|| स्थानीय या निकाय चुनाव क्या होते हैं? | Nikay chunav kya hota hai | Local election in India in Hindi | Nikay chunav ka matlab kya hai | स्थानीय चुनाव कौन आयोजित करवाता है? | Nagar palika kya hai in Hindi ||
Nikay chunav kya hota hai :- भारत देश में कई तरह के चुनाव होते हैं और हम देश के आम नागरिक उन चुनावों के माध्यम से अपने नेता को चुनते हैं। इनके द्वारा ही हमारे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व स्थानीय नेता का चुनाव होता है। तो इन्हें राष्ट्रीय, राजकीय व स्थानीय या निकाय चुनाव को तीन भागों में बांटा जाता है। इसमें सबसे छोटे स्तर का चुनाव स्थानीय चुनाव (Nikay chunav kise kahate hain) होता है जिसे हम निकाय चुनाव के नाम से भी जानते हैं।
यह स्थानीय या निकाय चुनाव शहर या गाँव की जनसंख्या पर आधारित होते हैं। उसी को ध्यान में रख कर इनका चुनाव संपन्न करवाया जाता है। तो आज के (Local election in India in Hindi) इस लेख में हम आपके साथ स्थानीय चुनाव के बारे में ही बात करने वाले (Nikay chunav ka matlab kya hai) हैं जिन्हें संवैधानिक भाषा में निकाय चुनाव कहा जाता है। आइए जाने यह स्थानीय या निकाय चुनाव क्या होते हैं।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि भारत देश में कई तरह के चुनाव होते हैं जिनमे राष्ट्रीय, राजकीय व स्थानीय स्तर के चुनाव होते (Nikay chunav ka matlab) हैं। अब इनमे तीन तरह का विभाजन हम देख सकते हैं। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए हम इसको तीन भागो में बाँट कर समझते हैं।
- भारत देश का सबसे बड़ा चुनाव रष्ट्रीय स्तर का चुनाव होता है जिसके जरिये हम अपने सांसद का चुनाव करते हैं। यह सांसद देश के सभी जिलों की संसदीय क्षेत्रों से चुने जाते हैं। देश में कुल 543 सांसदों का चुनाव किया जाता है जिनका संबंध विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से होता है। यह देश की राजधानी नयी दिल्ली में स्थित लोक सभा संसद में बैठते हैं और दुनिया में हमारे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हीं के बीच में से एक सांसद को प्रधानमंत्री के तौर पर चुना जाता है।
- राष्ट्रीय स्तर के चुनावों के बाद आते हैं राज्य के स्तर पर होने वाले चुनाव जिनके द्वारा हम अपने शहर के विधायक का चुनाव करते हैं। हर राज्य का विधान सभा का चुनाव अलग अलग संपन्न करवाया जाता है और उसमे होने वाले विधायकों की संख्या भी वहां की जनसंख्या पर निर्भर करती है। तो ये सभी चुने हुए विधायक उस राज्य की राजधानी में स्थित विधान सभा में बैठते हैं। उन्हीं विधायकों में से एक विधायक को उस राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाता है जो उस राज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- अब देश की बात हो गयी और राज्य की भी। तो हर राज्य में कई शहर, गाँव आते हैं। ऐसे में उन शहरों या गाँवों का भी प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई व्यक्ति चाहिए होता है। तो उसी के लिए स्थानीय या निकाय चुनाव करवाए जाते हैं जिनमे हम अपने पार्षद को चुनते हैं। अब उन्हीं पार्षदों में से ही एक को उन सभी का अध्यक्ष बनाया जाता है।
तो अब इसी स्थानीय चुनाव की परिभाषा को विस्तार देते हुए हम बता दें कि इसके द्वारा मुख्य तौर पर लोगों की जनसंख्या के आधार पर पार्षदों का चुनाव करवाया जाता है। इसके लिए हर शहर को वार्ड के रूप में बांटा गया होता है और हर वार्ड का एक पार्षद चुना जाता है। एक राज्य में सभी शहरों के पार्षदों के चुनाव एक साथ ही संपन्न करवाए जाते हैं। इसके लिए अलग अलग तरह की कोई प्रक्रिया नहीं होती है।
कहने का अर्थ यह हुआ कि जिस प्रकार देश के सभी राज्यों के चुनाव अलग अलग समय पर आयोजित करवाए जाते हैं जो कि उनके पांच वर्ष के कार्यकाल के पूरा होने पर निर्भर करते हैं। किंतु स्थानीय चुनाव में ऐसा नहीं होता है। हालाँकि अलग अलग राज्यों के स्थानीय चुनावों को अलग अलग समय पर आयोजित करवाया जाता है।
यह स्थानीय चुनाव होते कैसे हैं, इसके बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए। तो यहाँ हम आपको बता दें कि इन स्थानीय या निकाय चुनावों को कुल 4 भागों में विभाजित किया जाता है जो वहां की जनसंख्या के घनत्व पर निर्भर करता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि इन स्थानीय चुनावों को 4 नाम दिए गए हैं, जो पूर्ण रूप से उस जगह की जनसंख्या व प्रकार पर निर्भर करते हैं।
तो आज के इस लेख में हम आपके साथ इन चारों निकाय चुनावों की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। आइए जाने इन निकाय चुनावों को किस किस भाग में बांटा गया है और वहां की चुनावी प्रक्रिया को कैसे आयोजित करवाया जाता है।
स्थानीय स्तर पर जो चुनाव करवाए जाते हैं उसमे सबसे बड़ा चुनाव नगर निगम का ही माना जाता है। तो नगर निगम के चुनावो को देश के राज्यों के प्रमुख शहरों या मेट्रो शहरों जहाँ की जनसंख्या 10 लाख से अधिक होती है, वहां पर संपन्न करवाया जाता (nagar nigam kya hote hain) है। कहने का अर्थ यह हुआ कि देश के ऐसे जितने भी शहर है जहाँ की जनसंख्या 10 लाख से ऊपर है तो वहां का स्थानीय चुनाव या निकाय चुनाव को नगर निगम का चुनाव कह दिया जाता है।
यह नगर निगम का चुनाव निकाय चुनाव में सबसे बड़ा होता है और यहाँ के पार्षद और पार्षदों का अध्यक्ष भी सबसे शक्तिशाली होता है। तो उस शहर में जितने भी वार्ड (Nagar nigam kya hai in hindi) है, वहां पर सभी लोग अपने अपने पार्षद का चुनाव करते हैं। उसके बाद उन चुने हुए पार्षदों को उस शहर की नगर निगम के कार्यालय में बैठना होता है और अपने अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करना होता है। एक तरह से उस शहर के उस वार्ड के विकास कार्यों का उत्तरदायित्व उसी पार्षद के ऊपर ही होता है।
तो अब वे सभी पार्षद अपने में से किसी एक पार्षद को अपना अध्यक्ष चुनते हैं। तो जिस भी पार्षद को नगर निगम का अध्यक्ष या प्रमुख चुना जाता है उसे उस नगर निगम का महापौर कहा जाता है। इस महापौर को अंग्रेजी भाषा में मेयर (Mayor in Hindi) कहा जाता है। महापौर के साथ साथ एक उप महापौर का भी चुनाव किया जाता है जिसे अंग्रेजी भाषा में डिप्टी मेयर कहा जाता है।
नगर निगम के बाद निकाय चुनाव में जो चुनाव आते हैं वे होते हैं नगर परिषद के चुनाव। नगर परिषद नगर निगम से छोटी होती है लेकिन नगर पालिका व पंचायत से बड़ी होती है। तो भारत के जिन शहरों की जनसंख्या 5 से 10 लाख के बीच में होती है वहां पर नगर परिषद का चुनाव संपन्न करवाया जाता है। भारत के अधिकतर शहर ऐसे हैं जहाँ पर जनसंख्या 5 से 10 लाख के बीच (Nagar parishad kya hai) में होती है। तो ऐसे में नगर निगम की तुलना में देश में नगर परिषद की संख्या बहुत ही अधिक होती है।
नगर परिषद के चुनाव में भी शहरों के लोग (Nagar parishad kya hai in Hindi) अपने अपने वार्ड में पार्षद का ही चुनाव करते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि इसकी प्रक्रिया भी नगर निगम के जैसी ही होती है जिसमे शहर को कई वार्डों में विभाजित किया गया होता है। फिर हर वार्ड के लोग अपने अपने यहाँ का एक पार्षद चुन लेते हैं। अब उन सभी चुने हुए पार्षदों को उस शहर की नगर परिषद के कार्यालय में बैठना होता है।
जिस तरह से नगर निगम के पार्षदों के द्वारा अपना एक प्रमुख चुना जाता है, उसी तरह (nagar parishad kya hoti hai) नगर परिषद के पार्षद सदस्यों को भी अपने में से एक प्रमुख या मुख्य पार्षद का चुनाव करना होता है। तो उनके द्वारा जिस भी व्यक्ति को नगर परिषद का प्रमुख चुना जाता है उसे सभापति (Sabhapati kaun hai) की संज्ञा दी जाती है। इसे अंग्रेजी भाषा में नगर परिषद का चेयरमैन कह दिया जाता है। इसी के साथ साथ एक उप सभापति का चुनाव भी किया जाता है जिसे अंग्रेजी भाषा में डिप्टी चेयरमैन कहा जाता है।
स्थानीय चुनाव में जो तीसरे स्तर का चुनाव होता है वह नगर पालिका का चुनाव होता है जिसे एक तरह से शहर का सबसे नीचले स्तर का चुनाव कहा जाता है। अब इसमें भारत के ऐसे सभी शहर जहाँ की जनसंख्या 5 लाख से कम होती है, फिर चाहे वह कितनी भी क्यों ना हो, वहां पर नगर पालिका का चुनाव संपन्न करवाया जाता है। यह भारत के ऐसे शहर होते हैं जिन्हें शहर भी नहीं कहा जाता है अर्थात इन्हें तहसील या कस्बा कह कर संबोधित किया जाता (Nagar palika kya hota hai) है। ये इस जिले के शहर के आसपास के छोटे शहर या कस्बे होते हैं।
एक तरह से नगर पालिका के चुनाव वहां होते हैं जो ना तो शहर होते हैं और ना ही गाँव में आते हैं, उन्हें कस्बा कह दिया जाता है। इन कस्बो में भी नगर पालिका की चुनावी प्रक्रिया को नगर निगम व नगर परिषद के जैसे ही संपन्न करवाया जाता है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यहाँ भी उस कस्बे को वार्ड में विभाजित किया गया होता है जहाँ के (Nagar palika kya h) लोग अपने अपने वार्ड के लिए एक पार्षद का चुनाव करते हैं। अब उन सभी चुने हुए पार्षदों को उस कस्बे की नगर पालिका के कार्यालय में बैठ कर कार्य करना होता है।
तो जो जो पार्षद अपने अपने वार्ड से चुन कर उस क्षेत्र की नगर पालिका में बैठे हैं और अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं, उनको अपने में से किसी (Nagar palika kya hai in Hindi) एक पार्षद को अपने कस्बे का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनना होता है। ऐसे में जो भी पार्षद उस नगर पालिका के प्रमुख के तौर पर चुना जाता है उसे अध्यक्ष कहा जाता है। उसे अंग्रेजी भाषा में प्रेसिडेंट भी कह दिया जाता है या हेड भी। इसी के साथ एक उपाध्यक्ष का भी चुनाव किया जाता है जिसे अंग्रेजी में वाईस प्रेसिडेंट या डिप्टी हेड कह दिया जाता है।
स्थानीय चुनाव में जो सबसे अंतिम चुनाव होते हैं वे होते हैं पंचायत के चुनाव। इन्हें शहर के स्तर पर आयोजित नहीं करवाया जाता है बल्कि भारत के असंख्य गाँवों में आयोजित करवाया जाता है। वही गाँव जहाँ भारत देश की आत्मा बसती है और वही से ही किसी भी चुनाव को राष्ट्रीय या राजकीय स्तर पर प्रभावित किये जाने की क्षमता रखी जाती है। वह इसलिए क्योंकि शहरों के वोट को विभिन्न मुद्दों पर बांटा जा सकता है लेकिन गाँव के लोग एक साथ एक ही पार्टी (Panchayat ka chunav kaise hota hai) को वोट देने में माहिर होते हैं।
तो स्थानीय चुनाव में हर गाँव में पंचों का चुनाव किया जाता है जिन्हें गाँव के लोगों के बीच में से ही चुना जाता है। अब इसे पंच इसलिए नाम दिया गया है क्योंकि हर गाँव में से केवल पांच लोगों को ही उसका प्रतिनिधित्व करने को चुना जाता है। यही उस गाँव के पंच परमेश्वर कहे जाते हैं जिनके ऊपर उस गाँव की जिम्मेदारी होती है। अब इन्हीं पंचों में से एक सरपंच का चुनाव होता है जो मुख्य तौर पर उस गाँव का प्रतिनिधित्व करता है।
हालाँकि इसमें पंचों के अलावा भी और लोग होते हैं जिन्हें पंचायत के सदस्य कहा जाता है। यह हर गाँव की जनसंख्या के अनुसार भिन्न भिन्न होती है। तो उन सभी पंचायत के सदस्यों में से ही कीन्हीं पांच लोगों को पंच के रूप में चुना जाता है। अब उन्हीं में से एक सरपंच व उप सरपंच का चुनाव किया जाता है जो उस गाँव का प्रधान होता है। इन्हें गाँव के पंचायत भवन में बैठ कर गाँव की प्रगति के लिए कार्य करना होता है।
स्थानीय या निकाय चुनाव को आयोजित कौन करवाता है या यूँ कहे कि इस चुनावी प्रक्रिया को आयोजित करवाने का जिम्मा किसके सिर पर होता है। तो यदि आप सोच रहे हैं कि किसी भी राज्य में स्थानीय या निकाय चुनाव को वहां की राज्य सरकार आयोजित करवाती है तो आप गलत है। उन चुनावो को वहां का राजकीय चुनाव आयोग आयोजित करवाता है जिसकी निगरानी केंद्रीय चुनाव आयोग करता है। हालाँकि यह इतने प्रभावी तरीके से संपन्न नही हो पाते हैं। इसके कारण हम आपको नीचे बताएंगे।
बहुत बार यह देखने में आया है कि हम या आप स्थानीय चुनावो में हो रही धांधली को देखते हैं या फिर इसे दूसरों शब्दों में कहे तो ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है कि किसी स्थानीय चुनाव में उस राजनीतिक पार्टी की हार हो जाए जो वहां की राज्य की सत्ता में बैठी है। इसे यदि स्पष्ट शब्दों में समझा जाए तो किसी राज्य में यदि स्थानीय या निकाय चुनाव होते हैं तो वहां पर लगभग वही राजनीतिक पार्टी की जीत होती है जो उस राज्य की सत्ता में बैठी है। अब इसका एक कारण यह भी है जिसके बारे में आपका जानना जरुरी है।
चुनावो को करवाने का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग के पास होता है और वह इसे वहां के प्रशासन, सरकारी अधिकारियों व पुलिस बल के द्वारा आयोजित करवाती है। तो यदि देश में राष्ट्रीय चुनाव हो रहा है तो सत्ता को भंग कर दिया जाता है और सभी संवैधानिक शक्तियां चुनाव आयोग के पास आ जाती है। उसी प्रक्रिया का पालन राज्य के चुनाव में भी किया जाता है जहाँ की सभी शक्तियां चुनाव आयोग के पास आ जाती है।
अब जब स्थानीय चुनाव होता है तो चुनाव आयोग उस राज्य की सभी नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका व पंचायतो को तो भंग कर देती है लेकिन उस राज्य के सभी अधिकारी, पुलिस इत्यादि अभी भी उस राज्य सरकार के ही अधीन होते हैं। अब चुनाव आयोग तो उन्ही के दम पर यह चुनाव करवाता है। ऐसे में यह चुनाव आयोग के समक्ष एक चुनौती ही होती है कि ऐसे लोगों के द्वारा चुनाव संपन्न करवाया जाए जो पहले से ही उस राज्य की राजनीतिक पार्टी के अधीन है।
निकाय चुनाव क्या होते है – Related FAQs
उत्तर: स्थानीय निकायों का चुनाव उस राज्य का राजकीय चुनाव आयोग केंद्रीय चुनाव आयोग की निगरानी में करवाता है।
प्रश्न: स्थानीय निकाय क्या होता है?
उत्तर: स्थानीय निकाय का मतलब होता है नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका।
प्रश्न: नगर निकाय का मतलब क्या है?
उत्तर: नगर निकाय का मतलब होता है उस शहर के पार्षदों का समूह जो वहां के वार्ड से जीत कर आये हैं।
प्रश्न: स्थानीय निकाय के चार प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: स्थानीय निकाय के चार प्रकार के नाम नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका व पंचायत है।
इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आप यह जान चुके हैं कि निकाय चुनाव क्या होते हैं और उन्हें किन किन भागो में बाँट कर आयोजित करवाया जाता है। इसके साथ ही आपने यह भी जाना कि क्यों स्थानीय चुनाव इतने प्रभावी व निष्पक्ष तरीके से संपन्न नहीं हो पाते हैं। तो यदि आपके दिमाग में इस समस्या का कोई हल हो तो नीचे टिप्पणी करके हमें अवश्य बताइयेगा।