|| नैनो यूरिया क्या है? भारत में इसे कब लांच किया गया है? परंपरागत यूरिया के मुकाबले इसकी क्या खासियत हैं? नैनो यूरिया का प्रयोग, नैनो यूरिया कैसे बनता है, नैनो यूरिया संयंत्र, नैनो यूरिया कहां मिलेगा, इफको नैनो यूरिया तरल का कण आकार क्या है?, नैनो यूरिया की खोज किसने की, नैनो यूरिया online, नैनो यूरिया प्लांट इन इंडिया ||
हमारे देश में लगभग 70 फीसदी जनता अभी भी गांवों में निवास करती है एवं कृषि कार्य में संलग्न है। खेती की लगातार बढ़ रही लागत एवं कम हो रहे मुनाफे के बावजूद वे जैसे तैसे इस कार्य के सहारे अपनी आजीविका चला रहे हैं। ऐसे में सरकार लगातार इस प्रकार के तरीकों की खोज कर रही है, जिससे उनकी खेती पर लागत कम हो, साथ ही फसलों की उत्पादकता बढ़े।
इसे देखते हुए सरकार की पहल पर देश का पहला नैनो यूरिया कुछ समय पहले लांच किया गया है। नैनो यूरिया क्या है? भारत में इसे कब लांच किया गया है? परंपरागत यूरिया के मुकाबले इसकी क्या खासियत हैं? जैसे नैनो यूरिया से संबंधित विभिन्न सवालों का जवाब आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
यूरिया क्या है? इसे खाद के रूप में क्यों इस्तेमाल करते हैं? (What is Urea? Why it is used as fertilizer?)
दोस्तों, नैनो यूरिया के बारे में बात करने से पहले आइए जान लेते हैं कि यूरिया क्या है और उसे खाद के रूप में इस्तेमाल क्यों किया जाता है? दोस्तों, यूरिया एक कार्बनिक यौगिक (carbonic compound) होता है। बात यूरिया खाद की करें तो यूरिया खाद (Urea fertilizer) एक ऑर्गेनिक एवं स्टेबल (organic and stable) खाद है, जो मिट्टी की क्वालिटी को बेहतर करने के साथ ही पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करती है। इससे फसल की पैदावार में वृद्धि होती है। यह आमतौर पर सूखे, दानेदार रूप में मिलती है।
लेकिन अमूमन होता यह है कि नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान इसका का इस्तेमाल करता है तो पौधों को इसका आधे से भी कम हिस्सा मिलता है। जानकारों के अनुसार रबी की फसलें (गेहूं, सरसों आदि) इसका बमुश्किल 40 से 50 फीसदी ही इस्तेमाल कर पाती हैं। वहीं, खरीफ की फसलें (धान, मक्का आदि) परंपरागत यूरिया का 25 से 30 फीसदी इस्तेमाल कर पाती हैं।
मान लीजिए कि यदि आप इन फसलों को 100 किलोग्राम नाइट्रोजन देते हैं तो फसलें सिर्फ 25 फीसदी ले पाती हैं। बाकी का 75 फीसदी गैस बनकर हवा में उड़ जाता है या पानी की अधिकता होने पर फसलों के जड़ों के नीचे चला जाता है। नैनो यूरिया इसी समस्या का भी सॉल्यूशन (solution) है।
नैनो यूरिया क्या है? (What is Nano uria?)
दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि इन दिनों हर किसान की जुबान पर नैनो यूरिया (Nano uria) का नाम छाया हुआ है। यह नैनो यूरिया क्या है? आपके मन में भी यह सवाल अवश्य उठ रहा होगा। तो आपको बता दें कि नैनो यूरिया ठोस यूरिया (solid uria) का ही तरल (liquid) रूप है। विशेष बात यह है कि नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम (ppm) नाइट्रोजन (nitrogen) होता है, जो कि सामान्य यूरिया के एक पूरे बैग के बराबर पोषक तत्व प्रदान करता है।
नैनो यूरिया का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How one can use Naino uria?)
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। आपको बता दें कि नैनो यूरिया का इस्तेमाल फसल की पत्तियों पर छिड़काव के माध्यम से करते हैं। किसान को इस यूरिया के छिड़काव के लिए एक लीटर पानी में 2-4 मिलीलीटर नैनो यूरिया मिलाना होता है। एक फसल में दो बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया जाता है। जानकारों का कहना है कि जब हम पत्तियों पर इसका छिड़काव करते हैं तो सारा का सारा नाइट्रोजन सीधे पत्तियों में चला जाता है। इसलिए यह परंपरागत यूरिया (traditional Urea) की तुलना में ज्यादा कारगर होता है। नैनो यूरिया को किसानों के लिए बेहद सुविधाजनक एवं किफायती समझा जा रहा है।
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नैनो यूरिया की क्या खासियत है? (What are the specialities of Nano Urea?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि अपनी खासियतों के चलते नैनो यूरिया किसानों में बेहद लोकप्रिय हो रहा है। क्या आप भी इसकी विशेषताएं जानना चाहते हैं? यदि हां तो ये इस प्रकार से हैं-
- सामान्य यूरिया से पौधों को 30 प्रतिशत नाइट्रोजन मिलता है, जबकि नैनो यूरिया से 90 प्रतिशत नाइट्रोजन प्राप्त होता है।
- नैनो यूरिया के इस्तेमाल से पर्यावरण (environment), पानी (water) एवं मिट्टी (soil) का प्रदूषण नहीं होता।
- इसका ट्रांसपोर्टेशन (transportation) एवं रखरखाव (maintenance) का खर्च बेहद कम है। मसलन, जहां किसान को सामान्य यूरिया की 10 बोरी ले जाने के लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती है, वहीं नैनो यूरिया की 10 बोतलें आसानी से एक झोले में रखकर ले जा सकता है।
- इसे रखने के लिए बड़े-बड़े गोदामों की जरुरत नहीं है। इससे लागत कम हो जाती है।
- किसानों को सस्ती दर पर खाद उपलब्ध हो जाती है।
- परंपरागत यूरिया की तुलना में अधिक कारगर होता है।
- परंपरागत यूरिया की खपत करीब 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
भारत में नैनो यूरिया कब लांच किया गया? (When Nano Urea was launched in India?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है। इफ्को (IFFCO) द्वारा विकसित किया गया नैनो यूरिया एकमात्र ऐसा नैनो फर्टिलाइजर है, जिसे भारत सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गई है एवं फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (fertilizer control order) में शामिल किया है। इफ्को यानी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (Indian farmers fertilizer cooperative limited) ने इसे 31 मई, 2021 में लांच किया था।
लांचिंग से पूर्व नैनो यूरिया की टेस्टिंग कितनी फसलों पर हुई? (On how many crops nano Urea was tested before launching?)
मित्रों, आपको बता दें कि लांचिंग से पहले नैनो यूरिया के देश भर में 94 फसलों पर 11 हजार कृषि क्षेत्र परीक्षण (agriculture field test) किए गए। इसके पश्चात इसे आम आदमी के लिए विकसित किया गया। विशेषकर धान, आलू, गन्ना, गेहूं एवं अन्य कई प्रकार की सब्जियों की फसलों पर इसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिले।
इफको का नैनो यूरिया कामर्शियल (commercially) रूप से विकसित दुनिया का पहला नैनो यूरिया बताया जा रहा है। बता दें कि एक वर्ष में इफको ने 2.9 करोड़ बोतल नैनो यूरिया का उत्पादन किया है, जो 13.05 लाख मीट्रिक टन परंपरागत यूरिया के बराबर है। भविष्य में भी इसकी परफॉर्मेंस के प्रति विशेषज्ञ पूरी तरह से आश्वस्त हैं।
भारत का पहला नैनो यूरिया प्लांट कहां लगाया गया है? (Where the first Nano Urea plant of India has been established?)
दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि भारत का पहला नैनो यूरिया प्लांट गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित कलोल में लगाया गया है। इसका उद्घाटन 28 मई, 2022 को स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा किया गया है। विशेष बात यह है दोस्तों कि नैनो यूरिया (Nano Urea) के जरिए फसल की पैदावार में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर अल्ट्रा मॉडर्न नैनो फर्टिलाइजर प्लांट (ultra modern nono fertilizer plant) की स्थापना की गई है।
इस प्लांट की स्थापना पर लगभग 175 करोड़ रुपए की मोटा मोटी लागत आई है। दोस्तों, अब इस प्लांट की क्षमता पर बात कर लेते हैं। बताया जाता है कि इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की करीब 1.5 लाख बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। हमारे देश में खाद की आवश्यकता को पूरा करने के मद्देनजर इस प्लांट को बेहद महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस प्लांट के शुरू होने के साथ ही देश में बड़ी मात्रा में नैनो यूरिया की कमी दूर होगी। इसके अतिरिक्त किसानों को सदैव की भांति खाद की किल्लत का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
सामान्य यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया की कीमत में कितना अंतर है? (What is the difference between general urea and nano Urea?)
मित्रों, अभी तक हमने आपको नैनो यूरिया के लाभ बताए। नैनो यूरिया सामान्य यानी ठोस यूरिया के मुकाबले काफी किफायती है। दोनों यूरिया की कीमतों के बीच का अंतर भी इसे स्पष्ट कर देता है। जैसे-नैनो यूरिया की आधा लीटर बोतल की कीमत (price) 240 रुपए है। यह एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त माना जाता है।
वहीं, इतने में प्रयुक्त यूरिया के एक बैग की कीमत कुल 266.50 रुपए है। इस प्रकार से देखा जा सकता है कि सामान्य यूरिया के मुकाबले नैनो यूरिया पर ग्राहकों को अच्छी खासी बचत संभव है। पौधों को अच्छे पोषण और पैसे की बचत की वजह से ही नैनो यूरिया को भविष्य का यूरिया माना जा रहा है। यह भी माना जा रहा है कि इस यूरिया से हमारे देश भारत में कृषि सेक्टर की तस्वीर बदल सकती है।
मित्रों, आपको भी पता है कि हमारे देश की केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई तरह की योजनाएं बना रही है। कृषि क्षेत्र (agriculture sector) में नैनो यूरिया का इस्तेमाल किसानों की फसलों की उत्पादकता (productivity of crops) बढ़ाकर उनकी आय बढ़ाने का काम कर सकती है। इससे परोक्ष रूप से केंद्र सरकार (Central government) का किसानों की आय दोगुनी (income double) करने का उद्देश्य भी साथ साथ आसानी से पूरा हो सकता है।
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नैनो यूरिया क्या है?
नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल यानी लिक्विड (liquid) स्वरूप है।
नैनो यूरिया से क्या लाभ है?
इससे खाद सस्ती दर पर उपलब्ध होंगी, क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन की लागत कम होगी। इसके अलावा यूरिया की 50% खपत कम की जा सकती है। साथ ही, इससे नाइट्रोजन का पोषण सीधे पौधे तक पहुंचाया जा सकता है।
नैनो यूरिया से पौधों को कितना नाइट्रोजन प्राप्त होता है?
सामान्य यूरिया से पौधों को 30 प्रतिशत नाइट्रोजन मिलता है, जबकि नैनो यूरिया से 90 प्रतिशत मिलता है।
भारत में नैनो यूरिया का पहला प्लांट कहां लगा है?
भारत में नैनो यूरिया का पहला प्लांट गुजरात के गांधीनगर स्थित कलोल में लगा है।
देश का यह पहला नैनो यूरिया प्लांट कब शुरू हुआ है?
इस प्लांट का उद्घाटन हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई 2022 को किया है।
इस नैनो यूरिया प्लांट की स्थापना पर कितनी लागत आई है?
इस नैनो यूरिया प्लांट की स्थापना पर कुल 175 करोड़ रुपए की लागत आई है।
भारत सरकार द्वारा किस नैनो यूरिया को मान्यता प्रदान की गई है?
भारत में इफ्को द्वारा विकसित नैनो यूरिया को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गई है।
इफ्को नैनो यूरिया को कब लांच किया गया है?
इफ्को नैनो यूरिया को 31 मई, 2021 को लांच किया गया है।
मित्रों, इस पोस्ट (post) में हमने आपको नैनो यूरिया (Nano Urea) के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी। यदि आप किसान हैं अथवा कृषि कार्य से जुड़े हैं तो इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करना ना भूलें। आपको यह पोस्ट कैसी लगी? अथवा आपका कोई सवाल है, तो हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके बता सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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