नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी क्या है? National Logistics Policy In Hindi

National Logistics Policy In Hindi – देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में 2020-21 का बजट पेश करते हुए जल्द ही नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी लाने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद से देश में लॉजिस्टिक्स लागत कम करने को लेकर बात होनी शुरू हो गई है। यह अलग बात है कि अगर व्यापारी, कारोबारी वर्ग को छोड़ दें तो ज्यादातर लोग अभी भी लॉजिस्टिक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। यहां तक कि वे यह भी नहीं जानते कि लॉजिस्टिक्स का मतलब क्या है? लॉजिस्टिक्स पालिसी के जरिए क्या होगा?

दोस्तों, यदि आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो भी चिंता की कोई बात नहीं। आज इस post के जरिए हम आपको इन्हीं कुछ बिंदुओं के बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे, जैसे लॉजिस्टिक्स किसे कहते हैं? नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में क्या क्या शामिल हो सकता है? भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत क्या है? दूसरे देशों में लॉजिस्टिक्स की लागत क्या है भारत सरकार का लाजिस्टिक्स पालिसी में किन बिंदुओं पर जोर रह सकता है ? आदि। आइए शुरू करते हैं । सबसे पहले जानते हैं कि लॉजिस्टिक्स क्या है-

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लाजिस्टिक्स क्या है? नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी इन हिंदीं –

लॉजिस्टिक्स एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत माल, सेवाओं या सूचनाओं को योजनाबद्ध तरीके से उनके उत्पति वाले स्थान से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां पर भेजा जाता है | इस पूरी प्रक्रिया को लॉजिस्टिक्स कहते हैं।

इस उदाहरण से समझिए लाजिस्टिक्स को –

आपने देखा होगा कि जब फैक्टरी में कोई सामान या माल बनता है तो उसे बनने के बाद एंड यूजर यानी ग्राहक तक पहुंचाने के लिए कुछ चरणों से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया को लॉजिस्टिक्स (logistics) कहते हैं। और इस प्रक्रिया पर आने वाला खर्च बड़ा खर्च logistics cost यानी लाजिस्टिक्स लागत पुकारा जाता है।

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी क्या है? National Logistics Policy In Hindi

मान लीजिए कि किसी फैक्ट्री में साबुन का उत्पादन होता है। यहां से साबुन पैक होगा। इसके बाद इसे ट्रक या ट्रेन में लादकर इसके थोक व्यापारी तक जाएगा। वहां से रिटेलर के यहां और फिर ग्राहक के पास। यह पूरी प्रक्रिया लाजिस्टिक्स चेन कहलाएगी।

लाजिस्टिक्स शब्द सबसे पहले कहाँ इस्तेमाल हुआ?

लॉजिस्टिक्स’ की उत्पत्ति सेना में हुई थी। वहां लॉजिस्टिक्स शब्द का उपयोग सैनिकों को उपकरण और आपूर्ति प्रदान करने की प्रक्रिया के लिए किया जाता था। 1950 के दशक तक, जब व्यवसायों के लिए शिपिंग सामग्री की जटिलता बढ़ गई थी, तब तक यह ‘रसद’ व्यावसायिक कार्यों के लिए प्रयोग नहीं किया जाता था। अब, रसद एक उद्योग है और किसी भी व्यवसाय मॉडल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी क्यों लाई जा रही?

लाजिस्टिक्स पालिसी इसलिए लाई जा रही है ताकि उसके आधार पर इस वृहद सेक्टर को रेगुलेट किया जा सके। इसे नीति के मुताबिक बढ़ावा दिया जा सके।

अभी कितनी है लाजिस्टिक्स लागत?

दोस्तों, भारत में लाजिस्टिक्स लागत इसकी कुल जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद का 14 फीसदी है। सरकार की मंशा या target इस लॉजिस्टिक्स लागत को जीडीपी का 9-10 फीसदी करने का लक्ष्य है। और इसमें घटोत्तरी आने वाले 2024 तक किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।

इन देशों में पांच फीसदी से कम है लॉजिस्टिक्स लागत –

अमेरिका, यूरोप, चीन जैसे देशों में लॉजिस्टिक्स कॉस्ट जीडीपी के पांच प्रतिशत से भी कम है।

लाजिस्टिक्स लागत कम करना क्यों जरूरी है?

दरअसल, लॉजिस्टिक्स खर्च ज्यादा होने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घरेलू वस्तुओं का कंपटीशन प्रभावित होता है। अगर यह प्रभावी तरीके से लागू हुई यानी कि लाजिस्टिक्स लागत में लक्ष्य के मुताबिक कटौती हुई तो व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही एक्सपोर्ट कंपीटीटिव बनेगा। लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स यानी LPI में भारत की रैंकिंग सुधरेगी।

नेशनल लॉजिस्टिक्स पालिसी लाने का मकसद क्या है?

लाजिस्टिक्स लाने का मुख्य उद्देश्य माल ढुलाई घटाना है। आपको बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय का लॉजिस्टिक्स डिवीजन इस पॉलिसी के सभी बिंदुओं पर काम कर चुका है। व्यापारियों के लिए माल ढुलाई घटाना नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का पहला मकसद होगा।

इसके साथ ही देश भर में माल की आवाजाही को बेरोकटोक कराए जाना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। इसके अलावा कागजी कार्रवाई को सरल किया जाएगा और सिंगल विंडो क्लियरेंस की भी सुविधा मिल सकती है।

अभी लाजिस्टिक्स मार्केट कितना बड़ा है?

यह 160 अरब डॉलर का मार्केट है। अगले दो साल में इस बाजार के बढ़कर 215 अरब डॉलर का होने की संभावना जताई जा रही है। इस क्षेत्र में 22 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। इस क्षेत्र में सुधार करने से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक्स लागत में 10 प्रतिशत की कमी आएगी। निर्यात में पांच से आठ प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होगी।

लाजिस्टिक्स सेक्टर में क्या क्या शामिल है?

दोस्तों, वर्तमान की बात करें तो इस सेक्टर में अभी 12 मिलियन रोजगार है। इसके अलावा शामिल हैं-

  1. 20 से ज्यादा सरकारी एजेंसियां
  2. 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां
  3. 37 एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल
  4. 50 सर्टिफिकेशंस
  5. 10 हजार कमॉडिटीज शामिल हैं।
  6. 200 शिपिंग एजेंसियां
  7. 36 लॉजि​स्टिक सर्विसेज
  8. 129 आईसीडी
  9. 168 कंटेनर फ्राइट स्टेशंस (सीएफएस)
  10. 50 आईटी ईको सिस्टम, बैंक और बीमा एजेंसियां शामिल हैं। इसके अलावा निर्यात और आयात के लिए 81 अथारिटीज और 500 सर्टिफिकेशंस की जरूरत है।

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी के तहत प्रस्ताव क्या है?

दोस्तों, जैसा कि सरकार घोषणा कर चुकी है कि जल्द ही नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी लाई जाएगी। हम आपको बता दें कि उसका ड्राफ्ट तैयार है। इसमें क्या प्रस्ताव हैं, हम आपको इसकी जानकारी देंगे। यह इस प्रकार हैं-

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी से रोजगार के अवसर दोगुने होंगे, ई मार्केट प्लेस विकसित होगा –

साथियों, नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी में रोजगार के अवसर दोगुने किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके अलावा युवाओं का ​स्किल डेवलपमेंट किया जाएगा। मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्यम यानी एमएसएमई (MSME) को कंपीटीटिव बनाने पर जोर रहेगा। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स सेक्टर को आसान शर्तों पर बुनियादी सुविधाएं देने का प्रस्ताव है।

बेहतर तकनीक पर भी जोर रहेगा। एक्सपोर्टर्स और इम्पोर्टर्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के​ लिए नेशनल लॉजिस्टिक्स ई-मार्केट प्लेस की सुविधा देने पर जोर रहेगा।

वेयर हाउसिंग क्षमता और वेयर हाउसों की सुविधा बढ़ेगी –

दोस्तों, अभी लाजिस्टिक्स के दौरान अधिक दिन लगने से माल खराब हो जाने की शिकायत आती है। भविष्य में इस समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए मौजूदा वेयर हाउसों की संख्या और क्षमता बढ़ाए जाने पर भी जोर रहेगा। ऐसा इसलिए ताकि ज्यादा समय तक मैटीरियल को सुरक्षित रखा जा सके। इसके अलावा सभी वेयरहाउसों की जियो टैगिंग भी की जाएगी।मछली और नाशपाती के लिए कोल्ड स्टोरेज चेन को बढ़ावा दिया जाएगा।

वेयर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी संबंधी मानदंडों को बेहतर तरीके से अपनाने के लिए भंडारण को बढ़ावा दिया जाएगा। भारतीय खाद्य निगम केंद्रीय भंडारण निगम की मदद से पीपीपी माडल पर ब्लॉक लेवल पर वेयर हाउसिंग स्थापित करने के लिए विजिबिलिटी गैप फंडिंग यानी वीजीएफ की सुविधा मुहैया कराएगा।

सेंट्रल पोर्टल बनेगा, स्टार्ट अप को अलग फंडिंग होगी –

दोस्तों, लाजिस्टिक्स पालिसी के तहत व्यापारियों को लाजिस्टिक्स सुविधाओं के लिए सेंट्रल पोर्टल बनाने का भी प्रस्ताव है, ताकि कंपनियों को लॉजिस्टिक्स से जुड़े सॉल्यूशन एक साथ मिल सकें। इसके अलावा लाजिस्टिक्स सेक्टर के स्टार्टअप के लिए अलग फंड बनाए जाने का प्रस्ताव है।

लागत में कमी को एसएचजी के जरिए उपलब्ध कराएंगे बीज –

मित्रों, जैसा कि पालिसी में प्रस्ताव है, बीजों को ग्राम भंडारण योजना के तहत महिला स्वयंसहायता समूहों यानी एसएचजी के जरिये उपलब्ध कराया जाएगा। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी। इसके लिए मुद्रा लोन और नाबार्ड के तहत वित्तीय मदद दी जाएगी। पीपीपी मॉडल पर कृषि ट्रेन भी चलाई जाएगी।

इसके अलावा साथियों, जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को जल्द पहुंचाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन को पैसेंजर ट्रेनों से जोड़े जाने का भी प्रस्ताव है। जल्द खराब होने वाले खाद्व पदार्थों को हवाई रास्ते से ले जाने के लिए कृषि उड़ान योजना को लाया जाएगा। इससे खास तौर पर पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों को फायदा पहुंचेगा।

जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जैविक ई बाजार विकसित किया जाएगा। वहीं, बागवानी को बढ़ावा के लिए एक उत्पाद एक जिला को प्रोत्साहित किया जाएगा।

अंतर्देशीय जलमार्ग पर रहेगा फोकस –

दोस्तों, वेयरहाउसिंग को नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट के साथ इंटीग्रेट किए जाने की तैयारी है। वहीं, उदय योजना के तहत सौ और हवाई अड्डे स्थापित किए जाएंगे।अंतरदेशीय जल मार्ग को शुरू किया जाएगा। खास तौर से जल विकास मार्ग-१ को।इन जल मार्गों को अर्थ गंगा नाम के कार्यक्रम के तहत बढ़ावा दिया जाएगा।

यानी नदी तट के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाया जाएगा। इसके जरिए लाजिस्टिक्स लागत कम करने पर जोर रहेगा।सरकार देश में लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए रेलवे या इनलैंड वाटरवेज पर ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को भी तैयार कर रही है।

सभी लाजिस्टिक्स के लिए सिंगल प्लेटफार्म

पिछले साल अक्तूबर में प्रधानमंत्री कार्यालय में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को लेकर बैठक हुई थी। सभी तरह की लॉजिस्टिक्स के लिए सिंगल प्लेटफॉर्म बनाए जाने पर भी ऐलान हो सकता है। जीएसटी को परिवहन लागत कम करने के लिए अपनाया गया है। इससे लागत 20 फीसदी तक कम हुई है।

लाजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट हब बनेंगे शहर –

कई ऐसे शहर हैं जहां सरकार लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट हब बनाने की घोषणा कर चुकी है। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी आने पर इन पर काम शुरू हो सकेगा। जैसे ही ग्रेटर नोएडा को ही लें। यहां बोड़ाकी के पास इसे बनना है। यीड़ा सिटी में इसके लिए जमीन चिन्हित की जा रही है। बोड़ाकी को एक बड़े स्टेशन में तब्दील करने की योजना है। यहां लॉजिस्टिक और ट्रांसपोर्ट हब के लिए कुल 743 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है।

बोड़ाकी के पास ही दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कारीडोर पर तेजी से काम चल रहा है। जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है। इसकी डीपीआर दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कारीडोर डेवलपमेंट कारपोरेशन यानी डीएमआईसीडीसी बनवा रहा है। इसे विकसित करने के लिघ्ए दुबई की एक कंपनी इच्छा जता चुकी है। यह कंपनी दुबई और भारत सरकार का संयुक्त उपक्रम है। कंपनी अब तक 70 देशों में लॉजिस्टिक्स हब विकसित कर चुकी है।

यमुना प्राधिकरण भी लॉजिस्टिक्स हब विकसित करने की तैयारी कर रहा है। यह प्रोजेक्ट आने वाले दो तीन साल में पूरा होना है। नोएडा एयरपोर्ट पर भी काम शुरू होना है। लॉजिस्टिक्स हब की दिशा में यह भी बेहद मददगार साबित होगा।

National Logistics Policy In Hindi –

तो दोस्तों, यह थी नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी क्या है? National Logistics Policy In Hindi के बारे में सारी जानकारी। हमें पूरी उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपके दिमाग में इस विषय से जुड़ा कोई बिंदु यदि स्पष्ट नहीं हो पाया है तो भी कोई टेंशन न लें। तो आप नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। हम उस बिंदु को पुनः बताने की पूरी कोशिश करेंगे।

इसके अलावा किसी दूसरे विषय पर अगर आप जानकारी लेना चाहते हैं तो भी आप नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में विषय का नाम लिखकर हमें भेज सकते हैं। हम आपके बताए विषय पर पूरी जानकारी देने की पूरी पूरी कोशिश करेंगे। इसके अलावा अगर कोई सुझाव आपके मन में चल रहा है तो भी आप उसे हमसे साझा कर सकते हैं। उसके लिए भी तरीका यही रहेगा कि आपको कमेंट बॉक्स में कमेंट करना होगा। हम आपके दिए सुझाव पर अमल करने की पूरी कोशिश करेंगे। ।। धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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