे इसलिए हेलमेट लगाते हैं, ताकि पुलिस के चालान से बचे रहें। महिलाएं हालांकि ट्रैफिक नियमों के पालन के प्रति अधिक सजग दिखती हैं। रैश ड्राइविंग की प्रवृत्ति उनमें कम देखी जाती है।
सरकार चलाती है सड़क जागरूकता सप्ताह
यह तो आपको भी पता ही होगा कि सरकार की ओर से सड़क जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जाता है। भारत में अब तक 32 सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाए जा चुके हैं। पिछले वर्ष इसकी थीम सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा थी। इसका आयोजन सामान्य लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए किया जाता है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम किया जा सके।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह आम तौर पर 11 से 17 जनवरी तक मनाया जाता है। कई राज्य इसका आयोजन अलग अलग तिथियों पर करते हैं। आपको यह भी जानकारी देते हैं कि देश में सड़क सुरक्षा अधिनियम कब लागू हुआ। इसे द नेशनल हाइवेज एक्ट -1956 के रूप में लाया गया एवं सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 15 अप्रैल 1957 को देश भर में लागू किया गया।
देश में मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 लागू
देश में मोटर वाहन अधिनियम 1988 में लाया गया। वर्तमान में मोटर वाहन संशोधन अधिनियम- 2019 लागू है। इसे एक सितंबर, 2019 को लागू किया गया था। इसमें सड़क दुर्घटना रोकने के लिए कई बेहतर एवं कठोर प्रावधान किए गए हैं।
इसमें यातायात नियमों के उल्लंघन पर कड़े नियमों का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही ओवर स्पीडिंग, ओवर लोडिंग, रैश ड्राइविंग, सीट बेल्ट न बांधे होने, ड्राइविंग लाइसेंस न होने, इंश्योरेंस अथवा प्रदूषण प्रमाण पत्र न होने जैसी स्थितियों में जुर्माना राशि को भी कई गुना बढ़ा दिया गया है।
रोड एक्सीडेंट किस अधिनियम के तहत कवर होता है?
रोड एक्सीडेंट मोटर वाहन अधिनियम-1988 के अंतर्गत कवर होता है।
रोड एक्सीडेंट में मौत की अवस्था में मृतक के वैध उत्तराधिकारी को कितना क्लेम मिलता है?
रोड एक्सीडेंट मौत की अवस्था में मृतक के वैध उत्तराधिकारी को पांच लाख रूपये का क्लेम मिलता है।
रोड एक्सीडेंट में गंभीर घायल होने पर कितनी क्लेम राशि मिलती है?
रोड एक्सीडेंट में गंभीर घायल होने पर 50 हजार रूपये की क्लेम राशि मिलती है।
क्या इंश्योरेंस कंपनी क्लेम से हाथ भी झाड़ सकती है?
जी हां, कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिनमें इंश्योरेंस कंपनी क्लेम से हाथ झाड़ सकती है। जैसे-लापरवाही से गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते हुए निर्धारित मात्रा से अधिक शराब का सेवन, गाड़ी के कागज पूरे न होना, वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होना आदि।
रोड एक्सीडेंट की स्थिति में मुआवजे का अधिकारी कौन होता है?
मृत्यु के मामले में मृतक के वैध उत्तराधिकारी। घायल होने की स्थिति में स्वयं अथवा गंभीर रूप से घायल व्यक्ति के वैध उत्तराधिकारी।
रोड एक्सीडेंट की स्थिति में सबसे पहले क्या करना चाहिए?
रोड एक्सीडेंट की स्थिति में सबसे पहले पुलिस को सूचित करना चाहिए।
हमने आपको इस पोस्ट में रोड एक्सीडेंट की स्थिति में क्लेम प्रक्रिया की जानकारी दी। यह जानकारी ऐसे तमाम लोगों के लिए लाभदायक है जो दोपहिया अथवा चौपहिया वाहन सड़कों पर दौड़ाते हैं। आशा है कि पोस्ट में दी गई जानकारी उनके लिए काम की होगी। लोगों को मुआवजे को लेकर जागरूक करने की दृष्टि से आप भी इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें। धन्यवाद।
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6 माह बाद मुआबजा के लिए आवेदन कहा करें
Sir mere Bhai ka accident me miretu ho gaya tuo uska muaawja kisko milega hamre prewar me 5 log hi
First wife, second bachho ko in dono me se nahi tab Mata pita me se kisi ko. Ya fir jiska nominee me nam darj hoga usko milega.
Sir mere bhai ka 03।05।2021 ko accident me death ho gyi hai or court me case chl rha hai or Jo hamara vakil hai vo aaj check mil jayega kal milega karke bolta hai . Kya karna chahiye btao aap
jyada samjh me na aaye to vakeel change karlo, baki in sab me time lagta hi hai. naya vakeel karege to vo bhi paise kamane ke chakkr me thoda bahut aage ke liye talne ki koshish karega.
dear team,
mere father ko death 4-2022 me hua the maine fir bhi kiye the 5 lakh ke liye apply bhi kiye the bhut abhi kuch kanun badala hai to paisa kaha se milega parwahan vibhag ya apda prawandhan se plz help me
Sir mere papa ki sadak durghatna (gadi fislne )
me dheth ho gyi
Hamne Fir nhi karwaai to claim nhi mil rha.
Koi sujhaav de
अगर आपने FIR नही कराई है तो आप क्लेम नही ले सकते है।
Sar meri mummy ka 14 December 2022 ko accident mein hadsa hoga unka Jo turant expire ho gaye khatm ho gai Ho unka Sara proof ekattha kar liya abhi tak koi reason nahin mila kah rahe hain unka umra jyada tha unka umra 72 sal hai