|| नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय सूची | Nobel prize winners in India in Hindi | Nobel puraskar sammanit bharatiya | Indian nobel prize winners in Hindi | Rabindranath Tagore got the nobel prize for in Hind | Amartya Kumar Sen got nobel prize for in Hind ||
Nobel prize winners in India in Hindi :– पूरी दुनिया में जिस पुरस्कार को सबसे बड़ा माना जाता है उसका नाम है नोबेल पुरस्कार। अब जिस प्रकार भारत देश के लिए भारत रत्न सबसे बड़ा पुरस्कार है ठीक उसी तरह दुनिया में सबसे बड़ा पुरस्कार नोबेल पुरस्कार है। किसी भी देश के नागरिक को यह मिलना उस पूरे देश के लिए ही एक उपलब्धि मानी जाती है। नोबेल पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1901 में हुई थी और तब से लेकर आज तक यह लगभग 900 लोगों को दिया जा चुका है जिसमें से 90 प्रतिशत पुरुष व 10 प्रतिशत के आसपास महिलाएं (Nobel puraskar sammanit bharatiya) हैं।
हालाँकि यह नोबेल पुरस्कार केवल व्यक्ति विशेष को ही नहीं अपितु किसी संस्था, कंपनी इत्यादि को भी दिया जा सकता है लेकिन यह जिन क्षेत्रों में दिया जाता है, वह बहुत ही सीमित है। यह किसी भी व्यक्ति विशेष या संस्था को केवल रसायन, अर्थशास्त्र, चिकित्सा, शांति, साहित्य व भौतिकी के क्षेत्र में दिया जाता है। इसमें भी अर्थशास्त्र को कुछ वर्ष पहले ही जोड़ा गया है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि आज तक कितने भारतीयों को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका (First nobel prize winners in India in Hindi) है।
तो आज के इस लेख में हम आपके साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीयों की सूची और उनके बारे में संक्षेप में जानकारी ही सांझा करने जा रहे हैं। इसमें आपको यह जानने को मिलेगा कि किन किन भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है और उन्हें यह नोबेल पुरस्कार किस विषय या क्षेत्र में मिला है इत्यादि। आइये जाने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीयों की (Make a chart showing Indian nobel prize winners in Hindi) सूची।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय सूची (Nobel prize winners in India in Hindi)
आपने यह तो जान लिया है कि वर्ष 1901 में नोबेल पुरस्कार को देने की परंपरा शुरू हुई थी और तब से लेकर आज तक कुल 11 भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। इसमें से केवल 4 भारतीय नागरिक ही पूर्ण रूप से भारतीय थे तथा अन्य 7 लोग या तो भारतीय मूल के विदेशी नागरिक थे या फिर विदेशी मूल के भारतीय नागरिक। कहने का अर्थ यह हुआ कि नोबेल पुरस्कार के विजेता 11 भारतीयों में से केवल 4 भारतीय ही भारतीय भी थे और भारतीय नागरिक (Indian nobel prize winners in Hindi) भी।
वहीं अन्य 7 लोग या तो भारत की भूमि में जन्मे थे या उनके माता पिता भारतीय थे लेकिन जब उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला तब तक वे किसी अन्य देश के स्थायी नागरिक बन चुके थे या फिर वे लोग जो विदेशी मूल के थे लेकिन जब उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला तो उन्होंने भारत देश की स्थायी नागरिकता ले ली (Who was the first Indian nobel prize winner in Hindi) थी। आइये इन सभी के बारे में एक एक करके जान लेते हैं।
रोनाल्ड रोस (Ronald Ross)
भारत से जो व्यक्ति प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता बना था वह रोनाल्ड रोस था लेकिन वह मूल भारतीय नहीं था। कहने का अर्थ यह हुआ कि जब भारत देश अंग्रेजों की गुलामी कर रहा था और ब्रिटिश नागरिकों का यहाँ पर शासन था तब उस समय रोनाल्ड रोस जो मूल रूप से ब्रिटिश नागरिक था लेकिन भारत में नागरिकता लेकर रह रहा था, उस समय उसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया (Indian nobel prize winners in Hindi) था।
वर्ष 1902 में रोनाल्ड रोस को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन्हें चिकित्सा व दवाइयों के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। दरअसल उस समय मलेरिया बहुत ही भयानक बीमारी थी और इसका कोई उपचार नहीं (Ronald Ross discovered in Hindi) था। तब उन्होंने इस बीमारी के संक्रमण, फैलाव, उपचार इत्यादि पर रिसर्च की और इसका उपचार ढूँढ निकाला। चिकित्सा के क्षेत्र में इस अद्भुत योगदान के लिए ही रोनाल्ड रोस को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया (Ronald Ross got the nobel prize for in Hindi) था।
जोसफ रुडयार्ड किपलिंग (Joseph Rudyard Kipling)
जोसफ दूसरे ऐसे नागरिक थे जो भारत की नागरिकता तो रखते थे लेकिन मूल रुप से भारतीय नहीं थे। कहने का अर्थ यह हुआ कि इन्हें भी उस समय नोबेल पुरस्कार मिला था जब भारत देश अंग्रेजों के पराधीन था और भारतीयों पर ब्रिटिश नागरिकों के द्वारा अत्याचार किये जा रहे थे और देश की धन-संपदा को लूटा जा रहा था। उस समय भारत में रह रहा यह ब्रिटिश नागरिक नोबेल पुरस्कार का विजेता घोषित हुआ (About Indian nobel prize winners Hindi) था।
जोसफ रुडयार्ड किपलिंग को वर्ष 1907 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में दिया गया था। जोसफ एक महान लेखक थे जिन्होंने कई तरह की पुस्तकें, लेख व अन्य साहित्य लिखे हैं। उन्हें यह नोबेल पुरस्कार रचनात्मक लेखन, चीज़ों को देखने का नजरिया, उस पर अपने विचार इत्यादि को ध्यान में रख कर दिया गया था।
रबिन्द्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore)
श्री रबिन्द्रनाथ टैगोर जी पहले ऐसे भारतीय थे जो भारत के मूल निवासी भी थे और भारत के स्थायी नागरिक भी। उन्हें विश्व के सबसे बड़े पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और यह संपूर्ण भारत देश के लिए गौरव का पल था। रबिन्द्र नाथ टैगोर जी को नोबेल पुरस्कार मिलते ही उनका नाम भारतीय इतिहास में अंकित हो गया और प्रत्येक भारतीय को उनका नाम भी याद हो गया जो आज तक याद (The complete list of Indian nobel prize winners in Hindi) है।
रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को नोबेल पुरस्कार वर्ष 1913 में दिया गया था और यह उन्हें साहित्य के क्षेत्र में ही मिला (Rabindranath Tagore nobel prize year) था। अब रबिन्द्र नाथ टैगोर जी का साहित्य हम में से किसी से छुपा हुआ नहीं है क्योंकि उन्होंने ही भारत देश के राष्ट्रगान की रचना की थी। इसी के साथ ही बांग्लादेश का राष्ट्र गान भी उन्होंने ही लिखा था। इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध पुस्तक गीतांजलि भी उन्हीं की रचना है। इसके अलावा उन्होंने गोरा, रबिन्द्र संगीत, शोनार बंगला इत्यादि साहित्य की भी रचना की (Rabindranath Tagore won the nobel prize for in Hindi) है।
उन्होंने अपने लेखन को केवल एक विषय तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि उन्होंने अद्भुत कविताओं सहित कई अन्य रचनात्मक साहित्य को लेखन का रूप दिया और वैश्विक पटल पर रखा। साहित्य के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए अद्भुत योगदान को देखते हुए ही उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया (Rabindranath Tagore got the nobel prize for in Hindi) था। वे प्रथम मूल भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था। वे पश्चिम बंगाल राज्य के कलकत्ता शहर से जुड़े थे।
चंद्रशेखर वेंकट रमण (Chandrashekhar Venkatraman)
चंद्रशेखर वेंकट रमण को कौन नहीं जानता और आज भी विज्ञान, अंतरिक्ष, भौतिकी, तकनीक इत्यादि के क्षेत्र में उनका नाम प्रमुखता के साथ लिया जाता है। यहाँ तक की भौतिकी के सिद्धांत में से एक मुख्य सिद्धांत जो कि लाइट से जुड़ा हुआ है, वह उन्हीं के नाम पर ही है जिसे हम रमण इफ़ेक्ट के नाम से जानते हैं। ऐसे में वेंकट रमण जी को यह नोबेल पुरस्कार भौतिकी अर्थात फिजिक्स के क्षेत्र में प्रदान किया गया था। वे दूसरे भारतीय मूल के स्थायी नागरिक थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला (Who was the first Indian to receive the nobel prize in Hindi) था।
हालाँकि उस समय भी भारत देश अंग्रेजों के अधीन था, ऐसे में उन्हें यह पुरस्कार ब्रिटिश भारत का नागरिक होने के नाते दिया गया था। चंद्रशेखर वेंकट रमण जी को नोबेल पुरस्कार वर्ष 1930 में दिया गया था जो कि भौतिकी के क्षेत्र से संबंधित था। उन्होंने लाइट के बारे में बहुत खोजबीन की थी और इससे जुड़े कई तरह के फॉर्मूला निकाले थे और विश्व को इसके बारे में अद्भुत ज्ञान दिया (Chandrashekhar Venkatraman nobel prize for in Hindi) था।
चंद्रशेखर वेंकट रमण जी का जन्म तमिलनाडु राज्य के थिरुचेरापल्ली में हुआ था जो उस समय ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रान्त का हिस्सा था। भारत सरकार ने भी वर्ष 1954 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। इन सभी के अलावा उन्हें समय समय पर कई अन्य पुरस्कार भी मिले थे। वे भारत देश में सीवी रमण के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध हैं और हम पुस्तकों में उन्हें इसी नाम से ही पढ़ते हैं।
हर गोबिंद खुराना (Hargobind Khorana)
अब हर गोबिंद खुराना जी थे तो भारतीय मूल के जिनका जन्म उस समय के पंजाब प्रान्त के रायपुर में हुआ था लेकिन वर्तमान समय में यह आंतकी देश पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका है। हालाँकि जब हर गोबिंद खुराना जी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया तब वे भारतीय नागरिक नहीं थे और उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता ले रखी थी और वहीं के स्थायी सदस्य बन चुके (Hargobind Khorana got nobel prize for in Hindi) थे।
हर गोबिंद सिंह जी को यह नोबेल पुरस्कार चिकित्सा के क्षेत्र में अद्भुत योगदान देने के लिए दिया गया था। उन्होंने मनुष्य के आन्वंशिक कोड तथा उस पर प्रोटीन के संश्लेषण पर शोध किया था और एक रिपोर्ट तैयार की थी। हालाँकि इस कार्य के लिए उन्हें यह सम्मान अकेले नहीं दिया गया था बल्कि उनके साथ दो अन्य व्यक्तियों को भी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके नाम मार्शल निरेंबेर्ग व रोबर्ट होल्ली था।
मदर टेरेसा (Mother Teresa)
अब मदर टेरेसा को कौन नहीं जानता और हर भारतीय को उनका नाम याद है। वह इसलिए क्योंकि स्कूल में बच्चों को मदर टेरेसा का नाम रटा दिया जाता है और उन्हें साक्षात देवी का रूप दे दिया जाता है जो गरीबों की मसीहा थी। एक तरह से भारत के गरीबों का सहारा उन्हें ही कह दिया जाता है। हालाँकि मदर टेरेसा भारतीय मूल की नहीं थी लेकिन उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारत में रहकर ही बिताया। भारत के गरीबों की सेवा करने के कारण ही उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया (Mother Teresa nobel prize in hindi) था।
मदर टेरेसा का असली नाम Mary Teresa Bojaxhiu था जिनका जन्म उत्तरी मकदूनिया नामक देश में हुआ था और वह उस देश के कैथोलिक चर्च में एक नन थी। इसके बाद वे भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के कलकत्ता शहर में आकर बस गयी और अपना काम शुरू कर दिया। उन्होंने कलकत्ता में ईसाईयों की मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना की जिसका उद्देश्य गरीब लोगों का उत्थान करना (Mother Teresa got nobel prize for in Hindi) था।
मदर टेरेसा का जन्म वर्ष 1910 में हुआ था और 1997 में कलकत्ता शहर में उनकी मृत्यु हो गयी थी। वर्ष 1979 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जो शांति के क्षेत्र में था। उन्हें भारत के बेसहारा व गरीब लोगों की मदद करने के लिए यह नोबेल पुरस्कार दिया गया था। हालाँकि उनसे एक विवाद भी जुड़ा हुआ है कि गरीबों की मदद करने के नाम पर वह ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का अजेंडा गुप्त रूप से चलाया करती थी और इसी कारण पश्चिम के देशों ने उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया था।
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सुब्रमण्यम चंद्रशेखर (Subrahmanyam Chandrasekhar)
भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिलने की सूची में सातवाँ नंबर आता है सुब्रमण्यम चंद्रशेखर जी का जो मूल रूप से तो भारतीय हिन्दू थे लेकिन जब इन्हें नोबेल पुरस्कार मिला उस समय ये संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थायी नागरिक बन चुके थे। उन्हें यह नोबेल पुरस्कार भौतिकी के क्षेत्र में ही अद्भुत व श्रेष्ठ कार्य करने के लिए दिया गया था। उनका जन्म भारत के लाहौर, पंजाब में हुआ था जो अब आतंकी देश पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका है। उनका जन्म वर्ष 1910 में और मृत्यु वर्ष 1995 में अमेरिका के शिकागो प्रान्त में हुई (Subrahmanyam Chandrasekhar nobel prize for in Hindi) थी।
चंद्रशेखर जी को नोबेल पुरस्कार वर्ष 1983 में दिया गया था। उन्होंने अंतरिक्ष में तारों, ग्रहों, उपग्रहों इत्यादि के ऊपर बहुत काम किया था और उनका गहन विश्लेषण कर बहुत सारी जानकारी उपलब्ध करवायी थी। इसी कारण अंतरिक्ष विज्ञान को बहुत सहायता मिली थी और वह आगे बढ़ पाया था। अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए ही उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ सम्मान नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अमर्त्य कुमार सेन (Amartya Kumar Sen)
इस सूची में आठवें स्थान पर जो आते हैं उनका नाम है अमृत्य कुमार सेन जो मूल रूप से भारतीय भी थे और भारत देश के स्थायी नागरिक भी। यह उन चार भारतीय नागरिकों में शामिल हैं जो जन्म से भी भारतीय थे और कर्म से भी। ऐसे में हम सभी को अमृत्य सेन पर गर्व होना चाहिए। अमृत्य सेन जी का जन्म 3 नवंबर 1933 को पश्चिम बंगाल राज्य के बोलपुर जिले में हुआ था और वे आज भी हम सभी के बीच जीवित (Amartya Kumar Sen got nobel prize for in Hindi) हैं।
वर्ष 1998 में अमृत्य सेन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और उन्हें यह पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया गया था। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए ही उन्हें इतने बड़े सम्मान से सम्मानित किया गया (Amartya Kumar Sen nobel prize in Hindi) था। इसके एक वर्ष के बाद ही श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया था। हालाँकि अमृत्य कुमार सेन जी की विचारधारा लेस्फ्टिस्ट व कम्युनिस्ट है जो देश के विरुद्ध होती है।
वेंकटरमण रामकृष्ण (Venkatraman Ramakrishnan)
वेंकटरमण रामकृष्ण मूल रूप से तो भारतीय हैं लेकिन अब वे ब्रिटिश व अमेरिका के नागरिक माने जाते हैं अर्थात उनके पास इन दोनों देशों की ही नागरिकता है। हालाँकि मूल रूप से वे ब्रिटेन में ही रहना पसंद करते हैं और वहीं रहकर अपने सभी कार्य करते हैं। उनका जन्म भारत देश के तमिलनाडु राज्य के चिंदबरम प्रान्त में हुआ था। वे एक अप्रैल 1952 को जन्मे थे और अभी भी हम सभी के बीच कार्य कर रहे (Venkatraman Ramakrishnan nobel prize in Hindi) हैं।
वेंकटरमण रामकृष्ण जी को वेंकी के नाम से भी जाना जाता है और उनका यही नाम हर जगह प्रसिद्ध है। उन्हें वर्ष 2009 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और यह उन्हें रसायन अर्थात केमिस्ट्री के क्षेत्र में दिया गया था। उन्होंने राइबोसोम की संरचना और कार्य का अध्ययन किया था और उसका सार दुनिया को दिया था। वर्तमान में वे ब्रिटेन में प्रेसिडेंट ऑफ द रॉयल सोसाइटी के 62वें प्रेसिडेंट का पदभार संभाल रहे (Venkatraman Ramakrishnan got nobel prize for in Hindi) हैं।
कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi)
जिन चार भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिला है अर्थात जो भारतीय मूल के होने के साथ साथ भारत के स्थायी नागरिक भी हैं, उसमे कैलाश सत्यार्थी का नाम भी आता है। यह इस सूची में नोबेल पुरस्कार पाने वाले नए नए हैं और इनका नाम तो आपने कई बार समाचार में पढ़ा होगा या राजनीति के गलियारों में सुना होगा। इनका जन्म भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा प्रान्त में हुआ था और ये अभी भी हम सभी के बीच जीवित (Kailash Satyarthi nobel prize in Hindi) हैं।
कैलाश सत्यार्थी का जन्म 11 जनवरी 1954 को हुआ था और तब से लेकर आज तक उन्होंने वैश्विक शांति व उत्थान के लिए कई कार्य किये हैं। उन्हें वर्ष 2014 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था जो शांति के क्षेत्र में था। उन्होंने भारत सहित पूरी दुनिया के बच्चों और युवाओं के लिए बहुत काम किया है और आज भी कर रहे हैं। बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले और कोई भी बच्चा अशिक्षित ना रहे, यह उनका लक्ष्य (Kailash Satyarthi got nobel prize for in Hindi) है।
इसी के साथ ही जहाँ कहीं भी बच्चों से बाल मजदूरी करवायी जाती है, उनका शोषण होता है, उनके साथ हिंसा की घटना होती है या कोई अन्य अत्याचार किया जाता है, तो उन सभी के विरुद्ध लड़ने या उनका सामना करने का कार्य कैलाश सत्यार्थी ने किया है। उनके इन्हीं अद्भुत कार्यों को देखते हुए ही उन्हें वर्ष 2014 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee)
भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिलने की लिस्ट में जो अभी आखिरी व्यक्ति हैं उनका नाम अभिजीत बनर्जी है। वे भारत में तो जन्मे थे लेकिन बहुत पहले ही ये संयुक्त राज्य अमेरिका के स्थायी नागरिक बन चुके हैं। इनका जन्म भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई प्रान्त में 21 फरवरी 1961 को हुआ था और वे आज भी हम सभी के बीच जीवित हैं। उन्हें यह पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए दिया गया था जिसका लाभ आज भी दुनिया उठा रही (Abhijit Banerjee got nobel prize for in Hindi) है।
वर्ष 2019 में अभिजीत बनर्जी को नोबेल पुरस्कार मिला था और यह अर्थशास्त्र से संबंधित पुरस्कार था। इन्होंने दुनियाभर से गरीबी व भुखमरी को कम करने या उसे दूर करने के लिए किस तरह से पैसों का प्रबंधन किया जा सकता है, अर्थव्यवस्था में क्या कुछ परिवर्तन किये जा सकते हैं तथा अन्य क्या कुछ हो सकता है, इसका गहन अध्ययन किया था और वैश्विक पटल पर अपने विचार रखे थे। वैश्चिक अर्थव्यवस्था में दिए गए योगदान के कारण ही इन्हें हाल ही में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया (Abhijit Banerjee nobel prize in Hindi) है।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय सूची – Related FAQs
प्रश्न: भारत में नोबेल पुरस्कार कितने लोगों को मिला है?
उत्तर: भारत में 11 लोगों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है जिसके बारे में हमने इस लेख के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।
प्रश्न: नोबेल शांति पुरस्कार कितने भारतीयों को मिला?
उत्तर: नोबेल शांति पुरस्कार मदर टेरेसा और कैलाश स्त्यार्थी को मिला है।
प्रश्न: 7 नोबेल पुरस्कार क्या हैं?
उत्तर: नोबेल पुरस्कार शांति, साहित्य, भौतिकी, चिकित्सा, रसायन, विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाता है।
प्रश्न: भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार कौन सा है?
उत्तर: भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न है।
प्रश्न: नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति कौन है?
उत्तर: जीन हेनरी डुनेंट नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले व्यक्ति हैं।
तो इस तरह से इस लेख के माध्यम से आपने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके भारतीयों के नाम जान लिए हैं। आज तक 11 भारतीयों को नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है जिनके नाम और उनको यह पुरस्कार कब और किस लिए मिला है साथ ही अन्य जानकारी भी इस लेख के माध्यम से आपने जान ली है। अगर आपके मन में अभी भी कोई शंका शेष रह गई है तो आप हमसे नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।