माना जाता है कि बांस की खेती किसानों के लिए लाभदायक है। जिन किसानों की जमीन उपजाऊ नहीं होती, वे अक्सर इसकी तरफ रुख करते हैं। लेकिन अब इस खेती की तरफ देश में धीरे-धीरे किसानों का रुझान घट रहा है। उन्हें इसके प्रति प्रेरित करने और बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन योजना-2022 लेकर आई है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना क्या है?
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन (national bamboo mission) योजना के तहत किसानों को बांस की खेती करने पर 50 हजार रुपये की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया है। इसके साथ ही छोटे किसान को एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। आपको बता दें कि बांस पर प्रति पौधा 240 रुपए की लागत आती है। किसानों को यह सब्सिडी तीन वर्ष में तीन किस्तों में दी जाएगी। पहले साल 60 फीसदी, दूसरे साल 30 फीसदी तथा तीसरे साल 20 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना डिटेल्स
योजना का नाम | राष्ट्रीय बंबू मिशन |
शुरू किया गया | केंद्र सरकार के द्वारा |
विभाग | कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार |
लाभार्थी | देश का हर एक किसान |
लाभ | किसानों को बांस की खेती करने के लिए प्रेरित करना और उन्हें इसके लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराना |
उद्देश्य | दुनिया में बढ़ रहे हैं प्लास्टिक की खपत को कम करना और उसे बांस के साथ रिप्लेस करना |
राज्य | पूरे भारत में लागू |
स्टेटस | चालू |
आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन |
Official Website | https://nbm.nic.in/ |
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना का उद्देश्य क्या है?
अब आपको बता दें कि इस राष्ट्रीय बांस मिशन योजना का उद्देश्य क्या है। मोटे तौर पर देखें तो इसका लाभ इस प्रकार से है-
- गैर वन और निजी क्षेत्र में बांस के पौधरोपण के क्षेत्र में इजाफा करना।
- सजावटी सामान, फर्नीचर आदि उद्योगों के लिए बेहतर कच्चे माल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना।.
- पर्यावरण संरक्षण के अहम उद्देश्य की पूर्ति।
- सामुदायिक भूमि, कृषि योग्य बंजर भूमि, और सिंचाई नहरों, जल निकायों के पास बांस की खेती को बढ़ावा देना।
- किसानों की आय में वृद्धि करना।
- देशवासियों की प्लास्टिक पर निर्भरता को समाप्त करना।
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?
मित्रों, आपको इस योजना का लाभ उठाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अब हम आपको बताएंगे कि आप अपना रजिस्ट्रेशन कैसे करा सकते हैं। इसकी एक आसान सी प्र्रक्रिया है, तो कि इस प्रकार से है-
- सबसे पहले आपको राष्ट्रीय बांस मिशन यानी National Bamboo Mission की ऑफिसियल वेबसाइट https://nbm.nic.in/ पर जाना होगा!
- यहां आपके सामने एक होम पेज खुल जाएगा। होम पेज पर आपको सबसे ऊपर Farmer Registration का एक लिंक दिखेगा।
- इस लिंक पर click करते ही आपके सामने रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुल जाएगा। इस फॉर्म में आपको अपनी मांगी गई सारी जानकारी दर्ज करनी होगी।
- सबसे पहले अपने राज्य, उसके बाद अपने जिले, फिर तहसील और फिर अपने गांव को select करना होगा। * इसके बाद आपको वित्त वर्ष की जानकारी दर्ज करनी होगी!
- आवेदक किसान का नाम, उसका मोबाइल नंबर, उसकी ईमेल आईडी, किसान की कैटेगरी, पिन कोड डालना होगा।
- इसके बाद पूछा जाएगा कि क्या आपका आधार बैंक खाते से लिंक्ड है? (Is Aadhaar Card & Bank Account Linked)
- यदि आपका आधार कार्ड बैंक अकाउंट से लिंक्ड है तो उस पर tick करके form submit कर दें।
- Form Submit करते ही राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।
बांस की खेती किस तरह से फायदेमंद
दोस्तों, अमूमन बांस को परवान चढ़ने में तीन से चार साल का वक्त लग जाता है। किसान चौथे साल में इसकी कटाई शुरू कर सकते हैं।
- बांस की खेती का पहला फायदा तो यह है कि इसका पौधा तीन से चार मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। लिहाजा, इसके बीच की जगह आप कोई और खेती कर सकते हैं।
- इसकी पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं।
- बांस लगाने से फर्नीचर के लिए पेड़ों का कटान कम होगा। लिहाजा, पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी।
- इस वक्त बांस का ज्यादातर फर्नीचर चीन से आ रहा है। लिहाजा, बांस की खेती से फर्नीचर का आयात कम करने की जरूरत होगी, जिससे विदेशी मुद्रा बचेगी।
नार्थ ईस्ट के लिए कुछ अलग व्यवस्था
मित्रों, राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत नार्थ ईस्ट को छोडक़र अन्य क्षेत्रों में इसकी खेती के लिए 50 प्रतिशत सरकार और 50 फीसदी किसान लगाएगा। इस 50 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य का शेयर होगा। वहीं, नार्थ ईस्ट यानी पूर्वोत्तर में 60 फीसदी सरकार और 40 फीसदी किसान वहन करेगा। 60 फीसदी सरकारी हिस्से में 90 फीसदी केंद्र और 10 फीसदी राज्य सरकार की हिस्सेदारी होगी।
बड़ी संख्या में रोजगार सृजन, पलायन पर रोक लगेगी
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत बांस की खेती से लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया होगा। इसके अतिरिक्त गांवों से शहरों की ओर हो रहे पलायन पर भी रोक लगेगी। अन्य संबंधित सामग्री के लिए बैंक से लोन दिलाया जाएगा। इस पर किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी।
लाकडाउन में खास तौर पर कामगारों का शहरों की ओर से घर लौटना हुआ है। ऐसे में उन्हें रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर मुहैया कराने का कार्य भी राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत होगा। वह अपनी जमीन पर इसकी खेती से अपनी आजीविका को आसान कर सकते हैं। केंद्र सरकार की पहल के बाद नागरिकों ने भी इस ओर दिलचस्पी दिखाई है। धीरे धीरे लोग इस मिशन से जुड़कर अपना जीवन आसान बनाने की प्रक्रिया में हैं।
किसानों की बंजर जमीन उगा सकती है हरा सोना
मित्रों, आपको बता दें कि कई राज्यों के ज्यादातर बंजर जमीन या मौसम की मार की वजह से परेशान रहते हैं। ऐसे में बांस की खेती उनके लिए वरदान साबित हो सकती है। इसकी वजह यह है कि बांस के पौधों के लिए किसी खास तरह की उपजाऊ जमीन की आवश्यकता नहीं होती। भारत में बांस की खेती की रोपाई जुलाई माह में होती है। इसके साथ साथ पौधा खाद अपनी पत्तियों से बनाता है। ऐसे में पौधे को अलग से खाद पानी देने की आवश्यकता नही होती।
लगे हाथों आपको यह भी बता दें कि चीन के बाद बांस की खेती के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है, लेकिन धीरे-धीरे किसानों का इससे मोह भंग हो रहा है। सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है।
इस वक्त की जा रही 136 प्रजातियों के बांस की खेती
राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) के अनुसार में देश में इस समय 136 बांस की प्रजातियों की खेती की जा रही है। इनमें से 125 प्रजातियां स्वदेशी और 11 विदेशी प्रजातियां हैं। आपको यह भी बता दें कि अपने देश में हर साल 13.96 मिलियन टन बांस का उत्पादन होता है। सरकार का लक्ष्य अब इस उत्पादन में वृद्धि करना है। उसकी ओर से इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने की भी पूरी कोशिश की जा रही है।
40 से लेकर 50 साल तक मुनाफा देता है
मित्रों, आपको यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि एक बार लगाने के बाद बांस का पौधा 40 से लेकर 50 साल मुनाफा देता है। इसकी इतनी ही उम्र होती है। हर कटाई के बाद बांस का पौधा फिर से विकास करने लगता है। सबसे पहले बांस के कल्ले बिक्री के तैयार होते हैं. किसान हर साल एक एकड़ बांस से 25-30 हजार रुपये के कल्ले बेच सकता है।
इसके अलावा बांस के साथ तिल, उड़द, मूंग-चना, गेहूं, जौ या फिर सरसों की फसल लगाई जा सकती है। साथ ही, इसकी खेती से हर साल एक हेक्टेयर में कुल 3 से 4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकना संभव है।
निर्माण से लेकर दवाओं तक हर जगह इस्तेमाल
साथियों, बांस का इस्तेमाल निर्माण से लेकर दवाओं तक हर क्षेत्र में है। देश के पहाड़ी राज्यों में बांस का यूज भवन निर्माण सामग्री/निर्माण के रूप में किया जाता है. इसके अतिरिक्त फर्नीचर, कपड़ा, भोजन, ऊर्जा उत्पादन, हर्बल दवा आदि बनाने में इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा टोपी, छाछ, डाली, सजावटी सामान आदि बनाने में इसका इस्तेमाल जगजाहिर है।
राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत हर राज्य में मिशन डायरेक्टर (mission director) बनाए गए हैं। एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट और इंडस्ट्री यानी कृषि, वन और उद्योग तीन विभाग शामिल हैं, जो जिलावार प्रगति और निगरानी तय करते हैं। उद्योग विभाग उत्पाद की मार्केटिंग को अंजाम देता है।
प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने, किसानों की आय बढ़ाने पर भी फोकस
मित्रों, सरकार बांस की खेती को बढ़ावा देकर इसके अधिक इस्तेमाल को प्रेरित कर प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करना चाहती है। तमाम अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि प्लास्टिक का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए घातक है। लिहाजा, बांस आधारित आजीविका और रोजगार को बढ़ावा देने पर फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा बांस की खेती के माध्यम से सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और किसानों की आय को दोगुनी करने का भी प्रयास कर रही है।
फारेस्ट एक्ट हटाकर किसानों को सहूलियत दी गई
साथियों, एक अच्छी बात यह हुई है कि निजी जमीन पर बांस काटने की स्थिति में फॉरेस्ट एक्ट नहीं लगेगा। इससे पूर्व बांस काटने पर फारेस्ट एक्ट (forest act) यानी वन कानून लगता था। एफआईआर यानी प्राथमिकी दर्ज होती थी। वन अधिकारी के साथ ही और पुलिस किसान को परेशान किया करती थी। लिहाजा, वह बांस लगाने से बचता था। लेकिन 2018 में केंद्र सरकार ने न सिर्फ यह नियम बदला है, बल्कि इसकी व्यापक पैमाने पर खेती के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन (national bamboo mission) योजना भी शुरू की।
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना से जुड़े सवाल
राष्ट्रीय बांस मिशन योजना क्या है?
केंद्र सरकार ने बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की है।
इस योजना के तहत कितना अनुदान मिलेगा?
इस योजना के अंतर्गत ₹50000 की सब्सिडी बांस किसानों को देने का प्रावधान किया गया है।
क्या इस योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा?
जी हां इस योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होगा। और उसकी एक निर्धारित प्रक्रिया है जिसका आवेदक को पालन करना होगा।
रजिस्ट्रेशन कैसे किया जा सकता है?
आवेदक अपना रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय बांस मिशन यानी national bamboo mission मिशन की वेबसाइट पर जाकर करा सकते हैं।
बांस उत्पादन में कौन सा देश सबसे आगे है?
बांस उत्पादन में चीन सबसे आगे है। इसके बाद अपना देश भारत दूसरे स्थान पर आता है।
साथियों, यह थी राष्ट्रीय बांस मिशन योजना की जानकारी। उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि इस योजना से जुड़ा कोई सवाल आपके मस्तिष्क में है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं। यदि आप किसी अन्य योजना पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो भी उसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें बता सकते हैं। आपकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों का हमेशा की तरह स्वागत है। ।।धन्यवाद।।
Sir ji. Hm 1 acar me bamboo lgana chahte h. Lekin haryana Govt. Es tarah ki skim se mna kr rahi hai. Ki koi ? hmare yaha se nhi milega. Or na hi subsidy. Lekin hm bahr state se mnga kr esi barsaat me lgayenge. Please help or guide me.
क्या बांस मिसन के अंतर्गत सिवायचक जमीन पर भी बांस लगाया जा सकता है इसकी प्रक्रिया क्या होगी
Jaipur me.iska office kaha hai
कल्ले क्या होते हैं बताए
कल्ले मतलब कली जो किसी भी पौधे में उसे विकसित करने के लिए निकलती रहती हैं.
Hello sir bamboo mission official website open nahi ho rahi site ke open hote hi koi dusra pej show kar rha hai
idhar to open ho rhi hai