नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो – NCB क्या है? एनसीबी के कार्य, मुख्यालय, कार्यप्रणाली

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देश में धीरे-धीरे ड्रग्स का अवैध कारोबार फल फूल रहा है। स्कूल कॉलेजों के छात्रोंं को नशे ने तेजी से अपनी गिरफ्त में ले लिया है। एनसीबी अक्सर सूचना पर ऐसी जगहों पर छापेमारी की कार्रवाई करती है। इसके बावजूद इस धंधे पर नकेल कसने में नहीं आ रही। फिल्म स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के बाद एनसीबी एक बार फिर चर्चा में है। आज इस पोस्ट में हम आपको एनसीबी के संबंध में सारी आवश्यक जानकारी प्रदान करेंगे। आइए, शुरू करते हैं-

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नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) क्या है?

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (narcotics control bureau) यानी एनसीबी (NCB) को स्वापक नियंत्रण ब्यूरो भी पुकारा जाता है। स्वापक का अर्थ मादक/ नींद लाने वाले पदार्थ से लिया जाता है। आपको बता दें कि यह ड्रग तस्करी से लड़ने एवं अवैध पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने के लिए भारत की नोडल ड्रग कानून प्रवर्तन तथा खुफिया एजेंसी है। यह गृह मंत्रालय (home ministry) के अधीन आती है।

Narcotics Control Bureau – NCB Details In Hindi –

नामनारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो – एनसीबी
प्रकारखुफिया एजेंसी
किस मंत्रालय के अधीनएनसीबी गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है
कार्यमादक पदार्थों की तस्करी को रोकना
कांटेक्ट ईमेल आईडी ddge-ncb@nic.in & adenf-ncb@nic.in
ऑफिशल वेबसाइटhttps://narcoticsindia.nic.in

एनसीबी – नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना कब हुई –

स्वापक नियंत्रण ब्यूरो का सृजन मार्च, 1986 में नारकोटिक्स ओषधियां एवं स्वापक पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 4(3) के अंतर्गत किया गया। यह सीमा शुल्क अधिनियम, 1962, औषधियां एवं सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 का प्रवर्तन भी सुनिश्चित करता है। इसका एक महानिदेशक होता है, जो भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अथवा भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) का एक अधिकारी होता है।

इस वक्त इसके महानिदेशक सत्य नारायण प्रधान हैं, जबकि उप महानिदेशक पद का जिम्मा आरएन श्रीवास्तव संभाल रहे हैं। दोस्तों आपको बता दें कि प्रधान एक आईपीएस हैं, जबकि श्रीवास्तव एक आईआरएस अधिकारी हैं। आपको बता दें कि इस संगठन में अधिकारियों की सीधी भर्ती के अलावा भारतीय राजस्व सेवा, भारतीय पुलिस सेवा एवं अर्धसैनिक बलों से भी अधिकारियों/कर्मचारियों को लिया जाता है।

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एनसीबी के क्या-क्या कार्य हैं?

साथियों, अब हम आपको नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के मुख्य मुख्य कार्यों की जानकारी देंगे, जो कि इस प्रकार से हैं-

  • 1. अखिल भारतीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना।
  • 2. सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क/जीएसटी, राज्य पुलिस विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) एवं अन्य भारतीय/विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ निकट सहयोग।
  • 3. मादक पदार्थों की तस्करी से लड़ने में भारत की ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कर्मियों को संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • 4. भारत के सीमांत इलाकों पर भी नज़र रखना, जहां विदेशी तस्करों की गतिविधियाँ हो सकती हैं।
  • 5. एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) के प्रावधानों को लागू करना‌।
  • 6.सामान्य कार्रवाई को सुगम बनाने के उद्देश्य से विदेशों एवं संबंधित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के संबंधित प्राधिकारियों की सहायता।
  • 7.औषधियों के दुरुपयोग से जुड़े मामलों के संबंध में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, अन्य संबंधित मंत्रालय, विभागों तथा संगठनों के कार्यों में समन्वय स्थापित करना।
  • 8. सूचनाएं एकत्र करना एवं अन्य एजेंसियों संग सूचनाओं का आदान-प्रदान करना।
  • 9. जब्ती संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण एवं संबंधित प्रवृत्ति का अध्ययन करना ताकि इसके आधार पर कार्यप्रणाली में बदलाव लाया जा सके।
  • 10.राष्ट्रीय औषधि प्रवर्तन संबंधी सांख्यिकी तैयार करना।

एनसीबी का राष्ट्रीय मुख्यालय कहां स्थित है?

मित्रों, एनसीबी यानी स्वापक नियंत्रण ब्यूरो का राष्ट्रीय मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित है। मुंबई, इंदौर, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ, जोधपुर, चंडीगढ़, जम्मू, अहमदाबाद, बंगलुरु, पटना और गुवाहाटी में इसके क्षेत्रीय कार्यालय यानी जोनल आफिस (zonal office) स्थित हैं। NCB के उप-क्षेत्रीय कार्यालय यानी सब जोनल आफिस (sub zonal office) अजमेर, अमृतसर, भुवनेश्वर, देहरादून, गोवा, हैदराबाद, इंफाल, मंदसौर, मदुरै, मंडी, रायपुर, रांची एवं कोच्चि में स्थित हैं।

नशे के सेवन से 22 हजार लोगों की जान जा चुकी –

दोस्तों, आज से करीब 13 साल पहले संयुक्त राष्ट्र (un) की एक ड्रग कंट्रोल बॉडी ने मशहूर हस्तियों के नशीली दवाओं के सेवन और इस बारे में अधिकारियों की लापरवाही से समाज में बड़े पैमाने पर नशे की लत को बढ़ावा देने की चेतावनी दी थी। यह सच साबित हुआ। देश में तीन करोड़ लोगों को कैनेबिस की लत पड़ चुकी है। जबकि एक करोड़ से से भी अधिक लोग सिडेटिव्स लेते हैं।

आपको बता दें कि देश में आज से करीब चार साल पहले यानी 2017 में हुए एक अध्ययन में ड्रग्स से 22 हजार लोगों जान जा चुकने की बात सामने आई थी। स्टडी रिपोर्ट का नाम ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2017 था। इसमें इस बात का खुलासा हुआ था कि 2017 में अवैध ड्रग्स ने दुनिया भर में करीब 7.5 लाख लोगों की जिंदगी लील लीं, जिनमें से करीब 22 हजार भारतवासी थे‌।

ड्रग तस्करी का कारोबार 650 अरब डॉलर से भी अधिक

मित्रों, अब बात ड्रग तस्करी के कारोबार की। आपको बता दें कि इसका कारोबार 650 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। आज से करीब तीन साल पहले 2018 में सामने आए आंकड़ों पर भरोसा करें तो करीब 2.3 करोड़ ओपियोड का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस दौरान हेरोइन की खपत में अधिकतम बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अफीम का सेवन करने वालों की संख्या ढाई लाख से अधिक है।

दोस्तों, आपको बता दें कि एम्स के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (NDTC) की मादक पदार्थों के सेवन पर एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें पाया गया कि हमारा देश अवैध ड्रग्स के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हो गया है। साथ ही, 10 से 75 साल की उम्र के लोग नशे की जद में हैं। इनमें पारंपरिक पौधों से बनी दवाओं मसलन कैनबिस, कोकीन और हेरोइन से लेकर ट्रामाडोल जैसी सिंथेटिक दवाओं के सेवनकर्ता शामिल हैं।

साइकोएक्टिव ड्रग्स लेने वाले भी कम नहीं

साथियों, ऐसे कई लोग हैं, जो सांस के जरिए साइकोएक्टिव ड्रग्स लेते हैं। इसका असर सीधे उनके दिमाग पर होता है। बच्चे भी बड़ी मात्रा में इस नशे के शिकार हैं। यदि आंकड़ों की बात करें तो 0.58 फीसदी वयस्कों की तुलना में करीब 1.17 फीसदी बच्चे सांस के जरिए इन ड्रग्स का सेवन करते हैं।

इसके अतिरिक्त करीब 18 लाख वयस्कों और 4.6 लाख बच्चों को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में नशे के शिकार सबसे ज्यादा 94 हजार बच्चे उत्तर प्रदेश में हैं। इसके पश्चात मध्य प्रदेश में 50 हजार, महाराष्ट्र में 40 हजार, दिल्ली में 38 हजार, जबकि हरियाणा में 35 हजार बच्चे इसके शिकार हैं।

आपको यह जानकारी भी दे दें कि भारत में भांग कानूनी तौर पर वैध है। किंतु इसके अन्य रूप गांजा, चरस आदि गैर कानूनी (illegal) हैं। भांग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ एवं दिल्ली में देखने को मिला है।

एनसीबी की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है

मित्रों, हम आपको बता चुके हैं कि सुपर स्टार शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान को एनसीबी ने ड्रग्स मामले में क्रूज से गिरफ्तार किया था। अब इस वक्त वे आर्थर रोड जेल में हैं। आपको पता ही होगा कि क्रूज ड्रग्स पार्टी केस में एनसीबी याानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्य प्रणाली पर सवाल भी खड़े हो गए हैं। एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने एजेंसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

अब उन्होंने दावा किया कि क्रूज पर एनसीबी के छापै में 11 लोग हिरासत में लिए गए थे। लेकिन बाद में एजेंसी ने तीन लोगों ऋषभ सचदेवा, प्रतीक गाबा व आमिर फर्नीचरवाला को छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो एनसीबी रेड की जांच भी होगी। उन्होंने एनसीबी के समीर वानखेड़े और भाजपा नेताओं के बीच कुछ बातचीत की भी आशंका जाहिर की है। फिलहाल इस मामले को लेकर इंडस्ट्री में बहस मुबाहिसों का सिलसिला जारी है।

बालीवुड का ड्रग्स से पुराना रिश्ता है –

यदि आप बालीवुड में थोड़ी सी भी रुचि रखते होंगे, तो यह आप जरूर जानते होंगे कि बॉलीवुड का ड्रग्स से पुराना रिश्ता रहा है। सबसे मशहूर मामला फिल्म स्टार सुनील दत्त और अभिनेत्री नरगिस दत्त के बेटे फिल्म अभिनेता संजय दत्त से जुड़ा रहा है। कहा जाता है कि जब वह अपनी कैंसर से जूझ रही है मां से मिलने अमेरिका गए तो उस वक्त भी उन्होंने अपने मोजे में ड्रग्स छिपाई हुई थी। बाद में संजय को टाडा (TADA) के तहत एके-47 राइफल एवं अन्य हथियार रखने के जुर्म में भी गिरफ्तार किया गया।

संजय दत्त की ड्रग्स की लत छुड़वाने के लिए उन्हें हैबिलिटेशन सेंटर (habilitation center) भी भेजा गया, जहां से उन्हें ड्रग्स से छुटकारा मिल सका। इसके अलावा फिल्म अभिनेत्री दिव्या भारती की नशे की हालत में इमारत से गिरने की बात सामने आई। और भी कई ऐसे बालीवुड अभिनेता एव अभिनेत्री रहे, जिनके ड्रग्स में लिप्त होने की बात सामने आती रही है।

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले में भी ड्रग्स एंगल तेजी से उभरा। एनसीबी ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती एवं उनके भाई शौमिक से भी समन भेजकर कई दिनों तक लगातार पूछताछ की।

करोड़ों की ड्रग्स पकड़े जाने का सिलसिला जारी –

मित्रों, आप भूले नहीं होंगे कुछ ही समय पहले अफगानिस्तान से आए कंटेनरों में साढ़े तीन हजार करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई थी। उस समय अडानी पोर्ट से यह ड्रग्स कंसाइनमेंट सामने आने के बाद बहुत हो हल्ला मचा था। अबकी मुंबई से 125 यानी सवा सौ करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई है। जो यह सुनिश्चित करने के लिए काफी है कि बड़े शहरों में ड्रग्स का जाल किस कदर फैला हुआ है।

छोटे शहरों में भी तमाम स्कूल कालेजों तक ड्रग डीलरों के गुर्गे छात्र छात्राओं तक नशे की खेप सप्लाई करने के काम में लगे हैं। देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गाहे बगाहे नशे का जखीरा पकड़ा जाता है। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में विदेशियों की मौजूदगी से भी ड्रग्स का धंधा फल फूल रहा है। हिमाचल प्रदेश के कसौल में भी विदेशी पर्यटकों की अधिक मौजूदगी इस क्षेत्र का नाम ड्रग्स लैंड के तौर पर नकारात्मक रूप से चर्चा में है। ‌

एनसीबी कांटेक्ट डिटेल्स हेल्पलाइन नंबर –

Report Incidents of Drug Trafficking / Accident or Serious Incidents
Telephone No. : +91-11-26761000
Email Id. : ddge-ncb@nic.in & adenf-ncb@nic.in

General Enquiry

NARCOTICS CONTROL BUREAU
West Block No. 1, Wing No. 5, RK Puram,
New Delhi-110066
Email Address : adops-ncb@nic.in
Telephone No.: +91-11-26761000, +91-11-26761144, +91-11-26761105

एनारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो – NCB से जुड़े सवाल जवाब

एनसीबी (NCB) की फुल फॉर्म क्या है?

एनसीबी की फुल फॉर्म नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (narcotics control bureau) है।

एनसीबी की स्थापना कौन से साल में हुई?

एनसीबी की स्थापना मार्च 1986 में हुई।

एनसीबी का हेडक्वार्टर कहां स्थित है?

एनसीबी का हेडक्वार्टर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में स्थित है।

इस वक्त एनसीबी के महानिदेशक कौन हैं?

आईपीएस सत्य नारायण प्रधान इस समय एनसीबी के महानिदेशक हैं।

एनसीबी इन दिनों क्यों चर्चा में है?

एनसीबी इन दिनों क्रूज ड्रग्स मामले को लेकर चर्चा में है। इसमें बालीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया गया है।

दोस्तों, यह थी एनसीबी से जुड़ी हुई सारी जानकारी। उम्मीद है कि यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आप इसी प्रकार के किसी रोचक विषय पर हमसे जानकारी चाहते हैं तो नीचे लिखे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं। ।।धन्यवाद।।

प्रवेश
प्रवेश
मास मीडिया क्षेत्र में अपनी 15+ लंबी यात्रा में प्रवेश कुमारी कई प्रकाशनों से जुड़ी हैं। उनके पास जनसंचार और पत्रकारिता में मास्टर डिग्री है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से वाणिज्य में मास्टर भी हैं। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से व्यक्तिगत प्रबंधन और औद्योगिक संबंधों में डिप्लोमा भी किया है। उन्हें यात्रा और ट्रेकिंग में बहुत रुचि है। वह वाणिज्य, व्यापार, कर, वित्त और शैक्षिक मुद्दों और अपडेट पर लिखना पसंद करती हैं। अब तक उनके नाम से 6 हजार से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
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