आपने देखा होगा कि कई बार पुलिस किसी अपराधी को थर्ड डिग्री देकर भी परेशान हो जाती है, लेकिन वह मुंह खोलने और अपना जुर्म कुबूल करने को तैयार नहीं होता। वहीं कई ऐसे high profile केस आते हैं, जिन्हें खोलने का पुलिस पर जबरदस्त दबाव होता है। लेकिन उसके सारे जांच अस्त्र असफल साबित हो चुके होते हैं। ऐसे में अपराधी से सच उगलवाने के लिए उसकी ओर से Narco Test का सहारा लिया जाता है। इस Test को Narco analysis नाम से भी पुकारा जाता है। इस Test के बारे में जानने के लिए आइए करीब 12 साल पहले चलें।
आपको चर्चित निठारी कांड जरूर याद होगा। निठारी में एक के बाद एक हुई बच्चों की मौतों का सच सामने लाने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियों पर बहुत दबाव था। ऐसे में निठारी कांड के मुख्य अभियुक्तों मनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली पर Narco Test आजमाया गया। उस वक्त इस Test की चर्चा हर जुबान पर थी। और इतना पीछे जाने की भी जरूरत नहीं। करीब डेढ़ साल पहले ही जम्मू कश्मीर राज्य के कठुआ जिले में आरिफा नाम की बच्ची के साथ हुए रेप कांड में भी अभियुक्तों का नार्को टेस्ट किए जाने की मांग प्रमुख तौर से उठी थी।
उम्मीद की जा रही थी कि इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। साथियों, क्या आप जानते हैं कि नार्को टेस्ट क्या है? यह कब शुरू हुआ या फिर इसे कैसे किया जाता है? अगर आपका जवाब न में है तो भी चिंता करने की जरूरत नहीं। आज हम आपको Narco Test से जुड़ी Narco Test in Hindi, Narco Test Kya Hai, Narco Test Kya Hota Hai, What is Narco Test in Hindi की बारीक से बारीक जानकारी तफ्सील से देने की कोशिश करेंगे। आइए जानते हैं Narco Test के बारे में।
Narco Test क्या है? इससे सच कैसे उगलवाया जाता है?
साथियों, Narco Test एक ऐसा Test है, जिसके जरिए किसी व्यक्ति से सच बुलवाने की कोशिश की जाती है। अब आपको बताते हैं कि यह Test किया कैसे जाता है। दरअसल, इस Test के तहत अपराधी को truth serum, जिसे truth drug भी कहा जाता है, का इंजेक्शन लगाया जाता है। इस इंजेक्शन की डोज शरीर में जाते ही अपराधी अर्धबेहोशी की हालत में चला जाता है। उसका शरीर शिथिल हो जाता है और उसका दिमाग प्रतिक्रिया देना धीमा कर देता है।
ऐसे में वह झूठी बातें बना पाने की स्थिति में नहीं होता और व्यक्ति सच उगल देता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति को झूठ बोलने के लिए दिमाग से काफी सोचने की जरूरत पड़ती है और बेहोशी जैसी स्थिति में वह इस काबिल नहीं होता। इसीलिए इस Test को सच उगलवाने के लिए एक बेहतर तरीका माना जाता है। इंजेक्शन के जरिये सोडियम पैंटथाल या फिर सोडियम एमाइटल की डोज दी जाती है,जो कि शरीर में जाते ही अपना असर दिखाती है।
Narco Test हमेशा कारगर हो, जरूरी नहीं –
बेशक Narco Test को सच बाहर लाने के लिए एक Tested तरीका माना जाता है, लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि नार्को टेस्ट में भी कई मामलों में सचाई सामने नहीं आ पाती। यह सारा दवा की dose के बाद व्यक्ति की मानसिक अवस्था से जुड़ा मामला होता है। कई व्यक्ति अर्द्धमूर्छित अवस्था में भी स्वयं पर नियंत्रण रखने में कामयाब रहते हैं।
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भारत में Narco Test के लिए जरूरी है Court का आदेश –
अपने देश यानी भारत में किसी भी अपराधी का Narco Test पुलिस कभी भी अपनी मर्जी से नहीं कर सकती। इसके लिए उसे Court से आदेश की जरूरत होती है। अक्सर किसी भी बड़े केस में सच के करीब पहुंचने के लिए CBI या अन्य investigative agencies इस Test का सहारा लेती हैं। इसके अलावा अपराधी से सच कुबूलवाने के लिए brain mapping, जिसे P-300 Test भी पुकारा जाता है और lie detector जैसे टेस्ट भी बहुधा कराए जाते हैं।
कर्नाटक Court ने कुछ समय पहले Narco Test के लिए व्यक्ति की अनुमति भी की जरूरी –
दोस्तों, लगे हाथ आपको यह भी बता दें कि हमारे देश की कर्नाटक राज्य की Court ने कुछ समय पहले Narco Test के लिए उस व्यक्ति की अनुमति भी जरूरी की, जिस पर यह Test किया जाना है। इसके अलावा brain mapping के लिए भी पहले संबंधित व्यक्ति से इजाजत को जरूरी किया गया है। इस Test से पूर्व संबंधित व्यक्ति की चिकित्सा जांच को भी आवश्यक किया गया है।
कई बार मौत की भी आशंका रहती है इस Test के दौरान –
इस Test के दौरान कई बार व्यक्ति की मौत की भी आशंका रहती है। दरअसल ऐसा दवा की अधिक डोज दे दिए जाने की वजह से होता है। ऐसे में डोज ग्रहण करने वाला व्यक्ति कोमा में चला जाता है और कभी कभी स्थिति इस कदर खराब हो जाती है कि संबंधित व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। ऐसे में इस Narco Test की इजाजत अभी तक सीधे सीधे नहीं मिली है। कोर्ट का आदेश इसीलिए जरूरी किया गया है। इसके साथ ही Specialist की मौजूदगी भी।
Test से पहले की जाती है medical जांच –
Narco Test से पहले व्यक्ति की medical जांच भी कराई जाती है। देखा जाता है कि व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है कि नहीं और वह इस Test को झेलने लायक है कि नहीं। अगर जांच में व्यक्ति का स्वास्थ्य इस बात की इजाजत नहीं देता कि Test किया जा सके तो इस संबंध में रिपोर्ट तैयार की जाती है। ऐसी स्थिति में कोर्ट संबंधित व्यक्ति के Narco Test की कतई भी इजाजत नहीं देती। इसके अलावा नार्को टेस्ट के दौरान संबंधित व्यक्ति की उम्र, लिंग आदि को भी पूरी तरह ध्यान में रखा जाता है।
Narco Test के दौरान इनकी रहती है मौजूदगी –
दोस्तों, Narco Test को कभी भी isolation में नहीं किया जा सकता। इस Test के दौरान विशेषज्ञों की मौजूदगी बेहद जरूरी होती है। इनमें जांच अधिकारी, चिकित्सक, फारेंसिक एक्सपर्ट और मनोचिकित्सक शामिल हैं। ऐसा इसलिए, ताकि नार्को टेस्ट विधि और चिकित्सा सम्मत तरीके से अंजाम दिया जा सके। इसकी प्रक्रिया पर बाद में कोई सवाल न खड़ा किया जा सके। रिपोर्ट में भी Test के दौरान मौजूद सभी विशेषज्ञों के नामों का उल्लेख रहता है।
पहली बार 1922 में दो कैदियों पर प्रयोग हुआ Narco analysis –
दोस्तों, जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं, Narco Test को ही Narco analysis भी पुकारा जाता है, इस Narco analysis को पहली बार आज से 97 साल पहले यानी 1922 में texas में दो कैदियों पर प्रयोग किया गया। उसी के बाद यह प्रचलन में आया। इस प्रयोग को टेक्सास के एक आब्सटेट्रेशियन राबर्ट हाउस ने अंजाम दिया था। इस Narco analysis Test के तहत उन्होंने दो कैदियों को scopolamine दवा की डोज दी। इरादा इन कैदियों को दवा की डोज के असर में रख उनसे सच उगलवाने का था। इस प्रयोग के बाद ही अन्य स्थानों पर भी अपराधियों पर सच उगलवाने के मकसद से इस Test को आजमाया जाना शुरू हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी हुआ प्रयोग –
द्वितीय विश्वयुद्व के बाद लोग इसके असर के चलते कई तरह के trauma stress disorder के शिकार हो गए। मामला बेहद संवेदनशील था। इससे उन्हें बाहर लाना किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके लिए मनोचिकित्सकों ने Narco synthesis की प्रणाली का प्रयोग किया। उन्होंने ड्रग dose देकर trauma की वजह से stress disorder के शिकार हुए मरीजों का इलाज करने का कार्य किया।
इसमें कई बार मरीजों को करीब करीब अचेत अवस्था में ले जाकर उनके दिल और दिमाग को आराम देने की कोशिश की जाती थी ताकि वह भय की स्थिति से निकल सकें। उनका दिल और दिमाग कुछ ज्यादा सोच पाने की स्थिति में न रहें। वह विश्व युद्ध के दुष्प्रभावों को भूल सकें, उनसे बाहर निकल सकें।
Narco Test की होती रही है मुखालफत –
दोस्तों, आपको बता दें कि Narco Test की राह आसान नहीं रही है। इस Test को अमानवीय करार देकर इसकी मुखालफत होती रही है। कोर्ट भी इस बारे में टिप्पणी कर चुकी है कि ‘किसी व्यक्ति को उसी के खिलाफ गवाह के रूप में नहीं खड़ा किया जा सकता’। इस Test से इसी तरह की स्थिति उत्पन्न होती रही है। इसी को आधार बनाकर इस Narco Test के खिलाफ अक्सर आवाज उठाई जाती रही है।
Narco Test को लेकर अब भी अंधेरे में जनमानस
साथियों, नार्को टेस्ट को लेकर होने वाली तमाम बातों के बीच यह भी एक सच्चाई है कि Narco Test को लेकर आज भी जनमानस में अधिक जानकारी और जागरूकता नहीं। वह एक तरह के अंधेरे ही में हैं। उन्हें लगता है कि यह नार्को टेस्ट कोई ऐसा Test है, जिसके बाद व्यक्ति चामत्कारिक रूप से सच बोलना शुरू कर देता है। वह नहीं जानते कि यह Test बेहद scientific तरीके से अंजाम दिया जाता है और इसमें सारी प्रक्रिया किस कदर संवेदनशील होती है। यही वजह है कि जो case सुलझता नहीं दिखता, ऐसे हर case में उनकी ओर से Narco Test की मांग कर दी जाती है।
हाल ही में कई फिल्मों में Narco Test का जिक्र आने के बाद लोगों में इस Test के बारे में जानने के लिए दिलचस्पी पैदा हुई है। लगे हाथ आपको यह भी बता दें कि कुछ साल पहले आई संवेदनशील महिला निर्माता/निर्देशक मेघना गुलजार की चर्चित आरुषि हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘तलवार’ में भी इस नार्को टेस्ट का हवाला दिया गया था। इसके अलावा मशहूर क्राइम स्टोरी based TV show crime petrol के कई episode में भी Narco Test term ने लोगों का ध्यान खींचा है।
Narco Test In India –
कई ऐसे मामले इसमें दिखाए गए, जिनमें Narco Test के आधार पर अपराधी पर शिकंजा कसा और case solve हो सका। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि धीरे धीरे चाहे दृश्य माध्यम के ज़रिए ही सही, लोगों में नार्को टेस्ट के बारे में जानने बूझने की एक उत्कंठा तो पैदा हुई ही है। उम्मीद है, उनमें इस Test को लेकर जानकारी का जो अभाव है, वह खत्म हो सकेगा।
Narco test से संबंधित प्रश्न उत्तर
Narco Test क्या हैं?
Narco Test एक ऐसा टेस्ट जो व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए किया जाता हैं। यह टेस्ट मुख्य रूप से किस अपराधी या संधिगत व्यक्ति के लिए सच उगलवाने के लिया प्रयोग किया जाता हैं।
Narco Test किस प्रकार किया जाता है?
Narco Test में किसी अपराधी या किसी संधिगत व्यक्ति को सोडियम पैंटथाल या फिर सोडियम एमाइटल की डोज (ट्रुथ ड्रग) नामक इंजेक्शन लगाया जाता हैं। जिसे व्यक्ति का दिमाग स्थिर हो जाता है और झूठी बातें बनाने में असमर्थ हो जाता हैं।
Narco Test कब किया जाता हैं?
narco test मुख्य रूप से जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक की मौजूदगी में किसी अपराधी या आरोपी से सच उगलवाने के लिए किया जाता है।
क्या किसी भी व्यक्ति पर narco test कर सकते हैं?
जी नहीं नारको टेस्ट हर किसी व्यक्ति पर नहीं कर सकते यह टेस्ट के सिर्फ सच उगलवाने के लिए अपराधी आरोपी पर किया जाता है। इसके लिए भी पहले संबंधित अधिकारियों से मंजूरी लेनी पड़ती है।
तो दोस्तो, आपने देखा कि आपराधिक मामलों में सच्चाई सामने लाने के लिए किस तरह Narco Test का इस्तेमाल किया जाता है। हमारी कोशिश थी कि Narco Test से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी आप तक पहुंचे। उम्मीद है कि आपको Narco test क्या है? नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है? post में दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आप नार्को टेस्ट के बारे में और कुछ specific जानने की इच्छा रखते हैं तो इस post पर comment करके पूछ सकते हैं। हमें आपकी प्रतिक्रिया और आपके सवालों का इंतजार रहेगा। हम आपकी जिज्ञासा को दूर करने के लिए प्रयासरत रहेंगे।। धन्यवाद ।।