नेपोटिज्म क्या है? | Nepotism meaning in Hindi

Nepotism meaning in Hindi :- यदि आप समाचार सुनते हैं तो एक शब्द आपको बहुत ज्यादा सुनने में आता होगा और वह है नेपोटिज्म। अब जो लोग राजनीति या बॉलीवुड से जुड़ी ख़बरों में रुचि रखते हैं उन्हें तो अक्सर यह नेपोटिज्म शब्द सुनने में आता होगा। तो यह नेपोटिज्म होता क्या है और इससे हमारा क्या तात्पर्य है। क्या यह कोई बुरा शब्द है या इसका संदर्भ किसी अच्छी बात से लिया जाता है। बहुत लोगों को नेपोटिज्म शब्द के बारे में नहीं पता होगा और इसी कारण हम यह लेख लिख रहे (Nepotism kya hota hai) हैं।

दरअसल यह एक ऐसी अवधारणा होती है जब किसी योग्य व्यक्ति के अधिकार को मार कर किसी अपने को वह अधिकार दे दिया जाता है। यह आपको किसी एक क्षेत्र में ही देखने को नहीं मिलेगा बल्कि वर्तमान समय में यह हर जगह देखने को मिल रहा है। अब बहुत लोग इसका गलत मतलब भी निकाल लेते हैं क्योंकि उन्हें नेपोटिज्म के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं होती (Nepotism kya hai) है।

इसलिए यदि आपको नेपोटिज्म क्या होता है या फिर नेपोटिज्म का क्या अर्थ होता है, इसके बारे में सही से जानना है तो उसके लिए आपको यह लेख पूरा और बहुत ही ध्यान से पढ़ना होगा। इस लेख में हम आपके साथ नेपोटिज्म के सही अर्थ और उसकी गलत अवधारणा के बारे में भी बात करेंगे। आइये जाने नेपोटिज्म का क्या मतलब होता (What mean by nepotism in Hindi) है।

नेपोटिज्म क्या है? (Nepotism meaning in Hindi)

सबसे पहले तो हम नेपोटिज्म क्या होता है या फिर नेपोटिज्म का मतलब क्या है, इसके बारे में बात कर लेते हैं। तो नेपोटिज्म एक ऐसी चीज़ को कहा जाता है जहाँ किसी एक व्यक्ति के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर किसी योग्य व्यक्ति के अधिकार को मार कर, उसकी जगह अपने किसी परिचित को वह अधिकार दिलवाना होता है। अब इसमें पहले वाला व्यक्ति प्रभावशाली होता है तो दूसरा व्यक्ति योग्य और तीसरा व्यक्ति पहले वाले का परिचित होता (Nepotism ka matlab kya hai) है।

नेपोटिज्म क्या है Nepotism meaning in Hindi

यदि आप अभी भी अच्छे से नहीं समझे हैं तो हम आपको इन तीन व्यक्तियों के बारे में अलग आलग करके समझा देते हैं ताकि आपको नेपोटिज्म क्या है, यह अच्छे से समझ में आ (Nepotism ke bare mein bataiye) सके। दरअसल नेपोटिज्म में इन तीन व्यक्तियों का ही संबंध होता है जिसमें से एक अत्याचारी, दूसरा पीड़ित और तीसरा लोभी होता है। आइये जाने।

पहला व्यक्ति

नेपोटिज्म में जो पहला व्यक्ति होता है जो नेपोटिज्म का जनक होता है वह यही होता है। यह व्यक्ति किसी ऊँचे पद पर आसीन होता है जो अपने पद के अनुसार बड़े निर्णय लेने या अन्य व्यक्तियों पर प्रभाव डालने में सक्षम होता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस पहले व्यक्ति का प्रभाव अपने क्षेत्र में अच्छा खासा होता है और वह आसपास के व्यक्तियों को भी प्रभावित कर सकता है। यह व्यक्ति नेपोटिज्म का जनक कहा जा सकता है जो अत्याचार का पर्यायी है।

दूसरा व्यक्ति

अब यह दूसरा व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो उस पद को पाने का अधिकारी होता है या यूँ कहें कि योग्य होता है। इसका पहले वाले व्यक्ति से कोई संबंध नहीं होता है लेकिन उसका हक़ पहले वाले व्यक्ति के कारण ही मारा जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि जो अधिकार या पद इस व्यक्ति को मिलने वाला था, वह पहले वाले व्यक्ति के कारण छीन जाता है। इस कारण इसे हम पीड़ित व्यक्ति की श्रेणी में रख सकते हैं।

तीसरा व्यक्ति

अब यह तीसरा व्यक्ति वह होता है जो पहले वाले व्यक्ति का कोई परिचित होता है या उसको किसी रूप में लाभ पहुंचाने वाला होता है। हालाँकि यदि हम नेपोटिज्म की बात कर रहे हैं तो इसे पहले वाले व्यक्ति का परिचित ही कहा जाएगा और वो भी करीब वाला। यह व्यक्ति पहले वाले व्यक्ति के प्रभाव से उस पद पर आसीन हो जाता है जो दूसरे व्यक्ति का अधिकार था। इस तरह से यह व्यक्ति नेपोटिज्म के अंतर्गत लोभी की श्रेणी में आ जाता है।

अब शायद आप नेपोटिज्म को समझ गए होंगे या इसकी परिभाषा का ज्ञान आपको हो गया होगा। दरअसल नेपोटिज्म एक ऐसे व्यक्ति के संदर्भ में देखा जाता है जब उस व्यक्ति को बिना ज्यादा मेहनत के या दूसरे व्यक्ति से कम योग्य होने के बाद भी वह पद मिल जाता है। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हम आपको उदाहरण देकर समझा देते हैं।

नेपोटिज्म का उदाहरण (Nepotism example in Hindi)

अब यदि आप नेपोटिज्म को बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो उसे उदाहरण से समझना ठीक रहेगा। वैसे तो नेपोटिज्म हर क्षेत्र में देखने को मिलता है लेकिन यदि उदाहरण की बात हो रही है तो उसमें हम आपको दो ऐसे क्षेत्रों के उदाहरण देकर समझा देते हैं जो नेपोटिज्म की दुनिया में शीर्ष पर आते हैं। इसमें पहले नंबर पर राजनीति है तो दूसरे नंबर पर बॉलीवुड इंडस्ट्री आती है। आइये दोनों के उदाहरण से नेपोटिज्म को समझ लेते हैं।

राजनीति में नेपोटिज्म

सबसे पहले हम भारतीय राजनीति में नेपोटिज्म की बात कर लेते हैं जो बहुत पुरानी है या यूँ कहें कि जब से देश स्वतंत्र हुआ है, तब से ही यह चलती आ रही है। अब यदि आप भारत में राजनीति कर रही क्षेत्रीय सहित राष्ट्रीय पार्टियों को देखेंगे तो पाएंगे कि अधिकतर पार्टियों को एक ही परिवार के द्वारा चलाया जाता है। अब जो राजनीतिक पार्टी होती है, वह किसी मुद्दे पर बनती है और उसमें हजारों नहीं लाखों कार्यकर्ता काम करते हैं।

ऐसे में एक ही परिवार का उस पार्टी में दबदबा होना, उनका ही सभी अहम निर्णयों में हस्तक्षेप होना और पार्टी के अन्य सभी व्यक्तियों का उनके अंतर्गत काम करना ही नेपोटिज्म कहलाता है। यदि हम भाजपा, AIDMK जैसी कुछ अपवाद पार्टियों को छोड़ दें तो अन्य हरेक राजनीतिक पार्टी इसी नेपोटिज्म का ही शिकार है। आप देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, एमके स्टालिन, सुखबीर सिंह बादल, उद्धव ठाकरे इत्यादि को नेपोटिज्म के उदाहरण के रूप में समझ सकते हैं।

बॉलीवुड में नेपोटिज्म

सबसे ज्यादा नेपोटिज्म की बात जिसमें होती है वह होती है स्टार किड्स के बारे में। स्टार किड्स का अर्थ हुआ बड़े बड़े सेलेब्रिटी के बच्चे। अब हर दिन हजारों लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई शहर में आते हैं। इसके लिए वे कड़ी मेहनत करते हैं, हर दिन ऑडिशन के लिए धक्के खाते हैं लेकिन अंत में मुख्य रोल मिलता है पहले से स्टार बने बैठे के बच्चों को। अब इसमें उन स्टार ने तो अपने समय में मेहनत की है लेकिन उनके बच्चे बिना किसी परिश्रम में किसी अन्य योग्य स्टार बन सकने वाले व्यक्ति का अधिकार मार लेते हैं।

आप बॉलीवुड सहित अन्य किसी इंडस्ट्री में ऐसे सैकड़ों उदाहरण देख लेंगे जहाँ बड़े बड़े स्टार के बच्चे मूवीज, सीरियल, सीरीज कर चुके हैं और कुछ तो लॉन्च होने के लिए भी तैयार बैठे हैं। कुछ मुख्य और बड़े नाम रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा, सोहा अली खान, जाह्नवी कपूर, करीना कपूर, करिश्मा कपूर, अभिषेक बच्चन इत्यादि हैं। अब यदि हम सभी के नाम लिखने लगेंगे तो लगभग पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री ही लपेटे में आ जाएगी।

नेपोटिज्म को हिंदी में क्या कहते हैं? (Nepotism meaning in Hindi)

वैसे तो नेपोटिज्म को हिंदी में भी नेपोटिज्म के नाम से ही जाना जाता है और यह शब्द कोई ज्यादा पुराना नहीं है। यह शब्द आज के समय में ही आया है जब पिछले कई दशकों से नेपोटिज्म देखने को मिल रहा है। फिर भी राजनीति की परिभाषा में नेपोटिज्म को भाई भतीजावाद कहकर संबोधित किया जाता है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था। नरेन्द्र मोदी जी अन्य राजनीतिक पार्टियों में हो रहे नेपोटिज्म को लेकर अक्सर तंज कसते हुए देखे जा सकते हैं और इस कारण भाई भतीजावाद नेपोटिज्म का प्रमुख हिंदी शब्द बन चुका है।

इनके अलावा यदि हम नेपोटिज्म के अन्य हिंदी नाम देखें तो इसके लिए हम स्वजन पक्षपात, कुल पक्षपात, कुनबा परस्ती इत्यादि कह कर संबोधित कर सकते हैं। कुल मिलाकर इसे या तो नेपोटिज्म या फिर भाई भतीजावाद कहकर ही जाना जाता है और लोग यह दोनों शब्द सुनकर ही इसका अर्थ निकाल लेते हैं।

नेपोटिज्म का गलत अर्थ

अब बहुत से लोग नेपोटिज्म की परिभाषा को समझ कर इसका गलत अर्थ भी निकाल लेते हैं। बहुत लोगों को लगता है कि यदि किसी व्यक्ति के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर कोई भी चीज़ अपने बेटे या सगे सम्बन्धी को दी जा रही है तो वह नेपोटिज्म कहलाता है जबकि हर चीज़ में ऐसा नहीं है। यदि वह व्यक्ति किसी ऐसी चीज़ को अपने परिचित को सौंप रहा है जो उसकी नहीं है तो ही उसे नेपोटिज्म कहा जाता है। अब जो चीज़ उसकी है या जिसे उसने अपने निजी हित के लिए अर्जित किया है तो वह अपने सगे सम्बन्धी को सौंपने पर नेपोटिज्म नहीं कहलाता है।

उदाहरण के तौर पर हाल ही में मुकेश अंबानी ने अपनी संपत्ति को अपने पुत्र पुत्रियों में बाँट दिया है। उन्होंने अपनी कंपनी में उन्हें डायरेक्टर समेत अन्य सभी बड़े पद दे दिए हैं ताकि उनके बाद उनके बच्चे उस कंपनी को आगे बढ़ा सकें। तो मुकेश अंबानी के द्वारा किया गया यह निर्णय नेपोटिज्म में नहीं आता है क्योंकि यह उनका खुद का व्यापार है और इसे वे किसी को भी सौंप सकते हैं।

कुल मिलाकर यदि हम अपनी चीज़ किसी को देते हैं तो वह नेपोटिज्म नहीं कहलाता है, जबकि हम किसी दूसरे का हक़ मारकर कोई ऐसी चीज़ किसी और को अर्थात अपने परिचित को देते हैं तो उसे ही हम नेपोटिज्म कह सकते हैं।

नेपोटिज्म के प्रकार (Nepotism ke prakar)

अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आखिरकार किस किस चीज़ में नेपोटिज्म देखने को मिल सकता है या फिर यह किस किस रूप में हो सकता है। वैसे तो इसके अलग अलग स्थिति और कार्य क्षेत्र में अलग अलग रूप देखने को मिल सकते हैं और यह एक लेख में समाहित करना सही नहीं रहेगा। फिर भी कुछ प्रमुख क्षेत्रों के आधार पर मोटे तौर पर नेपोटिज्म कहाँ कहाँ हो सकता है या किस रूप में होता है और उससे उसके क्या कुछ प्रकार निकलते हैं, उसके बारे में अब हम चर्चा कर लेते हैं।

चयन संबंधित नेपोटिज्म

नेपोटिज्म में सबसे पहले जो चीज़ आती है और जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है वह है चयन संबंधित नेपोटिज्म। अभी भी यदि आप इसे नहीं समझे हैं तो जब किसी पोस्ट या पद के लिए चयन प्रक्रिया या सलेक्शन प्रोसेस चल रहा होता है तो पहले वाले व्यक्ति के द्वारा जो कि उस क्षेत्र में प्रभाव रखता है, वह उसका दुरुपयोग कर दूसरे वाले व्यक्ति की योग्यता को नकार कर तीसरे वाले व्यक्ति अर्थात अपने परिचित का चयन कर लेता है।

इस तरह से वह पोस्ट उस तीसरे व्यक्ति को मिल जाती है और दूसरा व्यक्ति देखता रह जाता है। इसे हम चयन संबंधित नेपोटिज्म कह सकते हैं जिसमें पहले वाला व्यक्ति कानूनी रूप से गलत कर रहा होता है। यदि वह पकड़ में आ जाता है तो इसके लिए भारतीय कानून के अनुसार ना केवल उस पर कार्यवाही हो सकती है बल्कि तीसरे व्यक्ति को भी अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। हालाँकि यह कार्यवाही केवल सरकारी पदों में होती है जबकि प्राइवेट में इसे अपराध नहीं समझा जाता है।

प्रोमोशन देने में नेपोटिज्म

नौकरी लगना ही पर्याप्त नहीं होता है बल्कि नौकरी के बाद व्यक्ति का समय समय पर प्रोमोशन भी होता रहता है। इसी प्रोमोशन के कारण ही उसके जीवन की पटरी चलती रहती है और उसका घर परिवार सुखी रहता है। ऐसे में नौकरी के साथ साथ प्रोमोशन में भी नेपोटिज्म बहुत देखने को मिलता है। यह अक्सर निजी क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिलता है जहाँ बड़े पद पर काम कर रहे व्यक्ति अपने यहाँ कर्मचारियों का आंकलन करते समय अपने सगे सम्बन्धियों को अच्छे अंक दे देते हैं।

ऐसे में चाहे वे कैसा ही काम कर रहे हो लेकिन उन्हें अच्छे अंक मिल जाने के कारण उनका प्रोमोशन जल्दी होता है और साथ के साथ उनका वेतन भी बढ़ जाता है। इस तरह का नेपोटिज्म सरकारी व्यवस्था में भी देखने को मिलता है। एक तरह से यह नेपोटिज्म हर जगह और हर क्षेत्र में देखने को मिल जाएगा जहाँ अपनों को जल्दी प्रोमोशन मिलने की संभावना बनी रहती है।

शिक्षा देने में नेपोटिज्म

इस तरह का नेपोटिज्म नैतिक रूप से गलत कहा जा सकता है लेकिन है तो यह भी नेपोटिज्म ही। अब चाहे यह कानूनन रूप से गलत ना हो लेकिन नैतिक रूप से इसे गलत ही कहा जाएगा। इसमें एक व्यक्ति के द्वारा अपने को मिले ज्ञान को लेकर उन्हीं व्यक्तियों के साथ सांझा किया जाता है जो उसको अपने लगते हैं। वह उन्हें दूसरे लोगों के साथ सांझा नहीं करता है। एक तरह से अनुभवी व्यक्ति के ज्ञान का लाभ उसके परिचित ही उठा पाते हैं।

अब इसे पूरी तरह से नेपोटिज्म में भी नहीं गिना जा सकता है और नकारा भी नहीं जा सकता है। वह इसलिए क्योंकि यह तो मनुष्य पर ही निर्भर करता है कि वह अपने ज्ञान को किसके साथ बांटना चाहता है और किसके साथ नहीं लेकिन फिर भी हमने इसे नेपोटिज्म के एक प्रकार में रखा है। वह इसलिए क्योंकि धर्म की परिभाषा के अनुसार इसे नेपोटिज्म ही कहा जाता है।

अवसर प्रदान करने में नेपोटिज्म

अवसर प्रदान करने का अर्थ हुआ किसी व्यक्ति को ऐसे अवसर दे देना जिसका वह अधिकारी ना हो। यह कुछ हद्द तक पहले वाले अर्थात चयन वाले नेपोटिज्म से मेल खाता है लेकिन पूरी तरह नहीं। चयन वाले में नौकरी लगने से मतलब होता है जबकि अवसर को आप किसी चीज़ में भाग्य आजमाने से लेकर देख सकते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बॉलीवुड ही कहा जा सकता है जहाँ सेलेब्रिटी के द्वारा अपने बच्चों को फिल्मों के जरिए लॉन्च किया जाता है।

अब यदि उनकी मवी चल जाती है तो उन्हें अपने आप ही और मूवीज मिलने लग जाती है और यदि वह पिट जाती है तो उन्हें और ज्यादा मेहनत करनी होती है। इस तरह से वे योग्य लोगों के अवसर को छीन कर अपने बच्चों को अवसर प्रदान करते हैं जो पूरी तरह से नेपोटिज्म के अंदर ही आता है।

नेपोटिज्म के नुकसान (Nepotism ke nuksan)

अब हमने नेपोटिज्म के बारे में इतनी बात कर ली है तो अवश्य ही नेपोटिज्म के क्या कुछ नुकसान हो सकते हैं या इसके क्या दुष्परिणाम निकल कर सामने आते हैं, इसके बारे में आपको थोड़ा बहुत आईडिया तो हो ही गया होगा। फिर भी हम विस्तृत रूप में इन्हें आपके समाने रख देते हैं। आइये जाने नेपोटिज्म से क्या कुछ नुकसान देखने को मिलते हैं।

  • इसका सबसे बड़ा नुकसान उन लोगों को होता है जो उस अवसर के लिए योग्य होते हैं। उन्होंने वर्षों तक इतना परिश्रम किया होता है लेकिन नेपोटिज्म के कारण उन्हें उस तक पहुँचने में बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसे कुछ कुछ आप आरक्षण से जोड़कर भी देख सकते हैं जहाँ जनरल वर्ग के छात्रों को चयनित होने के लिए बहुत ज्यादा परिश्रम करने की जरुरत होती है।
  • इसका दूसरा नुकसान आम जानता को देखने को मिलता है क्योंकि नेपोटिज्म के कारण उन्हें जो गुणवत्ता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाती है। अब यह तो स्वाभाविक सी बात है कि जो योग्य व्यक्ति था, वह निश्चित तौर पर नेपोटिज्म के जरिये लगे व्यक्ति से अच्छा कार्य कर पाता। ऐसे में हमें कम गुणवत्ता वाला कार्य देखने को मिलता है।
  • नेपोटिज्म के कारण उस क्षेत्र की साख भी गिरती है और लोगों के बीच उसका महत्व कम होता चला जाता है। अब आप बॉलीवुड का हाल ही ले लीजिये। आज के समय में दक्षिण सिनेमा ने बॉलीवुड को पीछे धकेल दिया है और इसका एकमात्र कारण बॉलीवुड के अंदर गहराई तक फैला नेपोटिज्म ही है।
  • नेपोटिज्म के कारण उस क्षेत्र में जो लोग पहले से ही काम कर रहे हैं, उनके अंदर भी असंतोष पनपता है। वे समझ जाते हैं कि यदि उनका कोई बड़ा अपना उस क्षेत्र में नहीं है तो फिर ज्यादा काम करने का कुछ फायदा नहीं है। इससे ओवरऑल गुणवत्ता में कमी देखने को मिलती है।
  • नेपोटिज्म देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाती है क्योंकि यदि काम में गुणवत्ता नही आती है तो अवश्य ही इसके दूरगामी परिणाम देखने को तो मिलते ही हैं लेकिन अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होता है।

एक तरह से नेपोटिज्म के एक नहीं बल्कि अनेक नुकसान होते हैं जो धीरे धीरे करके सामने आते हैं। हालाँकि यह क्षेत्र और पोस्ट के अनुसार भिन्न भिन्न हो सकते हैं क्योंकि सभी का प्रभाव क्षेत्र अलग अलग होता है। ऐसे में किसी एक नुकसान को नेपोटिज्म के सभी क्षेत्रों से नहीं जोड़ा जा सकता है। फिर भी यदि हम सामूहिक रूप से देखें तो नेपोटिज्म किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं होता है और यह वृहद् स्तर पर बुरे परिणाम ही सामने लेकर आता है।

नेपोटिज्म क्या है – Related FAQs 

प्रश्न: नेपोटिज्म का मतलब क्या होता है?

उत्तर: नेपोटिज्म एक ऐसी चीज़ को कहा जाता है जहाँ किसी एक व्यक्ति के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर किसी योग्य व्यक्ति के अधिकार को मार कर, उसकी जगह अपने किसी परिचित को वह अधिकार दिलवाना होता है।

प्रश्न: नेपोटिज्म के प्रकार क्या हैं?

उत्तर: नेपोटिज्म के प्रकारों के बारे में जानकारी आपको ऊपर का लेख पढ़ कर मिल जायेगी।

प्रश्न: नेपोटिज्म को हिंदी में क्या कहते हैं?

उत्तर: नेपोटिज्म को हिंदी में कुल पक्षपात कहा जाता है और वैसे इसे सब भाई भतीजावाद के नाम से जानते हैं।

तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने नेपोटिज्म क्या है यह जानकारी हासिल कर ली है। साथ ही आपने जाना कि नेपोटिज्म को हिंदी में क्या कहते हैं नेपोटिज्म के प्रकार क्या हैं और इसके नुकसान क्या हैं इत्यादि। आशा है कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख पसंद आया होगा।

लविश बंसल
लविश बंसल
लविश बंसल वर्ष 2010 में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया और वहां से वर्ष 2014 में बीटेक की डिग्री ली। शुरुआत से ही इन्हें वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना या इससे संबंधित क्षेत्रों में भाग लेना अच्छा लगता था। इसलिए ये काफी समय से लेखन कार्य कर रहें हैं। इनके लेख की विशेषता में लेख की योजना बनाना, ग्राफ़िक्स का कंटेंट देखना, विडियो की स्क्रिप्ट लिखना, तरह तरह के विषयों पर लेख लिखना, सोशल मीडिया कंटेंट लिखना इत्यादि शामिल है।
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