नागरिकता संशोधन बिल 2019 के नियम व उद्देश्य | Citizenship amendment bill

|| नागरिकता संशोधन बिल क्या है? | Citizenship amendment bill kya hai | CAA kya hai | Nagrikta sanshodhan bill kya hai | CAA kya hota hai | Citizenship amendment bill kab parit hua | CAA kanoon kab bana | Nagrikta sanshodhan bill purpose in Hindi ||

Citizenship amendment bill kya hai :- इस देश में पिछले कुछ वर्षों से दो बिलों की चर्चा बहुत ज्यादा हो रही है, जिसमे से एक कानून बन चुका है जबकि दूसरा जल्द ही कानून का रूप ले लेगा। इसमें जो बिल कानून का रूप ले चुका है उसे हम नागरिकता संशोधन बिल के नाम से जानते (CAA kya hai) हैं। इसे अंग्रेजी भाषा में सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल तथा शोर्ट फॉर्म में CAA के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरा बिल जो जल्द ही कानून का रूप लेगा उसे हम सभी NRC के नाम से जानते हैं।

आज का यह लेख कानून बन चुके अर्थात नागरिकता संशोधन बिल के ऊपर ही (Nagrikta sanshodhan bill kya hai) है। यह एक ऐसा बिल है जिस पर कई वर्षों से भूचाल मचा हुआ है और भारत देश का विपक्ष इसके विरुद्ध है। चूँकि अब यह बिल देश की दोनों सर्वोच्च सदनों सहित राष्ट्रपति के द्वारा पारित किया जा चुका है तो यह अधिनियम अर्थात विधेयक का रूप ले चुका है तथा इसे कोई भी बदल नहीं सकता (CAA kyo lagu hua) है।

अब यदि आपको इस बिल के बारे में इतनी जानकारी नहीं है या आप इसे लेकर उलझन की स्थिति में हैं तो आज हम आपके सामने CAA को लेकर सभी दांव पेंच समझाने जा रहे हैं। इस लेख को पढ़ कर आपको यह भलीभांति आईडिया हो जाएगा कि आखिरकार यह नागरिकता संशोधन बिल लाने की जरुरत क्या थी और इसके तहत किन उद्देश्यों की पूर्ति की (Citizenship amendment bill kyo lagu kiya gaya) जाएगी।

नागरिकता संशोधन बिल क्या है? (Citizenship amendment bill kya hai)

सबसे पहले बात करते हैं कि आखिरकार यह सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल या नागरिकता संशोधन बिल है क्या चीज़ और इसकी परिभाषा क्या (CAA kya hota hai) है। तो नागरिकता संशोधन बिल की परिभाषा के अनुसार जो भी व्यक्ति भारत देश में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आया है और यदि वह वहां के अल्पसंख्यक समुदाय अर्थात हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी तथा ईसाई समुदाय से है तथा वह भारत देश में 31 दिसंबर 2014 से पहले आ चुका है और तब से वह भारत देश में रह रहा है तो उसे नागरिकता संशोधन बिल के तहत भरत देश की नागरिकता प्रदान कर दी जाएगी।

यही सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की परिभाषा है जो भारत के पड़ोसी देशों में जो मजहब के नाम पर भारत से ही अलग हुए थे, वहां के अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से लाया गया एक बिल है। इसका उद्देश्य पूर्ण रूप से मानवीयता पर आधारित है क्योंकि इन तीनो देशों में जिस तरह से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, वह किसी भी देश से छुपे नहीं (Citizenship amendment bill ke bare mein jankari) हैं।

एक समय में यह तीनो देश ही हिंदू बहुमत थे लेकिन समय के साथ साथ यहाँ पर जैन, बौद्ध व सिख धर्म का भी उदय हुआ। फिर यहाँ पर मुगलों का आक्रमण हुआ और तभी से ही यहाँ पर बेतहाशा रक्तपात मचाया गया और अल्पसंखयकों पर अत्याचार किये गए। उसके बाद धीरे धीरे यहाँ पर पारसी व ईसाई समुदाय के लोग भी रहने लगे लेकिन उन्हें भी अत्याचार का सामना करना (Nagrikta sanshodhan bill ke bare mein jankari) पड़ा।

फिर जैसे जैसे यह देश अखंड भारत से अलग होकर अलग राष्ट्र बन गए और मुस्लिम शासन स्थापित हो गया तब से ही यहाँ की सत्ता के द्वारा परोक्ष रूप से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए। इसी का परिणाम है कि आज के समय में वहां अल्पसंख्यकों की संख्या बहुत ही नगण्य रह गयी है और अभी भी उन पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि भारत सरकार को मानवीयता का परिचय देते हुए नागरिकता संशोधन बिल लाना (CAA ke bare mein bataye) पड़ा।

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नागरिकता संशोधन बिल के नियम (Citizenship amendment bill rules in Hindi)

आपने नागरिकता संशोधन बिल की परिभाषा तो जान ली लेकिन भारत सरकार के द्वारा इसके लिए क्या क्या नियम बनाए गए हैं, उनका जानना भी आपके लिए अति आवश्यक हो जाता है। इन्हें जानने के बाद ही आपको सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल क्या है और यह किन नियमों पर आधारित कानून है, इसके बारे में गहराई से समझ में आएगा। तो आइए जाने आखिरकार इस CAA के तहत किन किन नियमों को बनाया गया है।

  • इसके तहत जो सबसे पहला नियम है वह केवल तीन देशों से ही आये अल्पसंखयकों पर निर्भर करता है जो भारत के पड़ोसी मुस्लिम राष्ट्र है। इनमे पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश ही आते हैं। अब भारत के तो और भी पड़ोसी देश है लेकिन वहां के लिए यह बिल लागू नही होता है क्योंकि ना तो वे मुस्लिम राष्ट्र है और ना ही वहां के लोगों या सरकार के द्वारा अल्पसंख्यकों पर किसी तरह का अत्याचार किया जाता है।
  • इसी तरह ऊपर बताये गए तीनों देशों से केवल 6 धर्म के लोगों अर्थात उन देशों के अल्पसंख्यकों को ही भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। इनमे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी तथा ईसाई धर्म को मानने वाले लोग सम्मिलित किये गए हैं। यदि इन देशों से कोई मुस्लिम आता है तो उसे अवैध प्रवासी माना जाएगा और भारतीय कानून के तहत कार्यवाही होगी।
  • इसके तहत जो भी इन 6 धर्मों के अनुयायी तीनों देशों से भारत देश में 31 दिसंबर 2014 से पहले ही आ गए थे और तब से लेकर अभी तक भारत देश में रह रहे थे तो उन्हें बिना किसी रोकटोक के भारत देश की नागरिकता प्रदान कर दी जाएगी।
  • इसी के साथ नागरिकता के पुराने कानून अर्थात 1955 के नागरिकता कानून के अनुसार भारत देश की नागरिकता लेने के लिए 11 वर्ष तक भारत देश में रहना अनिवार्य होता है किंतु इस नए कानून के अनुसार इन तीनो देशों से आये 6 धर्म के लोगों को केवल 5 वर्ष में ही भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
  • भारतीय नागरिकता मिलने का अर्थ हुआ कि नागरिकता संशोधन बिल के अनुसार इन्हें भारत देश के अन्य रहवासियों के जैसे ही सभी तरह की सुख सुविधाओं का लाभ उठाने की अनुमति होगी। इन्हें आधार कार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, बैंक अकाउंट इत्यादि सब कुछ खुलवाने की अनुमति होगी और सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठाया जा सकेगा।

CAA कानून कब बना? (CAA kanoon kab bana)

आपको यह भी जानना चाहिए कि भारत सरकार के द्वारा CAA को कानून का रूप कब दिया गया और यह लोक सभा व राज्य सभा से कब पास हुआ (Citizenship amendment bill kab parit hua) था। तो आपको बता दें कि इस बिल का पूरा नाम ही नागरिकता संशोधन बिल 2019 है क्योंकि यह वर्ष 2019 में ही पास हुआ था और कानून का रूप लिया था। वहीं यदि हम इसके लोक सभा व राज्य सभा से पास होने की तिथि देखें तो वह भी आपको बता देते हैं।

नागरिकता संशोधन बिल को 9 दिसंबर 2019 को भारत के गृहमंत्री श्रीमान अमित शाह जी के द्वारा लोकसभा के पटल पर रखा गया था। फिर दो दिन तक इस पर विचार विमर्श हुआ था और उसके बाद अगले ही दिन अर्थात 10 दिसंबर 2019 को इसे लोकसभा से पास कर दिया गया (Nagrikta sanshodhan bill kab bana) था। इसके बाद अगले दिन अर्थात 11 दिसंबर को इसे राज्यसभा में रखा गया था और उसी दिन ही इसे राज्य सभा से भी पारित कर दिया गया था।

फिर 12 दिसंबर 2019 को भारत देश के तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमान रामनाथ कोविंद जी के द्वारा इस नागरिकता संशोधन बिल पर हस्ताक्षर कर दिए गए थे और तब से ही यह भारतीय संविधान में एक अधिनियम के रूप में शामिल हो गया (CAA kab parit hua) था। उसके बाद भारत सरकार ने 10 जनवरी 2020 से इसे लागू कर दिया था और कार्य शुरू हो गया था।

नागरिकता संशोधन बिल का उद्देश्य (Nagrikta sanshodhan bill purpose in Hindi)

आपको यह भी जानना चाहिए कि आखिरकार भारत सरकार के द्वारा CAA लाने का क्या उद्देश्य था और उन्होंने किन परिस्थितियों में यह बिल लाया (CAA purpose in Hindi) था। तो यहाँ हम आपको एक एक करके तीनों देशों में वहां के अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बता देते हैं।

  • अफगानिस्तान एक तालिबानी प्रधान देश है जहाँ पर लगभग ज्यादातर जनसंख्या या तो आंतकवादी है या फिर आंतकवाद की समर्थक है। वहां पर अल्पसंख्यकों तो क्या मुस्लिम महिलाओं पर भी बहुत अत्याचार किये जाते हैं। इसी का परिणाम है कि वहां से लगभग हर धर्म ख़त्म हो चुका है और गिनती के ही अल्पसंख्यक बचे (Citizenship amendment bill ke kya uddeshya hai) हैं। वहां पर बस मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग ही रहते हैं और कुछ हज़ार सिक्ख समुदाय के लोग रहते हैं।
  • पाकिस्तान की स्थिति तो सभी जानते हैं कि किस तरह से वहां अल्पसंख्यकों का नरसंहार किया जाता है, उन्हें धर्म परिवर्तन करने पर विवश किया जाता है और हिंदू सिक्ख महिलाओं को जबरन उठा लेना, उनका बलात्कार या हत्या कर देना इत्यादि मामूली बात है। यही कारण है कि जब पाकिस्तान आजाद हुआ था तब वहां अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत के पास थी जो अब 2 से 3 प्रतिशत रह चुकी है।
  • यह दुर्भाग्य की ही बात है कि जिस बांग्लादेश को बचाने के लिए भारत देश की सेना ने पाकिस्तान से युद्ध किया और बांग्लादेश के लोगों को पाकिस्तान के चंगुल से छुड़ा कर उन्हें एक अलग देश बनाया, वहीं के लोग भारत को इस तरह का उपहार देंगे। धीरे धीरे ही सही लेकिन बांग्लादेश में भी मुस्लिम उग्रता बढ़ चुकी है और वहां हर दिन अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं।

अब चूँकि यह तीनों देश ही भारत देश का हिस्सा थे लेकिन मजहब के नाम पर अलग राष्ट्र बन गए थे तो यहाँ के अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना भारत देश का नैतिक दायित्व भी (Nagrikta sanshodhan bill ka kya uddeshya hai) था। इसी नैतिक दायित्व को समझते हुए भारत सरकार के द्वारा पुराने नागरिकता कानून में संशोधन किया गया और इसे नया रूप दिया गया।

नागरिकता संशोधन बिल क्या है – Related FAQs

प्रश्न: नागरिकता कानून क्या है?

उत्तर: नागरिकता कानून के बारे में इस लेख में पूरी जानकारी दी गयी है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।

प्रश्न: नागरिकता संशोधन विधेयक का अर्थ क्या है?

उत्तर: नागरिकता संशोधन विधेयक का अर्थ होता है कि पहले के नागरिकता कानून में संशोधन किया गया है और उसे नया रूप दिया गया है।

प्रश्न: नागरिकता में कितनी बार संशोधन हो चुका है?

उत्तर: नागरिकता में 6 बार संशोधन हो चुका है।

प्रश्न: नागरिकता संशोधन कब हुआ?

उत्तर: नागरिकता संशोधन वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005, 2015 और 2019 में हुआ।

इस तरह से आज के इस लेख से आपने यह जाना कि यह नागरिकता संशोधन बिल क्या होता है और इसे लागू करने के पीछे का क्या उद्देश्य था। फिर कभी यदि आपको कोई भी व्यक्ति इस कानून के नाम से भ्रम की स्थिति में डालने की कोशिश करे तो आप बिल्कुल भी उसकी बातों में ना आइएगा।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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