नार्को टेस्ट क्या है? | नार्को टेस्ट कब और कैसे किया जाता हैं? | Narco test kya hai

Narco test kya hai:- पुलिस अपराध की तह तक जाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करती है लेकिन अपराधी भी बहुत शातिर होते हैं। अब कुछ अपराधी तो आसानी से पकड़ में आ जाते हैं जबकि कुछ को पकड़ना या उन्हें दंड दिलवाना बहुत ही मुश्किल होता है। उन अपराधियों पर पुलिस कई तरह के टेस्ट और टॉर्चर इस्तेमाल में लाती है। पहले तो उससे सामान्य पूछताछ की जाती है और फिर उसे डराया धमकाया जाता (What is the procedure of narco test in Hindi) है।

यदि इससे भी बात नहीं बनती है तो फिर न्यायलय की अनुमति से उसे रिमांड पर लिया जाता है। अब यदि रिमांड भी इतनी लाभदायक नहीं होती है तो पुलिस उसका पॉलीग्राफ टेस्ट करने की अनुमति न्यायालय से लेती है। पॉलीग्राफ मशीन की सहायता से व्यक्ति का झूठ पकड़ने का काम किया जाता है लेकिन कई बार अपराधी इसे भी चकमा दे देते हैं। फिर अंतिम और बड़े टेस्ट के रूप में उस अपराधी का नार्को टेस्ट करवाया जाता (Is narco test dangerous in Hindi) है।

आपने कई संगीन अपराधों में इस नार्को टेस्ट का नाम सुन रखा होगा जो कई आतंकवादियों, श्रद्धा मर्डर केस में आफ़ताब, आरुशी मर्डर केस इत्यादि में हुआ था। तो यह नार्को टेस्ट बहुत ही सहायक लेकिन हानिकारक भी होता है। सहायक यह पुलिस के लिए और हानिकारक यह अपराधी के लिए होता है। तो यह नार्को टेस्ट क्या होता है जिसके बारे में इतना हो हल्ला मचता है। आइये जाने इस नार्को टेस्ट के बारे में विस्तार (Narco test kya hai in Hindi) से।

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नार्को टेस्ट क्या है? (Narco test kya hai) 

आपने पहले अवश्य ही नार्को टेस्ट के बारे में सुन रखा होगा क्योंकि समाचार में इसको लेकर बहुत हो हल्ला मचा हुआ रहता है। जब भी कोई संगीन अपराध होता है और उससे जुड़ा अपराधी पकड़ा जाता है तो अपराध की तह तक जाने और हुए अपराध के बारे में सटीक रूप से पता लगाने के लिए नार्को टेस्ट लिया जाता है। हालाँकि इसे लेना इतना आसान नहीं होता है क्योंकि पुलिस को न्यायालय के सामने सभी तरह के साक्ष्य और कारण रखने होते हैं और उन्हें आश्वस्त करना होता है कि अपराधी का नार्को टेस्ट लिया जाना बहुत आवश्यक (What is narco test in Hindi) है।

नार्को टेस्ट क्या है नार्को टेस्ट कब और कैसे किया जाता हैं Narco test kya hai

तब जाकर उन्हें नार्को टेस्ट करने की अनुमति मिलती है। तो यह नार्को टेस्ट एक ऐसा टेस्ट होता है जिसमें किसी व्यक्ति को सम्मोहित किया जाता है। अब यह सम्मोहन वैसा नहीं है जैसा आप सामान्य तौर पर या टीवी में देखते हैं जिसमें एक घड़ी या चैन को व्यक्ति की आँखों के सामने इधर उधर घुमाकर उसे वश में कर लिया जाता है। यह दवाइयों की सहायता से सम्मोहन में लेने वाला टेस्ट होता है और इसी कारण इसे हानिकारक या खतरनाक माना जाता (What’s narco test in Hindi) है।

इसमें डॉक्टर की सहायता से एक विशेष तरह की डोज को व्यक्ति के शरीर में इंजेक्शन से पहुँचाया जाता है जिसके बाद वह सम्मोहित हो जाता है लेकिन ना तो वह सो रहा होता है और ना ही उठा हुआ होता है। वह इस तरह से सम्मोहित हो जाता है कि उसके सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है और जो उससे पूछा जा रहा है, वह उसका बिना सोच विचार किये उत्तर दे रहा होता है। एक तरह से वह पुलिस के सभी प्रश्नों का उत्तर दे रहा होता (Narco test ke bare mein bataen) है।

इस टेस्ट के मध्यम से पुलिस को बहुत सी जानकारी को जुटाने में सहायता मिलती है और वह एक के बाद एक प्रश्न उससे पूछ रही होती है। इस टेस्ट को होते हुए भी आपने कई बार मूवीज या सीरियल में देखा होगा जब किसी अपराधी को अस्पताल के बेड पर लिटाकर और उसे बेहोश कर उससे तरह तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। तो इसे ही हम सभी नार्को टेस्ट के नाम से जानते हैं। आइये इसके बारे में और जानकारी भी ले लेते (Narco test kya hota hai) हैं।

नार्को टेस्ट को और क्या कहते हैं? (Narco test other name in Hindi)

सामान्य तौर पर इसे नार्को टेस्ट के नाम से ही जाना जाता है लेकिन कई बार इसे इसके काम की वजह से अन्य नाम से भी बुलाया जा सकता है। अब नार्को टेस्ट का जो अन्य नाम है वह है धोखा पकड़ने वाला टेस्ट जिसे अंग्रेजी में Deception Detection Test कहा जाता है। इसमें पुलिस व डॉक्टर के द्वारा व्यक्ति को एक तरह से अचेत अवस्था में पहुंचाकर उसे धोखा दिया जाता है कि वह एकदम सही है।

कहने का अर्थ यह हुआ कि व्यक्ति मंत्र मुग्ध या सम्मोहित हो जाता है जिसे अंग्रेजी में Hypnotize भी कहते हैं। एक तरह से वह नशे की हालत में होता है जिससे तरह तरह के सवाल जवाब किये जाते हैं। उस समय उसके सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और इसी कारण इसे धोखा देकर पकड़ने वाला टेस्ट कहा जाता है।

नार्को टेस्ट क्यों होता है? (Why is narco test done in Hindi)

आप यह भी जान लें कि आखिरकार किन परिस्थितियों में नार्को टेस्ट लेना पड़ सकता है। तो बहुत बार यह देखने में आता है कि अपराध बहुत ही ज्यादा संगीन होता है और वह मीडिया में बहुत बड़ा रूप ले लेता है। दिन रात उसको लेकर तरह तरह की बहस व चर्चाएँ देखने को मिलती है और जनता में उसको लेकर आक्रोश साफ देखने को मिलता है। उस स्थिति में पकड़े गए व्यक्ति से अपराध की तह तक जल्द से जल्द पहुंचना और कोर्ट के समक्ष सही साक्ष्य को रखना बहुत ही जरुरी हो जाता है।

ऐसे में पुलिस को जब अन्य जांच में इतना सहयोग नहीं मिलता है और अपराधी बहुत ही बुरी किस्म का व्यक्ति होता है तो उसका नार्को टेस्ट किया जाना बहुत ही ज्यादा ज़रूरी हो जाता है। उस स्थिति में अपराधी का नार्को टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा आतंकवादियों, देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक व्यक्तियों, देशद्रोह या राज्य द्रोह में पकड़े गए व्यक्तियों इत्यादि का नार्को टेस्ट तो आसानी से किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए न्यायालय भी अनुमति देने को बाध्य हो जाता है।

नार्को टेस्ट के लिए क्या करना होता है? (Narco test ke liye kya karna padta hai)

अब यदि पुलिस को किसी अपराधी का नार्को टेस्ट लेना है तो उसके लिए न्यायालय की अनुमति लेनी बहुत ही ज्यादा आवश्यक होती है। कोई भी पुलिस केवल अपने आप से ही नार्को टेस्ट नहीं ले सकती है। इसी के साथ ही नार्को टेस्ट की अनुमति कोर्ट से सामान्य तौर पर नहीं मिल जाती है क्योंकि इससे सामने वाले व्यक्ति के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो सकता है या उसे ताउम्र के लिए किसी विकार के सहारे रहना पड़ सकता है। इस स्थिति में न्यायालय बहुत ही सोच समझ कर नार्को टेस्ट करने की अनुमति देता है।

इसी के साथ ही नार्को टेस्ट से पहले अन्य तरह के तरह टेस्ट करने जरुरी होते हैं और यदि वे नाकाम रहते हैं तो नार्को टेस्ट की अनुमति मिल पाती है। इसके लिए पुलिस पहले थर्ड डिग्री टॉर्चर, पॉलीग्राफ टेस्ट, सम्मोहन टेस्ट इत्यादि कई तरह के टेस्ट ले लेती है लेकिन यदि इससे भी संभावित परिणाम नहीं निकलते हैं तो अंत में जाकर नार्को टेस्ट करने की अनुमति पुलिस को कोर्ट से मिलती है। इसलिए इसकी अनुमति लेने के लिए पुलिस को बहुत परिश्रम करने की जरुरत होती है।

नार्को टेस्ट से पहले क्या होता है? (Narco test se pahle kya hota hai)

जिस दिन व्यक्ति का नार्को टेस्ट किया जाना होता है, उससे पहले कई तरह की चीज़ों को ध्यान में रखना होता है। नार्को टेस्ट करने से पहले उस व्यक्ति के शरीर की पूरी तरह से जांच की जाती है और यह देखा जता है कि क्या वह नार्को टेस्ट के लिए पूरी तरह से तैयार है या नहीं। इसके लिए डॉक्टर उसकी हर तरीके से जांच करता है और यह पता लगाता है कि वह किसी गंभीर बीमारी या अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना तो नहीं कर रहा है।

एक तरह से उसका फिटनेस लेवल देखा जाता है और उसके आधार पर यह पक्का किया जाता है कि उसका नार्को टेस्ट लिया जा सकता है। इसके बाद डॉक्टर उसको क्लीन चिट दे देते हैं जिसके आधार पर नार्को टेस्ट की प्रक्रिया में आगे बढ़ा जाता है।

नार्को टेस्ट कौन लेता है?

अब आपका अगला प्रश्न होगा कि आखिरकार किस किस के द्वारा नार्को टेस्ट लिया जाता है। तो इसके लिए बहुत ही सावधानी बरती जाती है जिसमें एक स्पेशल डॉक्टर को बुलाया जाता है जो नार्को टेस्ट लेने का अनुभव रखता है। इसी के साथ ही मनोवैज्ञानिक या साइकोलोजिस्ट को भी बुलाया जाता है जो नार्को टेस्ट के समय व्यक्ति के हाव भाव पर नज़र रखता है और उससे तरह तरह के प्रश्न पूछता है।

पुलिस का एक अधिकारी भी उस समय वहां मौजूद होता है ताकि उसके सामने सभी तरह की जांच हो सके। एक वीडियो रिकॉर्डर वहां होता है जो पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग करता है। डॉक्टर के साथ नर्स का स्टाफ वहां होता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध करवायी जा सके। इन सभी के अलावा अपराधी का वकील, सामने वाले पक्ष का वकील व तकनीशियन इत्यादि भी वहां होते हैं।

नार्को टेस्ट में किस दवाई का इस्तेमाल होता है? (Narco test medicine in Hindi)

नार्को टेस्ट में व्यक्ति को Hypnotize करने के लिए एक दवाई का इस्तेमाल किया जाता है जो इंजेक्शन के रूप में व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट की जाती है। इसके लिए जो डोज उपयोग में लायी जाती है वह कई तरह का मिश्रण हो सकती है जिसे आमतौर पर Truth Serum के नाम से भी जाना जाता है अर्थात सच बोलने वाली डोज। अब इसमें कई तरह के ड्रग को इंजेक्ट किया जाता है।

इन ड्रग में sodium pentothal, scopolamine and sodium amytal इत्यादि तरह की दवाइयां आती है जो व्यक्ति को Hypnotize कर सकती है। हालाँकि इसकी कितनी मात्रा उस व्यक्ति को देनी है, यह पूर्ण रूप से डॉक्टर के द्वारा व्यक्ति के वजन और उसकी टेस्ट रिपोर्ट को ध्यान में रखकर दिया जाता है। नार्को टेस्ट के दौरान व्यक्ति को बीच बीच में और डोज दी जा सकती है ताकि उसको Hypnotize स्टेज में ही रखा जा सके।

नार्को टेस्ट कैसे होता है? (Narco test kaise hota hai)

अब करते हैं मुख्य मुद्दे की बात और वह है नार्को टेस्ट को लिए जाने की। तो इसके लिए पहले व्यक्ति के सभी तरह के जरुरी टेस्ट ले लिए जाते हैं और जब डॉक्टर नार्को टेस्ट के लिए क्लीन चिट दे देते हैं तो उसे अस्पताल के बेड पर लिटा दिया जाता है। इसके पश्चात डॉक्टर के द्वारा ही उसे नार्को टेस्ट के दौरान दी जाने वाली डोज दे दी जाती है जिससे वह एनेस्थिसिया की स्टेज में चला जाता है। यह एक ऐसी स्टेज होती है जब व्यक्ति आँखें बंद करके लेटा रहता है लेकिन जब उससे कुछ पूछा जाता है तो वह उसका उत्तर दे पाता (How narco test work in Hindi) है।

हालाँकि नार्को टेस्ट के दौरान व्यक्ति से लंबे जवाब नहीं पूछे जा सकते हैं क्योंकि वह केवल एक दो शब्दों से लेकर एक छोटी पंक्ति में ही उसका उत्तर दे सकता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि उससे हा नहीं, सही गलत, गया था, नहीं गया था, किया था, नहीं किया था, किसी व्यक्ति का नाम, स्थान, समय, हथियार इत्यादि के नाम के बारे में पूछा जाता है। वह इसलिए क्योंकि वह व्यक्ति सम्मोहित या Hypnotize हुआ होता है और उस स्थिति में उससे कुछ भी लंबे सवाल पूछने पर कोई उत्तर नहीं मिलता (Narco test kaise karte hain) है।

तो जब व्यक्ति Hypnotize हो जाता है और डॉक्टर उससे प्रश्न पूछने की अनुमति दे देते हैं तो मनोवैज्ञानिक उससे प्रश्न पूछने लगते हैं। हालाँकि इस दौरान उसके दिल की धड़कन, नाड़ी की गति, सांस लेने की गति, रक्त प्रवाह इत्यादि को मॉनिटर किया जाता है ताकि किसी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। उससे लगातार प्रश्न पूछे जाते हैं लेकिन इसकी भी एक समय सीमा होती है क्योंकि व्यक्ति को ज्यादा देर तक Hypnotize नहीं रखा जा सकता (Narco test use in Hindi) है।

ऐसे में उस समय सीमा तक या उसके पहले तक डॉक्टर की अनुमति से ही वह नार्को टेस्ट लिया जा सकता है। फिर चाहे उस समय सीमा तक पुलिस के सभी डाउट क्लियर हो चुके हो या नहीं। यदि नहीं तो भी उस टेस्ट को बीच में रोक लिया जाता है क्योंकि डॉक्टर के द्वारा अनुमति नहीं मिलती है और वीडियोग्राफी को भी बीच में नहीं रोका जा सकता (Narco test rules in Hindi) है। 

नार्को टेस्ट के बाद क्या होता है? (Narco test ke baad kya hota hai)

जब नार्को टेस्ट संपन्न हो जाता है तो पुलिस को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाती है। हालाँकि नार्को टेस्ट की रिपोर्ट न्यायालय में भी मान्य होती है लेकिन इसे केवल एक साक्ष्य के तौर पर ही लिया जाता है और न्यायालय इसे पुख्ता सुबूत नहीं मानती है। वह इसलिए क्योंकि Hypnotize की अवस्था में एक व्यक्ति की बातों पर आँख बंद करके भरोसा नहीं किया जा सकता है और नार्को टेस्ट किसी के अपराध को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नही होता है। यदि ऐसा होता तो न्यायालय कभी की बंद हो चुकी होती और पुलिस सभी अपराधियों का नार्को टेस्ट करके ही उसे दंड दे चुकी होती।

ऐसे में नार्को टेस्ट को कभी भी अंतिम परिणाम या ठोस साक्ष्य के रूप में नहीं माना जाता है। इसे पुलिस न्यायालय में केवल अपने प्रमाण को और मजबूती देने के लिए ही रख सकती है। हालाँकि इस नार्को टेस्ट की सहायता से पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ाने, कुछ अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर पाने और उसके अनुसार केस की तह तक पहुँचने में बहुत मदद मिलती है। एक तरह से यह पुलिस के लिए बहुत ही सहायक होता है जो केस को जल्द से जल्द सुलझाने में उनकी मदद करता है।

क्या नार्को टेस्ट फैल हो सकता है? (Can narco test be wrong in Hindi)

अब आप यह मत सोचिये कि नार्को टेस्ट इतना बड़ा टेस्ट है तो वह हमेशा सफल ही रहता है। दरअसल इस टेस्ट के दौरान जो डोज व्यक्ति को दी जाती है, वह जरुरी नहीं है कि उस पर संपूर्ण रूप में काम करे। कहने का अर्थ यह हुआ कि यह डोज तो अपना काम करती है लेकिन यह किस हद्द तक काम करती है या फिर सामने वाले व्यक्ति की प्रतिक्रिया क्या होती है, उस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। नार्को टेस्ट के दौरान व्यक्ति पूरी तरह से होश में नहीं होता है और वह पूछे गए प्रश्नों के कुछ शब्दों में उत्तर दे रहा होता (Is narco test 100 accurate in Hindi) है।

अब यह जरुरी नहीं है कि वह हर प्रश्न का उत्तर दे या उससे एक बार पूछने पर ही उनका उत्तर दे दे। यह व्यक्ति सोच समझ कर नहीं कर रहा होता है क्योंकि उस समय उसकी मेधा शक्ति काम करना बंद कर देती है। ऐसे में वह कुछ प्रश्नों के सटीक उत्तर दे सकता है तो कुछ के उत्तर धीमी आवाज में या घबराहट में या ऐसी भाषा में दे सकता है जिसे समझना वहां खड़े व्यक्ति के लिए मुश्किल होता है। तो वहीं कुछ प्रश्नों के उत्तर वह नहीं देता है या फिर उसे समझ नहीं आता है कि वह उसका क्या उत्तर दे।

इसी के साथ ही नार्को टेस्ट के दौरान जो भी उससे प्रश्न पूछ रहा है, वह उस पर ज्यादा दबाव नहीं डाल सकता है। वह इसलिए क्योंकि यदि उस पर उत्तर देने का ज्यादा दबाव डाला गया तो डोज के प्रभाव से उसके दिल की धड़कन व ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है जिससे उसकी मौत हो सकती है या कोई अन्य गंभीर बीमारी हो सकती है। यदि टेस्ट के बीच में ऐसा कुछ देखने को मिलता है या व्यक्ति की हालत बिगड़ने लगती है तो डॉक्टर तुरंत उस टेस्ट को रोक देते हैं। उस स्थिति में नार्को टेस्ट या तो फैल हो जाता है या सही से पूरा नहीं हो पाता है।

नार्को टेस्ट के दुष्परिणाम क्या होते हैं? (Narco test side effects in Hindi)

अब इस नार्को टेस्ट के कई तरह के दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यदि व्यक्ति के शरीर में कम डोज दी गयी है तो उससे पूछे जा रहे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं मिल पाता है और पुलिस ने जो इतनी मेहनत की थी उसका उचित परिणाम नहीं निकलता है। वहीं यदि उसको ज्यादा डोज दे दी जाती है तो व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। किन्तु सामान्य तौर पर भी उसके अन्य दुष्परिणाम या प्रभाव देखने को मिलते हैं जो नार्को टेस्ट होने के बाद पता चलते (Narco analysis side effects in Hindi) हैं।

इससे व्यक्ति में चिड़चिड़ापन, तनाव, अवसाद इत्यादि देखने को मिलता है। वह कुछ दिनों के लिए ज्यादा सो सकता है या अजीब व्यवहार कर सकता है। उसको मानसिक समस्या हो सकती है या वह हमेशा के लिए कम दिमाग वाला बन सकता है। वह कोमा में भी जा सकता है या उसके शरीर के किसी हिस्से को पैरालिसिस भी हो सकता है इत्यादि। इस तरह से नार्को टेस्ट से एक नहीं बल्कि कई तरह के दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

नार्को टेस्ट क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: नार्को टेस्ट से क्या पता चलता है?

उत्तर: यह टेस्ट अपराधी को सम्मोहित की स्थिति में पहुंचा कर किया जाता है और फिर अपराधी के सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह सब सच बोलता है।

प्रश्न: नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है?

उत्तर: नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है इसके बारे में जानने के लिए आप ऊपर हमारे द्वारा लिखा हुआ लेख पढ़ सकते हो।

प्रश्न: नार्को टेस्ट में कौन सी दवा दी जाती है?

उत्तर: नार्को टेस्ट में सोडियम पेंटोथेल दवा दी जाती है।

प्रश्न: क्या नार्को टेस्ट खतरनाक है?

उत्तर: नार्को टेस्ट से क्या दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं इसके बारे में जानकारी हमने ऊपर के लेख में विस्तार से दी है जो आप पढ़ सकते हो।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने नार्को टेस्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल कर ली है। आपने जाना कि नार्को टेस्ट क्या है नार्को टेस्ट क्यों होता है नार्को टेस्ट में किस दवाई का इस्तेमाल होता है नार्को टेस्ट फेल हो सकता है क्या और नार्को टेस्ट के दुष्परिणाम क्या हैं इत्यादि। आशा है कि जो जानकारी लेने के लिए आप इस लेख पर आए थे वह आपको मिल गई होगी। फिर भी यदि कोई प्रश्न आपके मन में शेष है तो आप हम से नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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