कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें? | मोटर इंश्योरेंस क्लेम प्रोसेस 2024

|| कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें?, सामान्य बीमा दावों का निपटारा विषय पर एक लेख लिखिए, दावा निपटान के लिए आईआरडीए के दिशानिर्देशों, बीमा के दावे से क्या तात्पर्य है, एक्सीडेंट क्लेम केस, मोटर बीमा के सिद्धांत की , बीमा दावा प्रक्रिया ||

जीवन बहुत अनिश्चित है। कब, कहां, क्या घट जाए किसी को अंदाजा नहीं। खास तौर पर गाड़ी चलाते हुए किसी के साथ कब क्या हादसा हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। यदि किसी व्यक्ति के साथ ऐसा हो जाए तो उसकी गाड़ी को नुकसान से सुरक्षित रखने के लिए भारत में थर्ड पार्टी बीमा को अनिवार्य किया गया है।

कई लोग अपनी गाड़ी को हादसे से हुए नुकसान की भरपाई के लिए ओन डेमेज कवर भी लेते हैं। यदि कार एक्सीडेंट हो जाए तो ऐसे में आप इंश्योरेंस क्लेम कैसे ले सकते हैं, इस पोस्ट में हम आपको इसी संबंध में जानकारी देंगे-

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गाड़ी को इंश्योरेंस की आवश्यकता क्यों होती है?

सबसे पहले जान लेते हैं कि गाड़ी को बीमित कराने यानी इसके इंश्योरेंस की आवश्यकता क्यों पड़ती है। यह तो आप जानते ही हैं कि बीमा व्यक्ति की कार को किसी भी हादसे में हुए नुकसान से सुरक्षा कवर प्रदान करता है।

अर्थात यदि कोई हादसा होता है एवं बीमित व्यक्ति की कार क्षतिग्रस्त हो जाती है तो नुकसान की भरपाई संबंधित बीमा कंपनी करती है।

इंश्योरेंस क्लेम कितने प्रकार के होतें हैं-

कार का एक्सीडेंट होने पर इंश्योरेंस क्लेम कैसे करें? | मोटर इंश्योरेंस क्लेम प्रोसेस

1. कैशलेस क्लेम (cashless claim)-

यदि आपकी गाड़ी को नुकसान पहुंचता है तो इस क्लेम के अंतर्गत रिपेयर करने के लिए आपको अपनी जेब से एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता। बीमाकर्ता सीधे अपने नेटवर्क गैरेज को रिपेयर पर आने वाले खर्च का भुगतान कर देता है।

बीमित ग्राहक के रूप में आपको केवल डेप्रिसिएशन (deprivation) एवं डिडक्टिबल पेमेंट (deductible payment) करना होता है।

2. रीइम्बर्समेंट क्लेम (reimbursement claim)-

यदि आपके वाहन को नुकसान हुआ है तो इस क्लेम के अंतर्गत आप किसी भी गैरेज में अपनी गाड़ी की रिपेयर करा सकते हैं। यहां पैसा आपको अपनी जेब से देना होगा। बाद में बीमा कंपनी को रीइंबर्समेंट क्लेम के लिए आवेदन करना होगा।

इसके लिए आपको रिपेयर पर आए खर्च की रसीद (receipt) एवं बिल (bill) अपने पास बतौर प्रूफ (proof) रखने होंगे। बीमा कंपनी इन्हें वेरिफाई (verify) करने के पश्चात ही क्लेम (claim) का भुगतान करेगी।

हादसे की स्थिति में कैश लेस क्लेम लेने की सामान्य प्रक्रिया-

  • हादसे के संबंध में सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी को सूचित करें।
  • बीमा कंपनी नुकसान के आंकलन के लिए घटनास्थल पर अपना सर्वेयर भेजकर वाहन का सर्वे कराएगी।
  • इसके बाद आपको क्लेम फार्म भरना होगा।
  • इस फार्म के साथ बीमा कंपनी द्वारा मांगे गए दस्तावेज जमा करने होंगे।
  • बीमा कंपनी रिपेयर का क्लेम मंजूर करेगी।
  • अब आपका वाहन नेटवर्क गैरेज में भेजा जाएगा।
  • रिपेयर के पश्चात बीमा कंपनी नेटवर्क गैरेज को भुगतान कर देगी।
  • गाड़ी के जो पार्ट बीमा के दायरे में नहीं, उनका पेमेंट आपको करना होगा।

हादसे की स्थिति में रीइंबर्समेंट क्लेम लेने की प्रक्रिया-

  • सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी के पास क्लेम रजिस्टर करें अर्थात उसे सूचित करें।
  • अब क्लेम फार्म (claim form) भरें एवं आवश्यक दस्तावेजों (documents) को बीमा कंपनी के पास जमा करें।
  • अब बीमा कंपनी मरम्मत (repair) की लागत का आंकलन करने को वाहन का सर्वे कराएगी।
  • आप बीमा कंपनी के नेटवर्क से बाहर किसी भी गैरेज में अपना वाहन रिपेयर करा सकते हैं।
  • रिपेयर होने के बाद फिर से सर्वे (survey) कराया जाता है।
  • आपको गैरेज में वाहन मरम्मत के बाद मिले बिलों एवं रसीदों का भुगतान करना होगा।
  • इन सभी बिल एवं रसीदों को बीमा कंपनी के पास जमा करना होगा।
  • अब बीमा कंपनी आपके बिलों को जांच कर आपको इनका भुगतान कर देगी।

घटना के आधार पर कार इंश्योरेंस क्लेम

घटना के आधार पर कार इंश्योरेंस क्लेम तीन तरह के होते हैं। थर्ड पार्टी क्लेम, ओन डेमेज क्लेम एवं चोरी का क्लेम। इन तीनाें तरह के क्लेम लेने की प्रक्रिया अलग अलग है। ये क्लेम इस प्रकार से लिए जा सकते हैं-

1. थर्ड पार्टी क्लेम (third party claim)-

यह हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि भारत में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अनिवार्य है। इसमें आपको अपने वाहन के लिए कोई कवर नहीं मिलता।

हालांकि जिस वाहन को आपकी गाड़ी से टक्कर लगी है, उसे उसके नुकसान का मुआवजा मिलता है। हादसे में थर्ड पार्टी की मौत अथवा घायल होने की अवस्था में मुआवजे की राशि कोर्ट तय करती है। इस स्थिति में ऐसे क्लेम मिलेगा-

A) घटना के प्रमाण एकत्र करें-

यदि आप हादसे में थर्ड पार्टी हैं तो आपको सबसे पहले कार को हुए नुकसान के प्रमाण एकत्र करने होंगे।

  • आप फोटोग्राफ के साथ ही घटनास्थल की वीडियो रिकार्डिंग भी कर सकते हैं।
  • आपकी कार से टकराने वाले वाहन एवं उसके ड्राइवर की डिटेल लें।
  • यदि एक्सीडेंट के गवाह मिलें तो उनके नाम, पते भी नोट कर लें।
  • यदि घटना में आपको भी चोट आई है तो उसे भी रिकार्ड करें अथवा चोट अधिक हो तो नजदीकी के अस्पताल में इलाज कराएं। डाक्टर से चोट के बारे में पूछकर रिकार्ड कर लें।

B) पुलिस को सूचित करें

  • घटना का प्रमाण लेने के बाद आपको पुलिस में एफआईआर (FIR) करानी होगी।
  • एफआईआर के बाद केस नंबर (case number) लेकर अपने पास फ्यूचर रिफरेंस (future reference) के लिए सुरक्षित कर लें। इंश्योरेंस क्लेम (insurance claim) में आपको यह रिपोर्ट लगानी होगी।

C) हादसे के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करें

  • आपको वाहन मालिक से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की डिटेल पता करनी होगी।
  • हादसे के बाद जितना जल्दी हो बीमा कंपनी को सूचित करें।
  • इसके लिए आप इंश्योरेंस कंपनी के टोल फ्री नंबर पर भी फोन कर सकते हैं। दरअसल, बहुत सी कंपनियों ने 24 से 48 घंटे के भीतर हादसे की सूचना देने का प्रावधान किया हुआ है।

D) कार को हुए नुकसान का आंकलन होगा

  • इंश्योरेंस कंपनी को सूचना देते ही वह अपने सर्वेयर से इसका एक तय समय पर निरीक्षण कराती है।
  • कैशलेस क्लेम की स्थिति में बीमा कंपनी आपकी कार को खिंचवाकर अपने नेटवर्क गैरेज तक ले जाने की व्यवस्था करती है। रीइंबर्समेंट क्लेम की स्थिति में आपको इसे स्वयं नेटवर्क से बाहर किसी गैरेज तक लेकर जाना पड़ता है। वहां मरम्मत का एस्टीमेट बनवाकर बीमा कंपनी को देना होता है। आपका जो भी खर्च हो आप नोट कर लें।

E). इंश्योरेंस कंपनी को दस्तावेजों संग क्लेम भेजें

  • अब इंश्योरेंस कंपनी को आपको तमाम आवश्यक दस्तावेजों संग क्लेम फार्म भरकर देना होगा। कंपनी का प्रतिनिधि भी अपनी रिपोर्ट के साथ आपसे आवश्यक दस्तावेज लेकर बीमा कंपनी को भेज सकता है।
  • इंश्योरेंस कंपनी इस फार्म को जांचेगी।
  • साथ में दिए दस्तावेजों का वेरिफिकेशन किया जाएगा।

F) क्लेम का निटारा

  • बीमा कंपनी सभी दस्तावेजों की जांच के बाद यदि उन्हें सही पाती है तो आपको क्लेम का भुगतान कर देगी।
  • सामान्यतः एक क्लेम के निपटान में एक पखवाड़े तक का समय लगता है।
  • दुर्घटना की गंभीरता एवं क्लेम की मात्रा के हिसाब से इस समय में इजाफा भी हो सकता है।

2 ओन डेमेज क्लेम (own damage claim)

यदि आपकी गाड़ी पर ओन डेमेज कवर (own damage cover) है एवं वह हादसे की शिकार हो जाती है तो आपको क्लेम के लिए निम्न प्रक्रिया को अपनाना होगा-

A) दुर्घटना के प्रमाण जुटाएं-

आपको सबसे पहले घटना के प्रमाण जुटाने होंगे। आप वाहन के फोटो खींचने के साथ ही घटनास्थल की रिकार्डिंग भी कर सकते हैं।

B) पुलिस को सूचना दें-

अब आपको दुर्घटना के संबंध में पुलिस को सूचना देनी होगी। आप चाहें तो पुलिस द्वारा दिए गए टोल फ्री नंबर पर भी काल करके घटना के बारे में बता सकते हैं।

C) बीमा कंपनी को सूचित करें-

  • आपको जल्द से जल्द बीमा कंपनी को भी सूचित करना होगा।
  • बीमा कंपनी मौके पर अपने सर्वेयर को भेजकर नुकसान का आंकलन कराएगी।

D) पुलिस एवं बीमा कंपनी की सहमति के बगैर अपने वाहन को दुर्घटना स्थल से न हटाएं। सहमति मिल जाने पर वाहन को रिपेयर के लिए ले जाएं।

E) इंश्योरेंस कंपनी को डाक्यूमेंट्स के साथ क्लेम भेजें-

  • गाड़ी को हुए नुकसान के क्लेम के लिए इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम फार्म सभी दस्तावेज लगाकर भेजना होगा।
  • बीमा कंपनी इन सभी दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करेगी।
  • क्लेम फार्म के साथ सर्वे की रिपोर्ट लगेगी।

f. क्लेम का निटारा

  • बीमा कंपनी नुकसान के इवैल्यूएशन एवं सभी दस्तावेजों की जांच के बाद यदि उन्हें सही पाती है तो आपको क्लेम का भुगतान कर देगी।
  • सामान्यतः एक क्लेम के निपटान में एक पखवाड़े तक का समय लगता है।
  • दुर्घटना की गंभीरता एवं क्लेम की मात्रा के हिसाब से इस समय में इजाफा भी हो सकता है।

3. गाड़ी चोरी होने की स्थिति में क्लेम (claim in case of theft)

यदि गाड़ी चोरी हो जाए तो ऐसी स्थिति में बीमाधारक को इंश्योरेंस क्लेम (insurance claim) के लिए निम्न प्रक्रिया का पालन करना होगा-

  • आपको सबसे पहले नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर एफआईआर करानी होगी।
  • अब बीमा कंपनी एवं आरटीओ (RTO) को चोरी के संबंध में सूचना देनी होगी।
  • बीमा कंपनी के पाए एफआईआर की कापी, ड्राइविंग लाइसेंस, एवं वाहन की आरसी की कापी जमा करनी होगी।
  • पुलिस मामले की जांच करेगी। यदि वह 90 दिन के भीतर गाड़ी का पता नहीं लगा पाती तो नो ट्रेस रिपोर्ट (no trace report) जारी करेगी।
  • इस रिपोर्ट को डाक्यूमेंट्स (documents) के साथ बीमा कंपनी को देने के पश्चात वह क्लेम सेटलमेंट (claim settlement) की कार्रवाई शुरू कर देगी।

गाड़ी का इंश्योरेंस क्लेम लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं?

पोस्ट में ऊपर दी गई जानकारी से आपको मोटा मोटी यह जानकारी मिल ही गई होगी कि आपको इंश्योरेंस क्लेम लेने के लिए किन किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। फिर भी हम आपको बताएंगे कि आपको किन किन इन दस्तावेजों की आवश्यकता है-

  • कार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट अर्थात आरसी (RC)।
  • पुलिस में दर्ज एफआईआर (FIR) की रिपोर्ट।
  • इंश्योरेंस पाॅलिसी (insurance policy) की काॅपी।
  • यदि शारीरिक चोट लगी है तो मेडिकल रसीद (medical receipt)।
  • घटना के वक्त गाड़ी चला रहे ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस (driving licence)।
  • अच्छी तरह से भरा हुआ कार इंश्योरेंस क्लेम फार्म (insurance claim form)।
  • कार की रिपेयरिंग में हुए खर्च का estimate अथवा भुगतान खर्च की रसीद।

आन द स्पाॅट क्लेम सेटलमेंट कैसे होता है?

बहुत से लोग क्लेम की लंबी प्रक्रिया में न फंसकर, वित्तीय परेशानी से बचने के लिए आन द स्पाॅट क्लेम सेटलमेंट (on the spot claim settlement) को प्राथमिकता देते हैं। यह सेटलमेंट बीमा कर्ता कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से किया जाता है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार से है-

  • सबसे पहले बीमित व्यक्ति अपनी गाड़ी को हुए नुकसान की फोटो खींचकर उसे बीमा कंपनी के पोर्टल (portal) अथवा एप (app) पर अपलोड (upload) करता है।
  • इसके बाद बीमा कंपनी इन फोटो एवं डाटा एनालिटिक्स टूल (data analytics tool) का इस्तेमाल करके एक क्लेम राशि (claim amount) तय करते हैं।
  • यदि यह क्लेम राशि बीमित व्यक्ति को स्वीकार होती है तो आधे घंटे से भी कम अवधि में क्लेम निपटा दिया जाता है।

यदि आप क्लेम से संतुष्ट नहीं तो कहां केस कर सकते हैं?

यदि आप स्वयं को मिलने वाले क्लेम से संतुष्ट नहीं है तो मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (motor accident claim tribunal) अर्थात एमएसीटी (mact) में क्लेम केस फाइल करना होगा। आप चाहें तो जिस जगह आप रहते हैं, वहां से भी क्लेम फाइल कर सकते हैं।

ट्रिब्यूनल में आप कौन कौन से क्लेम फाइल कर सकते हैं-

ट्रिब्यूनल में आप जिन मामलों में क्लेम कर सकते हैं, वे इस प्रकार से हैं-

  • चिकित्सा खर्च
  • संपत्ति को नुकसान
  • शारीरिक विकलांगता के लिए मुआवजा
  • दुर्घटना में मृत्यु की स्थिति में आश्रित मुआवजे के लिए क्लेम फाइल कर सकते हैं।

इंश्योरेंस क्लेम लेना है तो इन बातों का ख्याल रखें –

यदि आप कार हादसा होने की स्थिति में इंश्योरेंस क्लेम लेना चाहते हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखें-

घटनास्थल से वाहन को न हटाएं, न भागने की कोशिश न करें-

कई लोग कार से कोई हादसा हो जाने की स्थिति में घबराहट के मारे घटनास्थल से भागने की कोशिश करते हैं तो कई लोग अपने वाहन को यहां से हटा देते हैं।

इंश्योरेंस क्लेम चाहिए तो इन दोनों ही चीजों से बचना चाहिए। इससे क्लेम कमजोर पड़ सकता है। यहां तक कि बीमा कंपनी क्लेम देने से इंकार तक कर सकती है।

हादसा होने पर गाड़ी को स्वयं रिपेयर न करें

गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में उसे स्वयं रिपेयर न करने लगें। गैरेज अथवा सर्विस सेंटर पर उसे तभी ले जाएं, जब इंश्योरेंस कंपनी की ओर से इस संबंध में स्वीकृति मिल जाए।

गलत तथ्य प्रस्तुत न करें

कभी भी घटना को लेकर गलत तथ्य प्रस्तुत करने की कोशिश न करें। क्योंकि क्लेम से पूर्व इंश्योरेंस कंपनियां नुकसान का आंकलन अपने सर्वेयर से कराती हैं। ऐसे में कोई भी झूठ साबित होने पर बीमा कंपनी क्लेम से इन्कार कर सकती है।

पालिसी के नियम व शर्तों को देख लें

इंश्योरेंस क्लेम करने से पूर्व अपनी इंश्योरेंस कंपनी की ओर से क्लेम के वक्त दी जाने वाली सुविधाओं पर गौर करें। इसके बाद ही इंश्योरेंस क्लेम करें।

सबसे बड़ी बात यह ध्यान रखें कि इंश्योरेंस पालिसी को एक्सपायर होने से पूर्व उसे रिन्यू करा लें। अन्यथा आप इंश्योरेंस क्लेम कर ही नहीं सकेंगे।

बीमा कंपनी की ओर से तय क्लेम राशि पर जल्दी में साइन न करें

बीमा कंपनी ने आपके नुकसान को देखते हुए जो क्लेम राशि तय की है, उस पर जल्दी में हस्ताक्षर न करें। यदि आपको यह राशि कम लगती है तो इसे बढ़ाने का अनुरोध करें। यदि आप इस क्लेम से संतुष्ट नहीं तो ट्रिब्यूनल में अधिक क्लेम के लिए दावा कर सकते हैं।

कार इंश्योरेंस की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

किसी भी कार एक्सीडेंट की स्थिति में गाड़ी मालिक को बीमा कंपनी से आर्थिक क्षतिपूर्ति के नजरिए से इंश्योरेंस की आवश्यकता पड़ती है।

कार इंश्योरेंस क्लेम साधारणतः कितने प्रकार का होता है?

कार इंश्योरेंस दो प्रकार का होता है-कैशलेस क्लेम एवं रीइंबर्समेंट क्लेम।

कैशलेस एवं रीइंबर्समेंट क्लेम में क्या अंतर है?

कैशलेस इंश्योरेंस में आपकी गाड़ी की मरम्मत के लिए पहले आपको किसी खर्च की आवश्यकता नहीं होती। रीइंबर्समेंट की स्थिति में पहले आप स्वयं मरम्मत का भुगतान करते हैं, जिसके बिल बीमा कंपनी रीइंबर्स करती है।

यदि आप क्लेम फार्म में कोई ग़लत जानकारी भरते हैं तो क्या होता है?

यदि आप क्लेम फार्म में गलत जानकारी भरते हैं तो बीमा कंपनी क्लेम देने से मना कर सकती है।

यदि आप क्लेम से संतुष्ट नहीं तो क्या करें?

यदि आप बीमा कंपनी द्वारा दिए जा रहे क्लेम से संतुष्ट नहीं तो मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में केस फाइल कर सकते हैं।

हमने आपको इस पोस्ट में कार हादसा होने पर इंश्योरेंस क्लेम करने संबंधी जानकारी दी। आज की तारीख में बहुत से लोग इसकी प्रक्रिया नहीं जानते। उम्मीद है कि इस पोस्ट से ऐसे लोग बड़ी संख्या में लाभान्वित होंगे। आप जनहित में इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करना न भूलें। धन्यवाद।

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मृदुला वर्मा
मृदुला वर्मा
मृदुला हिंदी में स्नातकोत्तर हैं। उसके पास बीएड की डिग्री भी है। वह अध्यापन के पेशे में हैं और जब शैक्षिक विषयों की बात आती है तो उन्हें लिखना अच्छा लगता है। वह वंचितों के लिए शिक्षा की प्रबल समर्थक और सभी के लिए शिक्षा की हिमायती हैं। उनकी रुचि में समाजसेवा, लेखन और लोगों से बात कर उनकी समस्याओं को जानना शामिल था ताकि वे उन्हें हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
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