देश में आम तौर पर देखा जाता है कि बालिका का जन्म होने पर अक्सर मां की उपेक्षा होती है। प्रसव के बाद मां और कन्या शिशु की देखभाल पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। उत्तराखंड राज्य भी इसका अपवाद नहीं। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा की देखरेख को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की घोषणा की है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी योजना के विषय में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना क्या है?
मित्रों, आपको बता दें कि उत्तराखंड की महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की ओर से उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत प्रसव के बाद महिलाओं को पहली दो बालिकाओं के जन्म पर एक-एक किट दी जाएगी। यदि जुड़वां बच्चियां पैदा होती है तो महिला को एक और बच्चियों के लिए अलग-अलग दो किट दी जाएंगी।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट में क्या क्या होगा –
दोस्तों जैसा कि हमने अभी आपको बताया कि उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को एक किट प्रदान की जाएगी। एक किट का मूल्य साढ़े तीन हजार रुपए है। आइए, बता दें कि इस किट में प्रसव उपरांत स्वच्छता की जानकारी देने वाली पुस्तिका के साथ क्या क्या होगा। इसकी डिटेल इस प्रकार से हैं। शिशुओं और महिलाओं के लिए इसमें अलग अलग सामग्री रखी गई है-
- -शिशु के लिए मौसम के अनुसार सूती या गर्म दो जोड़ी कपड़े, टोपी और जुराब सहित।
- -एक पैकेट (10 पीस) कॉटन डाइपर।
- -एक शीशी बेबी आयल।
- -एक बेबी तौलिया, कॉटन सॉफ्ट
- -एक पाउडर का डिब्बा।
- -तीन बेबी साबुन।
- -एक रबर शीट।
- -एक सूती बैग।
- -दो बेबी ब्लैंकेट, मौसम के अनुसार सूती या गर्म।
महिला के लिए
- -250 बादाम गिरी/सूखी खुमानी/अखरोट।
- -500 ग्राम छुआरे।
- -दो कॉटन गाउन/साड़ी/सूट।
- -एक गर्म फुल साइज शाल।
- -एक कॉटन/गर्म स्टैंडर्ड साइज स्कार्फ।
- -दो जोड़े स्टैंडर्ड साइज जुराब।
- -एक बड़े साइज का तौलिया।
- -दो पैकेट सेनेट्री नैपकिन (आठ प्रति पैकेट)।
- -दो जोड़ी बेड शीट (तकिये के कवर सहित)।
- -एक नेल कटर
- -200 एमएल लिक्विड हैंडवाश।
- -एक शीशी नारियल/तिल/सरसों/चुलू का तेल।
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उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के उद्देश्य
मित्रों, उत्तराखंड में महिलाओं को मातृ शक्ति कहकर पुकारा जाता है। आइए, आपको बताते हैं कि इस उत्तराखंड मुख्यमंत्री। महालक्ष्मी योजना के क्या क्या उद्देश्य है-
- * मातृ मृत्यु दर एवं बालिका मृत्यु दर में कमी लाना।
- * संस्थागत प्रसव के दौरान बालिका दर में वृद्धि का प्रयास।
- * प्रसव के समय मां और बालिका की अतिरिक्त देखभाल के लिए आवश्यक सामग्री प्रदान करना।
- * स्तनपान के बारे में जानकारी विशेषकर नवजात बालिका को पहले 1 घण्टे के अंदर स्तनपान कराए जाने के संबंध में जागरूकता पैदा करना।
- * महिला को प्रसव के पश्चात स्वच्छता के बारे में जागरूक करना।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक शर्तें
मित्रों, प्रत्येक सरकारी योजना की तरह उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना का लाभ उठाने के लिए भी कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं, जो कि इस प्रकार से
- * लाभार्थी महिला उत्तराखंड की निवासी हो।
- * लाभार्थी महिला गर्भवती हो।
- * महिला की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो।
- * लाभार्थी महिला का आंगनबाड़ी केंद्र पर पंजीकरण हो।
- * लाभार्थी महिला किसी सरकारी या अर्थ सरकारी सेवा में न हो।
- * लाभार्थी महिला आयकरदाता न हो।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक दस्तावेज
यदि कोई महिला इस योजना का लाभ उठाना चाहती है और उसके लिए आवेदन करना चाहती है तो उसे कुछ दस्तावेजों को संलग्न करना आवश्यक होगा, जो कि इस प्रकार से हैं-
- * निवास और पहचान पत्र के रूप में लाभार्थी महिला का आधार कार्ड।
- * माता-शिशु रक्षा कार्ड की प्रति।
- * लाभार्थी महिला के संस्थागत प्रसव का प्रमाण पत्र।
- * महिला का प्रसव यदि घर पर हुआ है तो आंगनबाड़ी या आशा कार्यकर्ता की ओर से जारी प्रमाण पत्र।
- * परिवार रजिस्टर की प्रति।
- * पहली, दूसरी या जुड़वां बालिका के जन्म की स्वप्रमाणित घोषणा।
- * लाभार्थी महिला के नियमित सरकारी, अर्धसरकारी सेवा में न होने या आयकरदाता न होने संबंधी प्रमाणपत्र।
- * बैंक खाते का ब्योरा।
- * महिला का आयु संबंधी प्रथमा पत्र और मोबाइल नंबर।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना में आवेदन कैसे करें?
दोस्तों, आपको बता दें कि इस उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की लांचिंग उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 30 जून, 2021 को करनी थी। उन्हें मुख्यमंत्री निवास सभागार में इस कार्यक्रम को वर्चुअल तरीके से अटैंड करना था और 16,929 लाभार्थियों को महालक्ष्मी किट वितरित करनी थी।
लेकिन इस कार्यक्रम की लांचिंग को टाल दिया गया है। उत्तराखंड की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया है कि जल्द ही योजना की लांचिंग की नई तिथि घोषित की जाएगी। जैसे ही यह तिथि घोषित होगी, हम उसे इस वेबसाइट पर अपडेट करेंगे। आप निरंतर हमारी वेबसाइट चेक करते रहें। उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना लांच हो जाने के साथ ही इसके लिए आवेदन प्रारंभ हो जाएंगे।
संसाधनों का अभाव और महिलाओं की कठिनाई देखते हुए योजना की घोषणा
उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति विषम है। राज्य के दूरस्थ इलाकों में अस्पताल जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं का सर्वथा अभाव है। महिलाओं के ऊपर घर परिवार की दोहरी जिम्मेदारी है। उनकी स्थिति बहुत कष्टकारी है। प्रदेश की महिलाओं को घरेलू और खेती के कार्यों के साथ ही पानी जैसी आवश्यक आवश्यकता के लिए भी बहुत दूर दूर तक जाना पड़ता है।
ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए दिक्कत और बढ़ जाती है। प्रसव पूर्व के साथ ही प्रसव उपरांत उनके लिए अपनी देखरेख संभव नहीं होती। संसाधनों का अभाव तो होता ही है। उनकी इसी कठिनाई को देखते हुए सरकार ने इस उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की घोषणा की है।
उत्तराखंड उन 10 राज्य में शुमार, जहां शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा
दोस्तों, आपको सुनकर बेशक झटका लगेगा, लेकिन यह सच है। करीब तीन साल पहले भारत के महापंजीयक कार्यालय से जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के बुलेटिन में उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर से जुड़ा डरावना खुलासा हुआ है। दरअसल, उत्तराखंड उन टॉप टेन राज्यों में शामिल है, जहां शिशु मृत्यु दर (एक साल से कम उम्र के बारे में) सबसे ज्यादा है। यही नहीं, कम जन्म दर को नियोजित करने के साथ ही मृत्यु दर की रफ्तार पर अंकुश लगाने में भी उत्तराखंड की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में प्रति हजार जनसंख्या पर 34 शिशु जन्म के एक साल के अंदर अकाल मौत का शिकार बन रहे हैं। यह बात भी कम चिंताजनक नहीं कि शिशु मृत्यु में बालकों की अपेक्षा बालिकाओं की मृत्यु दर सात अंक अधिक है।
उत्तराखंड सरकार ने पहले भी महिलाओं की बेहतरी के लिए उठाए कदम
मित्रों, आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने पहले भी महिलाओं की बेहतरी के लिए कदम उठाए हैं। उसने प्रदेश में महिलाओं को पति की पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनने का हक दिया है। इसके साथ ही तलाकशुदा और संतानहीन बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में अधिकार प्रदान किया है। इसके अलावा महिलाओं को न केवल जमीन का मालिकाना हक दिया गया है, बल्कि उन्हें जमीन पर लोन लेने के साथ ही उसे बेचने का अधिकार भी होगा। जरुरत पड़ने पर महिलाओं को आसानी से लोन भी मिल सकता संभव होगा।
हालांकि यह अधिकार पैतृक संपत्ति पर ही होगा। इसके अलावा महिलाओं को बैंकों से लोन के लिए उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इससे महिलाओं के अब स्वरोजगार और विभिन्न स्वावलंबन योजनाओं के लिए बैंकों से लोन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में इससे पहले पति के द्वारा खरीदी गई संपत्ति पर ही पत्नी का हक होता था, लेकिन पैतृक संपत्ति पर नहीं। पति की मौत के बाद ही पत्नी का अधिकार पति की संपत्ति पर होता है। जब स्त्री पति से तलाक ले लेती थी तो यह अधिकार भी खत्म हो जाता था। पत्नी की स्थिति में पत्नी को मिला अधिकार जीवित पति को होता था।
सौभाग्यवती किट योजना का नाम बदलकर महालक्ष्मी योजना किया गया
मित्रों, आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार की योजना मुख्यमंत्री सौभाग्यशाली किट योजना को चालू करने की थी, लेकिन उस योजना को बाद में नाम बदलकर उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी सुरक्षा कवच योजना के नाम से शुरू करने की घोषणा की गई। अब सभी को उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के शुरू होने का इंतजार है। योजना के उद्देश्य से यह साफ समझा जा सकता है कि सरकार उत्तराखंड में महिलाओं और बालिकाओं की स्थिति सुधारने को लेकर किस कदर गंभीर है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड पृथक राज्य का आंदोलन महिलाओं के ही कंधों पर लड़ा गया है। इसलिए सरकारों में महिलाओं की स्थिति को लेकर संवेदनशीलता झलकती है। हाल फिलहाल जो फैसले लिए गए हैं, उन्हें देखकर भी यह बात अवश्य लगती है कि सरकार महिलाओं की स्थिति में सुधार करना चाहती है।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना से जुड़े सवाल
मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का उद्देश्य मातृ एवं बालिका मृत्यु दर कम करना है।
उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना की लांचिंग कब हुई?
इस योजना की लांचिंग 30 जून, 2021 को होनी थी। जल्द ही इसके लिए नई तिथि घोषित की जाएगी।
महालक्ष्मी योजना के तहत क्या दिया जाता है?
इस योजना के तहत एक किट दी जाती है, जिसमें नवजात शिशु और उसकी जन्मदात्री के उपयोग की वस्तुएं होती है।
क्या किसी भी राज्य की महिला को इसका लाभ मिलेगा?
जी नहीं। केवल उत्तराखंड की निवासी महिलाएं ही इस योजना की लाभार्थी होंगी।
क्या योजना का लाभ लेने के लिए आयु संबंधी भी कोई बाध्यता है?
जी हां। इसके लिए महिला की आयु 18 साल से अधिक होनी चाहिए।
अंतिम शब्द
मित्रों, तमाम हिमालयी राज्यों की तुलना में उत्तराखंड की महिलाओं का जीवन अधिक श्रमसाध्य है। उन्हें रोजमर्रा के जीवन निर्वाह में दिक्कत उठानी पड़ती है। उत्तराखंड के करीब करीब हर घर से एक व्यक्ति फौज में है या फिर रोजगार की तलाश में देश के दूसरे शहरों में है। घर की जिम्मेदारी महिलाओं के ही कंधों पर है। ऐसे में उनके बारे में सोचना सभी का कर्तव्य है। उत्तराखंड की सरकार भी इसी सोच की संवाहक बन रही है। इस नजरिए से वह महिलाओं के लिए उनके लाभ की योजनाएं लेकर हाजिर हुई है। माना जा सकता है कि इन योजनाओं की सफलता से उनकी जिंदगी में गुणात्मक बदलाव आएगा।
साथियों, यह कि उत्तराखंड मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना क्या है? उद्देश्य, पात्रता लाभ फॉर्म के संबंध में जानकारी। यदि आप इसी प्रकार की किसी अन्य योजना के संबंध में हमसे जानकारी चाहते हैं तो उसके लिए हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमें इंतजार है। ।।धन्यवाद।।