नई क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या है? (What is new credit guarantee scheme?)
यूं तो ज्यादातर युवाओं का सपना पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करना होता है, लेकिन आप जानते हैं कि नौकरी, वह भी सरकारी नौकरी की तादाद लगातार कम होती जा रही है। इसे देखते हुए हमारे देश की नरेंद्र मोदी सरकार स्व-रोजगार सृजन पर खासा जोर दे रही है। एमएसएमई की स्थापना एवं उसे प्रोत्साहित करने के लिए भी वह कई योजनाएं चला रही है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम ऐसी ही एक योजना है। सरकार ने हाल ही में एक फरवरी, 2024 को घोषित आम बजट 2023-24 में नई क्रेडिट गारंटी स्कीम (New credit guarantee scheme) की घोषणा की है। आज इस पोस्ट में हम आपको इसी योजना के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या होती है? (What is credit guarantee scheme?)
दोस्तों, यह तो आप जानते ही हैं कि प्रत्येक व्यवसाय और खास तौर पर एमएसएमई को इसकी वित्तीय आवश्यकताओं (financial needs) को पूरा करने के लिए आसान ऋण सुविधाओं (easy loan facility) की आवश्यकता होती है। चाहे व्यवसाय को किक-स्टार्ट यानी शुरू किया जाना हो, चाहे व्यवसाय को चलाने के लिए कार्यशील पूंजी (working capital) की आवश्यकता हो, उत्पादन (production) के लिए आवश्यक उपकरण (instruments) खरीदने हों अथवा अतिरिक्त पूंजी (extra capital) लगानी हो, प्रत्येक कार्य के लिए रोकड़े की आवश्यकता होती है।
अब आप कहेंगे कि इसके व्यावसायिक ऋण (commercial loan) उपलब्ध हैं, लेकिन दोस्तों, आप जानते ही हैं कि जब एमएसएमई अपनी शुरुआती स्थिति में होता है तो उसे यह लोन आसानी से नहीं मिलता। ऐसे में इन एमएसएमई को आसान ऋण प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा क्रेडिट गारंटी स्कीम चलाई जा रही है, ताकि उन्हें बगैर किसी गारंटी के कर्ज मुहैया कराया जा सके और देश में अधिक से अधिक एमएसएमई स्थापित हो सकें।
क्रेडिट गारंटी स्कीम की शुरुआत कब हुई? (When did credit guarantee scheme was launched?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि क्रेडिट गारंटी स्कीम नाम की यह योजना 1 जनवरी, 2000 से काम कर रही है। इसे आधिकारिक रूप से (officially) 30 अगस्त 2000 को लागू किया गया। इसके कारपस (Corpus) में एमएसएमई के लिए पैसे का योगदान केंद्र सरकार (Central government) एवं सिडबी (SIDBI) द्वारा 4:1 के अनुपात (ratio) में किया जाता है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम की क्या खूबियां हैं? (What are the specialities of credit guarantee scheme?)
मित्रों, अब आपको जानकारी देते हैं कि इस क्रेडिट गारंटी स्कीम की क्या क्या खूबियां हैं –
- * इस स्कीम की सबसे बड़ी बात यह है कि क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत लोन संपार्श्विक मुक्त होंगे। यानी कि यदि लोन लेने वाला एमएसएमई लोन अदा करने में नाकाम रहता है तो उसकी संपत्ति अथवा संपत्ति का कोई हिस्सा जब्त नहीं किया जा सकता।
- * एमएसएमई को क्रेडिट प्राप्त करने के लिए किसी भी संपत्ति/सुरक्षा को गिरवी रखने अथवा तीसरे पक्ष की गारंटी की व्यवस्था करने की जरूरत नहीं रहेगी।
- यदि क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत लोन लेने वाला एमएसएमई किन्हीं कंट्रोल के बाहर के कारणों से बीमार हो जाता है, तो ऐसे में स्क्रीन के अंतर्गत एमएसएमई को पुनर्वास सुविधा (rehabilitation facility) भी प्रदान की जाती है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत कितने तक का लोन लिया जा सकता है? (How much loan can be taken under this credit guarantee scheme?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि वर्तमान में क्रेडिट गारंटी स्कीम के अंतर्गत अधिकतम 50 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है। इस लोन के लिए गारंटी कवर 5 वर्ष है। इस अवधि से अधिक के लिए यह लोन 5 वर्ष के ब्लॉक में प्रदान किया जाता है। मित्रों, आपके लिए यह जानना भी आवश्यक है कि इस स्कीम के तहत मंजूर क्रेडिट की 1% प्रति वर्ष की कुल फीस ली जाती है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम का लाभ लेने के लिए कौन पात्र हैं? (Who is eligible to take the benefit of credit guarantee Scheme?)
साथियों, अब आप सोच रहे होंगे कि क्रेडिट गारंटी स्कीम का लाभ लेने का पात्र कौन है? तो अच्छी बात यह है कि इस क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत नए और मौजूदा दोनों एमएसएमई क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं। यानी यदि आपको आपके व्यवसाय के लिए धन की आवश्यकता है, तो आपको कहीं और देखने की जरूरत नहीं।
आपको जानकारी दे दें कि यह स्कीम एमएसएमई के विकास आयुक्त (development commissioner) के तहत उपलब्ध है। इस स्कीम को एमएसएमई, एवं भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) मिलकर चलाते हैं। इन्होंने एमएसएमई के लिए एक क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (credit guarantee fund trust) की स्थापना की है। यही क्रेडिट गारंटी स्कीम को लागू करता है।
नई क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या है? (What is new credit guarantee scheme?)
मित्रों आपको जानकारी दे दें कि केंद्र सरकार द्वारा आम बजट 2023-24 में एमएसएमई क्षेत्र के लिए नई क्रेडिट गांरटी स्कीम (New credit guarantee scheme) का प्रस्ताव पेश किया गया है। यह योजना 1 अप्रैल, 2024 से शुरू होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister Nirmala sitaraman) के अनुसार इस संशोधित क्रेडिट गारंटी स्कीम (ammended credit guarantee scheme) के लिए 9,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस स्कीम (scheme) से एमएसएमई को 2 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कोलेट्रल फ्री कर्ज (collateral free loan) लेने में मदद मिलेगी।
एमएसएमई का क्या अर्थ है? (What is the meaning of MSME?)
मित्रों, जैसे कि हम ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आम बजट में एमएसएमई क्षेत्र के लिए नई क्रेडिट गारंटी स्कीम लाई गई है तो अब यह जान लेते हैं कि एमएसएमई (MSME) का क्या अर्थ होता है? साथियों, यदि MSME के फुल फॉर्म की बात करें तो यह Micro, Small, and Medium Enterprises होती है। साथियों, इसे हिंदी में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम कहते है। केंद्र सरकार द्वारा देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने एवं उनकी आर्थिक सहायता करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई मंत्रालय (MSME ministry) भी बनाया गया है।
मित्रों, आपको यह भी बता दें कि आज से करीब 15 वर्ष पूर्व यानी सन् 2007 में केंद्र सरकार (कार्य आबंटन) के नियम : 1961 में संशोधन (ammendment) किया गया। इसके बाद, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय का निर्माण करने के लिए तत्कालीन लघु उद्योग मंत्रालय (ministry of small industries) तथा कृषि और ग्रामीण उद्योग मंत्रालय
(ministry of agriculture and rural industry) का विलय कर दिया गया था।
एमएसएमई में कितने निवेश और टर्नओवर वाले उद्योग शामिल हैं? (Industries of how much investment and turnover are included in MSME?)
मित्रों, आपको जानकारी दे दें कि केंद्र सरकार द्वारा आज से करीब तीन वर्ष पूर्व 1 जून, 2020 को एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन किया गया। ऐसा कोरोना के असर को देखते हुए एमएसएमई को राहत पहुंचाने के लिए किया गया। इसके तहत एमएसएमई के दोनों प्रकारों- मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस (manufacturing and service sector) सेक्टर को एक ही दायरे में ला दिया गया। अब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की सीमा इस प्रकार से है-
सूक्ष्म उद्योग (micro enterprise) :
एक करोड़ रुपए तक के निवेश (investment) एवं 5 करोड़ तक के टर्नओवर (turnover) वाले उद्योग को सूक्ष्म उद्योग यानी माइक्रो इंटरप्राइज (micro enterprise) का दर्जा दिया गया है।
लघु उद्योग (small enterprises) :
10 करोड़ तक के निवेश एवं 50 करोड़ के टर्नओवर (turnover) वाले इंटरप्राइज को लघु उद्योग माना गया है।
मध्यम उद्योग (medium enterprises) :
30 करोड़ तक के निवेश एवं 100 करोड़ के टर्नओवर वालों को मध्यम उद्यमों की श्रेणी में रखा गया है।
हमारे देश में इस वक्त कितने एमएसएमई हैं? (How many MSME are there in the country?)
साथियों, आपको जानकारी दे दें कि वर्तमान में हमारे देश में कुल साढ़े छह करोड़ के आस-पास MSME हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि इसमें से 86% एमएसएमई अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं। केवल 1.1 करोड़ ही एमएसएमई जीएसटी (GST) यानी वस्तु और सेवा कर (Goods and service tax) में रजिस्टर्ड हैं।
खास बात यह है कि हमारे देश के कुल उत्पादन में वस्त्र निर्माण एमएसएमई का योगदान 8.75 प्रतिशत है। खाद्य एवं पेय उत्पादकों की 6.94 प्रतिशत के आस-पास हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त अन्य सेवाओं में 6.2 प्रतिशत और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों (commercial activities) में इनकी हिस्सेदारी 3.77 प्रतिशत है।
एमएसएमई का देश के विकास में क्या योगदान है? (What is the role of MSME in the development of the country?)
दोस्तों, यदि बात एमएसएमई के भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) के विकास में योगदान की जाए तो यह समझ लीजिए कि MSME को भारतीय अर्थव्यवस्था का बैक बोन (back bone) यानी रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। सबसे बड़ी बात कि यह रोजगार सृजन (employment generation) का सबसे बड़ा माध्यम है। इससे करीब 12 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिला हुआ है। यदि जीडीपी की बात करें तो MSME देश के सकल घरेलू उत्पाद (gross development product) जीडीपी (GDP) में लगभग 29 फीसदी का अकेला योगदान करता है।
भारत के बड़े सूक्ष्म उद्योग कौन कौन से हैं? (Which are the big Micro industries of India?)
साथियों, अब आपको बताते हैं कि बड़े सूक्ष्म उद्योग कौन कौन से हैं –
- फैंसी ज्वेलरी बनाना।
- घर में इस्तेमाल किया जाने वाला कूलर बनाना।
- डिस्पोजेबल कप-प्लेट बनाना।
- एल्युमीनियम का सामान जैसे बर्तन आदि बनाना।
- करंट मापने वाला मीटर अथवा वोल्ट मीटर बनाना।
- अस्पताल में इस्तेमाल होने वाला स्ट्रेचर बनाना।
- वाहनों में लगने वाली हैडलाइट बनाना।
- कपड़े अथवा चमडे के बैग,
- बटुआ व हैंडबैग बनाना।
- मसाले बनाने का काम।
- हर्बल सामान जैसे साबुन, तेल आदि का निर्माण।
- हैंडमेड चॉकलेट का निर्माण।
- कुकीज़ व बिस्कुट बनाना।
- देसी घी, मक्खन व पनीर बनाना।
- मोमबत्ती व अगरबत्ती निर्माण।
- टॉफ़ी, चीनी की मिठाई बनाना
- सोडा, अलग फ्लेवर्ड ड्रिंक बनाना।
- फलों का गूदा निकालकर बेचना।
- क्लाउड किचन का काम।
- कांटेदार तार बनाना।
- टोकरी निर्माण।
- चमड़े की बेल्ट, जूते-चप्पल बनाना।
- झाड़ू बनाना
- जूते की पॉलिश बनाना।
- कपड़े रखने का बक्सा अथवा अटैची बनाना
- प्लेट-कटोरी बनाना।
- पारम्परिक औषधियों का निर्माण।
- पेपर बैग व लिफाफे का निर्माण।
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क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या है?
स्कीम के अंतर्गत एमएसएमई को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराया जाता है।
क्रेडिट गारंटी स्कीम कब लागू हुई थी?
यह स्कीम आज से करीब 23 वर्ष पूर्व सन् 2000 में लागू हुई थी।
इस लोन के पात्र कौन से एमएसएमई होते हैं?
पुराने व मौजूदा दोनों ही तरह के एमएसएमई इस लोन के लिए पात्र होते हैं।
नई क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या है?
सरकार द्वारा आम बजट 2023-24 में इस योजना का प्रस्ताव किया गया है।
नई क्रेडिट गारंटी स्कीम कब से लागू होगी?
यह स्कीम एक अप्रैल, 2024 से लागू होगी।
इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार द्वारा क्या प्रावधान किया गया है?
इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 9,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
एमएसएमई क्या है?
एमएसएमई का अर्थ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों से है। इन्हें बढ़ावा व आर्थिक सहायता के लिए एमएसएमई मंत्रालय की स्थापना की गई है।
एमएसएमई की परिभाषा में सन् 2020 में क्या बदलाव किए गए हैं?
इन बदलावों के संबंध में हमने आपको ऊपर पोस्ट में विस्तार से बताया है। आप वहां से पढ़ सकते हैं।
दोस्तों, हमने आपको इस पोस्ट (post) में बताया कि नई क्रेडिट गारंटी स्कीम क्या है? उम्मीद है कि आपको इस योजना के सारे बिंदु स्पष्ट हो गए होंगे। यदि आपका हमसे इस संबंध में कोई सवाल अथवा सुझाव है तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स (comment box) में कमेंट (comment) करके हम तक भेज सकते हैं। ।।धन्यवाद।।
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